नई
दिल्ली । अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल के प्रेसीडेंट अनूप मित्तल ने जिस तरह
से मनमाने और गुपचुप तरीके से संगठन के पैसों को खर्च करने का काम शुरू
किया हुआ है, उससे संगठन में नीचे से ऊपर तक के लोगों के बीच चिंता और
आशंका पैदा हुई है कि अनूप मित्तल कहीं पैसों की बड़ी हेराफेरी तो नहीं कर
रहे हैं ? संगठन के एक बड़े पदाधिकारी का कहना है कि अनूप मित्तल जस
तरह से संगठन के दूसरे पदाधिकारियों से छिप/छिपा कर मोटी रकम खर्च करते हुए
काम कर रहे हैं, उससे लोगों को उनकी नीयत और उनके इरादे पर शक होने लगा है
- और कई एक लोग तो कहने भी लगे हैं कि संगठन के पैसे का बेजा इस्तेमाल
करने के पीछे अनूप मित्तल का वास्तविक और तात्कालिक उद्देश्य अपनी जेब भरने का लगता है ।
उल्लेखनीय है कि एक तरफ तो कोलकाता में संगठन के मुख्य कार्यालय के लिए
भवन खरीदने के नाम पर फ्लैट खरीदने की अनूप मित्तल की तैयारी संदेह के
घेरे में हैं, तो दूसरी तरफ दिल्ली के नजदीक बुलंदशहर में कैंसर अस्पताल
के निर्माण के नाम पर पैसा इकट्ठा करने की उनकी योजना गंभीर आरोपों के
घेरे में है । यह संदेह और आरोप इसलिए और गंभीर हैं क्योंकि इंटरनेशनल
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के कई सदस्यों तक को नहीं पता है कि इन दोनों मामलों
में वास्तव में हो क्या रहा है । अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल से जुड़े कई
लोगों का कहना/बताना है कि इन दोनों मामलों के बारे में जब भी वह किसी भी
बोर्ड सदस्य से कुछ पूछते हैं, तो उन्हें यही सुनने को मिलता है कि अनूप
मित्तल उन्हें कुछ बताते ही नहीं हैं और उनसे कुछ पूछो तो वह नाराज होने
लगते हैं, इसलिए उन्हें तो कुछ पता नहीं है । लोगों का कहना है कि जब
बोर्ड के सदस्यों को ही कुछ नहीं पता है और अनूप मित्तल ने उन्हें भी
अँधेरे में रखा हुआ है, तो मल्टीपल और डिस्ट्रिक्ट और क्लब के लोगों की तो फिर हैसियत ही क्या है ?
कोलकाता में संगठन के मुख्य कार्यालय के लिए भवन खरीदने के नाम पर फ्लैट खरीदने की अनूप मित्तल की तैयारी उनकी मनमानी तथा बेईमानीपूर्ण सोच का दिलचस्प उदाहरण है । इस खरीद पर उठने वाले सवालों के जबाव में अनूप मित्तल ने यह दावा तो किया कि कोलकाता में हुई इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में मुख्य कार्यालय के लिए अपनी बिल्डिंग होने/करने का प्रस्ताव पास हुआ था, और वह उसी पास हुए प्रस्ताव पर अमल कर रहे हैं - लेकिन अनूप मित्तल पूरी बात नहीं बता रहे हैं । उनका यह दावा सच है कि कोलकाता में हुई बोर्ड मीटिंग में मुख्य कार्यालय के लिए अपनी बिल्डिंग होने/करने का प्रस्ताव पास हुआ था - लेकिन पूरा सच यह है कि मुख्य कार्यालय के लिए जमीन देने की घोषणा अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल के संस्थापक प्रेसीडेंट सतीश लखोटिया ने की थी । उक्त मीटिंग में सतीश लखोटिया ने घोषणा की थी कि अपनी करीब साढ़े आठ हजार वर्ग फुट जमीन वह संगठन के मुख्यालय के निर्माण के लिए देंगे । उन्होंने उक्त जमीन की रजिस्ट्री संगठन के नाम करने के लिए 17 जनवरी की तारीख भी तय कर दी थी । सतीश लखोटिया की इस स्पष्ट घोषणा के बावजूद, बाद में लोगों को जब पता चला कि अनूप मित्तल मुख्य कार्यालय के लिए एक आवासीय कालोनी में फ्लैट खरीदने की तैयारी कर रहे हैं - तो उनका माथा ठनका । बोर्ड मीटिंग में फ्लैट खरीदने की तो कोई बात ही तय नहीं हुई थी, और न अनूप मित्तल ने बाद में ही बोर्ड सदस्यों से फ्लैट खरीदने की अपनी तैयारी को लेकर कोई बात की । अनूप मित्तल की इस हरकत पर लोगों के बीच चर्चा चली है कि सतीश लखोटिया के जमीन देने से पहले ही मुख्य कार्यालय के नाम पर फ्लैट खरीदने के जरिए अनूप मित्तल एक बड़ी रकम अपनी जेब में करने का मौका बना रहे हैं - अन्यथा बोर्ड के सदस्यों को अँधेरे में रख कर फ्लैट खरीदने की जल्दबाजी करने की उन्हें कोई जरूरत नहीं थी ।
एक इंटरनेशनल संगठन का मुख्य कार्यालय आवासीय कालोनी के एक फ्लैट में हो - यह बात भी किसी के समझ में नहीं आ रही है । कई लोगों ने अनूप मित्तल से कहा भी कि आवासीय कालोनी के एक फ्लैट में संगठन के मुख्य कार्यालय का काम कर पाना संभव नहीं होगा; मुख्य कार्यालय में संगठन के सदस्यों की जिस तरह की चहल-पहल होगी, उस पर कालोनी के निवासियों को परेशानी व आपत्ति होगी और वह शिकायत कर सकते हैं; आवासीय कालोनी के फ्लैट में संगठन के नाम का बोर्ड भी नहीं लगा सकेंगे, और इस नाते से बाहर से आने वाले सदस्यों को कार्यालय का पता खोजने में मुश्किल होगी । अनूप मित्तल ने लेकिन इन बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया है, और इन बातों को करने वालों को तरह तरह की बहानेबाजियों से टरका दिया है । अनूप मित्तल बस जल्दी से जल्दी फ्लैट खरीद लेना चाहते हैं । उन्हें डर है कि कहीं बात इतनी न बढ़ जाए कि फ्लैट खरीदने की उनकी तैयारी धरी की धरी ही रह जाए । फ्लैट खरीदने को लेकर अनूप मित्तल की हड़बड़ी देख/जान कर लोगों का शक और बढ़ व पक्का हो रहा है कि मुख्य कार्यालय के नाम पर फ्लैट की खरीद करके अनूप मित्तल दरअसल अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं ।
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में अनूप मित्तल ने बुलंदशहर में कैंसर अस्पताल बनाने/बनवाने के नाम पर पैसा इकट्ठा करने की जो मुहिम शुरू की हुई है, उसे लेकर भी लोगों के शक और आरोप धीरे धीरे बढ़ते जा रहे हैं । अनूप मित्तल ने दावा तो यह किया था कि उक्त कैंसर अस्पताल उनके प्रेसीडेंट-काल की मुख्य पहचान बनेगा - लेकिन लोगों के बीच जिस तरह की बातें सुनी/सुनाई जा रही हैं, उससे लग यह रहा है कि अस्पताल नहीं - अस्पताल के नाम पर इकट्ठा हुई रकम को हड़पने की बात उनके प्रेसीडेंट-काल की पहचान बनेगी । यह बातें दरअसल इसलिए सुनी/सुनाई जा रही हैं, क्योंकि किसी को भी यह नहीं पता है कि प्रस्तावित कैंसर अस्पताल के नाम पर अनूप मित्तल ने कितनी रकम इकट्ठा कर ली है, और वह रकम कहाँ किस खाते में है, और अस्पताल बनने की योजना किस स्थिति में है ? हैरानी की बात यह है कि इस मामले को भी अनूप मित्तल ने बोर्ड के सदस्यों व पदाधिकारियों से छिपाया हुआ है । यह बात हैरानी की इसलिए है क्योंकि इस तरह के कामों में तो सभी की मदद ली जाती है, ताकि काम जल्दी से पूरा हो - अनूप मित्तल ने लेकिन अलग ही तरीका अपनाया हुआ है; कैंसर अस्पताल की अपनी योजना को लेकर वह बोर्ड के सदस्यों के साथ कोई विचार-विमर्श ही नहीं करते हैं । बोर्ड के सदस्यों का ही कहना है कि संभवतः अनूप मित्तल इसीलिए विचार-विमर्श नहीं करते हैं, क्योंकि तब फिर उन्हें सारा हिसाब-किताब भी बताना/देना पड़ेगा । अनूप मित्तल डिस्ट्रिक्ट्स व क्लब्स की मीटिंग्स में कैंसर अस्पताल के लिए दान देने की अपील तो जोर-शोर से करते रहते हैं, किंतु वह यह किसी को नहीं बताना चाहते कि कैंसर अस्पताल के लिए दान में मिले पैसों का वह कर क्या रहे हैं ?इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में अनूप मित्तल के इस रवैये ने अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल की पूरी कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में ला दिया है, तथा लोगों के बीच चर्चा चली है कि प्रेसीडेंट कार्यालय जैसे मनमानी करके लूट-खसोट करने का अड्डा बन गया है । जो लोग अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल से शुरू से जुड़े हुए हैं, और जिन्होंने इसके गठन में तथा इसे आगे बढ़ाने में मेहनत की है - वह अनूप मित्तल के रवैये कारण इसमें बन रहे माहौल तथा इसकी बन रही नकारात्मक छवि को लेकर खासे परेशान और निराश हैं । कुछेक लोगों को लगता भी है कि अनूप मित्तल की कार्रवाइयों में यदि पारदर्शिता नहीं लाई गई, तो संगठन में भरोसा करने वाले लोगों का भरोसा खत्म होगा - और यह बात संगठन को बहुत ही नुकसान पहुँचाने वाली होगी ।
कोलकाता में संगठन के मुख्य कार्यालय के लिए भवन खरीदने के नाम पर फ्लैट खरीदने की अनूप मित्तल की तैयारी उनकी मनमानी तथा बेईमानीपूर्ण सोच का दिलचस्प उदाहरण है । इस खरीद पर उठने वाले सवालों के जबाव में अनूप मित्तल ने यह दावा तो किया कि कोलकाता में हुई इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में मुख्य कार्यालय के लिए अपनी बिल्डिंग होने/करने का प्रस्ताव पास हुआ था, और वह उसी पास हुए प्रस्ताव पर अमल कर रहे हैं - लेकिन अनूप मित्तल पूरी बात नहीं बता रहे हैं । उनका यह दावा सच है कि कोलकाता में हुई बोर्ड मीटिंग में मुख्य कार्यालय के लिए अपनी बिल्डिंग होने/करने का प्रस्ताव पास हुआ था - लेकिन पूरा सच यह है कि मुख्य कार्यालय के लिए जमीन देने की घोषणा अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल के संस्थापक प्रेसीडेंट सतीश लखोटिया ने की थी । उक्त मीटिंग में सतीश लखोटिया ने घोषणा की थी कि अपनी करीब साढ़े आठ हजार वर्ग फुट जमीन वह संगठन के मुख्यालय के निर्माण के लिए देंगे । उन्होंने उक्त जमीन की रजिस्ट्री संगठन के नाम करने के लिए 17 जनवरी की तारीख भी तय कर दी थी । सतीश लखोटिया की इस स्पष्ट घोषणा के बावजूद, बाद में लोगों को जब पता चला कि अनूप मित्तल मुख्य कार्यालय के लिए एक आवासीय कालोनी में फ्लैट खरीदने की तैयारी कर रहे हैं - तो उनका माथा ठनका । बोर्ड मीटिंग में फ्लैट खरीदने की तो कोई बात ही तय नहीं हुई थी, और न अनूप मित्तल ने बाद में ही बोर्ड सदस्यों से फ्लैट खरीदने की अपनी तैयारी को लेकर कोई बात की । अनूप मित्तल की इस हरकत पर लोगों के बीच चर्चा चली है कि सतीश लखोटिया के जमीन देने से पहले ही मुख्य कार्यालय के नाम पर फ्लैट खरीदने के जरिए अनूप मित्तल एक बड़ी रकम अपनी जेब में करने का मौका बना रहे हैं - अन्यथा बोर्ड के सदस्यों को अँधेरे में रख कर फ्लैट खरीदने की जल्दबाजी करने की उन्हें कोई जरूरत नहीं थी ।
एक इंटरनेशनल संगठन का मुख्य कार्यालय आवासीय कालोनी के एक फ्लैट में हो - यह बात भी किसी के समझ में नहीं आ रही है । कई लोगों ने अनूप मित्तल से कहा भी कि आवासीय कालोनी के एक फ्लैट में संगठन के मुख्य कार्यालय का काम कर पाना संभव नहीं होगा; मुख्य कार्यालय में संगठन के सदस्यों की जिस तरह की चहल-पहल होगी, उस पर कालोनी के निवासियों को परेशानी व आपत्ति होगी और वह शिकायत कर सकते हैं; आवासीय कालोनी के फ्लैट में संगठन के नाम का बोर्ड भी नहीं लगा सकेंगे, और इस नाते से बाहर से आने वाले सदस्यों को कार्यालय का पता खोजने में मुश्किल होगी । अनूप मित्तल ने लेकिन इन बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया है, और इन बातों को करने वालों को तरह तरह की बहानेबाजियों से टरका दिया है । अनूप मित्तल बस जल्दी से जल्दी फ्लैट खरीद लेना चाहते हैं । उन्हें डर है कि कहीं बात इतनी न बढ़ जाए कि फ्लैट खरीदने की उनकी तैयारी धरी की धरी ही रह जाए । फ्लैट खरीदने को लेकर अनूप मित्तल की हड़बड़ी देख/जान कर लोगों का शक और बढ़ व पक्का हो रहा है कि मुख्य कार्यालय के नाम पर फ्लैट की खरीद करके अनूप मित्तल दरअसल अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी जेब भरने का काम कर रहे हैं ।
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में अनूप मित्तल ने बुलंदशहर में कैंसर अस्पताल बनाने/बनवाने के नाम पर पैसा इकट्ठा करने की जो मुहिम शुरू की हुई है, उसे लेकर भी लोगों के शक और आरोप धीरे धीरे बढ़ते जा रहे हैं । अनूप मित्तल ने दावा तो यह किया था कि उक्त कैंसर अस्पताल उनके प्रेसीडेंट-काल की मुख्य पहचान बनेगा - लेकिन लोगों के बीच जिस तरह की बातें सुनी/सुनाई जा रही हैं, उससे लग यह रहा है कि अस्पताल नहीं - अस्पताल के नाम पर इकट्ठा हुई रकम को हड़पने की बात उनके प्रेसीडेंट-काल की पहचान बनेगी । यह बातें दरअसल इसलिए सुनी/सुनाई जा रही हैं, क्योंकि किसी को भी यह नहीं पता है कि प्रस्तावित कैंसर अस्पताल के नाम पर अनूप मित्तल ने कितनी रकम इकट्ठा कर ली है, और वह रकम कहाँ किस खाते में है, और अस्पताल बनने की योजना किस स्थिति में है ? हैरानी की बात यह है कि इस मामले को भी अनूप मित्तल ने बोर्ड के सदस्यों व पदाधिकारियों से छिपाया हुआ है । यह बात हैरानी की इसलिए है क्योंकि इस तरह के कामों में तो सभी की मदद ली जाती है, ताकि काम जल्दी से पूरा हो - अनूप मित्तल ने लेकिन अलग ही तरीका अपनाया हुआ है; कैंसर अस्पताल की अपनी योजना को लेकर वह बोर्ड के सदस्यों के साथ कोई विचार-विमर्श ही नहीं करते हैं । बोर्ड के सदस्यों का ही कहना है कि संभवतः अनूप मित्तल इसीलिए विचार-विमर्श नहीं करते हैं, क्योंकि तब फिर उन्हें सारा हिसाब-किताब भी बताना/देना पड़ेगा । अनूप मित्तल डिस्ट्रिक्ट्स व क्लब्स की मीटिंग्स में कैंसर अस्पताल के लिए दान देने की अपील तो जोर-शोर से करते रहते हैं, किंतु वह यह किसी को नहीं बताना चाहते कि कैंसर अस्पताल के लिए दान में मिले पैसों का वह कर क्या रहे हैं ?इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के रूप में अनूप मित्तल के इस रवैये ने अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल की पूरी कार्यप्रणाली को संदेह के घेरे में ला दिया है, तथा लोगों के बीच चर्चा चली है कि प्रेसीडेंट कार्यालय जैसे मनमानी करके लूट-खसोट करने का अड्डा बन गया है । जो लोग अलायंस क्लब्स इंटरनेशनल से शुरू से जुड़े हुए हैं, और जिन्होंने इसके गठन में तथा इसे आगे बढ़ाने में मेहनत की है - वह अनूप मित्तल के रवैये कारण इसमें बन रहे माहौल तथा इसकी बन रही नकारात्मक छवि को लेकर खासे परेशान और निराश हैं । कुछेक लोगों को लगता भी है कि अनूप मित्तल की कार्रवाइयों में यदि पारदर्शिता नहीं लाई गई, तो संगठन में भरोसा करने वाले लोगों का भरोसा खत्म होगा - और यह बात संगठन को बहुत ही नुकसान पहुँचाने वाली होगी ।