Thursday, November 10, 2011

रमेश अग्रवाल द्धारा अपमानित किये जाने के बाद भी सुशील गुप्ता आखिर किस मजबूरी के चलते चुप हैं

भूतपूर्व रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता को अपने ही डिस्ट्रिक्ट - रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में बुरी तरह अपमानित होना पड़ा है | उन्हें अपमानित करने का काम किया डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमेश अग्रवाल ने | रमेश अग्रवाल ने सुशील गुप्ता को तो उनकी 'राजनीतिक औकात' बताने का काम किया ही, साथ ही रोटरी भावना को भी लज्जित किया | मामला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रमेश अग्रवाल के पहले कार्यक्रम 'पेम' - प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट से जुड़ा है | जैसा कि नाम से ही जाहिर है, 'पेम' (प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट) प्रेसीडेंट इलेक्ट के आपस में एक-दूसरे से और अपने कार्यकाल के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व उसकी टीम के संभावित पदाधिकारियों से मिलने-जुलने का और परिचित होने का कार्यक्रम है - जिसमें प्रेसीडेंट इलेक्ट की उपस्थिति जरूरी होती है | रमेश अग्रवाल ने लेकिन कई प्रेसीडेंट इलेक्ट को अपने 'पेम' कार्यक्रम में आने से मना किया | इसका उन्होंने किसी को कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया | रोटरी क्लब दिल्ली सेलेक्ट की अध्यक्ष दीप्ति गुप्ता ने इसकी शिकायत सुशील गुप्ता से की | दीप्ति गुप्ता ने सुशील गुप्ता से कहा कि प्रेसीडेंट इलेक्ट होने के नाते 'पेम' कार्यक्रम में उपस्थित होना उनका अधिकार भी है, और उनके लिए जरूरी भी है | दीप्ति गुप्ता ने सुशील गुप्ता से यह शिकायत इसलिए की क्योंकि सुशील गुप्ता डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच लगातार यह आह्वान करते रहे हैं कि किसी भी तरह की शिकायतों को डिस्ट्रिक्ट से बाहर ले जाने से पहले उन्हें डिस्ट्रिक्ट के प्रमुख लोगों के बीच ही रखना चाहिए, ताकि डिस्ट्रिक्ट की बदनामी न हो | दीप्ति गुप्ता ने सोचा कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर होने के नाते सुशील गुप्ता का कद बड़ा है, इसलिए अपनी शिकायत उन्होंने सुशील गुप्ता के सामने ही रखी | सुशील गुप्ता ने उनकी शिकायत पर दिलचस्पी के साथ सिर्फ गौर ही नहीं किया, उनकी शिकायत को जायज़ भी माना |
सुशील गुप्ता ने इस बात पर आश्चर्य भी किया कि रमेश अग्रवाल वैसे तो रोटरी के बारे में बहुत ज्ञान की बातें करते हैं लेकिन फिर भी वह प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट को ही आने से मना क्यों कर रहे हैं | सुशील गुप्ता ने दीप्ति गुप्ता को आश्वस्त किया कि वह रमेश अग्रवाल से बात करेंगे | उन्होंने रमेश अग्रवाल से बात की भी | इसका असर यह हुआ कि दीप्ति गुप्ता को रमेश अग्रवाल के कार्यालय से 'पेम' में शामिल होने का निमंत्रण मिल गया | दीप्ति गुप्ता के पास यह निमंत्रण लेकिन ज्यादा समय नहीं रह सका | जल्दी ही रमेश अग्रवाल के कार्यालय से उन्हें फोन मिला कि भले ही वह प्रेसीडेंट इलेक्ट हों, लेकिन उन्हें प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में आने की जरूरत नहीं है | कुछेक लोगों ने रमेश अग्रवाल को समझाया भी कि सुशील गुप्ता के कहने के बावजूद आप यदि दीप्ति गुप्ता को 'पेम' में शामिल नहीं होने दोगे तो यह सुशील गुप्ता का अपमान होगा | रमेश अग्रवाल ने लेकिन अपने स्वभाव के अनुरूप बदतमीजी से यह कहते हुए उन्हें चुप करा दिया कि 'पेम' में कौन शामिल होगा - यह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते वह तय करेंगे या सुशील गुप्ता तय करेगा | इस तरह सुशील गुप्ता के हस्तक्षेप के बावजूद दीप्ति गुप्ता को 'पेम' में उपस्थित होने का मौका नहीं मिला | कुछ लोगों को लगता है कि रमेश अग्रवाल चूंकि दीप्ति गुप्ता के पति जीतेंद्र गुप्ता से खुन्नस रखते हैं, और अपनी खुन्नस का बदला उन्होंने दीप्ति गुप्ता से लिया | हो सकता है कि यह सच भी हो, लेकिन रमेश अग्रवाल ने जो हरकत दीप्ति गुप्ता के साथ की, वैसी ही हरकत कुछेक और क्लब्स के प्रेसीडेंट इलेक्ट के साथ भी की है |
रोटरी क्लब ऑफ़ गाज़ियाबाद मिडटाउन के मामले में तो उन्हें क्लब के वरिष्ठ सदस्य उमेश चोपड़ा से जमकर खरी-खोटी भी सुननी पड़ी | रोटरी क्लब ऑफ़ गाज़ियाबाद मिडटाउन के प्रेसीडेंट इलेक्ट संदीप गोयल के साथ तो दरअसल और मजाक हुआ | रमेश अग्रवाल ने गाज़ियाबाद के अपने एक दूत आलोक गर्ग से संदीप गोयल को पहले तो यह सन्देश भिजवाया कि उन्हें इस-इस तैयारी के साथ और इस ड्रेस-कोड का पालन करते हुए 'पेम' में आना है, लेकिन ठीक एक दिन पहले आलोक गर्ग से ही यह कहलवा दिया कि उन्हें 'पेम' में आने की जरूरत नहीं है | संदीप गोयल ने अपने आप को इतना अपमानित महसूस किया कि वह यह बात किसी को बता भी नहीं पाए | दो-तीन दिन बाद जब क्लब के वरिष्ठ सदस्य उमेश चोपड़ा को यह पता चला तो उन्होंने रमेश अग्रवाल को फोन करके खूब लताड़ा | रमेश अग्रवाल ने उन्हें 'रोटरी' समझाने की कोशिश की, लेकिन उमेश चोपड़ा ने उन्हें नसीहत दी कि रोटरी पहले वह खुद समझें | उमेश चोपड़ा ने उनसे पूछा कि प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट नहीं होगा तो कौन होगा ? रमेश अग्रवाल इसका कोई जबाव नहीं दे सके | उमेश चोपड़ा ने रमेश अग्रवाल को याद दिलाया कि रमेश, अभी ज्यादा दिन थोड़े ही हुए हैं जब तू उम्मीदवार था और वोट के लिए हम लोगों की खुशामद किया फिरता था | इतनी जल्दी भूल गया कि हम लोगों के समर्थन से ही गवर्नर बना है |
रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने जाने के बाद से दरअसल इतने घमंड में आ गए हैं कि किसी के साथ भी बदतमीजी कर देते हैं | अपनी बदतमीजीपूर्ण हरकतों के चलते वह लोगों को लगातार नाराज़ करते जा रहे हैं और इसके बदले में उनके गुस्से का शिकार होते जा रहे हैं | रोटरी कलब मोदीनगर के वरिष्ठ सदस्य केके भटनागर उनकी बदतमीजी के लिए उन्हें बुरी तरह लताड़ चुके हैं | राजेंद्र जेना से तो रमेश अग्रवाल भरी मीटिंग में पिट भी चुके हैं | रमेश अग्रवाल की बकवासपूर्ण बदतमीजी से डिस्ट्रिक्ट के मौजूदा गवर्नर असित मित्तल भी नहीं बच सके हैं; जिसके बाद असित मित्तल ने जुमला कसा कि रमेश अग्रवाल की शक्ल तो काली है ही, उसका मन भी काला है | रमेश अग्रवाल की हरकतों का आलम यह है कि उन्होंने जिन मुकेश अरनेजा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया है, वह मुकेश अरनेजा भी उनसे डर कर रहते हैं | लोगों से बदतमीजी करने के मामले में मुकेश अरनेजा ने भी हालाँकि खूब नाम कमाया है और वह खुद ही अपने आप को डिस्ट्रिक्ट का 'गुंडा' बताते रहे हैं लेकिन रमेश अग्रवाल के सामने उन्हें भी लगता है कि वह कमजोर हैं | 'पेम' में प्रेसीडेंट इलेक्ट को आने से मना करने के मामले में कुछेक लोगों ने जब मुकेश अरनेजा से संपर्क किया तो उन्होंने साफ कहा कि वह डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर जरूर हैं लेकिन वह रमेश अग्रवाल को कोई सुझाव नहीं दे सकेंगे | मुकेश अरनेजा ने लोगों से साफ कहा कि रमेश अग्रवाल सिरफिरा आदमी है, तुम्हारी कुर्सी रखवाने की कोशिश मैं करूंगा तो वह मेरी कुर्सी ही हटा देगा, इसलिए मैं तो चुप ही रहूँगा |
मुकेश अरनेजा का तो स्वार्थ समझ में आता है | डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद वह दोबारा गँवाना नहीं चाहेंगे | उल्लेखनीय है कि इससे पहले अमित जैन ने उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाया था, लेकिन उनकी हरकतों से तंग आकर फिर उन्हें हटा दिया था | मुकेश अरनेजा ने बड़ी खुशामद करके दोबारा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद पाया है | इसलिए वह रमेश अग्रवाल को किसी भी तरह नाराज़ नहीं करना चाहते | लेकिन सुशील गुप्ता का स्वार्थ किसी की भी समझ से परे हैं | वह मानते हैं कि रमेश अग्रवाल ने प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट को आने से मना करके रोटरी भावना के खिलाफ काम किया है; वह मानते हैं कि इस तरह की बातों से रोटरी की और डिस्ट्रिक्ट की बदनामी होती है; उन्होंने कोशिश भी की कि रमेश अग्रवाल प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट में प्रेसीडेंट इलेक्ट को आमंत्रित करें - उसके बावजूद रमेश अग्रवाल के कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी; और सुशील गुप्ता चुपचाप बने रहे | किसी के लिए भी यह समझ पाना मुश्किल बना हुआ है कि सुशील गुप्ता आखिर किस मजबूरी के चलते रमेश अग्रवाल द्धारा उन्हें अपमानित करने तथा रोटरी भावना को लज्जित करने की कार्रवाई को चुपचाप देखते रहे हैं |
[यह रिपोर्ट विस्तृत रूप में 'रचनात्मक संकल्प' के प्रिंट ऐडीशन में पढ़ी जा सकती है |]