नई दिल्ली/गाजियाबाद । सतीश सिंघल के गवर्नर-काल के पदों का खजाना लुटा कर मुकेश अरनेजा जिस तरह से घर घर जाकर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए वोट जुटाने के अभियान में लगे हैं, उसके कारण चुनावी परिदृश्य खासा रोचक हो गया है । परिदृश्य रोचक होने का कारण यह है कि पिछले तीन दिनों में मुकेश अरनेजा ने सतीश सिंघल के गवर्नर-काल के 25-30 असिस्टेंट गवर्नर 'बना' दिए हैं । इस रफ्तार को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि जल्दी ही यह संख्या क्लब्स की संख्या जितनी हो जाएगी । इस तरह, मुकेश अरनेजा ने सतीश सिंघल के गवर्नर-काल को रोटरी के इतिहास का एक ऐसा अनोखा वर्ष बनाने की तैयारी कर ली है, जिसमें 'जितने क्लब उतने ही असिस्टेंट गवर्नर' होंगे । उल्लेखनीय है कि सतीश सिंघल ने खुद यह घोषणा भी की हुई है कि अपने गवर्नर-काल में वह ऐसे ऐसे काम करेंगे, जैसे रोटरी के 110 वर्षों के इतिहास में कभी नहीं हुए होंगे । मुकेश अरनेजा ने लगता है कि ऐसे कामों की एक बानगी पेश कर दी है । इस तरीके को अपना कर मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में दी गई उस अंडरटेकिंग को भी ठेंगा दिखा दिया है, जिसमें उम्मीदवार और किसी भी डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी द्वारा चुनाव प्रचार से दूर रहने का वायदा किया गया है ।
मुकेश अरनेजा द्वारा असिस्टेंट गवर्नर का पद 'बाँटने' की कार्रवाई में लेकिन यह एक बुरी बात हुई कि असिस्टेंट गवर्नर 'बनने' वाले रोटेरियन असिस्टेंट गवर्नर 'बनने' का 'सुख' नहीं ले पाए : हुआ दरअसल यह कि असिस्टेंट गवर्नर बने एक रोटेरियन ने दूसरे क्लब के सक्रिय व प्रभावी रोटेरियन को फोन पर अपने असिस्टेंट गवर्नर बनने की बात बताते हुए उससे कहा कि 'मुझे बधाई दे'; जबाव में उसे लेकिन सुनने को मिला कि तू पहले मुझे बधाई दे, मैं तो कल ही असिस्टेंट गवर्नर 'बना' दिया गया था । उनका असिस्टेंट गवर्नर बनने का उत्साह और सुख कुछ ठंडा पड़ा, लेकिन इसे बनाए रखने के लिए उन्होंने अन्य क्लब के प्रमुख व वरिष्ठ साथियों को फोन किया, जिनमें से कुछ तो असिस्टेंट गवर्नर 'बने' मिले - लेकिन कुछ ऐसे भी मिले जो असिस्टेंट गवर्नर नहीं बने थे । यह सुन/जान कर उन्हें कुछ संतोष मिला । लेकिन यह संतोष ज्यादा देर उनके पास रह नहीं पाया - क्योंकी असिस्टेंट गवर्नर नहीं बने रोटेरियंस ने दस-पंद्रह मिनट बाद ही पलट कर उन्हें फोन करके बताया कि उनकी अरनेजा जी से बात हुई है, और अरनेजा जी ने उनसे कहा है कि कल/परसों में वह उनके पास आते हैं और उन्हें असिस्टेंट गवर्नर बनाते हैं ।
इस समय जो चाहे वह सतीश सिंघल के गवर्नर-काल का असिस्टेंट गवर्नर 'बन' जाए - यह देख/जान कर असिस्टेंट गवर्नर बने रोटेरियंस का उत्साह ढेर हो गया है, और उन्हें लगने लगा है कि मुकेश अरनेजा उन्हें 'बिकाऊ' समझ रहे हैं और वास्तव में उन्हें उल्लू बना रहे हैं - इतने सब लोग सचमुच में कैसे असिस्टेंट गवर्नर बन पायेंगे ? इसके अलावा, मुकेश अरनेजा द्वारा पहले असिस्टेंट गवर्नर बनाए गए रोटरी क्लब वैशाली के अध्यक्ष मनोज भदोला का हश्र देख कर भी रोटेरियंस सावधान हुए हैं । उल्लेखनीय है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में कॉन्करेंस लेने के लिए मुकेश अरनेजा ने मनोज भदोला को असिस्टेंट गवर्नर बनाया था । क्लब की मीटिंग में भेद खुला कि असिस्टेंट गवर्नर 'बनने' के लिए मनोज भदोला ने कॉन्करेंस का सौदा किया है और इस तरह क्लब को बेच दिया है - जिसका नतीजा यह हुआ कि मनोज भदोला से न सिर्फ अध्यक्ष पद छीन लिया गया, बल्कि उन्हें क्लब से भी निकाल दिया गया । मुकेश अरनेजा लेकिन आश्वस्त हैं कि वह असिस्टेंट गवर्नर के काफी पद बेच लेंगे । यह देखना/जानना दिलचस्प होगा कि चुनाव का दिन आते आते वह सतीश सिंघल के गवर्नर-काल के लिए कितने असिस्टेंट गवर्नर 'बना' लेते हैं ?