Wednesday, December 23, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में जितेंद्र ढींगरा को हराने के लिए मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर के बीच की होड़ सामने आने से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव दिलचस्प हुआ

चंडीगढ़ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए इस वर्ष के चुनाव में जितेंद्र ढींगरा को घेरने के लिए रोटरी क्लब चंडीगढ़ सेंट्रल के नवजीत औलख तथा रोटरी क्लब चंडीगढ़ के प्रवीन चंद्र गोयल ने जिस तरह कमर कसना शुरू किया है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा होना शुरू हो गई है । चुनावी सीन हालाँकि अभी स्पष्ट नहीं हैं, और उम्मीदवारों के नाम पर अनुमान और कयास भर हैं - लेकिन नवजीत औलख तथा प्रवीन चंद्र गोयल के अपने अपने तरीकों और तर्कों से डिस्ट्रिक्ट के नेताओं को यह समझाने के प्रयासों की लोगों के बीच खूब चर्चा है कि रोटरी क्लब कुरुक्षेत्र के जितेंद्र ढींगरा को एक वही रोक/हरा सकते हैं । इन दोनों को ही लगता है कि जितेंद्र ढींगरा का भय दिखा कर ही यह डिस्ट्रिक्ट के नेताओं का समर्थन जुटा सकते हैं । दरअसल इन दोनों ने ही इस बात को समझ लिया है कि डिस्ट्रिक्ट के नेता जितेंद्र ढींगरा की उम्मीदवारी से घबराए हुए हैं, और किसी भी कीमत पर जितेंद्र ढींगरा को जीतने नहीं देना चाहते हैं । पिछले रोटरी वर्ष में हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव का जो झमेला अभी तक नहीं सुलटा है, और जिसके कारण डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेताओं की रोटरी में भारी फजीहत हुई है - उसके लिए डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेता जितेंद्र ढींगरा को ही जिम्मेदार मानते/समझते हैं; और इस बात से आशंकित हैं कि यदि जितेंद्र ढींगरा खुद गवर्नर बन गए तो आगे चल कर उनके लिए भारी मुसीबत बनेंगे । पिछले रोटरी वर्ष के अनुभव से सबक लेकर डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेता अभी से यह व्यवस्था कर लेना चाहते हैं कि कोई भी जीते, पर जितेंद्र ढींगरा न जीतें । नवजीत औलख और प्रवीन चंद्र गोयल इसी बात का फायदा उठाने की कोशिश में नेताओं के सामने यह साबित करने में जुटे हैं कि जितेंद्र ढींगरा को रोकना/हराना है तो मुझे समर्थन दो । 
नवजीत औलख और प्रवीन चंद्र गोयल ही यदि यह कोशिश कर रहे होते, तो भी बात ज्यादा गंभीर नहीं होती - किंतु नवजीत औलख को मधुकर मल्होत्रा तथा प्रवीन चंद्र गोयल को शाजु पीटर के सहयोग/समर्थन के कारण उनकी कोशिश एक गंभीर मामला बन गई है । इस नाते से जितेंद्र ढींगरा से भिड़ने की यह लड़ाई मधुकर मल्होत्रा और शाजु पीटर के बीच की भिड़ंत भी बन गई है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में मधुकर मल्होत्रा और शाजु पीटर के बीच आगे बढ़ने/रहने की होड़ को हर किसी ने महसूस किया है । दोनों को ही इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जाता है । लोगों का कहना/बताना है कि शाजु पीटर ने तो इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की संभावना को स्वीकार किया है; मधुकर मल्होत्रा अपनी उम्मीदवारी की संभावना से इंकार तो करते हैं, लेकिन उन्हें जानने वालों का कहना है कि जब उचित मौका आयेगा तब मधुकर मल्होत्रा मैदान में उतर आयेंगे । मधुकर मल्होत्रा के नजदीकियों का कहना है कि मधुकर मल्होत्रा अभी इस डर से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी का इज़हार नहीं कर रहे हैं कि राजा साबू और यशपाल दास कहीं अभी से उसमें अडंगा न डाल दें । मधुकर मल्होत्रा को लगता है कि राजा साबू और यशपाल दास के यहाँ उनके मुकाबले शाजु पीटर की दाल जल्दी गलती है । इसलिए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के प्रति अपनी इच्छा/महत्वाकांक्षा को व्यक्त करने को लेकर वह सावधान रहते हैं और अपनी उम्मीदवारी की संभावना से इंकार ही करते हैं । नजदीकियों के अनुसार, मधुकर मल्होत्रा को उम्मीद है कि शाजु पीटर ज्यादा समय तक राजा साबू और यशपाल दास को नहीं झेल पायेंगे और जब उनके यहाँ शाजु पीटर की दाल गलना बंद हो जायेगी, तो वह खुद ही इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की दौड़ से बाहर हो जायेंगे । इन बातों को लोगों के बीच इसलिए विश्वसनीयता भी मिली क्योंकि लोगों ने मधुकर मल्होत्रा को डिस्ट्रिक्ट और रोटरी में अतिरिक्त रूप से सक्रिय भी देखा और शाजु पीटर से आगे रहने/होने की तथा शाजु पीटर के काम को 'बिगाड़ने' की कोशिश करते हुए भी देखा । 
नवजीत औलख की उम्मीदवारी के समर्थन के पीछे भी मधुकर मल्होत्रा इसीलिए देखे/समझे जा रहे हैं क्योंकि प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी के वकीलों में शाजु पीटर सबसे आगे हैं - इतना आगे कि प्रवीन चंद्र गोयल को शाजु पीटर के उम्मीदवार के रूप में ही देखा/पहचाना जा रहा है । मजे की बात यह है कि प्रवीन चंद्र गोयल, मधुकर मल्होत्रा के क्लब में हैं - जो कि राजा साबू का भी क्लब है; लेकिन फिर भी मधुकर मल्होत्रा, प्रवीन चंद्र गोयल की बजाए नवजीत औलख की उम्मीदवारी की  वकालत करते देखे/सुने जा रहे हैं । कारण सिर्फ यही है कि प्रवीन चंद्र गोयल यदि आगे बढ़ते हैं, तो इसका श्रेय शाजु पीटर को मिलेगा - और यह मधुकर मल्होत्रा होने नहीं देना चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट में टीके रूबी को लेकर जो झमेला हुआ है और जो अभी भी जारी है उसके कारण डिस्ट्रिक्ट टीके रूबी के समर्थकों व विरोधियों के बीच बँट गया है, इस बँटवारे में नवजीत औलख विरोधियों के खेमे में रहे हैं । नवजीत औलख ने प्रायः हर मौके पर टीके रूबी का मुखर विरोध किया है । मधुकर मल्होत्रा इसी बात को नवजीत औलख का प्लस प्वाइंट बना रहे हैं । उनकी तरफ से तर्क दिया जा रहा है कि टीके रूबी के विरोधियों को भावनात्मक रूप से जोड़े रखने का काम नवजीत औलख की उम्मीदवारी ही कर सकती है, और इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में नवजीत औलख ही जितेंद्र ढींगरा का मुकाबला कर सकते हैं । 
दिलचस्प नजारा यह है कि मधुकर मल्होत्रा जिस बात को नवजीत औलख की 'ताकत' बता/दिखा रहे हैं, दूसरे लोग उसे ही नवजीत औलख की कमजोरी के रूप में रेखांकित कर रहे हैं । उनका कहना है कि टीके रूबी विरोधी लोग हैं कितने ? डिस्ट्रिक्ट के सारे गवर्नर्स ने अपनी सारी ताकत और जोड़-तोड़ लगा कर तो जैसे तैसे तथाकथित रूप से टीके रूबी को चुनाव 'हराया' है । टीके रूबी विरोधियों के भरोसे रहे तो नवजीत औलख के लिए भी फिर सारे गवर्नर्स को पहले जैसी बेशर्मी और निर्लज्जता के साथ चुनावी प्रक्रिया में शामिल होना पड़ेगा । प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी के समर्थकों का कहना है कि प्रवीन चंद्र गोयल उसी पानीपत ग्रुप के सदस्य रहे हैं, जिसके मुख्य कर्ताधर्ताओं में जितेंद्र ढींगरा होते थे - इसलिए जितेंद्र ढींगरा को प्रवीन चंद्र गोयल ही टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि एक ही ग्रुप में होने के कारण प्रवीन चंद्र गोयल को जितेंद्र ढींगरा की राजनीतिक तरकीबों की जानकारी है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में पानीपत ग्रुप का जलवा रहा है और इस ग्रुप ने कई उम्मीदवारों को चुनवाया/जितवाया है । रमन अनेजा को चुनवाने/जितवाने में तो जितेंद्र ढींगरा की सीधी भागीदारी थी । जितेंद्र ढींगरा की देखरेख में ही पिछले रोटरी वर्ष में अचानक से चुनाव से करीब चार महीने पहले प्रस्तुत हुई टीके रूबी की उम्मीदवारी का अभियान चला था और वह अधिकृत उम्मीदवार चुने गए थे । टीके रूबी के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के बाद जो झमेला खड़ा हुआ, उसमें पानीपत ग्रुप छिन्न-भिन्न हो गया । जितेंद्र ढींगरा की उम्मीदवारी से डरे नेताओं को भय दरअसल यह है कि पानीपत ग्रुप छिन्न-भिन्न भले ही हो गया हो, किंतु जितेंद्र ढींगरा स्थिति को मैनेज कर लेंगे । प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी के समर्थक यही तर्क देकर नेताओं को समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि पानीपत ग्रुप का होने के कारण प्रवीन चंद्र गोयल पानीपत ग्रुप के लोगों को जोड़ने की जितेंद्र ढींगरा की कोशिशों को विफल कर सकते हैं । उल्लेखनीय है कि प्रवीन चंद्र गोयल को चंडीगढ़ में पानीपत ग्रुप के जासूस के रूप में देखा, पहचाना व पुकारा जाता रहा है । उनकी यही पहचान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के इस वर्ष के चुनाव में उनकी सबसे बड़ी पूँजी बन गई है, जिसके बल पर वह नेताओं का समर्थन पाने की उम्मीद कर रहे हैं । 
मजे की बात यह है कि इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के संदर्भ में उम्मीदवारों के नाम अभी तक घोषित रूप में सामने नहीं आए हैं; और अभी तक किसी के भी नामांकन भरने की सूचना नहीं है । संभावित उम्मीदवारों के नाम की चर्चा लोगों के बीच जरूर है, लेकिन जितेंद्र ढींगरा को छोड़ कर बाकी उम्मीदवारों ने अभी अपना चुनाव अभियान शुरू नहीं किया है । डिस्ट्रिक्ट में इस बार का चुनाव पायलट प्रोजेक्ट के तहत होगा, इसलिए भी चुनावी प्रक्रिया को लेकर लोगों के बीच कुछ कन्फ्यूजन सा है । इस कन्फ्यूजन के बीच नवजीत औलख तथा प्रवीन चंद्र गोयल ने अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए जिस तरह से नेताओं का समर्थन जुटाने का प्रयास शुरू किया है, उसने चुनावी परिदृश्य को दिलचस्प बनाने का काम तो किया ही है ।