Sunday, May 4, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में शिव कुमार चौधरी के किस्से से सबक लेते हुए सुरेंद्र गर्ग और अजय सिंघल ने मुकेश गोयल का अभिनंदन करने का कार्यक्रम बना डाला है

गाजियाबाद । मुकेश गोयल की तो निकल पड़ी है । अभी कुछ समय पहले तक डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अलग-थलग कर दिए - और मान लिए गए - मुकेश गोयल के दिन ऐसे फिरे हैं कि लायंस क्लब गाजियाबाद के पूर्व अध्यक्ष अजय सिंघल अपने क्लब के एक अन्य प्रमुख सदस्य सुरेंद्र गर्ग के साथ मिलकर मुकेश गोयल का अभिनंदन समारोह आयोजित कर रहे हैं । लायंस क्लब गाजियाबाद के दो प्रमुख सदस्यों का मुकेश गोयल के लिए अभिनंदन समारोह आयोजित करना एक बड़ी राजनीतिक घटना इस कारण से है - क्योंकि इस क्लब में आरएन गुटगुटिया और मलकीत सिंह जस्सर नाम के जो दो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हैं, उनका मुकेश गोयल के साथ खुले विरोध का रिश्ता कोई छिपी हुई बात नहीं है; और मुकेश गोयल के लिए हो रहे अभिनंदन समारोह के निमंत्रण पत्र में पचास लोगों के नाम छपे हैं, लेकिन अभिनंदन समारोह आयोजित करने वाले क्लब के दो पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के नाम के लिए उसमें जगह नहीं बन सकी । मुकेश गोयल के अभिनंदन समारोह में क्लब के दो प्रमुख लोगों के साथ किया जाने वाला यह सौतेलापन इसलिए भी उल्लेखनीय है - क्योंकि मुकेश गोयल के इस अभिनंदन समारोह को अगले लायन वर्ष मैं सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अजय सिंघल की उम्मीदवारी के लॉन्चिंग पैड के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है ।
यहाँ यह याद करना भी प्रासंगिक होगा कि लायंस क्लब गाजियाबाद के दो पूर्व गवर्नर्स का ही मुकेश गोयल के साथ बैर नहीं हैँ; खुद लायंस क्लब गाजियाबाद के भी मुकेश गोयल के साथ खुले विरोध के संबंध रहे हैं । लायंस क्लब गाजियाबाद में एक से अधिक बार बोर्ड मीटिंग में बाकायदे प्रस्ताव पास हुए हैं कि मुकेश गोयल को क्लब के किसी कार्यक्रम में घुसने नहीं देना है । क्लब में मुकेश गोयल के खिलाफ विरोध का झंडा कई बार सुरेंद्र गर्ग के हाथों में ही रहा है । लेकिन समय ने पलटा खाया है; राजनीति में वैसे भी दोस्तियाँ और दुश्मनियाँ अपने अपने स्वार्थों के हिसाब से अदलती/बदलती रहती हैं । इसलिए यह देख कर किसी को भी आश्चर्य नहीं करना चाहिए कि पीछे कई मौकों पर मुकेश गोयल के विरोध का झँडा उठाते रहे सुरेंद्र गर्ग अब माला लिए मुकेश गोयल का अभिनंदन करने को प्रस्तुत नजर आ रहे हैं ।
यह देख कर आश्चर्य भले ही न हो, लेकिन यह कहना तो बनता ही है - जैसा कि इस रिपोर्ट के शुरु में कहा गया है - कि मुकेश गोयल की तो निकल पड़ी है ।
यहाँ इस तथ्य को याद करना पूरे प्रसंग को समझने में मदद ही करेगा कि लायंस क्लब गाजियाबाद में जो दो पूर्व गवर्नर हैं, वह अभी भले ही मुकेश गोयल के खिलाफ हों लेकिन जब उम्मीदवार थे तब मुकेश गोयल की शरण में ही थे ।
अभी, इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गये शिव कुमार चौधरी का मामला भी दिलचस्प है । शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी पहली बार प्रकट ही इस उद्घोषणा के साथ हुई थी कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट में मुकेश गोयल की राजनीति खत्म करनी है । अपना पहला चुनाव सुनील निगम से बुरी तरह हारने के बाद भी शिव कुमार चौधरी के मुकेश गोयल विरोधी तेवरों में कोई कमी नहीं थी । करीब छह महीने तक वह मुकेश गोयल को गालियाँ देते रहे और दावा करते रहे कि मुकेश गोयल की मदद के बिना ही वह जीत के दिखायेंगे और मुकेश गोयल की राजनीति को हमेशा हमेशा के लिए खत्म करेंगे । लेकिन फिर उनके दिमाग की बत्ती जली और उसके जलने से जो रोशनी हुई उससे उन्हेँ समझ में आ गया कि इस तरह की डीगों से कुछ नहीं होगा और मुकेश गोयल की शरण में जाये बिना उनका काम नहीं बनेगा । सो शिव कुमार चौधरी ने फटाक से गुलाटी खाई और मुकेश गोयल को गालियाँ देना छोड़ उनकी शरण में जा पहुँचे । कई लोगों ने कहा भी कि यह तो दोगलापन दिखाना होगा; थूक के चाटने जैसी बात होगी - अभी तक मुकेश गोयल को गाली दे रहे थे और अब उनकी जयजयकार करोगे । शिव कुमार चौधरी ने लेकिन इस तरह की बातें करने वाले लोगों को यह कह कर चुप कर दिया कि इसमें क्या है, अपना थूका हुआ ही तो चाटना है, उसमें क्या दिक्कत है, उसमें कैसी शर्म ? चुनावी नतीजे ने साबित किया कि शिव कुमार चौधरी ने दिमाग की बत्ती जलने के बाद मुकेश गोयल को लेकर जो फैसला किया, वह सही था ।
शिव कुमार चौधरी का यह जो किस्सा रहा, उससे सबक लेने में सुरेंद्र गर्ग और अजय सिंघल ने कोई देर नहीं की । जिस 'गलती' के कारण शिव कुमार चौधरी और उनके सलाहकारों को पहला चुनाव बुरी तरह से हारना पड़ा था, उस गलती का लोगों के बीच कोई आभास भी न पैदा हो - इसका ख्याल रखते हुए ही सुरेंद्र गर्ग और अजय सिंघल ने मुकेश गोयल का अभिनंदन करने का कार्यक्रम बना डाला । इन्होंने, लगता है कि अपनी पिछली गलतियों से भी सबक सीखा है । सुरेंद्र गर्ग ने क्लब में अध्यक्ष बनने की 'लाइन' को तोड़ कर अजय सिंघल को अध्यक्ष बनाने की जो कोशिश की थी, उसमें उन्हें एक से अधिक बार मात खानी पड़ी थी । अजय सिंघल अंततः तब ही क्लब के अध्यक्ष बन सके थे, जब वह 'लाइन' में आये थे । उस अनुभव से उन दोनों को ही 'तरीके' से काम करने की नसीहत निश्चित ही मिली होगी । मुकेश गोयल का अभिनंदन समारोह आयोजित करके अजय सिंघल और सुरेंद्र गर्ग ने जता/दिखा दिया है कि 'तरीके' से काम करना उन्होंने सीख़ लिया है ।