Sunday, May 11, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के चुनाव में जगदीश राय गोयल की जीत को मुश्किल में फँसा देख कर विनोद खन्ना तरह-तरह के हथकंडे अपना कर सहजीव रतन जैन की उम्मीदवारी को वापस कराने के अभियान में जुटे

नई दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद की चुनावी लड़ाई में जगदीश राय गोयल के मुकाबले सहजीव रतन जैन का पलड़ा भारी देख कर जगदीश राय गोयल की उम्मीदवारी का 'ठेका' लिए पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना अब ब्लैकमेलिंग पर उतर आये हैं । विनोद खन्ना ने मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए सहजीव रतन जैन की उम्मीदवारी का समर्थन कर रहे डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं के सामने प्रस्ताव रखा है कि वह यदि मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए जगदीश राय गोयल का समर्थन करते हैं, तो उसके बदले में वह मल्टीपल विभाजन के उनके प्रस्ताव में अड़ंगा नहीं डालेंगे । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं के लिए मल्टीपल विभाजन का मुद्दा इस समय सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण मुद्दा है । विनोद खन्ना ने इस बात को समझा/पहचाना और डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं की इस कमजोर नस को दबा दिया है । विनोद खन्ना की इस 'चाल' ने 'काम' तो कुछ किया, लेकिन उनकी (कु)ख्याति ने उनकी चाल को सफल होने का पूरा भरोसा अभी भी नहीं दिया है ।
विनोद खन्ना के नजदीकियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं को विनोद खन्ना का ऑफर अच्छा तो लगा है, किंतु अॉफर को स्वीकार करने को लेकर उनमें अभी हिचक भी बनी हुई है । उनकी हिचक का कारण विनोद खन्ना खुद हैं । दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेता जानते हैं कि विनोद खन्ना एक बहुत ही धूर्त और झूठा किस्म का व्यक्ति है - इसलिए उन्हें डर है कि विनोद खन्ना की बातों में आकर उन्होंने मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए जगदीश राय गोयल का समर्थन यदि कर भी दिया तब भी कोई जरूरी नहीं है कि मल्टीपल विभाजन के मुद्दे को किसी न किसी बहाने से विनोद खन्ना अटका न दे । असल में, मल्टीपल विभाजन के मुद्दे पर विनोद खन्ना का अभी तक जो रवैया रहा है; उससे लोगों के बीच यही संदेश है कि विनोद खन्ना किसी भी तरह से मल्टीपल को विभाजित नहीं होने देना चाहते हैं । इसीलिए डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं के गले यह बात नहीं उतर रही है कि जगदीश राय गोयल को मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बनवाने के लिए विनोद खन्ना मल्टीपल को विभाजित होता देखने के लिए तैयार हो जायेंगे । इस तर्क के साथ, विनोद खन्ना के अभी तक के 'चरित्र' को याद करते हुए डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं को लग रहा है कि उक्त अॉफर की आड़ में विनोद खन्ना उनके साथ कोई खेल खेल रहे हैं - और इसी कारण से विनोद खन्ना के अॉफर को आकर्षक मानने और उसे स्वीकार कर लेने के प्रति झुकाव दिखाने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं ने उक्त ऑफर को अभी स्वीकार करने की घोषणा नहीं की है ।
डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं ने विनोद खन्ना के ऑफर को स्वीकार करने की घोषणा अभी इसलिए भी नहीं की है - क्योंकि उन्हें लगता है कि उनके समर्थन न करने के बाद भी सहजीव रतन जैन को यदि पर्याप्त समर्थन मिल गया और वह मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बन गए और उसके बाद विनोद खन्ना ने भी उन्हें धोखा दे दिया - तो वह तो कहीं के भी नहीं रहेंगे । गौर करने की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं को विनोद खन्ना द्धारा दिए गए ऑफर की बात सामने आने के बाद सहजीव रतन जैन ने साफ घोषणा कर दी है कि वह किसी भी हालत में मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी को नहीं छोड़ेंगे । सहजीव रतन जैन को यह घोषणा दरअसल इसलिए करनी पड़ी, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं को ऑफर देने के बाद; अपने ऑफर के प्रति डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं को फिसलता देख कर विनोद खन्ना ने दावा करना शुरु कर दिया था कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं के समर्थन से पीछे हटने के बाद सहजीव रतन जैन के सामने अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचेगा । सहजीव रतन जैन ने लेकिन अपनी उम्मीदवारी से पीछे न हटने का फैसला सुना कर विनोद खन्ना के दावे की हवा निकाल दी है ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के इस बार के चुनावी परिदृश्य पर निगाह लगाए लोगों का मानना और कहना है कि विनोद खन्ना को चुनाव होने की स्थिति में जगदीश राय गोयल को जितवाना मुश्किल दिख रहा है - इसलिए वह किसी भी तरह से चुनाव की स्थिति को टालना चाहते हैं और इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना कर वह सहजीव रतन जैन की उम्मीदवारी को वापस कराना चाहते हैं । इसीलिए सहजीव रतन जैन के समर्थकों को तरह-तरह के ऑफर देकर वह ऐसे हालात बना देने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे कि सहजीव रतन जैन खुद ही अपनी उम्मीदवारी से पीछे हट जाएँ और वाइस चेयरपरसन या सेक्रेटरी बनने को राजी हो जाएँ । सहजीव रतन जैन के अभी तक के तेवरों से और डिस्ट्रिक्ट 321 ए वन के नेताओं के विनोद खन्ना पर भरोसा न करने के संकेतों से तो यही लग रहा है कि विनोद खन्ना की दाल गल नहीं रही है । विनोद खन्ना लेकिन इससे अभी निराश नहीं हुए हैं और अपनी चालबाजियों को आजमाना उन्होंने जारी रखा हुआ है - इसलिए आगे कुछ दिलचस्प दृश्य देखने को अभी मिलते रहेंगे ।