Monday, May 12, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में चेयरपरसन पद के चुनाव में सहजीव रतन जैन का समर्थन करने के जरिये डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के नरेश गुप्ता अपने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को पद मिलने की सँभावना खत्म करने का सौदा कर सकते हैं

नई दिल्ली । मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के चुनाव के शुभ-अवसर पर डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता और उनकी नकेल थामे रखने वाले डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर अजय बुद्धराज तथा राकेश त्रेहन बड़े असमंजस में फँस गए हैं । इस शुभ-अवसर ने उनके सामने एक 'बलि' लेने का मौक़ा बनाया है; समस्या उनके सामने लेकिन यह फैसला करने की आ पड़ी है कि वह किसकी 'बलि' लें - अभी इस वर्ष सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुने गये आरके शाह की, या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा की ? उल्लेखनीय है कि अभी तक उन्होंने आरके शाह की 'बलि' लेने का फैसला किया हुआ था, और इसके लिए उनका पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना के साथ सौदा हो चुका था । विनोद खन्ना ने जगदीश राय गोयल को मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन चुनवाने का ठेका लिया हुआ है । नरेश गुप्ता का वोट अपनी जेब में लिए घूम रहे अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन ने विनोद खन्ना के साथ सौदा किया - जिसके तहत नरेश गुप्ता के वोट के बदले में विनोद खन्ना ने उन्हें भरोसा दिलाया कि आरके शाह के चुने जाने को लायंस इंटरनेशनल से वह निरस्त करवायेंगे । अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन को विनोद खन्ना के इस भरोसे पर इसलिए भरोसा हुआ क्योंकि वही क्या, सभी जानते हैं कि विनोद खन्ना के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की लाइन में लगने जा रहे नरेश अग्रवाल के साथ बहुत ही खास संबंध हैं । ऐसे में, नरेश अग्रवाल के जरिये लायंस इंटरनेशनल में कोई भी फैसला करवा लेना तो विनोद खन्ना के लिए जरा भी मुश्किल नहीं होगा ।
विनोद खन्ना से मिले इस भरोसे के कारण ही अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन अपने डिस्ट्रिक्ट में लोगों को यकीन दिला रहे हैं कि लायंस इंटरनेशनल का फैसला आरके शाह के खिलाफ ही आयेगा । आरके शाह से चुनाव में पराजित हुए विक्रम शर्मा को तो विनोद खन्ना से मिले भरोसे पर इतना ज्यादा भरोसा है कि वह बाकायदा ईमेल करके लोगों को आगाह कर रहे हैं कि आरके शाह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मत मानों क्योंकि लायंस इंटरनेशनल उनके ख़िलाफ ही फैसला देगा ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए होने वाली जिस चुनावी लड़ाई ने आरके शाह की 'बलि' लेने का मौका बनाया है, उसी चुनावी लड़ाई ने लेकिन मामला गड़बड़ा भी दिया है । हुआ यह कि सहजीव रतन जैन को मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बनाने/बनवाने वाले खेमे के नेताओं ने विजय शिरोहा को वाइस चेयरपरसन या सेक्रेटरी बनाने की बात शुरू की । यह बात सुनकर अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन के तो तोते उड़ गए । अब वह इस कोशिश में जुटे कि उन्हें चाहें कुछ भी करना पड़े, विजय शिरोहा को मल्टीपल काउंसिल में कोई भी पद न मिले । इसके लिए उन्होंने सहजीव रतन जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं से संपर्क किया और उन्हें नरेश गुप्ता का वोट ऑफर करते हुए उनसे वायदा लेने का प्रयास करना शुरु किया कि विजय शिरोहा को वह मल्टीपल काउंसिल में कोई जगह नहीं देंगे । विनोद खन्ना को जब इसकी भनक लगी तो वह भड़के और अजय बुद्धराज व राकेश त्रेहन से पूछ बैठे कि आरके शाह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से नहीं हटवाना है क्या ?
अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन के सामने यही समस्या पैदा हो गई है । उनके लिए यह फैसला करना मुश्किल हो रहा है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए नरेश गुप्ता के वोट के बदले में वह क्या पाने का सौदा करें - वह आरके शाह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटवाने का सौदा करें या विजय शिरोहा को मल्टीपल काउंसिल में कोई पद न मिलने का ?
अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन के नजदीकियों की बात मानें तो उन्हें सहजीव रतन जैन के समर्थकों के साथ सौदेबाजी करना ज्यादा जरूरी लग रहा है । दरअसल उनकी लड़ाई है ही विजय शिरोहा के साथ । आरके शाह को निशाने पर लेकर तो वास्तव में वह विजय शिरोहा को ही 'हराना' चाहते हैं । इसके अलावा, अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन भी जानते/समझते हैं कि आरके शाह का कुछ भी बिगड़ने नहीं जा रहा है; लायंस इंटरनेशनल को प्रत्येक वर्ष कई एक डिस्ट्रिक्ट्स से चुनाव के खिलाफ शिकायतें मिलती हैं और लायंस इंटरनेशनल के लोग भी जानते/समझते हैं कि शिकायत करने वाले लोग नकारात्मक सोच रखने वाले और रोना-धोना मचाने वाले लोग होते हैं जिनकी शिकायतों पर ध्यान न देने में ही लायनिज्म की भलाई है । जहाँ तक विनोद खन्ना की मदद का सवाल है तो अभी तक तो विनोद खन्ना द्धारा मदद होती हुई दिखी नहीं है । जिन नरेश अग्रवाल के भरोसे विनोद खन्ना मदद करने की बात कर रहे हैं वह नरेश अग्रवाल जहाँ मौका मिलता है - आरके शाह को अपनी बगल में बैठाते हैं । आरके शाह को मल्टीपल काउंसिल की मीटिंग में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उचित पहचान और सम्मान मिलने जा रहा है; लायंस इंटरनेशनल की तरफ से होने जा रही स्कूलिंग का निमंत्रण उन्हें मिला है - इस सबसे स्पष्ट है कि लायंस इंटरनेशनल भी और मल्टीपल काउंसिल भी आरके शाह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मान रहे हैं । अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन अपने नज़दीकियों से कह भी देते हैं कि आरके शाह के चुनाव को निरस्त करवाने का जो शोर उन्होंने मचा/मचवा रक्खा है वह तो बस विक्रम शर्मा को उल्लू बनाने की उनकी योजना का हिस्सा है । उनके लिए तो खुशी की बात यही है कि विक्रम शर्मा उन पर अभी भी भरोसा कर रहे हैं ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए सहजीव रतन जैन की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने लेकिन विजय शिरोहा को मल्टीपल काउंसिल में लेने को लेकर जो बात चलाई है, उसके चलते विक्रम शर्मा को उल्लू बनाये रखने खातिर चलाये जा रहे नाटक को जारी रखने में अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन को मुश्किल आ पड़ी है । उन्हें लग रहा है कि आरके शाह का तो वह कुछ नहीं बिगाड़ पायेंगे - लेकिन अगर यह नाटक करने के चक्कर में विनोद खन्ना के साथ रहे तो विजय शिरोहा मल्टीपल काउंसिल में जगह ज़रुर पा जायेंगे । उन्हें हकीकत समझ में आ रही है कि वह आरके शाह का तो कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे, लेकिन यदि जोर-शोर से प्रयास करें तो विजय शिरोहा को मल्टीपल काउंसिल में पद मिलने से तो जरूर रोक सकते हैं ।
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद की चुनावी लड़ाई के संदर्भ में अजय बुद्धराज और राकेश त्रेहन के सामने सचमुच यह फैसला करने की चुनौती पैदा हो गई है कि नरेश गुप्ता के वोट के सहारे वह किसे निशाने पर लें - आरके शाह को या विजय शिरोहा को ।