नई दिल्ली । हर्ष बंसल को पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी को देने के लिए आज नई गालियाँ सीखने की
जरूरत महसूस हो रही है - क्योंकि उन्हें लग रहा है कि उन्हें अभी जितनी
गालियाँ आती हैं वह जगदीश गुलाटी के लिए कम हैं । लायन सदस्यों के बीच
हर्ष बंसल हर उस शख्स को गालियाँ देने के लिए (कु)ख्यात हैं जो उनकी उम्मीद
और अपेक्षा के अनुसार काम नहीं करता है - जगदीश गुलाटी ने तो आज वह कर
दिया, हर्ष बंसल ने जिसकी सपने में भी उम्मीद नहीं की थी । डिस्ट्रिक्ट
डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर में कॉन्सीलेटर-चेयरपरसन
के रूप में जगदीश गुलाटी ने शिकायती पक्ष की तरफ से कॉन्सीलेटर के रूप में
दिए गए हर्ष बंसल के नाम को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है । इससे हर्ष
बंसल की बेइज्जती हुई है । हर्ष बंसल लेकिन इस बेइज्जती से नाराज नहीं हैं
- हर्ष बंसल की दरअसल इतनी बेइज्जती हुई है, लखनऊ में हुई मल्टीपल काउंसिल
की कॉन्फ्रेंस में तो सार्वजानिक रूप से उनकी पिटाई-ठुकाई भी हो चुकी है
कि वह बेचारे इज्जत-बेइज्जती में फर्क करना ही भूल गए हैं; लेकिन फिर भी
जगदीश गुलाटी के फैसले से वह नाराज हैं तो इस कारण से हैं कि जगदीश गुलाटी
को 'उन्होंने' ही तो कॉन्सीलेटर-चेयरपरसन बनवाया है और वही जगदीश गुलाटी
कॉन्सीलेटर के रूप में हर्ष बंसल की नियुक्ति का विरोध कर रहे हैं । हर्ष
बंसल का कहना है कि जगदीश गुलाटी की यह कार्रवाई धोखाधड़ी और विश्वासघात है और इसके लिए
उन्हें जितनी भी गालियाँ दी जाएँ वह कम होंगी । इसीलिए हर्ष बंसल को जगदीश
गुलाटी को देने के लिए नई गालियाँ सीखने की जरूरत आ पड़ी है ।
हर्ष बंसल को हालाँकि उम्मीद है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की तैयारी कर रहे नरेश अग्रवाल
के साथ हुई जिस 'डील' के चलते जगदीश गुलाटी को चेयरपरसन-कॉन्सीलेटर बनाया
गया है, वह नरेश अग्रवाल उनकी मदद करेंगे और जगदीश गुलाटी के कान उमेठेंगे
और जगदीश गुलाटी को राजी करेंगे कि वह हर्ष बंसल को शिकायती पक्ष की तरफ से
कॉन्सीलेटर के रूप में स्वीकार कर लें । नरेश अग्रवाल जब तक यह नहीं करते
हैं, तब तक लेकिन हर्ष बंसल को जगदीश गुलाटी को गाली देते रहना जरूरी लग
रहा है । लोगों को गालियाँ देते रहना हर्ष बंसल को प्रिय शौक भी है ।
किस्सा क्या है, इसे भी जान लीजिये :
डिस्ट्रिक्ट
321 ए थ्री में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के कुछेक फैसलों को लेकर
कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की तरफ से लायंस इंटरनेशनल कार्यालय में
शिकायत की गई, जहाँ से उन्हें जबाव मिला कि इस तरह की शिकायतों का निपटारा
करने के लिए डिस्ट्रिक्ट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर अपनाया जाये । इस
प्रोसीजर को अपनाने के लिए कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स द्धारा की गई
शिकायत को दो क्लब्स की शिकायत में बदल दिया गया । इस प्रोसीजर के तहत
दोनों पक्षों को - शिकायत करने वाले पक्ष को और जिस पक्ष के खिलाफ शिकायत
है उसको - एक एक कॉन्सीलेटर चुनना होता है और इन दोनों की सहमति से
डिस्ट्रिक्ट में से ही एक तीसरे कॉन्सीलेटर का चुनाव करना होता है जो
कॉन्सीलेटर टीम का चेयरपरसन भी होगा । दोनों पक्षों की तरफ से पहली बार
कॉन्सीलेटर के जो नाम आये, उनके बीच तीसरे कॉन्सीलेटर के नाम पर सहमति
नहीं बन पाई । लायंस इंटरनेशनल द्धारा तय किए गए प्रोसीजर के तहत नियम यह
है कि पहली बार दोनों पक्षों द्धारा चुने गए कॉन्सीलेटर के बीच तीसरे
कॉन्सीलेटर के नाम पर यदि सहमति नहीं बन पायेगी तो स्वतः यह मान लिया
जायेगा कि उन दोनों कॉन्सीलेटर ने अपने अपने पद छोड़ दिए हैं और इसके बाद
दोनों पक्ष अपने अपने कॉन्सीलेटर के रूप में नए नाम तय करेंगे । दोनों
पक्षों द्धारा चुने गए नए कॉन्सीलेटरों के तीसरे कॉन्सीलेटर के लिए
डिस्ट्रिक्ट के किसी नाम पर सहमति बनाने में विफल रहने पर प्रोसीजर में
तीसरे कॉन्सीलेटर के चयन के संदर्भ में व्यवस्था यह है कि दूसरे डिस्ट्रिक्ट के
इंटरनेशनल डायरेक्टर रहे लायन को तीसरे कॉन्सीलेटर के रूप में चुना जाए । शिकायत पक्ष की तरफ से तीसरे कॉन्सीलेटर के रूप में जगदीश गुलाटी का नाम आया । दूसरे पक्ष ने उनके नाम पर सहमति दे दी ।
यहाँ तक जो हुआ, सो हुआ; इसके आगे लेकिन शिकायत पक्ष की होशियारी उनकी बेवकूफी साबित होती हुई दिखी ! दरअसल
हुआ यह कि चेयरपरसन-कॉन्सीलेटर के रूप में जगदीश गुलाटी को शिकायती पक्ष की
तरफ से कॉन्सीलेटर के रूप में हर्ष बंसल का नाम मिला । जबकि शिकायती पक्ष
की तरफ से दूसरी बार कॉन्सीलेटर के रूप में गगनजोत सिंह का नाम दिया गया था
। यहाँ एक बात समझ लें कि शिकायती पक्ष तकनीकी रूप से एक क्लब जरूर है, लेकिन क्लब को तो बस मोहरा बनाया हुआ है, सारी लड़ाई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स लड़ रहे हैं क्योंकि सबसे पहले शिकायत उन्होंने ही की थी । यह लड़ाई लड़ने वाले पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का नेतृत्व हर्ष बंसल ने संभाला हुआ है, जो अपने आप को समझते तो बड़ा होशियार हैं लेकिन करते बेवकूफ़ियाँ हैं और जिनके चलते लगातार 'पिटते/कुटते' रहते हैं । यहाँ भी जगदीश गुलाटी से उनके 'पिटने' की नौबत खुद उनकी ही 'होशियारी' से पैदा हुई है । डिस्ट्रिक्ट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर के अनुसार कॉन्सीलेटर्स की जो तीन सदस्यीय कमेटी बनेगी, उसमें दोनों पक्षों की तरफ से कॉन्सीलेटर वह होंगे, जिनके नाम दूसरी बार प्रस्तावित हुए थे । शिकायती पक्ष की तरफ से दूसरी बार कॉन्सीलेटर के रूप में गगनजोत सिंह का नाम आया था; नियमानुसार चेयरपरसन के रूप में जगदीश गुलाटी को उनका ही नाम देना चाहिए था; लेकिन हर्ष बंसल ने गगनजोत सिंह की जगह अपना नाम दे दिया ।
हर्ष बंसल ने यह जो हरकत की, यह सिर्फ उनकी मनमानी का ही नहीं बल्कि उनकी बेवकूफी का भी सुबूत है । शिकायती पक्ष के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स का ही कहना है कि हर्ष बंसल ने दूसरी बार कॉन्सीलेटर के रूप में गगनजोत सिंह का नाम दरअसल यह सोच कर भेजा था कि गगनजोत सिंह
तीसरे कॉन्सीलेटर के नाम पर सहमति बनने ही नहीं देंगे और उनकी भूमिका पहले
कॉन्सीलेटर की तरह वहीं पर ख़त्म हो जायेगी; हर्ष बंसल ने सोचा यह कि उसके बाद फिर आगे का मोर्चा वह खुद संभाल लेंगे । डिस्ट्रिक्ट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर का नियम या तो हर्ष बंसल ने ठीक से पढ़ा नहीं और या उसे समझा नहीं । उसमें तीसरे कॉन्सीलेटर के नाम पर सहमति न बनने की स्थिति में पहली बार चुने गए दोनों पक्षों के कॉन्सीलेटरों के 'तो' स्वतः पदमुक्त होने की बात कही गई है, लेकिन दूसरी बार चुने गए कॉन्सीलेटरों के लिए ऐसा नहीं कहा गया है । प्रोसीजर
में साफ कहा गया है कि दूसरी बार चुने गए कॉन्सीलेटर यदि तीसरे कॉन्सीलेटर
के रूप में डिस्ट्रिक्ट के किसी नाम पर सहमत नहीं हो पाते हैं तो वह पड़ोसी
या निकट के डिस्ट्रिक्ट से नाम चुनेंगे । नियमानुसार तीसरे कॉन्सीलेटर के नाम पर सहमति बनने के बाद जो तीन सदस्यीय कमेटी होगी, उसमें दोनों पक्षों की तरफ से कॉन्सीलेटर के रूप में वह लोग होंगे, जिनके नाम दूसरी बार कॉन्सीलेटर के रूप में आये थे ।
इसीलिए चेयरपरसन-कॉन्सीलेटर के रूप
में जगदीश गुलाटी ने शिकायती पक्ष की तरफ से कॉन्सीलेटर के रूप में हर्ष
बंसल के नाम को स्वीकार करने से इंकार कर दिया है और गगनजोत सिंह का नाम
अधिकृत रूप से दर्ज करने की बात कही है । जगदीश गुलाटी की यह कार्रवाई हर्ष बंसल को ऐसी लगी है जैसे जगदीश गुलाटी ने सरे-बाजार उनके कपड़े उतार लिए हैं । हर्ष बंसल के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि उनकी इस बेवक़ूफीभरी होशियारी से
डिस्ट्रिक्ट डिस्प्यूट रिजोल्यूशन प्रोसीजर में शिकायती पक्ष कमजोर पड़ गया
है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की तरफ से कॉन्सीलेटर राजिंदर बंसल है, जिनके
धाकड़पने के सामने गगनजोत सिंह का टिक पाना शिकायती पक्ष को ही मुश्किल लग
रहा है । इसीलिए शिकायती पक्ष के लोग हर्ष बंसल को कोस रहे हैं, और हर्ष
बंसल - जगदीश गुलाटी को कोस रहे हैं । हर्ष बंसल ने कॉन्सीलेटर में उनके
नाम को ख़ारिज कर देने की जगदीश गुलाटी की कार्रवाई को विश्वासघात कहा है ।
उनका कहना है कि उन्होंने ही तो जगदीश गुलाटी को चेयरपरसन-कॉन्सीलेटर
बनवाया है, और जगदीश गुलाटी उन्हें ही कॉन्सीलेटर-टीम से बाहर रखने की बात
कह रहे हैं । जगदीश गुलाटी का कहना है कि वह तो वही कर रहे हैं जो
नियमानुसार उन्हें करना चाहिए । जगदीश गुलाटी के इस तर्क ने हर्ष बंसल
को और ज्यादा आगबबूला कर दिया है । दरअसल इसीलिए हर्ष बंसल को जगदीश गुलाटी
को देने के लिए और ज्यादा गालियों की इमरजेंसी-जरूरत आ पड़ी है ।
जगदीश
गुलाटी को गालियाँ देने के साथ-साथ हर्ष बंसल का यह भी दावा है कि वह नरेश
अग्रवाल से कह कर जगदीश गुलाटी को 'सीधा' करवायेंगे । हर्ष बंसल का तर्क
है कि जगदीश राय गोयल को मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बनवाने की नरेश अग्रवाल
और जगदीश गुलाटी की स्कीम में उन्होंने जितनी/जो मदद की, उसका अहसान नरेश
अग्रवाल और जगदीश गुलाटी इतनी जल्दी भूल गए हैं क्या ? हर्ष बंसल को
विश्वास है कि उनका अहसान जगदीश गुलाटी भले ही भूल गए हों, लेकिन नरेश
अग्रवाल नहीं भूले होंगे; इसलिए जगदीश गुलाटी से अब नरेश अग्रवाल ही
निपटेंगे । हर्ष बंसल का कहना है कि मल्टीपल की चुनावी राजनीति में
नरेश अग्रवाल और जगदीश गुलाटी की मदद करने के चक्कर में उनके फर्स्ट वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता को आर्थिक नुकसान होने का खतरा पैदा हो गया
है, क्योंकि उन पर मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के दूसरे उम्मीदवार सहजीव रतन जैन से मिले महँगे उपहार को वापस करने के लिए दबाव पड़ रहा है । हर्ष बंसल का कहना है कि इतने सब के बाद भी जगदीश गुलाटी उनके साथ विश्वासघात करने पर आमादा हैं तो वह चुप नहीं बैठेंगे ।
हर्ष बंसल के चुप न बैठने की स्थिति में जगदीश गुलाटी क्या करेंगे - यह देखना दिलचस्प होगा । यह
देखना इसलिए भी दिलचस्प होगा, क्योंकि इससे यह भी पता चलेगा कि मल्टीपल की
चुनावी राजनीति में हर्ष बंसल से मिली मदद का बदला जगदीश गुलाटी और
इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की तैयारी कर रहे नरेश अग्रवाल कैसे उन्हें
चुकाते हैं ।