Thursday, May 1, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में रोटरी क्लब गाजियाबाद आईडियल के डॉक्टर राजीव गोयल के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि जिन जेके गौड़ के लिए उन्होंने अपने ही क्लब में अपने विरोधी बना लिए हैं, उन जेके गौड़ ने भी पेट्स में उन्हें महत्व दिलवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया

गाजियाबाद । पेट्स से लौटने के बाद डॉक्टर राजीव गोयल को अपने क्लब - रोटरी क्लब गाजियाबाद आईडियल - में हवा अपने खिलाफ बहती हुई-सी महसूस हो रही है । क्लब के लोगों का ही कहना है कि डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेताओँ तथा पदाधिकारियों तक पहुँच के हवाले से डॉक्टर राजीव गोयल का क्लब में जो एक रुतबा था, पेट्स ने उनके उस रुतबे को गहरी चोट पहुँचाई है । क्लब के लोगों को दरअसल यह जान कर गहरा धक्का लगा है कि डॉक्टर राजीव गोयल की पेट्स में कोई भूमिका ही नहीं थी, और वह वहाँ सिर्फ एक स्पाउस के रूप में उपस्थित थे - उनकी पत्नी चूँकि एक क्लब की अध्यक्ष हैं, इसलिए डॉक्टर राजीव गोयल उनके पति के रुप में ही वहाँ देखे गये । उल्लेखनीय है कि डॉक्टर राजीव गोयल पिछले तीन-चार वर्ष से डिस्ट्रिक्ट में काफी सक्रिय हैं और इन वर्षों में प्रायः प्रत्येक गवर्नर की गुडबुक मैं रहे हैं । अपने व्यक्तित्व, अपने व्यवहार और रोटरी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के चलते वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की ही नहीं, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के दूसरे प्रमुख लोगों की निगाह में बसे । इसी कारण से वह डिस्ट्रिक्ट में क्लब के 'ब्रांड एम्बेसेडर' बने - और इस वजह से क्लब में उनका रुतबा बना । क्लब के लोगों को हैरानी की बात यह लगी है कि ऐसे मैं अब अचानक से ऐसा क्या हो गया है कि संजय खन्ना ने उन्हें पेट्स में कोई तवज्जो देने लायक तक नहीं समझा ।
डॉक्टर राजीव गोयल के लिये इससे भी ज्यादा झटके की बात यह रही कि पेट्स में संजय शर्मा और देवेंद्र चौहान को बड़ी सक्रिय भूमिका मिली हुई थी - जिनकी डिस्ट्रिक्ट में कोई ज्यादा सक्रियता भी नहीं रही है । संजय शर्मा हालाँकि अध्यक्ष होने के नाते डिस्ट्रिक्ट के कुछेक कार्यक्रमों मैं सक्रिय रहे भी, लेकिन उसके बावजूद रोटरी में उनकी कोई बहुत महत्वाकाँक्षा को नहीं देखा/पहचाना गया । उनके नजदीकियों का ही कहना रहा है कि उन्होंने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारियों का निर्वाह तो बहुत दिलचस्पी और संलग्नता के साथ किया, लेकिन ऐसा कभी आभास नहीं होने दिया कि रोटरी में इसके आगे भी वह कुछ करना चाहते हैं । देवेंद्र चौहान तो इस वर्ष वाइस प्रेसीडेंट ही हैं । इसके बावजूद संजय शर्मा और देवेंद्र चौहान को पेट्स में महत्वपूर्ण भूमिका मिली । क्लब के लोगों में इससे यही संदेश गया है कि डिस्ट्रिक्ट में डॉक्टर राजीव गोयल का कद घटा है और संजय शर्मा को उनकी जगह मिलती दिख रही है । क्लब में और गाजियाबाद में जिन लोगों की डॉक्टर राजीव गोयल के साथ नजदीकी और हमदर्दी है उनका कहना है कि डॉक्टर राजीव गोयल ने जेके गौड़ का साथ देकर अपने क्लब में, अपने शहर के दूसरे क्लब्स के लोगों के बीच और डिस्ट्रिक्ट में अपने आप को बदनाम कर लिया है - और पेट्स में उनके साथ जो हुआ वह इसी बदनामी का नतीजा है ।
जेके गौड़ के कहने में आकर डॉक्टर राजीव गोयल ने पहले तो - दो वर्ष पहले संजय खन्ना और रवि चौधरी के बीच हुए चुनाव में क्लब के तत्कालीन अध्यक्ष अतुल सालवान पर रवि चौधरी का समर्थन करने के लिये दबाव बनाया, लेकिन अतुल सालवान ने जब उनकी बात नहीं मानी तो षड्यंत्र करके उन्हें क्लब से निकलने के लिये मजबूर कर दिया था । अभी, इस वर्ष हुए सीओएल के चुनाव में जेके गौड़ के कहने पर क्लब के वोट रमेश अग्रवाल को दिलवाने के लिए तो डॉक्टर राजीव गोयल ने हद ही कर दी । उन्होंने जो किया उससे क्लब के अध्यक्ष संजय शर्मा की लोगों के बीच भारी बेइज्जती हुई । उल्लेखनीय है कि जेके गौड़ को खुश करने के चक्कर में डॉक्टर राजीव गोयल ने क्लब में सीओएल के लिए रमेश अग्रवाल को वोट देने का फैसला करवा लिया । क्लब में सबकुछ ठीकठाक था - क्लब में डॉक्टर राजीव गोयल का रूतबा था ही; लिहाजा यह फैसला होने मैं कोई दिक्कत नहीं हुई । अध्यक्ष संजय शर्मा भी इस फैसले का पालन करने के लिए तैयार दिख रहे थे । वोट डालने के लिए पहुँचने में कोई अड़चन न आ जाये, इसलिए संजय शर्मा पिछली रात घर नहीं लौटे और दूसरे रोटेरियंस के साथ ही ठहरे । अगले दिन, लेकिन जब वोट डालने का मौका आया तो वहाँ मौजूद हर कोई यह देख कर हैरान रह गया कि रोटरी क्लब गाजियाबाद आईडियल का वोट क्लब के अध्यक्ष संजय शर्मा की बजाये डॉक्टर राजीव गोयल डाल रहे हैं ।
रोटरी के चुनावों में यह हालाँकि होता है - और इस 'होने' को मान्यता भी प्राप्त है - कि अध्यक्ष की बजाये क्लब का कोई दूसरा सदस्य वोट डाले; लेकिन यह तब होता है जब अध्यक्ष किसी कारण से मौके पर उपस्थित न हो पा रहा हो । डॉक्टर राजीव गोयल ने जो किया, उसे देख कर लोगों के हैरान होने का कारण लेकिन यह था कि उनके क्लब के अध्यक्ष संजय शर्मा वहाँ मौके पर मौजूद थे - लेकिन फिर भी वोट देने का काम अध्यक्ष की बजाये डॉक्टर राजीव गोयल कर रहे थे । चर्चा यह सुनी गई कि रमेश अग्रवाल और जेके गौड़ को चूँकि शक हुआ कि संजय शर्मा उन्हें वोट नहीं देंगे, इसलिए उनके कहने पर डॉक्टर राजीव गोयल ने वोट देने का अधिकार संजय शर्मा से छीन कर खुद ले लिया । चर्चा चली तो उसमें यह भी सुना गया कि डॉक्टर राजीव गोयल ने संजय शर्मा को रमेश अग्रवाल के पैसों पर होटल में ठहरवा कर मौज करवा दी और उसके बदले में उनसे वोट का अधिकार ले लिया - यानि संजय शर्मा ने अपना वोट बेचा । इस तरह की बातें सुनकर संजय शर्मा ने स्वाभाविक ही अपने आप को अपमानित महसूस किया । उन्होंने लोगों को बताने की कोशिश भी की कि होटल में ठहरने का बिल उन्होंने खुद दिया है - रमेश अग्रवाल ने नहीं दिया; लेकिन उनकी बात चर्चा के शोर-शराबे में अनसुनी ही रह गई । किसी किसी ने यह जरूर कहा कि संजय शर्मा को वोट जब नहीँ देना था, तो वह होटल में रुके ही क्यों थे ? संजय शर्मा ने समझ लिया कि वह जिस स्थिति में फँसे हैं उसमें उनके हाथ सिर्फ़ बदनामी ही लगनी है ।
संजय शर्मा ने ही नहीं, संजय शर्मा के नजदीकियों तथा क्लब के लोगों ने भी - और दूसरे लोगों ने भी इस स्थिति के लिये डॉक्टर राजीव गोयल को ही ज़िम्मेदार ठहराया । हर किसी का यही कहना रहा कि जेके गौड़ को खुश करने/रखने के चक्कर में डॉक्टर राजीव गोयल को क्लब के लोगों को और पदाधिकारियों को इस तरह अपमानित नहीं करना चाहिए । संजय शर्मा के साथ हुई हरकत के चलते क्लब में भी - और गाजियाबाद में भी - डॉक्टर राजीव गोयल के खिलाफ माहौल बना । समझा जाता है कि इसी स्थिति को भाँप/पहचान कर संजय खन्ना ने डॉक्टर राजीव गोयल की बजाये संजय शर्मा को तवज्जो देना ज्यादा उपयोगी समझा । पेट्स में लोगों ने जो देखा - वह संभवतः इसी समझ का नतीज़ा था । डॉक्टर राजीव गोयल के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि जिन जेके गौड़ के लिए उन्होंने अपने ही क्लब में अपने विरोधी बना लिए; उन जेके गौड़ ने भी उनकी मदद नहीं की, और पेट्स में उन्हें महत्व दिलवाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया । डॉक्टर राजीव गोयल के नज़दीकियों का कहना है कि जेके गौड़ यदि चाहते और प्रयास करते तो डॉक्टर राजीव गोयल पेट्स में यूँ अलग-थलग न पड़ते और सिर्फ़ स्पाउस बनके न रह जाते । तो क्या जेके गौड़ ने भी डॉक्टर राजीव गोयल को इस्तेमाल किया - और छोड़ दिया है ?