Wednesday, April 30, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को नीचा दिखाने के उद्देश्य से आयोजित किये गए विरोधी खेमे के एक कार्यक्रम में वीके हंस की उपस्थिति और उनकी इस उपस्थिति को संभव बनाने में दीपक टुटेजा की सक्रियता में एक नये समीकरण के बनने/बनाये जाने की कोई संभावना छिपी है क्या ?

नई दिल्ली । वीके हंस ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को नीचा दिखाने के उद्देश्य से आयोजित किये गए विरोधी खेमे के एक कार्यक्रम में उपस्थित होकर क्या सत्ता खेमे में फूट पड़ने के संकेत दिये हैं ? सत्ता खेमे से जुड़े लोगों को उक्त कार्यक्रम में वीके हंस की उपस्थिति पर हैरानी हुई है और कइयों ने तो सार्वजनिक रूप से सवाल भी उठाया है कि वीके हंस उक्त कार्यक्रम में कैसे और क्यों गए ? सत्ता खेमे के एक प्रमुख नेता राजिंदर बंसल ने तो वीके हंस की इस मुद्दे पर खुली आलोचना की है । बात यदि विरोधी खेमे के एक कार्यक्रम में वीके हंस के जाने भर की होती तो भी कोई बड़ी बात नहीं होती - लेकिन वीके हंस ने इस मामले में जो सफाई दी है, उससे मामला और उलझ गया है । वीके हंस का कहना है कि उन्हें तो धोखे से उक्त कार्यक्रम में बुलाया गया । धोखा यह किया गया कि उन्हें बताया गया था कि यह कार्यक्रम लायंस क्लब दिल्ली पंजाबी बाग का कार्यक्रम है । वीके हंस ने दावा किया कि उन्हें इस कार्यक्रम का जो निमंत्रण मिला, वह लायंस क्लब दिल्ली पंजाबी बाग की तरफ से ही मिला था । वीके हंस का कहना है कि वह तो उक्त कार्यक्रम में यह सोच कर गए थे कि वह लायंस क्लब दिल्ली पंजाबी बाग के कार्यक्रम में जा रहे हैं ।
वीके हंस की इस सफाई पर सत्ता खेमे के ही लोगों का कहना/पूछना लेकिन यह है कि कार्यक्रम स्थल पर पहुँच कर वीके हंस ने जब यह देखा कि उन्हें धोखे से यहाँ बुलाया गया है और इस कार्यक्रम का वास्तविक उद्देश्य डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को नीचा दिखाना है, तो फिर वह वहाँ से तुरंत वापस क्यों नहीं लौटे और क्यों उस कार्यक्रम का हिस्सा बने ? सत्ता खेमे के लोगों को हैरानी और परेशानी इसी बात की है कि यदि सचमुच वीके हंस को धोखे से उक्त कार्यक्रम में बुलाया गया था; और उनके वहाँ पहुँचते हीं धोखे की पोल चूँकि खुल गई थी, तो उन्होंने वहाँ अपने साथ हुए धोखे का विरोध क्यों नहीं किया और क्यों नहीं वह अपने साथ हुए धोखे का विरोध करते हुए उक्त कार्यक्रम से वापस लौटे ? कार्यक्रम से वापस लौटने के लिए उनके पास अच्छा बहाना/मौका था - लेकिन न तो उन्होंने अपने साथ हुए धोखे का वहाँ कोई विरोध किया और न ही इस बात को उठाया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की उपस्थिति या अनुमति/सहमति के बिना डिस्ट्रिक्ट के नाम पर कार्यक्रम कैसे आयोजित किया जा रहा है ?
इस मामले को संगीन वीके हंस के इस खुलासे ने बनाया कि उक्त कार्यक्रम में वह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक टुटेजा के साथ गए थे । उक्त कार्यक्रम की जो तसवीरें अभी तक सामने आई हैं, उनमें दीपक टुटेजा कहीं दिखे तो नहीं हैँ, लेकिन आरोपों में फ़ँसे वीके हंस का बचाव करने की दीपक टुटेजा ने जो कोशिशें की हैं उससे लोगों को वीके हंस की यह बात सच ही लगी है कि उक्त कार्यक्रम में वह दीपक टुटेजा के साथ गए थे । वीके हंस के बचाव में दीपक टुटेजा ने भी यही बात कही है कि उन्हें तो धोखे से उक्त कार्यक्रम में बुलाया गया था । अब यदि दीपक टुटेजा भी धोखे से उक्त कार्यक्रम में बुलाए गए थे तो जो सवाल वीके हंस के लिए हैं वही सवाल दीपक टुटेजा के लिए भी हैं । मजे की बात यह हुई है कि कार्यक्रम के बाद दीपक टुटेजा ने फेसबुक पर तो बिना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के डिस्ट्रिक्ट सेमिनार होने पर सवाल उठाया है - लेकिन बुनियादी सवाल तो अभी भी बना हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की अनुमति या सहमति या सहभागिता के बिना किए जाने वाले तथाकथित डिस्ट्रिक्ट कार्यक्रम में वीके हंस हिस्सा क्यों बने ? और अब तो इस सवाल में यह सवाल भी जुड़ गया कि वीके हंस की इस हिस्सेदारी में दीपक टुटेजा की क्या भूमिका रही ?
यह सवाल दरअसल इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि पिछले महीनों में - डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस से भी पहले - एक तरफ से दीपक टुटेजा और दूसरी तरफ से अजय बुद्धराज व डीके अग्रवाल के 'मिलने' की आहटें कई बार सुनाई पड़ी थीं - जिनमें डिस्ट्रिक्ट में एक नये समीकरण को आकार लेते हुए देखा/पहचाना जा रहा था । क्या यह सिर्फ एक संयोग है कि अभी जिस कार्यक्रम में दीपक टुटेजा द्धारा वीके हंस को ले जाये जाने की बात पर हंगामा बरपा हुआ है उस कार्यक्रम का निमंत्रण वीके हंस और दीपक टुटेजा को अजय बुद्धराज व डीके अग्रवाल के क्लब कि तरफ़ से मिलने का दावा किया गया है । अगर यह सिर्फ संयोग है - तो खुदा की कसम, बड़ा दिलचस्प और रहस्यपूर्ण संयोग है ! क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले इन्हें लायंस क्लब दिल्ली किरण के एक कार्यक्रम का निमंत्रण मिला था, जिसमें शामिल होने से इन्होंने इस कारण से इंकार कर दिया था कि उसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को शामिल नहीं किया जा रहा था । अजय बुद्धराज और डीके अग्रवाल के क्लब से निमंत्रण मिला तो उसमें जाते हुए वीके हंस को - और उसमें वीके हंस को ले जाते हुए दीपक टुटेजा को यह देखने की जरूरत क्यों महसूस नहीं हुई कि यहाँ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को शामिल किया जा रहा है या नहीं ? कुछ ही दिनों में आखिर ऐसा क्या हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा इनके लिए कोई मुद्दा नहीं रह गए हैं ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को नीचा दिखाने के उद्देश्य से आयोजित किये गए विरोधी खेमे के एक कार्यक्रम में वीके हंस की उपस्थिति और उनकी इस उपस्थिति को संभव बनाने में दीपक टुटेजा की सक्रियता में क्या एक नये समीकरण के बनने/बनाये जाने की कोई संभावना छिपी है । सत्ता खेमे के लोगों में जो हलचल-सी मची दिख रही है, उससे लग रहा है कि उन्होंने जैसे इस संभावना को 'पढ़' लिया है । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राजिंदर बंसल आमतौर पर किसी स्थिति या प्रसंग पर कठोर प्रतिक्रया नहीं देते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने जिस साफगोई से वीके हंस को लपेटा है, उससे आभास मिलता है कि उन्होंने वीके हंस के इस किए-धरे के पीछे के राजनीतिक मन्तव्य और खेल को जैसे समझ लिया है । इस तरह, वीके हंस के किए-धरे ने डिस्ट्रिक्ट में और खासतौर से सत्ता खेमे में हलचल तो मचा ही दी है ।