Tuesday, April 8, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में जीतते दिख रहे सीओएल के चुनाव को बीके त्रिखा, रोटरी क्लब मेरठ कैंट, संजीव रस्तोगी और राकेश रस्तोगी के रवैये से हाथ से निकलने के डर के कारण योगेश मोहन गुप्ता बुरी तरह बौखला गए है

मेरठ । योगेश मोहन गुप्ता को सीओएल के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने के बाद करीब चौथे महीने में ध्यान आया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ने सीओएल के चुनाव को लेकर जो टाइम टेबल बनाया, उसके पीछे उनकी सीओएल पद के दूसरे उम्मीदवार को फायदा पहुँचाने की बदनीयत काम रही है । चूँकि हमारे यहाँ कहा गया है कि जब जागो तब सवेरा - इसलिए उनके देर से जागने की बात को यदि जाने भी दें; तो भी लगता है कि अभी भी उनकी नींद पूरी तरह से खुली नहीं है । क्योंकि सीओएल के चुनाव के टाइम टेबल को लेकर उन्होंने रोटरी साउथ एशिया कार्यालय को जो शिकायत की है, और जिसकी कॉपी उन्होंने इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर शेखर मेहता को भेजी है, उसमें विस्तार से टाइम टेबल की तारीखों का विवरण देने के बावजूद उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह आखिर चाहते क्या हैं ? डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने सीओएल के चुनाव के टाइम टेबल में चूँकि नियम-कानूनों का पालन नहीं किया है, इस आधार पर चुनाव को रद्द करने की और चुनावी प्रक्रिया को दोबारा से शुरू करने की ही माँग बनती है - योगेश मोहन गुप्ता ने लेकिन ऐसी कोई माँग नहीं की है । जाहिर है कि उन्होंने जो शिकायत की ही, उसमें नियम-कानूनों को लागू कराने पर जोर कम है - रोना-धोना ज्यादा है । योगेश मोहन गुप्ता जो यह संदेश देना चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में राकेश सिंघल ने निहायत मनमाने तरीके से काम किया है और रोटरी के नियम-कानूनों की तथा आदर्शों की हर तरह से ऐसी-तैसी की है, उससे सभी सहमत हैं; लेकिन लोगों का यह भी पूछना है कि राकेश सिंघल की कारस्तानियों को योगेश मोहन गुप्ता चुपचाप बैठे देखते क्यों रहे और अब जबकि राकेश सिंघल सारा कबाड़ा कर चुके हैं, तो राकेश सिंघल के किए-धरे को लेकर अब रोना-धोना क्यों मचाये हैं ? योगेश मोहन गुप्ता का यह व्यवहार दरअसल हार की आशंका से पैदा हुई उनकी बदहवासी को प्रकट करता है । 
योगेश मोहन गुप्ता की यह बदहवासी सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल को लेकर ही नहीं है; उनकी बदहवासी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी को लेकर, संजीव रस्तोगी के क्लब - रोटरी क्लब मेरठ कैंट के अध्यक्ष पूरन चंद चौधरी और रोटरी क्लब मेरठ सम्राट के वरिष्ठ सदस्य राकेश रस्तोगी को लेकर भी है । राकेश रस्तोगी के खिलाफ तो योगेश मोहन गुप्ता का गुस्सा सातवें आसमान पर है । यहाँ यह जानना दिलचस्प होगा कि अभी कुछ समय पहले तक राकेश रस्तोगी उनके इतने खास हुआ करते थे कि सीओएल के चुनाव को लेकर बनी ऑब्जर्वर्स की टीम के लिए योगेश मोहन गुप्ता ने अपनी तरफ से राकेश रस्तोगी का नाम दिया था । सीओएल के चुनाव को लेकर कल तक मेरठ के एकतरफा समर्थन का दावा कर रहे योगेश मोहन गुप्ता अब अचानक से मेरठ के लोगों - और मेरठ के 'अपने' लोगों के ही इतना खिलाफ आखिर क्यों हो गए हैं ? दरअसल योगेश मोहन गुप्ता कल तक सीओएल के चुनाव में अपनी जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त थे, लेकिन जैसे ही चुनाव का समय आया तो उन्हें अपनी हार सामने दिखने लगी । हार की आशंका ने योगेश मोहन गुप्ता को बदहवास कर दिया है; और इस बदहवासी में उन्हें हर वह व्यक्ति और क्लब 'बिका' हुआ दिख रहा है जो उनके साथ नहीं है । योगेश मोहन गुप्ता लोगों को बता रहे हैं कि रोटरी क्लब मेरठ कैंट के अध्यक्ष पूरन चंद चौधरी ने सीओएल के दूसरे उम्मीदवार ललित मोहन गुप्ता से डेढ़ लाख रुपये लेकर क्लब के वोट उन्हें 'बेच' दिए हैं । रोटरी क्लब मेरठ कैंट चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी का भी क्लब है, इसलिए क्लब के वोट 'बेचने' की इस कार्रवाई में योगेश मोहन गुप्ता को संजीव रस्तोगी की मिलीभगत भी नजर आती है ।
रोटरी क्लब मेरठ कैंट के लोग लेकिन एक दूसरी बात बताते हैं । क्लब की जिस बोर्ड मीटिंग में सीओएल के लिए वोट तय हुआ, उस बोर्ड मीटिंग में मौजूद क्लब के एक वरिष्ठ सदस्य ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया कि मीटिंग शुरू होते ही क्लब के सेक्रेटरी बीके त्रिखा ने साफ कह दिया कि क्लब ने यदि योगेश मोहन गुप्ता को वोट देने का फैसला किया तो वह क्लब छोड़ देंगे । बीके त्रिखा का योगेश मोहन गुप्ता के साथ बहनोई का रिश्ता माना/ बताया जाता है, इसलिए उनसे यह सुनकर मीटिंग में मौजूद लोग हैरान हो गए । बीके त्रिखा ने लेकिन लोगों को ज्यादा देर हैरान नहीं रहने दिया; उन्होंने योगेश मोहन गुप्ता के प्रति अपने इस खुले विरोध का कारण बताया कि कुछ समय पहले वह अपनी नातिन के एडमिशन के लिए योगेश मोहन गुप्ता से मिले थे । अपने संस्थान में एडमिशन के लिए योगेश मोहन गुप्ता ने उन्हें डोनेशन का रेट बता दिया । उन्होंने योगेश मोहन गुप्ता से कहा भी कि सुनते हैं कि डायन भी अपनी जन-पहचान वालों के घर छोड़ देती है, तुम मुझसे भी डोनेशन लोगे । योगेश मोहन गुप्ता ने उन्हें दो-टूक बता दिया कि रिश्तेदारी की बात अपनी जगह है, लेकिन डोनेशन तो देना ही पड़ेगा । यह किस्सा सुनाते हुए बीके त्रिखा ने क्लब के लोगों से कहा कि अपने इस अनुभव के बाद अपने होते हुए वह योगेश मोहन गुप्ता के पक्ष में फैसला नहीं होने देंगे । बीके त्रिखा की इस बात को मानने में कोई समस्या इसलिए भी पैदा नहीं हुई क्योंकि रोटरी क्लब मेरठ कैंट का पहले से ही योगेश मोहन गुप्ता के साथ विरोध का रिश्ता बना हुआ है । कुछेक वर्ष पहले क्लब में योगेश मोहन गुप्ता का बायकाट करने का फैसला हुआ था, जिसे बदलवाने या ख़त्म करवाने के लिए न तो योगेश मोहन गुप्ता ने कभी कोई प्रयास किया और न क्लब के हर वर्ष आने वाले पदाधिकारियों ने ही उस फैसले को बदलने या ख़त्म करने की जरूरत समझी । ऐसे में, सीओएल के लिए ललित मोहन गुप्ता के पक्ष में फैसला करने में क्लब के पदाधिकारियों को जरा भी देर नहीं लगी ।
रोटरी क्लब मेरठ कैंट चूँकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट संजीव रस्तोगी का क्लब है, जिस कारण इसका महत्व कुछ बढ़ जाता है; इसलिए इसका ललित मोहन गुप्ता के पक्ष में जाने का फैसला डिस्ट्रिक्ट के दूसरे क्लब्स को भावनात्मक स्तर पर प्रभावित कर सकता है - इस संभावना को भाँप कर योगेश मोहन गुप्ता ने पैसे लेकर फैसला करने का आरोप लगा कर क्लब को बदनाम करना शुरू कर दिया । योगेश मोहन गुप्ता ने इस लपेटे में संजीव रस्तोगी को भी ले लिया । संजीव रस्तोगी से यूँ तो उनके संबंध ख़राब ही रहे हैं, लेकिन अभी पिछले दिनों रोटरी के एक कार्यक्रम के सिलसिले में वह और संजीव रस्तोगी साथ-साथ हैदराबाद गए थे और वहाँ एक ही कमरे में रहे थे और इस दौरान उनकी संजीव रस्तोगी के साथ चूँकि मीठी-मीठी बातें ही हुईं थीं, इसलिए उन्होंने मान लिया था कि संजीव रस्तोगी पुराने बैर को भूल गए हैं । लेकिन उनके क्लब के फैसले के ललित मोहन गुप्ता के पक्ष में आने से योगेश मोहन गुप्ता को दिन में तारे नजर आ गए । यह ठीक है कि क्लब की उस बोर्ड मीटिंग में संजीव रस्तोगी उपस्थित नहीं थे, लेकिन योगेश मोहन गुप्ता को विश्वास है कि संजीव रस्तोगी यदि दिलचस्पी लेते तो उनके क्लब का फैसला ललित मोहन गुप्ता के पक्ष में नहीं होता । इसी विश्वास के चलते योगेश मोहन गुप्ता को रोटरी क्लब मेरठ कैंट के ललित मोहन गुप्ता के पक्ष में जाने के फैसले में संजीव रस्तोगी की मिलीभगत दिखती है । इस मिलीभगत में योगेश मोहन गुप्ता अपने लिए बड़ा खतरा देख रहे हैं । उनका ऐसा देखना मौजूँ भी है - आने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के ललित मोहन गुप्ता के समर्थन में होने के संकेत मिलें, तो प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार के रूप में योगश मोहन गुप्ता के लिए खतरे की बात तो है । योगेश मोहन गुप्ता ने इस खतरे को दूर करने के लिए संजीव रस्तोगी के बारे में भी विरोध के खुले तेवर अपना लिए हैं ।
योगेश मोहन गुप्ता को लेकिन सबसे तगड़ा झटका राकेश रस्तोगी से लगा है और इस झटके का किस्सा तो बहुत ही मजेदार है । बीके त्रिखा ने, रोटरी क्लब मेरठ कैंट ने और संजीव रस्तोगी ने जो किया उसे तो फिर भी इस तर्क से देखा जा सकता है कि इनका योगेश मोहन गुप्ता के साथ पहले से ही विरोध का संबंध रहा है और इसलिए इन्होँने यदि योगेश मोहन गुप्ता के विरोध में खड़े होने का फैसला किया तो यह बहुत स्वाभाविक ही है । लेकिन राकेश रस्तोगी ? योगेश मोहन गुप्ता को सपने में भी शक नहीं था कि राकेश रस्तोगी ऐसा करेंगे ? मजे की बात यह है कि राकेश रस्तोगी ने जो कुछ किया है उसमें ऐसा कुछ भी नहीं है, जिसे लेकर योगेश मोहन गुप्ता को भड़कने की जरूरत पड़े । राकेश रस्तोगी ने दो काम किए : पहला काम उन्होंने यह किया कि सीओएल के चुनाव के संदर्भ में बनी ऑब्जर्वर्स कमेटी की पहली मीटिंग शुरू होने से कुछ ही पहले उन्होंने योगेश मोहन गुप्ता को ईमेल किया जिसमें उन्होंने योगेश मोहन गुप्ता के गवर्नर काल की क्लोजिंग सेरेमनी के आयोजन में खर्च हुए अपने करीब 27 हजार रुपयों के भुगतान की मांग की । यह रकम करीब पाँच वर्ष पहले खर्च हुई थी । राकेश रस्तोगी का कहना है कि यह रकम उन्होंने योगेश मोहन गुप्ता से मिले इस आश्वासन के चलते ही खर्च की थी कि इसका भुगतान उन्हें मिल जायेगा; लेकिन पिछले पाँच वर्षों में कई बार याद दिलाने के बावजूद योगेश मोहन गुप्ता ने इस रकम का भुगतान उन्हें नहीं किया और वह यह मान बैठे थे कि यह रकम तो उनकी डूब ही गई है । किंतु डूबी हुई यह रकम उन्हें अबकी बार के प्रयास में तुरंत मिल गई । योगेश मोहन गुप्ता ने दरअसल मौके की नजाकत को पहचाना, और जो रकम वह तरह तरह की बहानेबाजी करते हुए देने से बचते आ रहे थे - उसे उन्होंने राकेश रस्तोगी का ईमेल मिलते ही दे देने में अपनी भलाई समझी ।
राकेश रस्तोगी से मिले इस झटके को तो योगेश मोहन गुप्ता ने झेल लिया, लेकिन राकेश रस्तोगी से उन्हें जो दूसरा झटका मिला उसने उनके होश उड़ा दिए । दरअसल, योगेश मोहन गुप्ता को पता चला कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने दो क्लब्स को डुप्लीकेट बैलेट दे दिए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ने इसके पीछे कारण बताया कि एक क्लब का बैलेट कपड़ों के साथ धूल गया था, और दूसरे के बैलेट पर स्याही गिर गई थी । इस पर सवाल लेकिन यह पैदा हुआ कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पास अतिरिक्त बैलेट आये कहाँ से ? तब पता चला कि ऑब्जर्वर्स ने कुछेक अतिरिक्त बैलेट पर हस्ताक्षर करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को दिए हुए हैं । इस बात से योगेश मोहन गुप्ता के होश इसलिए उड़े कि यह बात राकेश रस्तोगी ने उन्हें पहले से क्यों नहीं बताई । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि राकेश रस्तोगी ऑब्जर्वर्स कमेटी में योगेश मोहन गुप्ता के प्रतिनिधि के तौर पर ही हैं; और उनका नाम देते/भेजते हुए योगेश मोहन गुप्ता ने उम्मीद की थी कि उन्हें अंदर की ख़बरें मिलती रहेंगी । राकेश रस्तोगी से लेकिन यह अंदर की खबर उन्हें नहीं मिली - इस बात को योगेश मोहन गुप्ता ने राकेश रस्तोगी द्धारा उनसे पैसे बसूलने के तरीके से जोड़ कर देखा और यह नतीजा निकाला कि राकेश रस्तोगी 'बिक' गए हैं । राकेश रस्तोगी को चूँकि संजीव रस्तोगी के निकट देखा/पहचाना जाता है इसलिए योगेश मोहन गुप्ता को अपना शक सच्चाई में बदलता हुआ भी लगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश रस्तोगी ने हालाँकि यह स्पष्ट किया है कि अतिरिक्त बैलेट का रिकॉर्ड बना हुआ है और उनका दुरूपयोग होने की कोई संभावना नहीं है, लेकिन योगेश मोहन गुप्ता अतिरिक्त बैलेट को अपने खिलाफ एक षड्यंत्र के रूप में व्याख्यायित करते हुए भारी रोना-धोना मचाये हुए हैं ।
योगेश मोहन गुप्ता ने इस षड्यंत्र में सहभागी होने को लेकर राकेश रस्तोगी के खिलाफ पूरा मोर्चा खोला हुआ है । कुछेक लोगों को हालाँकि लगता है कि राकेश रस्तोगी ने अपने पैसे बसूलने के लिए जो तरीका अपनाया, वह मौके का फायदा उठाने की बदनीयती का सुबूत है; लेकिन कई अन्य लोग इस बिना पर राकेश रस्तोगी के तरीके को ठीक मान रहे हैं कि जब सीधी ऊँगली से घी न निकले तो ऊँगली टेढ़ी करनी ही पड़ती है । इनका कहना है कि योगेश मोहन गुप्ता की जब तक चल रही थी, वह राकेश रस्तोगी का पैसा देने से बच रहे थे; इसलिए जब राकेश रस्तोगी को मौका मिला तो उन्होंने अपनी चला ली और अपना पैसा बसूल कर लिया - इसमें गलत क्या किया ? इस तरह की बातें होने से योगेश मोहन गुप्ता की मुश्किलें इसलिए बढ़ गईं हैं क्योंकि उनके दुर्व्यवहार तथा पैसों संबंधी शिकायतों के शिकार लोग अब खुल कर बोलने लगे हैं और इन बातों से उन्हें अपने चुनाव पर प्रतिकूल असर पड़ता दिख रहा है । योगेश मोहन गुप्ता को डर हुआ है कि इस तरह की बातें यदि बढ़ीं तो वह जीतता दिख रहा चुनाव कहीं हार न जाएँ । हार की इस आशंका के चलते ही योगेश मोहन गुप्ता बुरी तरह बौखला गए हैं और इस बौखलाहट में वह अपने विरोधियों को आरोपों के घेरे में लेने की रणनीति पर काम कर रहे हैं ।