Tuesday, April 22, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 323 में इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए राजू मनवानी का समर्थन अरूणा ओसवाल के लिए फायदे के साथ-साथ मुसीबत का सौदा भी बना है और मुसीबत के इसी सौदे में संतोष शेट्टी के समर्थकों को उम्मीद की संभावना दिख रही है

मुंबई । इंटरनेशनल डायरेक्टर राजू मनवानी के खुले और सक्रिय समर्थन के चलते इंटरनेशनल डायरेक्टर एनडोर्सी के लिए अरुणा ओसवाल के लिए चुनावी लड़ाई आसान तो हो गई है, लेकिन साथ ही कई तरह की नई-नई मुश्किलों के पैदा होने के कारण चुनौतीपूर्ण भी हो गई है । अरुणा ओसवाल के लिए सबसे बड़ी चुनौती - उनकी उम्मीदवारी की बागडोर थामने को लेकर राजू मनवानी और उमेश गाँधी के बीच छिड़े घमासान को नियंत्रित करने की है । राजू मनवानी यह साबित करने का और दिखाने/जताने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते कि अरुणा ओसवाल का इस बार का चुनाव उनके दिशा-निर्देशन में तथा उनकी सक्रियता के भरोसे लड़ा जा रहा है और उन्हीं के कारण अरुणा ओसवाल की स्थिति इस बार सुरक्षित देखी/समझी जा रही है; जबकि दूसरी तरफ उमेश गाँधी हर उस अवसर का 'लाभ' उठाने को तत्पर दिखते हैं जिससे यह साबित किया जा सके कि इस बार अरुणा ओसवाल की स्थिति मजबूत ही थी और राजू मनवानी तो महज श्रेय लेने के लिए अरुणा ओसवाल के समर्थन में आये हैं, और राजू मनवानी के कारण तो अरुणा ओसवाल के लिए मुश्किलें कम होने की बजाये बढ़ी ही हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि एक ही डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 323 ए थ्री - के सदस्य राजू मनवानी और उमेश गाँधी के बीच अपने आप को बड़ा दिखाने की होड़ तभी से मुखर रूप में लोगों के सामने हैं, जब वह क्रमशः डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर थे । वर्ष 2008-09 में राजू मनवानी जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर थे, तब वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उमेश गाँधी के साथ उनके खुले टकराव के कई दृश्य बने/दिखे थे ।
राजू मनवानी और उमेश गाँधी के बीच अपने आप को एक-दूसरे से बड़ा दिखाने/जताने की होड़ में हालाँकि अभी तक राजू मनवानी का ही पलड़ा भारी रहा है । वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उमेश गाँधी के न चाहने के बावजूद राजू मनवानी मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन बने । उमेश गाँधी लेकिन अपनी बारी आने पर यह पद हासिल नहीं कर पाये और उन्हें मल्टीपल काउंसिल में वाइस चेयरपरसन के पद से ही संतोष करना पड़ा । इसके बाद, राजू मनवानी और अरुणा ओसवाल के बीच इंटरनेशनल डायरेक्टर पद को लेकर जो 'युद्ध-जैसा' माहौल बना उसमें उमेश गाँधी को राजू मनवानी से बदला लेने का मौका मिला और उन्होंने उस मौके का भरपूर इस्तेमाल भी किया, लेकिन उस समय भी वह राजू मनवानी का कुछ बिगाड़ नहीं सके और राजू मनवानी के सामने उन्हें हार का ही सामना करना पड़ा । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अरुणा ओसवाल जब दूसरे अटैम्प्ट में कूदीं तो उमेश गाँधी को लगा कि इस बार अरुणा ओसवाल की जीत से उन्हें अपनी स्थिति को 'बेहतर' बनाने का मौका मिलेगा - लेकिन 'अब भी' उनकी बदकिस्मती उनसे आगे चल रही थी । अरुणा ओसवाल की उम्मीदवारी की सक्रियता अभी शुरू ही हुई थी कि उमेश गाँधी यह देख कर अवाक् रह गए कि राजू मनवानी ने जबरदस्त पलटी मार कर अरुणा ओसवाल की उम्मीदवारी का न सिर्फ समर्थन करना शुरू कर दिया, बल्कि अरुणा ओसवाल की उम्मीदवारी की बागडोर भी थाम ली । इस तरह, अरुणा ओसवाल की इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की दोबारा प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी में उमेश गाँधी अपने लिए जो मौका देख रहे थे, राजू मनवानी ने उसे भी उनसे छीन लिया । उमेश गाँधी ने लेकिन अभी भी हार नहीं मानी है और वह अरूणा ओसवाल के लिए काम करने में लगे हुए हैं - कुछेक लोगों का कहना है कि उमेश गाँधी वस्तुतः अरूणा ओसवाल के लिए काम करने की आड़ में दरअसल राजू मनवानी से आगे दिखने की कोशिश कर रहे हैं । अरूणा ओसवाल के कुछेक समर्थकों का कहना है कि राजू मनवानी और उमेश गाँधी के बीच की इस होड़ ने अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के अभियान पर प्रतिकूल असर ही डाला है ।
मजे की बात है, जिसे दूसरे लोगों के लिए समझना मुश्किल हो रहा है कि अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में डिस्ट्रिक्ट के दो तुर्रमखां नेता जीजान लगाये हुए हैं, लेकिन फिर भी अरूणा ओसवाल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपने डिस्ट्रिक्ट में एनडोर्समेंट नहीं ले सकीं हैं । डिस्ट्रिक्ट ने वर्ष 1994-95 में मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन रहे संतोष शेट्टी को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एनडोर्स किया है । अरूणा ओसवाल ने दरअसल राजू मनवानी और उमेश गाँधी जैसे अपने दोनों समर्थकों के बीच की होड़ को देखते हुए ही डिस्ट्रिक्ट में एनडोर्समेंट लेने की कोशिश ही नहीं की - उन्हें डर था कि इन दोनों की होड़ के कारण कहीं वह डिस्ट्रिक्ट में ही हार गईं, तो फिर मल्टीपल में उनके लिए और समस्या होगी । यहाँ यह याद करना मौजूँ होगा कि अरूणा ओसवाल पिछली बार हर तरह की तीन-तिकड़म के बाद भी राजू मनवानी की तिकड़मों के सामने डिस्ट्रिक्ट में हार गईं थीं - जिसका खामियाजा उन्हें फिर मल्टीपल में भी भुगतना पड़ा । मल्टीपल में उन्हें इस आरोप का सामना करना पड़ा था कि वह जब डिस्ट्रिक्ट में नहीं जीत पाईं हैं तो मल्टीपल में जीतने की उम्मीद कैसे करती हैं ? और इसका जबाव वह नहीं दे पाईं थीं - और जबाव न दे पाना ही तब उन्हें भारी पड़ा था । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के दूसरे उम्मीदवार संतोष शेट्टी और उनके समर्थक हालाँकि वही सवाल इस बार भी उठा कर अरूणा ओसवाल को घेरने की कोशिश कर रहे हैं - लेकिन इस बार उस सवाल की धार ज्यादा तेज नहीं है; क्योंकि इस बार अरूणा ओसवाल डिस्ट्रिक्ट में चुनाव हारी नहीं हैं । लेकिन फिर भी सवाल बना हुआ है और वह अरूणा ओसवाल की 'पोजिशनिंग' को चोट भी पहुँचा रहा है - तो इसका जिम्मा उनके प्रतिद्धंद्धी संतोष शेट्टी पर नहीं, बल्कि उनके समर्थकों राजू मनवानी और उमेश गाँधी पर है ।
राजू मनवानी ने अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करके जो कलाबाजी दिखाई है, उसने सभी को हैरान किया है । यूँ तो यह सभी जानते/मानते हैं कि लायन राजनीति में दोस्तियाँ और दुश्मनियाँ ज्यादा दिन नहीं बनी/टिकी रह पाती हैं, लेकिन फिर भी पिछली बार राजू मनवानी और अरूणा ओसवाल के बीच हुए चुनाव के चलते जिस तरह की 'भयंकर मारकाट' मची थी, उसे देखते/जानते हुए लोगों के लिए राजू मनवानी को अरूणा ओसवाल के समर्थन में देखना किसी चमत्कार से कम नहीं लगा । राजू मनवानी के कुछेक नजदीकियों का कहना है कि राजू इमोशनल व्यक्ति हैं और इमोशन में आकर वह अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के समर्थन में आ गए; किंतु अन्य कुछेक लोगों का कहना है कि राजू व्यावहारिक व्यक्ति हैं, उन्होंने भाँप लिया कि अरूणा ओसवाल का विरोध करके उन्हें तो कुछ मिलेगा नहीं, साथ रह कर वह जरूर कुछ हासिल कर सकते हैं - लिहाजा वह अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के समर्थक बन गए । राजू मनवानी की दिलचस्पी इस बीच देश की राजनीति में हुई है और उन्होंने राज्यसभा में सीट का जुगाड़ करने की तरफ अपना ध्यान लगाया है । हवा का रुख भाँप पर राजू मनवानी ने 'नरेंद्र मोदी विचार मंच' का गठन कर लिया है और उसकी गतिविधियों के जरिये संभावित सत्ता खेमे से नजदीकियाँ बनाना शुरू कर दी हैं । अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों का कहना है कि राजू मनवानी ने चूँकि समझ लिया है कि इस बार अरूणा ओसवाल को ही सफल होना है, इसलिए अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करके उन्होंने अरूणा ओसवाल की गुडबुक में शामिल होने की व्यवस्था कर ली है, जिस 'व्यवस्था' का लाभ वह राजयसभा की सीट जुगाड़ने के अपने प्रयासों में भी ले सकेंगे ।
अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करने के राजू मनवानी के फैसले का उनके कई समर्थकों ने ही विरोध किया है और इस विरोध के चलते राजू मनवानी के कई समर्थक नेता चुप बैठ गए हैं और उन्होंने अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी का समर्थन करने से अपने हाथ खींच लिए हैं, और कई तो संतोष शेट्टी के समर्थन में खुल कर काम करने लगे हैं । इसी कारण से अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के कई समर्थकों को लग रहा है कि राजू मनवानी का समर्थन अरूणा ओसवाल के लिए फायदे का सौदा होगा या नहीं - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन राजू मनवानी का समर्थन अरूणा ओसवाल के लिए मुसीबत का सौदा जरूर बन गया है । अरूणा ओसवाल की उम्मीदवारी के समर्थकों को इस बार अरूणा ओसवाल की जीत की उम्मीद भले ही हो, लेकिन संतोष शेट्टी की उम्मीदवारी के समर्थकों को अरूणा ओसवाल के लिए बने इसी मुसीबत के सौदे में अपने लिए उम्मीद की संभावना दिख रही है ।