वाराणसी/नई दिल्ली । अशोक कुमार सिंह ने
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करके
मल्टीपल की चुनावी राजनीति में खासी हलचल मचा दी है । उल्लेखनीय है कि
डिस्ट्रिक्ट 321 ई के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अशोक कुमार सिंह अभी तक मल्टीपल
के काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए अपनी उम्मीदवारी की बात से लगातार इंकार
करते रहे हैं । उनके नजदीकियों का हालाँकि लगातार कहना रहा कि अशोक कुमार सिंह के मन में मल्टीपल काउंसिल के चेयरपरसन के पद की लालसा तो है, किंतु चूँकि इस पद के लिए की जाने वाली
'चुनावी प्रक्रिया' का पालन करने में वह अपने आप को असमर्थ मानते/पाते हैं,
इसलिए उन्होंने इस पचड़े में न पड़ने में ही अपनी भलाई देखी और मन में लालसा
होने के बावजूद मल्टीपल काउंसिल के चेयरपरसन पद की उम्मीदवारी से दो-टूक
तरीके से इंकार ही करते रहे । लेकिन डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी ने उन्हें पता नहीं क्या घुट्टी पिलाई कि
मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए जोर जोर से न न कहते रहने वाले अशोक
कुमार सिंह हाँ कर बैठे ।
अशोक कुमार सिंह की इस हाँ ने सहजीव रतन जैन के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर दी है । डिस्ट्रिक्ट
321 सी टू के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सहजीव रतन जैन ने मल्टीपल काउंसिल
चेयरपरसन पद तक पहुँचने की सारी 'जरूरतों' को समझ लिया था और उन जरूरतों को
पूरा करने की व्यवस्था कर लेने का दावा किया था । मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर जगदीश गोयल की उम्मीदवारी की भी चर्चा तो रही, लेकिन उनकी
उम्मीदवारी को कोई भी गंभीरता से लेता हुआ नहीं दिख रहा था । उनके ही
डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स उनका मजाक बनाते हुए सुने जा रहे थे कि
जगदीश गोयल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ही बड़ी मुश्किल में जैसे तैसे बने हैं,
जिससे साबित रहा कि चुनावी लड़ाई लड़ना उनके बस की बात है ही नहीं । मल्टीपल
काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए जगदीश गोयल की उम्मीदवारी की चर्चा तो रही,
किंतु जगदीश गोयल अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु कुछ करते हुए
दिखे कभी नहीं । कुछेक लोगों को लगता था कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर
विनोद खन्ना उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में दिलचस्पी लेंगे,
लेकिन विनोद खन्ना इनकी उम्मीदवारी के लिए कुछ भी करते नहीं नजर आये । इसी कारण से मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए सहजीव रतन जैन का पलड़ा भारी समझा जा रहा था ।
सहजीव
रतन जैन की उम्मीदवारी के लिए बस एक ही बात खिलाफ समझी जा रही थी और वह यह
कि अभी मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन के पद पर जो जितेंद्र सिंह चौहान हैं, वह
उसी डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू से हैं जिस डिस्ट्रिक्ट से सहजीव रतन जैन हैं ।
ऐसे में उनके विरोधी यह तर्क इस्तेमाल कर रहे थे कि मल्टीपल काउंसिल
चेयरपरसन का पद लगातार एक ही डिस्ट्रिक्ट के पास कैसे रह सकता है ? सहजीव रतन जैन और उनके समर्थकों ने हालाँकि इस तर्क का जबाव जोरदार ढंग से देते हुए कहना/पूछना
शुरू कर दिया था कि किसी डिस्ट्रिक्ट को - यानि उनके डिस्ट्रिक्ट को
वर्षों तक चेयरपरसन पद से दूर रखने का काम यदि किया जा सकता है तो फिर
लगातार दो वर्ष उसे उक्त पद देने में क्यों समस्या होनी चाहिए ? इसके साथ-साथ
सहजीव रतन जैन ने इस सच्चाई को दरअसल समझ लिया कि इस तरह की बातें बेकार की
बातें हैं और इन पर कोई भी ध्यान नहीं देता है; ध्यान सिर्फ इस बात पर
दिया जाता है कि कौन उम्मीदवार दमदारी से चुनाव लड़ने की तैयारी करता है और
दमखम दिखाता है । सहजीव रतन जैन ने इसीलिए दमदारी से चुनाव लड़ने की तैयारी
करने पर अपना सारा ध्यान लगाया ।
सहजीव रतन जैन को मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन का पद लेकिन जब अपने बहुत नजदीक लग रहा था, तभी अशोक कुमार सिंह ने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करके उनके सामने चुनौती पैदा कर दी है । अशोक कुमार सिंह की उम्मीदवारी यूँ तो सहजीव रतन जैन के लिए ज्यादा समस्या नहीं होती, क्योंकि अशोक कुमार सिंह के बारे में भी लोगों को लगता है कि यह
चुनाव लड़ना उनके बस की बात नहीं है - इसीलिए अशोक कुमार सिंह अभी तक इस पद
के लिए अपनी उम्मीदवारी की बात से लगातार इंकार करते आये हैं । लेकिन जिस
अचानक तरीके से उनकी उम्मीदवारी सामने आई है, उसमें परदे के पीछे किसी बड़े खेल को देखा जा रहा है । दरअसल इस बीच मल्टीपल के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच
चर्चा सुनाई पडी कि मल्टीपल काउंसिल के मौजूदा चेयरपरसन जितेंद्र सिंह
चौहान ने सहजीव रतन जैन की राह में रोड़े बिछाने का काम शुरू कर दिया है ।
सुना गया कि जितेंद्र सिंह चौहान ने डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर विजय शिरोहा के लिए बैटिंग की और उनके लिए समर्थन जुटा भी लिया ।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद के लिए विजय शिरोहा
की ही उम्मीदवारी को सबसे ज्यादा मजबूत माना/समझा जा रहा था । डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर के रूप में उनकी सक्रियता के तेवर देखते हुए मल्टीपल के चुनावी
खिलाड़ियों ने पहचान लिया था कि चेयरपरसन पद की चुनावी लड़ाई लड़ने की
सामर्थ्य उन्हीं में है । लेकिन उनके डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में उनके
फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नरेश गुप्ता जिस तरह उनके विरोधी खेमे के
हाथों का खिलौना बन गए, उससे उन्हें यह अहसास हो गया कि उनकी उम्मीदवारी के
प्रस्ताव पर नरेश गुप्ता हस्ताक्षर नहीं करेंगे । इस तरह, तमाम मजबूती के बावजूद विजय शिरोहा की उम्मीदवारी का रास्ता बंद हो गया ।
मल्टीपल के डिस्ट्रिक्ट्स में चल रही चर्चाओं के अनुसार,
जितेंद्र सिंह चौहान और विजय शिरोहा के कुछेक दूसरे शुभचिंतकों ने हालाँकि
विजय शिरोहा की उम्मीदवारी को संभव बनाने के लिए कोई रास्ता खोजना अभी बंद
नहीं किया है । इसी पृष्ठभूमि में अचानक से प्रस्तुत हुई अशोक कुमार सिंह की उम्मीदवारी के पीछे जितेंद्र सिंह चौहान की प्रेरणा को भी देखा जा रहा है । लोगों को लगता है कि विजय शिरोहा को उम्मीदवार बनाने की तैयारी कर रहे जितेंद्र सिंह चौहान ने अशोक कुमार सिंह के रूप में जैसे वैकल्पिक व्यवस्था की है । दरअसल इसी चर्चा के चलते मल्टीपल काउंसिल चेयरपरसन पद का चुनाव दिलचस्प मोड़ पर आ गया है ।