Friday, April 18, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में बायोडेटा को गैरजरूरी बताते हुए शिव कुमार चौधरी का दावा है कि बायोडेटा कौन देखता है; लोग तो गिफ्ट देखते हैं और उनके द्धारा दिए गए गिफ्ट के बदले में लोग वोट उन्हें ही देंगे

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में होने वाले सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव से ठीक पहले अपनी अपनी ताकत दिखाने के उद्देश्य से हुईं मीटिंग्स में अवतार कृष्ण के मुकाबले शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी का तंबू जिस तरह उड़ा, उसने शिव कुमार चौधरी के समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच निराशा और बेचैनी पैदा कर दी है । उल्लेखनीय है कि अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने और 'दिखाने' के लिए दोनों उम्मीदवारों की तरफ से अपनी अपनी आख़िरी मीटिंग एक ही दिन और लगभग मिलते-जुलते इलाके में आयोजित की गई । दोनों ही तरफ अपनी अपनी मीटिंग को कामयाब बनाने के लिए जी-तोड़ तैयारी की गई - जो स्वाभाविक ही था । किंतु दोनों की तैयारी का जो नतीजा निकला और दिखा - उसने शिव कुमार चौधरी के समर्थकों के तो तोते ही उड़ा दिए हैं । शिव कुमार चौधरी की मीटिंग में कई ऐसे क्लब और लोग भी नहीं पहुँचे जिनके पहुँचने का इंतजार किया जा रहा था; जबकि अवतार कृष्ण की मीटिंग में कई ऐसे लोग भी पहुँचे जिनके पहुँचने की वहाँ किसी को उम्मीद भी/ही नहीं थी । शिव कुमार चौधरी के लिए इससे भी ज्यादा झटके की बात यह रही कि उनके समर्थन में बताये जा रहे कई नेता तक उनकी मीटिंग में पहुँचे तो नहीं ही, न पहुँचने के लिए उन्होंने जो कारण बताये वह भी झूठे साबित हुए; क्योंकि उन्होंने जो कारण बताये उनके चलते उन्हें किसी भी मीटिंग में मौजूद नहीं होना चाहिए था, लेकिन वह अवतार कृष्ण की मीटिंग में सक्रिय दिखे । इससे जाहिर हुआ कि उन नेताओं ने पाला बदल लिया है और अब वह अवतार कृष्ण की उम्मीदवारी के समर्थन में हो गए हैं ।
शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के घोषित समर्थकों ने भी स्वीकार किया है कि पिछले दस दिनों में शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी को झटके पर झटके लगे हैं । मेरठ में हुई उनकी दूसरी मीटिंग उनकी पिछली मीटिंग के मुकाबले कमजोर रही । मीटिंग में उपस्थिति यदि कोई पैमाना है तो दूसरी मीटिंग के कमजोर होने का यही मतलब लगाया/निकाला गया कि मेरठ क्षेत्र में शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन घटा है । सहारनपुर में तो शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग का और भी बुरा हाल हुआ । उनकी मीटिंग में कुल दो क्लब के लोगों के ही पहुँचने की बात सामने आई; जबकि सहारनपुर में आयोजित हुई अवतार कृष्ण की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग में छह क्लब्स के लोगों की उपस्थिति बताई गई ।
शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों ने इस घटते समर्थन के लिए अरविंद संगल की इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट लेने की तैयारी को जिम्मेदार ठहराया है । इनका साफ कहना है कि अरविंद संगल ने अपने स्वार्थ में शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी का बेड़ा गर्क कर दिया है । अरविंद संगल की 'हरकत' को दरअसल मुकेश गोयल को नीचा दिखाने और मुकेश गोयल को व्यक्तिगत व पारिवारिक रूप से चोट पहुँचाने की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना गया । उल्लेखनीय है कि रिश्तेदारी के बावजूद मुकेश गोयल और अरुण मित्तल सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को लेकर विपरीत खेमों में थे - यह बात तो कोई खास बात नहीं थी; और इस 'प्रॉब्लम' को मुकेश गोयल ने भी और अरुण मित्तल ने भी हल या स्वीकार कर लिया था । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट लेने खातिर अपना दावा पेश करके अरविंद संगल ने लेकिन मुकेश गोयल के सामने अरुण मित्तल की सीधी खिलाफत करने का मौका बनाने का प्रयास किया । शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन में गाजियाबाद में हुई मीटिंग में बिन बुलाये आ कर अरविंद संगल ने मुकेश गोयल को घेरने/फँसाने की चाल चली । उनकी चाल में मुकेश गोयल तो नहीं फँसे, लेकिन शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी में मठ्ठा जरूर पड़ गया ।
दरअसल मुकेश गोयल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए एंडोर्समेंट लेने के मामले में अरविंद संगल का समर्थन करने से न सिर्फ साफ इंकार कर दिया, बल्कि अरुण मित्तल के लिए अपना खुला समर्थन व्यक्त किया । इससे मुकेश गोयल के समर्थकों में संदेश यह गया कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में मुकेश गोयल ने शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन से हाथ खींच लिए हैं । इस संदेश के चलते ही मुरादाबाद में अवतार कृष्ण की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग को जोरदार सफलता मिली और मुरादाबाद में शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग से मुकेश गोयल के कई नजदीकी गायब रहे; उनमें से कुछेक तो उसी समय अवतार कृष्ण की उम्मीदवारी के समर्थन में हो रही मेरठ की मीटिंग में शामिल हुए ।
अवतार कृष्ण की उम्मीदवारी के समर्थन में होने वाली मीटिंग्स के अप्रत्याशित रूप से कामयाब होने को उनकी उम्मीदवारी के प्रति बढ़ते हुए समर्थन के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; तो शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के समर्थन में होने वाली मीटिंग्स में उम्मीद और तैयारी के अनुरूप लोगों के न जुटने में उनकी उम्मीदवारी के प्रति समर्थन को घटते हुए देखा/पहचाना जा रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कैसा हो - इसे लेकर लोगों के बीच जो आकलन और मूल्यांकन हो रहा है, उसमें भी अवतार कृष्ण के मुकाबले शिव कुमार चौधरी को मात खानी पड़ रही है । मजे की बात यह है कि शिव कुमार चौधरी की उम्मीदवारी के कई एक समर्थक ही यह स्वीकार करते हुए सुने गए हैं कि व्यक्तित्व के मामले में अवतार कृष्ण का पलड़ा भारी दिखता है । इससे भी ज्यादा मजे की बात यह है कि लोगों के बीच व्यक्तित्व के मामले में कमजोर पड़ने का यह मौका खुद शिव कुमार चौधरी ने ही बनाया है - उम्मीदवार के रूप में उन्होंने अपना बायोडेटा ही प्रसारित नहीं किया है । उनके कुछेक समर्थकों ने जब उनका ध्यान इस बात की तरफ दिलाया और बायोडेटा प्रसारित करने की जरूरत को रेखांकित किया तो उनका जबाव था कि बायोडेटा से क्या होता है, उसे कौन पढ़ता/देखता है ? यही बात लेकिन उनके खिलाफ हो गई है । लोगों को यह कहने का मौका मिला है कि शिव कुमार चौधरी के पास बायोडेटा में लिखने/बताने को कुछ है ही नहीं, इसीलिए उन्होंने अपने बायोडेटा को प्रसारित नहीं किया है ।
इसी बिना पर कई लोगों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी अभी युवा हैं, अभी उन्हें लायनिज्म के लिए काम करना चाहिए ताकि वह अपना बायोडेटा बना सकें और उसे लोगों को दिखा सकें - और तब उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने के बारे में सोचना चाहिए । दूसरे लोग भले ही यह सब कह रहे हों, किंतु शिव कुमार चौधरी के खासमख़ासों का दावा है कि शिव कुमार चौधरी ने लोगों को जो महँगे महँगे गिफ्ट दिए हैं, उन्हें लेने वाले लोग उनके बायोडेटा की कोई परवाह नहीं करेंगे और गिफ्ट के बदले में वोट शिव कुमार चौधरी को ही देंगे । उनका कहना है कि लायन राजनीति में बायोडेटा का नहीं, गिफ्ट का महत्व होता है और गिफ्ट देने की होड़ में अवतार कृष्ण हमारे शिव कुमार चौधरी के मुकाबले कहीं नहीं टिकते हैं । खुद शिव कुमार चौधरी ने कई बार अवतार कृष्ण की खिल्ली उड़ाते हुए बताया है कि अवतार कृष्ण कहीं जाते हैं तो लोगों को अपना बायोडेटा देते हैं; जबकि मैं लोगों को गिफ्ट देता हूँ । सचमुच, सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को गिफ्ट और बायोडेटा के बीच का मुकाबला जिस तरह बना दिया गया है; उसके चलते यह देखना वास्तव में दिलचस्प होगा कि जीतता कौन है - गिफ्ट या बायोडेटा ?