Tuesday, September 29, 2020

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स में पहले तो प्रेसीडेंट पद का निजी खुन्नस में दुरुपयोग करने और अब वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव में अपना वोट/समर्थन राजेश शर्मा को 'बेचने' के आरोपों के चलते अतुल गुप्ता की मुसीबतें और बढ़ीं; तथा उन्हें बचाने की कोशिशों में विजय झालानी भी विवाद में फँसे

नई दिल्ली । मोहित बंसल मामले में फँसे इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता को बचाने के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा तथा विजय झालानी ने जो मोर्चा संभाला है, उससे इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी आ गई है । उक्त मामले में अतुल गुप्ता की बुरी तरह फँसी गर्दन को निकालने के लिए राजेश शर्मा लगातार मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के मंत्री से लेकर अधिकारियों तक के चक्कर काट रहे हैं, और अतुल गुप्ता को बचाने की तरकीबें ढूँढ़ने में लगे हुए हैं । अपने इस 'लगे होने' का कारण बताते हुए खुद राजेश शर्मा ने दावा किया है कि उक्त मामले में बचाने की उनकी कोशिशों के बदले में अतुल गुप्ता ने वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव में उनका समर्थन करने की कसम खाई है । राजेश शर्मा के इस दावे ने वाइस प्रेसीडेंट पद के दूसरे संभावित उम्मीदवारों को भड़का दिया है, और वह प्रेसीडेंट के रूप में अतुल गुप्ता की निजी खुन्नस निकालने की हरकत को लेकर अतुल गुप्ता को निशाना बना रहे हैं । अतुल गुप्ता को निशाना बनाने वाले सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को मनाने की जिम्मेदारी विजय झालानी ने संभाली है, जिसके तहत उनके द्वारा कुछेक सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को अपने घर पार्टी देने की बात भी चर्चा में है ।
विजय झालानी की सक्रियता ने सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को और भड़का दिया है । दरअसल विजय झालानी सेंट्रल काउंसिल में गवर्नमेंट नॉमिनी हैं, इसलिए सेंट्रल काउंसिल सदस्य यह बात पसंद नहीं करते हैं कि वह इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति/व्यवस्था में किसी भी तरह से कोई हस्तक्षेप करें । गवर्नमेंट नॉमिनी हस्तक्षेप करते भी नहीं हैं । विजय झालानी का मामला लेकिन अलग है । असल में, कुछ समय पहले तक वह इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में खासे सक्रिय थे, और चुनाव जीत कर सेंट्रल काउंसिल में आने की हसरत रखते थे । चुनाव जीत कर सेंट्रल काउंसिल में आने की हसरत तो उनकी पूरी नहीं हो सकी, लेकिन गवर्नमेंट नॉमिनी के रूप में सेंट्रल काउंसिल में आने का जुगाड़ उन्होंने कर लिया । जुगाड़ तो उन्होंने कर लिया, लेकिन गवर्नमेंट नॉमिनी के रूप में वह उन भटकती आत्माओं का प्रतिरूप बन गए, जो मुक्ति की तलाश में रहती हैं; मुक्ति पाने की 'कोशिशों' में विजय झालानी कई बार यह भूल जाते हैं कि सेंट्रल काउंसिल में वह सामने के रास्ते से नहीं, बल्कि पीछे के रास्ते से आए हैं - और इस चक्कर में कई बार उनकी सामने से आए सदस्यों से झड़पें भी हो चुकी हैं । मोहित बंसल के मामले में अतुल गुप्ता पर निजी खुन्नस के चलते प्रेसीडेंट पद का दुरुपयोग करने तथा कानूनी कार्रवाई में मोटी रकम खर्च करने को लेकर लगने वाले आरोपों से बनी स्थिति में विजय झालानी जिस तरह से अतुल गुप्ता का पक्ष लेते हुए नजर आ रहे हैं, उसे सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों ने गवर्नमेंट नॉमिनी के व्यवहार के अनुरूप नहीं माना/पाया है ।
सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का कहना है कि मोहित बंसल के मामले में दो वर्ष पहले के मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के स्पष्टीकरण का संज्ञान लेते हुए गवर्नमेंट नॉमिनी के रूप में विजय झालानी अपने कर्तव्य व जिम्मेदारी का पालन करने में तो विफल रहे ही, अतुल गुप्ता की हरकत पर सवाल उठाने वाले सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को 'चुप' करने/करवाने की उनकी कोशिशों ने तो 'हद ही पार' कर दी है । विजय झालानी के रवैये के खिलाफ सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के बीच अलग तरह की नाराजगी है, तो राजेश शर्मा के दावे पर अलग तरह का बबाल है । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का कहना है कि अतुल गुप्ता ने पहले तो अपनी निजी खुन्नस में प्रेसीडेंट पद का दुरुपयोग किया, और अब वाइस प्रेसीडेंट पद के चुनाव में अपना वोट/समर्थन 'बेच' कर वह और गंदगी फैला रहे हैं । अतुल गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए उनका वोट और समर्थन राजेश शर्मा के लिए होने की बात 'खुल' जाने के बाद वाइस प्रेसीडेंट पद के अन्य संभावित उम्मीदवारों ने अतुल गुप्ता के प्रति हमलावर रवैया अपना लिया है । ऐसे में, राजेश शर्मा की कोशिशों से तो अतुल गुप्ता को मदद मिलती फिलहाल नहीं दिख रही है, लेकिन राजेश शर्मा के 'दावे' के बाद भड़के सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने अतुल गुप्ता के लिए फजीहत वाले हालात बना/बढ़ा दिए हैं ।