नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में सेक्रेटरी, वाइस चेयरपरसन तथा कार्यकारी चेयरपरसन रहीं पूजा बंसल से अपनी खुन्नस निकालने के लिए इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट अतुल गुप्ता ने एक बार फिर उनके पति मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने/करवाने की तैयारी कर ली है । उल्लेखनीय है कि वर्षों पहले, मोहित बंसल के चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने से भी पहले उनके खिलाफ बने/चले एक आपराधिक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले की मनमानी व्याख्या करते हुए अतुल गुप्ता ने वर्ष 2018 में भी मोहित बंसल की सदस्यता को खत्म करवाने की चाल चली थी । तत्कालीन प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता को झाँसे में रख कर अतुल गुप्ता ने तैयारी तो पूरी की थी, लेकिन जैसे ही पोल खुली कि यह मामला 'टिकेगा' नहीं, तथा इसके चक्कर में इंस्टीट्यूट प्रशासन को फजीहत का सामना और करना पड़ जायेगा - नवीन गुप्ता ने पॉँव वापस खींच लिए थे । अतुल गुप्ता उस समय नवीन गुप्ता को तो मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने/करवाने के लिए राजी नहीं कर सके थे, लेकिन उन्हें लगता है कि अब जब वह खुद प्रेसीडेंट हैं, तो दो वर्ष पहले अधूरे छोड़े गए काम को वह अब पूरा कर सकते हैं । अतुल गुप्ता को लोगों के बीच कहते सुना गया है कि मोहित बंसल बाद में भले ही अपनी सदस्यता बहाल करवा लें, लेकिन एक बार के लिए तो मैं उन्हें प्रेसीडेंट की पॉवर दिखा कर और मजा चखा कर ही रहूँगा ।
मोहित बंसल ने इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों को तथ्यों से अवगत करवाते हुए एक विस्तृत पत्र लिखा है, जिसमें बताया गया है कि रीजनल काउंसिल के पदाधिकारी के रूप में पूजा बंसल ने कुछेक ऐसे फैसले लिए थे, जिनसे रीजनल काउंसिल में चेयरमैन के रूप में अतुल गुप्ता द्वारा की गई बेईमानियों की पोल खुली थी, और जिसके बाद अतुल गुप्ता तथा उनके भाई अरुण गुप्ता द्वारा इंस्टीट्यूट में किए जा रहे विभिन्न तरह के 'धंधों' को चोट पहुँची थी - उससे अतुल गुप्ता ने पूजा बंसल को सबक सिखाने का मौका देखना/खोजना शुरू कर दिया था । पूजा बंसल को सबक सिखाने के लिए ही प्रेसीडेंट पद के अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अतुल गुप्ता ने मोहित बंसल के खिलाफ दो वर्ष पहले 'खत्म' हो चुके मामले को फिर से जिंदा कर दिया है । उल्लेखनीय है कि दो वर्ष पहले, जब मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश की गई थी, तभी चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की पैरेंट बॉडी के रूप में देखी/पहचानी जाती मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स की तरफ से बाकायदा लिखित में यह स्पष्टीकरण आया था कि जिस आधार पर मोहित बंसल खिलाफ कार्रवाई करने की बात की जा रही है, वह किसी भी तरह से तर्कपूर्ण तथा नियमानुसार नहीं है, और वास्तव में वह कोई आधार बनता ही नहीं है । इस स्पष्टीकरण के आने के बाद ही, तत्कालीन प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता ने मोहित बंसल के खिलाफ कार्रवाई करने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया था ।
मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के उक्त स्पष्टीकरण से मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को भी अवगत करा दिया गया था, जहाँ उक्त स्पष्टीकरण को 'स्वीकार' कर लिया गया था । लेकिन लगता है कि प्रेसीडेंट होने के नशे में अतुल गुप्ता खुद को दोनों मिनिस्ट्रीज तथा प्रधानमंत्री कार्यालय से ऊपर समझ रहे हैं, और अपनी निजी खुन्नस निकालने के लिए मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने का फैसला कर/करवा लेना चाहते हैं । तथ्यों से अवगत होने के बाद, सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों को लग रहा है कि अतुल गुप्ता को इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट पद का निजी लाभ/खुन्नस के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए तथा इंस्टीट्यूट और प्रेसीडेंट पद की गरिमा व मर्यादा से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए । अतुल गुप्ता लेकिन अपने नजदीकियों के बीच दावा करते सुने गए हैं कि सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का कहना चाहें जो हो, वह मोहित बंसल की सदस्यता खत्म करने/करवाने का फैसला तो जरूर करेंगे । अतुल गुप्ता का कहना है कि सेंट्रल काउंसिल के सदस्यों को वह अच्छे से जानते/पहचानते हैं, उन्हें पता है कि किसी मुद्दे पर सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का समर्थन पाने/जुटाने के लिए उन्हें क्या करना होगा । अतुल गुप्ता के तेवरों से लगता है कि मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के स्पष्टीकरण तथा सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की असहमति के बावजूद वह पूजा बंसल से निजी खुन्नस निकालते हुए मोहित बंसल की सदस्यता की बलि चढ़ा ही देंगे ।