चंडीगढ़ । रोटरी फाउंडेशन ने जरूरी शर्तों को अनदेखा करते हुए डिस्ट्रिक्ट 3080 के
रोटरी ग्लोबल ग्रांट जीजी 1875158 के आवेदन को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत
97 हजार अमेरिकी डॉलर, यानि करीब 67 लाख रुपए दिए जायेंगे । यह
पैसा यूगांडा के मसाका शहर के हॉस्पिटल के मरीजों के ईलाज में तथा हॉस्पिटल
के मेडीकल स्टाफ को आँख, नाक, कान, गले, दाँत की देखभाल व उनके ईलाज के
लिए प्रशिक्षण देने पर खर्च किया जायेगा । इसके लिए डॉक्टरों तथा
वॉलिंटियर्स की एक टीम चंडीगढ़ से मसाका जाएगी । मसाका, चंडीगढ़ से करीब साढ़े पाँच
हजार किलोमीटर दूर है । मसाका की आबादी एक लाख से भी कम है । मरीज कहीं के
भी हों, उनके ईलाज की व्यवस्था होनी ही चाहिए, और यह व्यवस्था कोई भी कहीं
से भी कर सकता है । रोटरी इंटरनेशनल और रोटेरियंस ने मरीजों की देखभाल और
उनके ईलाज पर विशेष ध्यान केंद्रित किया हुआ है, और इसके लिए खासी तत्परता
के साथ काफी पैसा खर्च किया जाता है । हालाँकि पैसा कड़ी जाँच-पड़ताल के तहत
ही खर्च किया जाता है, खासकर भारत के डिस्ट्रिक्ट्स की तरफ से जाने वाले
आवेदनों की तो कड़ी जाँच-पड़ताल की जाती है । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर
सुशील गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3011 में पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर विनोद बंसल के क्लब के एक बड़े ग्रांट-प्रोजेक्ट की तीन बार ऑडिट
करने की जरूरत पड़ी, जिसके चलते विनोद बंसल तथा क्लब के अन्य पदाधिकारियों
के लिए शर्मिंदगी की स्थिति बनी । वित्तीय घपलेबाजी के आरोपों के चलते ही
डिस्ट्रिक्ट 3012 में सतीश सिंघल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त हुए
और डिस्ट्रिक्ट 3030 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निखिल किबे को रोटरी
से ही बाहर होना पड़ा । रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी गुलाम वहनवती पिछले
दिनों कई मौकों पर इस शर्मनाक तथ्य को बता चुके हैं कि भारत के कुछेक
मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण की
वजह से रोटरी इंटरनेशनल में भारत की छवि कलुषित हो रही है; इस तथ्य पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए उन्होंने बार-बार इसे बेहद शर्मनाक बताया है ।
इसके बावजूद, डिस्ट्रिक्ट 3080 के एक ग्रांट-आवेदन को जरूरी शर्तों को अनदेखा करते हुए मंजूर कर लिया जाता है । ऐसा इसलिए हो जाता है, क्योंकि इसके लिए पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू की जोरदार सिफारिश होती है । जाहिर है कि यह सुविधा हर किसी को नहीं मिलेगी । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल है कि मसाका जैसे एक छोटे से शहर में लोगों के नाक, कान, आँख, गले के ईलाज में ऐसी क्या इमरजेंसी आ गई कि राजा साबू को जरूरी शर्तों को पूरा किए बिना अपने ग्रांट-आवेदन को मंजूर करने के लिए कहना पड़ा, और रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन को उनकी बात मानने के लिए मजबूर भी होना पड़ा ? आरोपपूर्ण चर्चाओं के अनुसार, मामला इमरजेंसी ईलाज का नहीं है, इमरजेंसी तो राजा साबू और उनके नजदीकियों के मौज-मजे की है । उल्लेखनीय है कि मसाका, अफ्रीका की एक साफ पानी की अत्यंत सुंदर व मशहूर झील, लेक विक्टोरिया के पश्चिम किनारे पर बसा शहर है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना/पहचाना जाता है । वहाँ घूमने/फिरने के लिहाज से जुलाई/अगस्त के महीने को ही उपयुक्त देखा/माना जाता है । राजा साबू ने जुलाई महीने में ही वहाँ के मरीजों के ईलाज की तैयारी की थी । मूल रूप में यह राजा साबू के क्लब का ही प्रोजेक्ट था । लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा ने प्रोजेक्ट को पूरा ब्यौरा जाने बिना प्रोजेक्ट के आवेदन पर हस्ताक्षर करने से चूँकि मना कर दिया था, इसलिए राजा साबू का यह प्रोजेक्ट खटाई में पड़ता दिख रहा था । ज्यादा देर होती तो मरीजों के ईलाज के बहाने जुलाई/अगस्त के सुहाने मौसम में मसाका घूमने जाने का मौका राजा साबू और उनके साथियों से छिन जाता । इसलिए अपने पूर्व प्रेसीडेंट होने के कारण बने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राजा साबू ने जरूरी शर्तों को पूरा किए बिना ही रोटरी फाउंडेशन से ग्रांट मंजूर करवा ली है ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों के लिए हैरानी की बात यह है कि राजा साबू को अपने डिस्ट्रिक्ट के भौगिलिक क्षेत्र - यानि चंडीगढ़, यमुनानगर, देहरादून, सहारनपुर, रुड़की, अंबाला, पानीपत तथा इनके आसपास के क्षेत्रों में नाक, कान, आँख, गले के मरीज दिखाई नहीं देते हैं क्या ? यह क्षेत्र, और खासकर उत्तराखंड का क्षेत्र इस समय बारिश और बाढ़ की भारी तबाही का शिकार है, और वहाँ राहत-कार्यों की तत्काल जरूरत है - राजा साबू और उनके साथी, पूर्व गवर्नर शाजु पीटर व मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल, उनकी तबाही पर ध्यान न देते हुए लेकिन मसाका जाने की तैयारी कर रहे हैं या करवा रहे हैं । इस ग्रांट के लिए जिस खुफिया तरीके से तैयारी की गई है, वही ग्रांट के नाम पर होने वाली घपलेबाजी के संदेह खड़ा करती है । रोटरी फाउंडेशन के नियमानुसार, डिस्ट्रिक्ट में ग्लोबल ग्रांट के आवेदन पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के भी हस्ताक्षर होना जब जरूरी हैं, तब सवाल यही है कि राजा साबू, शाजु पीटर और प्रवीन गोयल की तिकड़ी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा से तथ्यों को छिपा क्यों रही है; और क्यों जरूरी शर्तों को पूरा किए बिना ग्लोबल ग्रांट को मंजूर करवाया गया है ? रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे गुलाम वहनवती, जो भारत के कुछेक मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण के कारण रोटरी इंटरनेशनल में भारत के लिए बनने वाली शर्मनाक स्थिति का रोना रोते रहते हैं, इस मामले में आश्चर्यजनक रूप से चुप हैं । कुछेक लोगों का तो आरोप है कि शर्तों को पूरा किए बिना राजा साबू की ग्लोबल ग्रांट मंजूर करवाने का काम गुलाम वहनवती ने ही किया है । देखना दिलचस्प होगा कि इसके बाद भी रोटरी के कार्यक्रमों में गुलाम वहनवती भारत के कुछेक मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण के कारण रोटरी इंटरनेशनल में भारत के लिए बनने वाली शर्मनाक स्थिति की बात पर घड़ियाली आँसू बहाना जारी रखते हैं, या इस मामले को छोड़ देते हैं ।
इसके बावजूद, डिस्ट्रिक्ट 3080 के एक ग्रांट-आवेदन को जरूरी शर्तों को अनदेखा करते हुए मंजूर कर लिया जाता है । ऐसा इसलिए हो जाता है, क्योंकि इसके लिए पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू की जोरदार सिफारिश होती है । जाहिर है कि यह सुविधा हर किसी को नहीं मिलेगी । किसी के लिए भी यह समझना मुश्किल है कि मसाका जैसे एक छोटे से शहर में लोगों के नाक, कान, आँख, गले के ईलाज में ऐसी क्या इमरजेंसी आ गई कि राजा साबू को जरूरी शर्तों को पूरा किए बिना अपने ग्रांट-आवेदन को मंजूर करने के लिए कहना पड़ा, और रोटरी फाउंडेशन के चेयरमैन को उनकी बात मानने के लिए मजबूर भी होना पड़ा ? आरोपपूर्ण चर्चाओं के अनुसार, मामला इमरजेंसी ईलाज का नहीं है, इमरजेंसी तो राजा साबू और उनके नजदीकियों के मौज-मजे की है । उल्लेखनीय है कि मसाका, अफ्रीका की एक साफ पानी की अत्यंत सुंदर व मशहूर झील, लेक विक्टोरिया के पश्चिम किनारे पर बसा शहर है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना/पहचाना जाता है । वहाँ घूमने/फिरने के लिहाज से जुलाई/अगस्त के महीने को ही उपयुक्त देखा/माना जाता है । राजा साबू ने जुलाई महीने में ही वहाँ के मरीजों के ईलाज की तैयारी की थी । मूल रूप में यह राजा साबू के क्लब का ही प्रोजेक्ट था । लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा ने प्रोजेक्ट को पूरा ब्यौरा जाने बिना प्रोजेक्ट के आवेदन पर हस्ताक्षर करने से चूँकि मना कर दिया था, इसलिए राजा साबू का यह प्रोजेक्ट खटाई में पड़ता दिख रहा था । ज्यादा देर होती तो मरीजों के ईलाज के बहाने जुलाई/अगस्त के सुहाने मौसम में मसाका घूमने जाने का मौका राजा साबू और उनके साथियों से छिन जाता । इसलिए अपने पूर्व प्रेसीडेंट होने के कारण बने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राजा साबू ने जरूरी शर्तों को पूरा किए बिना ही रोटरी फाउंडेशन से ग्रांट मंजूर करवा ली है ।
डिस्ट्रिक्ट के लोगों के लिए हैरानी की बात यह है कि राजा साबू को अपने डिस्ट्रिक्ट के भौगिलिक क्षेत्र - यानि चंडीगढ़, यमुनानगर, देहरादून, सहारनपुर, रुड़की, अंबाला, पानीपत तथा इनके आसपास के क्षेत्रों में नाक, कान, आँख, गले के मरीज दिखाई नहीं देते हैं क्या ? यह क्षेत्र, और खासकर उत्तराखंड का क्षेत्र इस समय बारिश और बाढ़ की भारी तबाही का शिकार है, और वहाँ राहत-कार्यों की तत्काल जरूरत है - राजा साबू और उनके साथी, पूर्व गवर्नर शाजु पीटर व मौजूदा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल, उनकी तबाही पर ध्यान न देते हुए लेकिन मसाका जाने की तैयारी कर रहे हैं या करवा रहे हैं । इस ग्रांट के लिए जिस खुफिया तरीके से तैयारी की गई है, वही ग्रांट के नाम पर होने वाली घपलेबाजी के संदेह खड़ा करती है । रोटरी फाउंडेशन के नियमानुसार, डिस्ट्रिक्ट में ग्लोबल ग्रांट के आवेदन पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के भी हस्ताक्षर होना जब जरूरी हैं, तब सवाल यही है कि राजा साबू, शाजु पीटर और प्रवीन गोयल की तिकड़ी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा से तथ्यों को छिपा क्यों रही है; और क्यों जरूरी शर्तों को पूरा किए बिना ग्लोबल ग्रांट को मंजूर करवाया गया है ? रोटरी फाउंडेशन में ट्रस्टी के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे गुलाम वहनवती, जो भारत के कुछेक मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण के कारण रोटरी इंटरनेशनल में भारत के लिए बनने वाली शर्मनाक स्थिति का रोना रोते रहते हैं, इस मामले में आश्चर्यजनक रूप से चुप हैं । कुछेक लोगों का तो आरोप है कि शर्तों को पूरा किए बिना राजा साबू की ग्लोबल ग्रांट मंजूर करवाने का काम गुलाम वहनवती ने ही किया है । देखना दिलचस्प होगा कि इसके बाद भी रोटरी के कार्यक्रमों में गुलाम वहनवती भारत के कुछेक मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण के कारण रोटरी इंटरनेशनल में भारत के लिए बनने वाली शर्मनाक स्थिति की बात पर घड़ियाली आँसू बहाना जारी रखते हैं, या इस मामले को छोड़ देते हैं ।