मेरठ । मनीष शारदा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक जैन के
लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी है । दरअसल दीपक जैन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी पद के लिए शशिकांत गोयल की उम्मीदवारी का समर्थन करने की तैयारी कर
रहे थे, और ऐसा करके वह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर एमएस जैन की नाराजगी दूर
करने का दाँव चल रहे थे । रोटरी क्लब मेरठ प्रभात के शशिकांत गोयल को एमएस
जैन के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । एमएस जैन ने ही दीपक
जैन को भी उम्मीदवारी के लिए प्रेरित किया था, और उनको जीत दिलाने में
महत्त्वपूर्ण भूमिका दिलवाई थी; जीतने के बाद दीपक जैन ने लेकिन एमएस जैन
को दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल फेंका और उनकी अपेक्षाओं के मुताबिक
उन्हें कोई पद या तवज्जो नहीं दी । दीपक जैन के रवैये से अपमानित महसूस
करने वाले एमएस जैन डिस्ट्रिक्ट में अलग-थलग पड़ गए । जल्दी ही होने वाले
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के लिए अपने क्लब के शशिकांत गोयल
को उम्मीदवार बनवा कर एमएस जैन ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में वापस
लौटने की कोशिश की, तो उनकी कोशिश को दीपक जैन का समर्थन मिलता नजर आया ।
दीपक जैन के नजदीकियों के अनुसार, शशिकांत गोयल की उम्मीदवारी का समर्थन
करने के जरिये दीपक जैन ने वास्तव में एमएस जैन से संबंध सुधारने की दिशा में कदम बढ़ाने का काम किया है ।
दीपक जैन को उम्मीद रही कि शशिकांत गोयल की उम्मीदवारी को वह समर्थन
देंगे, तो एमएस जैन उनके प्रति पाली हुई नाराजगी को भूल जायेंगे और उनके
कार्यों तथा फैसलों का समर्थन करने लगेंगे । मनीष शारदा की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने लेकिन एमएस जैन से सबंध सुधारने की दीपक जैन की कोशिशों में पलीता लगा दिया है ।
मनीष
शारदा रोटरी क्लब मेरठ महान के सदस्य हैं, जो डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर जीएस
धामा का क्लब है । इस नाते मनीष शारदा को विश्वास है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
दीपक जैन का समर्थन उन्हें ही मिलेगा । मनीष शारदा को पक्का भरोसा है
कि दीपक जैन के लिए जीएस धामा के क्लब के उम्मीदवार को छोड़ कर एमएस जैन के
क्लब के उम्मीदवार का समर्थन करना किसी भी तरह से संभव नहीं होगा । दीपक
जैन के नजदीकियों के अनुसार, मनीष शारदा का यह भरोसा सच भी है; मनीष शारदा
की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के बाद दीपक जैन सचमुच मुसीबत में फँस गए हैं
और शशिकांत गोयल की उम्मीदवारी के समर्थन से वह पीछे हटते दिख रहे हैं ।
दूसरे लोगों को भी लग रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक जैन
जिस तरह से नाकारा साबित हो रहे हैं, और डिस्ट्रिक्ट के सामान्य कामकाज तक
या तो ठप पड़े हैं और या लेट-लतीफी का शिकार बने हुए हैं; वैसे में जीएस
धामा तथा उनके क्लब के लोगों को भी नाराज करने का खतरा दीपक जैन नहीं
उठायेंगे । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट में जो थोड़े से काम हुए भी हैं, वह
जीएस धामा और उनके क्लब के लोगों की मदद से ही हो सकेंगे । अन्यथा दीपक
जैन के गवर्नर-काल का हाल यह है कि लोगों को अभी तक यही नहीं पता है कि
डिस्ट्रिक्ट टीम में कौन कौन प्रमुख पदाधिकारी है । क्लब्स के पदाधिकारियों की भी आधिकारिक सूची अभी तक लोगों को उपलब्ध नहीं हो सकी है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की क्लब्स के पदाधिकारियों के साथ होने वाली आधिकारिक मीटिंग (जीओवी) में
कुछ पता न होने के कारण दीपक जैन प्रायः चुपचाप ही बैठने को मजबूर होते हैं, और मीटिंग में मौजूद कोई वरिष्ठ रोटेरियन
ही जीओवी की औपचारिकता पूरी करता है । दीपक जैन दरअसल वोटों की खरीद-फरोख्त
करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद तो पा गए हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के
पद की जिम्मेदारी सँभालने की काबिलियत हासिल नहीं कर पाए हैं - और इसका
खामियाजा डिस्ट्रिक्ट को भुगतना पड़ रहा है ।
ऐसे में,
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई में दिलचस्पी रखने वाले लोगों
को यह भी लग रहा है कि दीपक जैन का समर्थन शशिकांत गोयल को नहीं मिलेगा और
मनीष शारदा को मिल जायेगा - तो क्या हो जायेगा ? अधिकतर लोगों का कहना है
कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक जैन जिस तरह से नाकारा साबित हो रहे
हैं, उसे देखते हुए लगता नहीं है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के
चुनाव में - किसी के पक्ष में कोई बेईमानी करने के अलावा - वह कोई राजनीतिक
भूमिका सचमुच निभा भी पायेंगे । शशिकांत गोयल और मनीष शारदा, दोनों की
ही समस्या यह है कि दोनों का ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ कोई परिचय
नहीं है । उनके काम-काज की और उनकी क्षमताओं की डिस्ट्रिक्ट के लोगों के
बीच कोई पहचान नहीं है; उनके लिए सबसे बड़ी मुसीबत यह है कि दोनों के ही
क्लब्स ने दीपक जैन और श्रीहरि गुप्ता के बीच हुए चुनाव में मेरठ के
उम्मीदवार श्रीहरि गुप्ता की खिलाफत की थी, जिस कारण उनके लिए अब मेरठ में
ही समर्थन जुटाना मुश्किल होगा । दोनों के
मेरठ के होने के कारण दोनों एक-दूसरे को ही वोटों की चोट पहुँचायेंगे, वह बात अलग से है और 'कंगाली में आटे के गीले' होने की कहावत को चरितार्थ करती है -
जिसका फायदा तीसरे उम्मीदवार के रूप में रोटरी क्लब मुरादाबाद ब्राइट की
दीपा खन्ना को हो सकता है । दीपा खन्ना की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद
राजकमल गुप्ता जिस सहयोगभावना के साथ अपनी उम्मीदवारी से पीछे हट गए हैं,
उसके कारण दीपा खन्ना मुरादाबाद से अकेली उम्मीदवार रह गई हैं । मुरादाबाद
में दीपा खन्ना को इस कारण भी एकतरफा समर्थन मिलता नजर आ रहा है क्योंकि
मुरादाबाद में कई लोगों को लग रहा है कि मेरठ के बाद अब मुरादाबाद में भी
महिला गवर्नर होनी चाहिए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक जैन को मुरादाबाद में किसी
किसी को उकसाने और उम्मीदवार बनाने की कोशिश करने के मामले में सक्रिय
सुना/बताया तो जा रहा है, लेकिन उनके भरोसे कोई उम्मीदवार बनने को राजी हो
जायेगा - इसकी संभावना कम ही दिख रही है । अपने अपने उम्मीदवारों के साथ एमएस जैन और जीएस धामा
के आमने-सामने हो जाने तथा दीपक जैन के उनके बीच फँस जाने की स्थिति से
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनावी परिदृश्य दिलचस्प तो हो ही गया है ।