नई
दिल्ली । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल ने अपने राजनीतिक स्वार्थ
साधने के चक्कर में एक तरफ इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट भरत पांड्या के लिए
मुसीबत खड़ी कर दी है, तो दूसरी तरफ अपने ही क्लब के प्रेसीडेंट अजय
अग्रवाल के लिए फजीहत वाली स्थिति बना दी है । रमेश
अग्रवाल के क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के नए पदाधिकारियों के 14 जुलाई
को हो रहे अधिष्ठापन समारोह में भरत पांड्या को मुख्य अतिथि के रूप में
आमंत्रित किया गया है । भरत पांड्या को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित
करने का आईडिया रमेश अग्रवाल का है, जिसे क्लब के प्रेसीडेंट ने पहले तो
खुशी खुशी स्वीकार कर लिया - लेकिन जब उन्हें 'पता' चला कि ऐसा करने की
प्रक्रिया में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी आलोक गुप्ता और डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता को तो छोड़िये, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन तक
को उपेक्षित व अपमानित किया गया है, तब प्रेसीडेंट अजय अग्रवाल का माथा
ठनका । दरअसल भरत पांड्या का कार्यक्रम तय करने से पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
सुभाष जैन तक को विश्वास में नहीं लिया गया, ताकि सुभाष जैन को उस कार्यक्रम से दूर रखा जा सके । समझा
जाता है कि यह रमेश अग्रवाल की चालबाजी रही कि वह यदि पहले से सुभाष जैन
तथा अन्य दो पदाधिकारियों को 14 जुलाई के कार्यक्रम में भरत पांड्या के आने
की बात बताते, तो यह लोग उस दिन और कोई कार्यक्रम तय नहीं करते; इन तीनों
को 14 जुलाई के कार्यक्रम का निमंत्रण तब मिला जब यह उस दिन के लिए अपने
कार्यक्रम तय कर चुके हैं । इस तरह रमेश अग्रवाल ने 'साँप भी मार दिया और
लाठी को भी टूटने से बचा लिया' - रोटरी इंटरनेशनल के तीनों पदाधिकारियों को
14 जुलाई के कार्यक्रम का निमंत्रण भी दे दिया गया है, और यह भी सुनिश्चित
कर लिया गया है कि यह तीनों कार्यक्रम में आ न सकें; और भरत पांड्या के साथ रमेश अग्रवाल को ज्यादा समय बिताने का मौका मिल सके ।
रमेश अग्रवाल को भरत पांड्या के साथ अकेले ज्यादा समय बिताने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि उन्हें भरत पांड्या से कई फेवर लेने हैं । इस वर्ष रोटरी रिसोर्स ग्रुप में कुछेक महत्त्वपूर्ण पद खाली होकर भरे जाने हैं, जिन पर रमेश अग्रवाल की निगाह है; वह रोटरी इंडिया विन्स के सेक्रेटरी पद से 'ऊपर' उठना चाह रहे हैं, और इस काम में भरत पांड्या उनकी मदद कर सकते हैं । इसके अलावा, भरत पांड्या को अगले कुछ दिनों में अगले रोटरी वर्ष में होने वाली जोन इंस्टीट्यूट के लिए प्रमुख पदाधिकारियों का चयन करना है - और रमेश अग्रवाल को उन प्रमुख पदाधिकारियों की सूची में भी अपना नाम लिखवाना है । यही कुछ जुगाड़ बैठाने के लिए रमेश अग्रवाल ने भरत पांड्या को अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है । समारोह में पधारे भरत पांड्या और उनके बीच कोई 'डिस्टरबेंस' न हो - इसके लिए उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन के साथ ऐसा व्यवहार किया कि सुभाष जैन कार्यक्रम में पहुँच ही न सकें । भरत पांड्या चूँकि दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता के डायरेक्टर होंगे, और इस कारण से यह दोनों भी भरत पांड्या के साथ संबंध बनाने के उनके प्रयासों को डिस्टर्ब कर सकते हैं, इसलिए इन्हें भी सम्मानपूर्वक आमंत्रण नहीं दिया गया है, ताकि यह भी कार्यक्रम से दूर ही रहें । रमेश अग्रवाल की इस चालबाजी ने लेकिन भरत पांड्या के लिए खासी मुसीबत खड़ी कर दी है । रोटरी के प्रोटोकॉल के अनुसार, इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट के रूप में भरत पांड्या को किसी भी डिस्ट्रिक्ट में उसके गवर्नर को विश्वास में लेकर ही जाना चाहिए - और कम से कम किसी ऐसे कार्यक्रम में तो शामिल नहीं ही होना चाहिए, जिसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व अन्य दो पदाधिकारियों की उपेक्षा व अपमान हो रहा हो । रमेश अग्रवाल की चालबाजी के कारण लेकिन भरत पांड्या रोटरी के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए मजबूर हो गए हैं, और इससे रोटरी में उनकी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा ही ।
रमेश अग्रवाल की यह चालबाजी भरत पांड्या के लिए ही मुसीबत का कारण नहीं बनी है, बल्कि उनके क्लब के प्रेसीडेंट अजय अग्रवाल के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है । रमेश अग्रवाल की हरकत के चलते अजय अग्रवाल के सामने अपने प्रेसीडेंट पद का कार्यकाल शुरू होते ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की 'काली सूची' में आ जाने का खतरा पैदा हो गया है । क्लब के पिछले प्रेसीडेंट मोहित गुप्ता को भी रमेश अग्रवाल ने अपनी ऐसी ही हरकत से फँसाया था । मोहित गुप्ता के अधिष्ठापन समारोह की चाबी अपने पास रखते हुए रमेश अग्रवाल ने तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल को उक्त कार्यक्रम में उचित तरीके से आमंत्रित नहीं किया /करवाया था, जिसका बदला सतीश सिंघल ने सिर्फ मोहित गुप्ता से ही नहीं, बल्कि उनके पिता वरिष्ठ रोटेरियन सतीश गुप्ता तक से भी लिया । वह तो सतीश सिंघल चूँकि खुद फजीहत का शिकार हो गए और अपनी गवर्नरी पूरी नहीं कर सके, इसलिए सतीश सिंघल का बदला पूरा नहीं हो सका और मोहित गुप्ता व सतीश गुप्ता बच गए । सतीश सिंघल के साथ रमेश अग्रवाल का चूँकि छत्तीस का आँकड़ा था, इसलिए उनके साथ रमेश अग्रवाल ने जो व्यवहार किया, वह तो समझ में आता है; किंतु सुभाष जैन के साथ भी रमेश अग्रवाल 'दुश्मनों' जैसा व्यवहार करेंगे - यह किसी ने नहीं सोचा था । डीआरएफसी बनने में असफल रहने का ठीकरा रमेश अग्रवाल ने मुख्य तौर पर आलोक गुप्ता के सिर फोड़ा है, इसलिए भी सुभाष जैन के प्रति उनका यह व्यवहार हर किसी को चौंका ही रहा है । रमेश अग्रवाल को नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना हालाँकि यह है कि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है, रमेश अग्रवाल हैं ही ऐसे । रमेश अग्रवाल के बारे में किसी ने कहा भी है - 'ऐसा कोई सगा नहीं, रमेश अग्रवाल ने जिसे ठगा नहीं ।'
रमेश अग्रवाल को जानने वालों का कहना है कि रमेश अग्रवाल अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, इसलिए भरत पांड्या के सामने अकेले अपने आप को 'दिखाने' तथा भरत पांड्या की कृपा से कुछ बड़े पद पा लेने का जुगाड़ बैठाने के लिए उन्होंने अपने क्लब के नए पदाधिकारियों के एक प्रमुख कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के लिहाज से डिस्ट्रिक्ट के तीन पदाधिकारियों का ही पत्ता काट दिया है । आगे के दिनों में यह देखना/जानना दिलचस्प होगा कि इतना कुछ करने के बाद भी भरत पांड्या से रमेश अग्रवाल कुछ पाने में कामयाब होते हैं या नहीं !
रमेश अग्रवाल को भरत पांड्या के साथ अकेले ज्यादा समय बिताने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि उन्हें भरत पांड्या से कई फेवर लेने हैं । इस वर्ष रोटरी रिसोर्स ग्रुप में कुछेक महत्त्वपूर्ण पद खाली होकर भरे जाने हैं, जिन पर रमेश अग्रवाल की निगाह है; वह रोटरी इंडिया विन्स के सेक्रेटरी पद से 'ऊपर' उठना चाह रहे हैं, और इस काम में भरत पांड्या उनकी मदद कर सकते हैं । इसके अलावा, भरत पांड्या को अगले कुछ दिनों में अगले रोटरी वर्ष में होने वाली जोन इंस्टीट्यूट के लिए प्रमुख पदाधिकारियों का चयन करना है - और रमेश अग्रवाल को उन प्रमुख पदाधिकारियों की सूची में भी अपना नाम लिखवाना है । यही कुछ जुगाड़ बैठाने के लिए रमेश अग्रवाल ने भरत पांड्या को अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है । समारोह में पधारे भरत पांड्या और उनके बीच कोई 'डिस्टरबेंस' न हो - इसके लिए उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन के साथ ऐसा व्यवहार किया कि सुभाष जैन कार्यक्रम में पहुँच ही न सकें । भरत पांड्या चूँकि दीपक गुप्ता और आलोक गुप्ता के डायरेक्टर होंगे, और इस कारण से यह दोनों भी भरत पांड्या के साथ संबंध बनाने के उनके प्रयासों को डिस्टर्ब कर सकते हैं, इसलिए इन्हें भी सम्मानपूर्वक आमंत्रण नहीं दिया गया है, ताकि यह भी कार्यक्रम से दूर ही रहें । रमेश अग्रवाल की इस चालबाजी ने लेकिन भरत पांड्या के लिए खासी मुसीबत खड़ी कर दी है । रोटरी के प्रोटोकॉल के अनुसार, इंटरनेशनल डायरेक्टर इलेक्ट के रूप में भरत पांड्या को किसी भी डिस्ट्रिक्ट में उसके गवर्नर को विश्वास में लेकर ही जाना चाहिए - और कम से कम किसी ऐसे कार्यक्रम में तो शामिल नहीं ही होना चाहिए, जिसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व अन्य दो पदाधिकारियों की उपेक्षा व अपमान हो रहा हो । रमेश अग्रवाल की चालबाजी के कारण लेकिन भरत पांड्या रोटरी के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करने के लिए मजबूर हो गए हैं, और इससे रोटरी में उनकी छवि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा ही ।
रमेश अग्रवाल की यह चालबाजी भरत पांड्या के लिए ही मुसीबत का कारण नहीं बनी है, बल्कि उनके क्लब के प्रेसीडेंट अजय अग्रवाल के लिए भी परेशानी का सबब बन गई है । रमेश अग्रवाल की हरकत के चलते अजय अग्रवाल के सामने अपने प्रेसीडेंट पद का कार्यकाल शुरू होते ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की 'काली सूची' में आ जाने का खतरा पैदा हो गया है । क्लब के पिछले प्रेसीडेंट मोहित गुप्ता को भी रमेश अग्रवाल ने अपनी ऐसी ही हरकत से फँसाया था । मोहित गुप्ता के अधिष्ठापन समारोह की चाबी अपने पास रखते हुए रमेश अग्रवाल ने तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल को उक्त कार्यक्रम में उचित तरीके से आमंत्रित नहीं किया /करवाया था, जिसका बदला सतीश सिंघल ने सिर्फ मोहित गुप्ता से ही नहीं, बल्कि उनके पिता वरिष्ठ रोटेरियन सतीश गुप्ता तक से भी लिया । वह तो सतीश सिंघल चूँकि खुद फजीहत का शिकार हो गए और अपनी गवर्नरी पूरी नहीं कर सके, इसलिए सतीश सिंघल का बदला पूरा नहीं हो सका और मोहित गुप्ता व सतीश गुप्ता बच गए । सतीश सिंघल के साथ रमेश अग्रवाल का चूँकि छत्तीस का आँकड़ा था, इसलिए उनके साथ रमेश अग्रवाल ने जो व्यवहार किया, वह तो समझ में आता है; किंतु सुभाष जैन के साथ भी रमेश अग्रवाल 'दुश्मनों' जैसा व्यवहार करेंगे - यह किसी ने नहीं सोचा था । डीआरएफसी बनने में असफल रहने का ठीकरा रमेश अग्रवाल ने मुख्य तौर पर आलोक गुप्ता के सिर फोड़ा है, इसलिए भी सुभाष जैन के प्रति उनका यह व्यवहार हर किसी को चौंका ही रहा है । रमेश अग्रवाल को नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना हालाँकि यह है कि इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है, रमेश अग्रवाल हैं ही ऐसे । रमेश अग्रवाल के बारे में किसी ने कहा भी है - 'ऐसा कोई सगा नहीं, रमेश अग्रवाल ने जिसे ठगा नहीं ।'
रमेश अग्रवाल को जानने वालों का कहना है कि रमेश अग्रवाल अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, इसलिए भरत पांड्या के सामने अकेले अपने आप को 'दिखाने' तथा भरत पांड्या की कृपा से कुछ बड़े पद पा लेने का जुगाड़ बैठाने के लिए उन्होंने अपने क्लब के नए पदाधिकारियों के एक प्रमुख कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के लिहाज से डिस्ट्रिक्ट के तीन पदाधिकारियों का ही पत्ता काट दिया है । आगे के दिनों में यह देखना/जानना दिलचस्प होगा कि इतना कुछ करने के बाद भी भरत पांड्या से रमेश अग्रवाल कुछ पाने में कामयाब होते हैं या नहीं !