नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल रोटरी जोन 4 के किसी अन्य डिस्ट्रिक्ट में 'जाने' की तैयारी करते सुने जा रहे हैं । उनके
नजदीकियों के हवाले से सुना जा रहा है कि रमेश अग्रवाल डिस्ट्रिक्ट 3012
में जिस तरह से अलग-थलग पड़े हैं, उसके चलते उन्हें इंटरनेशनल डायरेक्टर पद
के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर पाना मुश्किल क्या, असंभव ही लग रहा है
- और इसीलिए वह जोन 4 के किसी ऐसे डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर ले लेना चाहते
हैं, जहाँ से वह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत
कर सकें । उल्लेखनीय है कि जोन 4 में वर्ष 2021-22 में इंटरनेशनल डायरेक्टर
पद का चुनाव होना है, जिसके लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी के सदस्यों का
चुनाव इस जोन के डिस्ट्रिक्ट्स में वर्ष 2020-21 में होगा । रमेश
अग्रवाल इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार बनने की तैयारी में हैं । इस
तैयारी में उन्हें लेकिन अपना खुद का डिस्ट्रिक्ट ही आड़े आता नजर आ रहा है ।
रमेश अग्रवाल अपने ही डिस्ट्रिक्ट में बुरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं ।
इसका अहसास उन्हें पिछले दिनों तब हुआ, जब डीआरएफसी बनने के लिए उन्होंने
एड़ी-चोटी का जोर लगा लिया; जिसके तहत उन्होंने डिस्ट्रिक्ट से लेकर रोटरी के बड़े नेताओं तक
में न जाने किस किस की खुशामद तक कर ली, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी आलोक
गुप्ता को धमकी तक दे डाली - लेकिन फिर भी वह डीआरएफसी न बन सके । रमेश
अग्रवाल ने बड़ी मिन्नतें कीं कि वह डीआरएफसी सिर्फ एक वर्ष ही रहेंगे, बाकी
के दो वर्ष जिसे चाहे उसे बना देना - लेकिन किसी ने उनकी एक न सुनी । उनका
कहना था कि वह यदि एक वर्ष भी डीआरएफसी के पद पर रह लेते हैं, तो
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए प्रस्तुत किया जाने वाला उनका बायोडेटा
स्ट्रॉन्ग हो जायेगा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट दीपक गुप्ता ने बड़ी चालाकी के साथ
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी आलोक गुप्ता पर उनका समर्थन न करने का दोष मढ़ दिया, जिस पर रमेश अग्रवाल ने
आलोक गुप्ता के लिए धमकी तक दे डाली कि मैं देखूँगा कि वह डिस्ट्रिक्ट में गवर्नरी कैसे करता है
?
तमाम खुशामद और धमकी के बावजूद रमेश अग्रवाल को जब अपने डिस्ट्रिक्ट में डीआरएफसी बनने का मौका नहीं मिला, तो उन्होंने बड़ी चाल चली और गुपचुप रूप से अपने डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3012 को विभाजित करवाने के लिए रोटरी इंटरनेशनल में आवेदन कर दिया । रोटरी इंटरनेशनल को उन्होंने जो ड्राफ्ट भेजा, उसमें दिल्ली और सोनीपत के क्लब्स को मिला कर एक अलग डिस्ट्रिक्ट बनाने की वकालत की गई । रमेश अग्रवाल ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता सहित रोटरी के अन्य कुछेक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों से सिफारिश की कि वह डिस्ट्रिक्ट 3012 को विभाजित करवा कर एक और नया डिस्ट्रिक्ट बनवा दें । हर किसी ने यह कहते/बताते हुए रमेश अग्रवाल को फटकारा ही कि तुम रोटरी के बड़े जानकर बनते हो, और इतनी सी बात नहीं जानते हो कि किसी भी डिस्ट्रिक्ट के विभाजित होने के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है, उसके बिना डिस्ट्रिक्ट को विभाजित नहीं किया जा सकता है । डिस्ट्रिक्ट को विभाजित करवाने की गुपचुप रूप से की गई रमेश अग्रवाल की हरकत की पोल खुली तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच भी उनकी किरकिरी हुई और गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के अन्य क्लब्स के उनके साथ देखे/पहचाने वाले प्रमुख लोगों से उनकी दूरी बनी/बढ़ी । इस तरह अपने लिए एक नया डिस्ट्रिक्ट बनवाने की कोशिश में रमेश अग्रवाल को रोटरी के बड़े नेताओं के बीच तो फजीहत झेलनी ही पड़ी, अपने डिस्ट्रिक्ट में उनका अकेलापन और बढ़ गया ।
इसके बाद से ही रमेश अग्रवाल को लगने लगा है कि डिस्ट्रिक्ट 3012 से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत कर पाना उनके लिए मुश्किल क्या, असंभव ही होगा । इसलिए रमेश अग्रवाल को जोन 4 के किसी अन्य डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर ले लेने की जरूरत महसूस होने लगी है । उन्हें लग रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उन्हें अपनी उम्मीदवारी यदि सचमुच प्रस्तुत करना है, तो उन्हें जल्दी से जल्दी किसी अन्य डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर ले लेना चाहिए । रमेश अग्रवाल के नजदीकियों के हवाले से लोगों के बीच चर्चा है कि रमेश अग्रवाल को लगता है कि रोटरी इंडिया विन्स के सेक्रेटरी के रूप में उन्होंने अपनी जो पहचान बनाई है, उसका इतना प्रभाव तो है कि किसी भी डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी उन्हें अपने यहाँ किसी क्लब में ले लेंगे । रमेश अग्रवाल किस डिस्ट्रिक्ट में जायेंगे, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है; लेकिन उनके नजदीकियों के हवाले से जो सुना जा रहा है उसके अनुसार, वह देख/समझ रहे हैं कि जोन 4 के किस डिस्ट्रिक्ट में पूर्व गवर्नर्स के बीच ज्यादा उठापटक नहीं है और कहाँ वह आराम से 'रह' सकते हैं तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए बिना किसी बाधा के अपनी राजनीति कर सकते हैं । लोगों के बीच जो चर्चा है, उसमें हालाँकि यह भी सुना/बताया जा रहा है कि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें सलाह दी है कि वह बदहवासी में ऐसा कोई फैसला न करें, जिसके लिए उन्हें बाद में पछताना पड़े । रमेश अग्रवाल के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि रमेश अग्रवाल के साथ यह बड़ी समस्या है कि प्रतिकूल हालात से वह तुरंत ही बौखला जाते हैं और फिर ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिससे उन्हें अंततः नुकसान उठाने के साथ-साथ फजीहत का भी शिकार होना पड़ता है । डीआरएफसी बनने तथा डिस्ट्रिक्ट को विभाजित करवाने के उनके प्रयासों में ऐसी ही बदहवासी देखी गई, जिसके नतीजे के रूप में उन्हें चौतरफा फजीहत ही झेलना पड़ी है । शुभचिंतकों व हमदर्दों की सलाह का रमेश अग्रवाल पर कोई असर होता है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा ।
तमाम खुशामद और धमकी के बावजूद रमेश अग्रवाल को जब अपने डिस्ट्रिक्ट में डीआरएफसी बनने का मौका नहीं मिला, तो उन्होंने बड़ी चाल चली और गुपचुप रूप से अपने डिस्ट्रिक्ट - डिस्ट्रिक्ट 3012 को विभाजित करवाने के लिए रोटरी इंटरनेशनल में आवेदन कर दिया । रोटरी इंटरनेशनल को उन्होंने जो ड्राफ्ट भेजा, उसमें दिल्ली और सोनीपत के क्लब्स को मिला कर एक अलग डिस्ट्रिक्ट बनाने की वकालत की गई । रमेश अग्रवाल ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता सहित रोटरी के अन्य कुछेक बड़े नेताओं व पदाधिकारियों से सिफारिश की कि वह डिस्ट्रिक्ट 3012 को विभाजित करवा कर एक और नया डिस्ट्रिक्ट बनवा दें । हर किसी ने यह कहते/बताते हुए रमेश अग्रवाल को फटकारा ही कि तुम रोटरी के बड़े जानकर बनते हो, और इतनी सी बात नहीं जानते हो कि किसी भी डिस्ट्रिक्ट के विभाजित होने के लिए एक प्रक्रिया का पालन करना होता है, उसके बिना डिस्ट्रिक्ट को विभाजित नहीं किया जा सकता है । डिस्ट्रिक्ट को विभाजित करवाने की गुपचुप रूप से की गई रमेश अग्रवाल की हरकत की पोल खुली तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच भी उनकी किरकिरी हुई और गाजियाबाद व उत्तर प्रदेश के अन्य क्लब्स के उनके साथ देखे/पहचाने वाले प्रमुख लोगों से उनकी दूरी बनी/बढ़ी । इस तरह अपने लिए एक नया डिस्ट्रिक्ट बनवाने की कोशिश में रमेश अग्रवाल को रोटरी के बड़े नेताओं के बीच तो फजीहत झेलनी ही पड़ी, अपने डिस्ट्रिक्ट में उनका अकेलापन और बढ़ गया ।
इसके बाद से ही रमेश अग्रवाल को लगने लगा है कि डिस्ट्रिक्ट 3012 से इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत कर पाना उनके लिए मुश्किल क्या, असंभव ही होगा । इसलिए रमेश अग्रवाल को जोन 4 के किसी अन्य डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर ले लेने की जरूरत महसूस होने लगी है । उन्हें लग रहा है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उन्हें अपनी उम्मीदवारी यदि सचमुच प्रस्तुत करना है, तो उन्हें जल्दी से जल्दी किसी अन्य डिस्ट्रिक्ट में ट्रांसफर ले लेना चाहिए । रमेश अग्रवाल के नजदीकियों के हवाले से लोगों के बीच चर्चा है कि रमेश अग्रवाल को लगता है कि रोटरी इंडिया विन्स के सेक्रेटरी के रूप में उन्होंने अपनी जो पहचान बनाई है, उसका इतना प्रभाव तो है कि किसी भी डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारी उन्हें अपने यहाँ किसी क्लब में ले लेंगे । रमेश अग्रवाल किस डिस्ट्रिक्ट में जायेंगे, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है; लेकिन उनके नजदीकियों के हवाले से जो सुना जा रहा है उसके अनुसार, वह देख/समझ रहे हैं कि जोन 4 के किस डिस्ट्रिक्ट में पूर्व गवर्नर्स के बीच ज्यादा उठापटक नहीं है और कहाँ वह आराम से 'रह' सकते हैं तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए बिना किसी बाधा के अपनी राजनीति कर सकते हैं । लोगों के बीच जो चर्चा है, उसमें हालाँकि यह भी सुना/बताया जा रहा है कि उनके शुभचिंतकों ने उन्हें सलाह दी है कि वह बदहवासी में ऐसा कोई फैसला न करें, जिसके लिए उन्हें बाद में पछताना पड़े । रमेश अग्रवाल के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि रमेश अग्रवाल के साथ यह बड़ी समस्या है कि प्रतिकूल हालात से वह तुरंत ही बौखला जाते हैं और फिर ऐसा कुछ कर जाते हैं, जिससे उन्हें अंततः नुकसान उठाने के साथ-साथ फजीहत का भी शिकार होना पड़ता है । डीआरएफसी बनने तथा डिस्ट्रिक्ट को विभाजित करवाने के उनके प्रयासों में ऐसी ही बदहवासी देखी गई, जिसके नतीजे के रूप में उन्हें चौतरफा फजीहत ही झेलना पड़ी है । शुभचिंतकों व हमदर्दों की सलाह का रमेश अग्रवाल पर कोई असर होता है या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा ।