Thursday, July 26, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार अमित गुप्ता की अपने क्लब के चार्टर डे समारोह को अपनी उम्मीदवारी के 'शक्ति-प्रदर्शन' के रूप में 'दिखाने' की कोशिश, डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तथा अन्य प्रमुख लोगों की बेरुखी के कारण फेल हुई

गाजियाबाद । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के चार्टर डे समारोह के राजनीतिक नजरिये से अप्रभावी और विफल रहने से अशोक अग्रवाल के समर्थकों और शुभचिंतकों ने राहत की साँस ली है । वह दरअसल अमित गुप्ता और उनके साथियों के उस प्रयास से थोड़ा घबराए हुए थे, जिसके तहत 21 जुलाई की बजाये 25 जुलाई को हुए इस समारोह को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अमित गुप्ता की उम्मीदवारी को हवा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा था । अमित गुप्ता की तरफ से क्लब्स के प्रेसीडेंट्स तथा डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में सक्रिय व महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे लोगों को आमंत्रित करने तथा उनकी उपस्थिति को संभव बनाने के प्रयास जिस तरह से हुए, उसके कारण लोगों के बीच चर्चा चली थी कि अमित गुप्ता इस समारोह को अपनी उम्मीदवारी के समर्थन में एक शक्ति-प्रदर्शन के रूप में देख रहे थे । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल चूँकि अमित गुप्ता के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुभाष जैन का भी क्लब है, इसलिए क्लब के चार्टर डे समारोह को कामयाब बनाने के लिए अमित गुप्ता को ज्यादा प्रयास करने की भी जरूरत नहीं थी - लेकिन फिर भी वह समारोह को लेकर दिन-रात एक किए हुए थे, उससे माना/समझा यह जा रहा था कि उनकी तरफ से पूरी कोशिश थी कि समारोह की कामयाबी का श्रेय उन्हें ही मिले; और कोई यह न कह सके कि क्लब के चार्टर डे समारोह में तो लोगों की भीड़ सुभाष जैन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के कारण जुटी । राजनीतिक नजरिये से अमित गुप्ता ने दाँव तो अच्छा चला और उसके लिए अपनी तरफ से मेहनत भी खूब की, लेकिन उम्मीद के मुताबिक सफलता न मिलने के कारण उनकी सारी मेहनत पर पानी फिर गया दिख रहा है । अमित गुप्ता की मेहनत पर फिरे पानी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के संदर्भ में उनके प्रतिद्धंद्धी दूसरे उम्मीदवार अशोक अग्रवाल के समर्थकों व शुभचिंतकों को बड़ी राहत दी है ।
अमित गुप्ता को सबसे तगड़ा झटका क्लब्स के प्रेसीडेंट्स की तरफ से लगा है । अमित गुप्ता की तरफ से प्रयास था कि वह ज्यादा से ज्यादा प्रेसीडेंट्स को समारोह में उपस्थित 'दिखा' सकें । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव की चाबी चूँकि प्रेसीडेंट्स के पास ही देखी/पहचानी जाती है, इसलिए माना/समझा जा रहा था कि अमित गुप्ता के 'द्वारा' आयोजित हो रहे समारोह में उनके निमंत्रण पर पहुँचे प्रेसीडेंट्स की संख्या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी का 'वजन' बढ़ाने का काम करेगी । लेकिन अमित गुप्ता के निमंत्रण पर पहुँचे प्रेसीडेंट्स की संख्या के 25 के आसपास ही रहने/दिखने से अमित गुप्ता का सारा प्लान और सारी तैयारी को तगड़ा झटका लगा है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में सक्रिय व महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे लोगों की उपस्थिति भी काफी कम दिखी/रही । अमित गुप्ता के लिए मुसीबत की बात यह रही कि उनके क्लब के चार्टर डे समारोह में प्रेसीडेंट्स तथा डिस्ट्रिक्ट के अन्य प्रमुख लोगों की जो उपस्थिति रही भी उसे क्लब की साख और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का क्लब होने के नतीजे के रूप में देखा/पहचाना गया - और उसका भी अमित गुप्ता को श्रेय नहीं दिया गया । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल को डिस्ट्रिक्ट और गाजियाबाद के एक अच्छे व प्रभावी क्लब के रूप में देखा/पहचाना जाता है; और इस क्लब के आयोजनों में पदाधिकारियों की इच्छानुसार व तैयारीनुसार भीड़ जुटती रही है । इस वर्ष तो क्लब को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का क्लब होने का भी 'रुतबा' मिला हुआ है, लिहाजा क्लब के चार्टर डे समारोह में जो भीड़ जुटी - उसे कोई बहुत अप्रत्याशित रूप में नहीं देखा/पहचाना गया; और इसलिए उसके लिए अमित गुप्ता को कोई श्रेय देता हुआ नहीं दिखा ।
और इस तरह अमित गुप्ता की एक अच्छी-खासी योजना और उसे क्रियान्वित करने की सारी तैयारी धरी की धरी रह गई है । चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों का मानना और कहना है कि अमित गुप्ता अपनी योजना को क्रियान्वित करने में चूँकि किसी बड़े नेता और या खेमे का सहयोग नहीं ले सके, इसलिए उनकी मेहनत लोगों के बीच विश्वसनीयता नहीं बना सकी । उनकी मेहनत में चूँकि उनके क्लब के सदस्य और पदाधिकारी भी उनके साथ नहीं नजर आये, इसलिए दूसरे क्लब्स के पदाधिकारियों - खासकर प्रेसीडेंट्स के बीच अमित गुप्ता के निमंत्रण को ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया गया । कुछेक लोगों का कहना है कि अमित गुप्ता ने क्लब के चार्टर डे समारोह की तैयारी को पूरी तरह अपने हाथ में ले लिया था, जिस कारण लोगों ने चार्टर डे समारोह को क्लब की बजाये अमित गुप्ता के कार्यक्रम के रूप में देखा/पहचाना और इसके राजनीतिक स्वरूप को देखते हुए इससे दूर रहने का फैसला किया । इस तरह, अमित गुप्ता की होशियारी उन्हें फायदा पहुँचाने की बजाये नुकसान पहुँचा गई । लोगों का मानना/कहना है कि चार्टर डे समारोह में जो लोग जुटे भी, उन्हें क्लब की साख होने तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का क्लब होने की पहचान होने के चलते समारोह में उपस्थित माना गया । इस मानने/समझने ने अमित गुप्ता के लिए उनके अपने क्लब के चार्टर डे के एक बढ़िया मौका बन सकने की संभावना को खत्म कर दिया । लोगों को लगता है और उनका कहना है कि इस विफलता ने अमित गुप्ता को दोहरा नुकसान पहुँचाया है । उनके लिए मुसीबत की बात सिर्फ यही नहीं है कि वह एक बढ़िया मौके का सही से इस्तेमाल नहीं कर सके, बल्कि इससे भी बड़ी मुसीबत की बात यह है कि इस विफलता ने लोगों को यह भी दिखाया/जताया है कि चुनावी प्रबंधन के मामले में वह एक अच्छे रणनीतिकार भी नहीं हैं ।