कानपुर । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की
कुर्सी पा चुकीं वंदना निगम तथा उनके पति श्याम निगम को अब अपने ही खेमे के
लोगों की तरफ से धोखेबाज होने का आरोप सुनना/झेलना पड़ रहा है और अपनी
गवर्नरी को बचाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है । उनके ही साथियों और नजदीकियों का कहना है कि गवर्नरी पाने के लालच में इन दोनों ने दीपक राज आनंद व अजय डैंग के साथ धोखा किया है ।
साथियों और नजदीकियों का कहना है कि यह दोनों दीपक राज आनंद व अजय डैंग के
साथ धोखा नहीं करते और इनके अधिकार व सम्मान को बचाने के लिए प्रयास करते,
तो भी वंदना निगम डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद पाती हीं - लेकिन दीपक राज
आनंद व अजय डैंग के सम्मान व अधिकार को अनदेखा करके इन्होंने एक बार फिर
साबित कर दिया है कि अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए वह किसी की भी बलि
चढ़ा सकते हैं । उल्लेखनीय है कि वंदना निगम हालाँकि यह दावा तो पहले से
ही करती रही हैं कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के नाम पर जो भी गड़बड़झाला हुआ
है, उसके लिए उन्हें नाहक ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है - जबकि उसके लिए
पूरी तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में दीपक राज आनंद जिम्मेदार हैं ।
वंदना निगम की इस बात का दीपक राज आनंद तथा दूसरे लोगों ने इसलिए बुरा नहीं
माना, क्योंकि उन्हें लगा कि वंदना निगम डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपना
भरोसा बनाये रखने के लिए ऐसा कह रही हैं । लोगों को लगा कि वंदना निगम
को चूँकि गवर्नरी करनी है और इसके लिए डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनका
भरोसा बने रहना जरूरी है, इसलिए वह यदि सारा दोष दीपक राज आनंद पर मढ़ रही
हैं, तो दीपक राज आनंद को इसे अनदेखा/अनसुना कर देना चाहिए; आखिर खेमे के
साथियों को मुसीबत के समय एक-दूसरे के लिए इतना तो करना ही चाहिए । निगम
दंपति ने लेकिन लॉस वेगास में जो रवैया दिखाया और जिस तरह से दीपक राज
आनंद व अजय डैंग के सम्मान व अधिकार को चुपचाप चोट पहुँचने दी, उसके चलते
दीपक राज आनंद व अजय डैंग तथा खेमे के अन्य साथियों ने अपने आप को निगम
दंपति के हाथों ठगा हुआ पाया है ।
दीपक राज आनंद, अजय डैंग तथा खेमे के अन्य सदस्यों का कहना है कि लायंस इंटरनेशनल ने जो फैसला लिया है, उससे ज्यादा झटका/धक्का तो उन्हें वंदना निगम और श्याम निगम के रवैये को देख कर लगा है । इन्होंने एकबार भी लीडरशिप के सामने यह नहीं कहा कि दीपक राज आनंद या अजय डैंग के साथ 'अन्याय' क्यों किया जा रहा है ? खेमे के लोगों का कहना है कि हो सकता है कि इनकी बात न सुनी जाती, और इनके कहने के बावजूद भी फैसला वही होता, जो हुआ है - लेकिन हमें इस बात की तसल्ली तो होती कि मुश्किल समय में यह हमारे साथ खड़े थे । लेकिन वंदना निगम और श्याम निगम की चुप्पी ने यह साबित किया कि ये सिर्फ मतलब के साथी हैं, और किसी के साथ भी कभी भी धोखा कर सकते हैं ।
वंदना निगम व श्याम निगम के प्रति उनके अपने खेमे में पैदा हुई नाराजगी तथा दीपक आनंद व अजय डैंग द्वारा लायंस इंटरनेशनल के फैसले की खामियों पर कानूनी सलाह लेने और अपने सम्मान व अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने के विकल्प पर विचार करने की खबरों से संकेत मिल रहे हैं कि वंदना निगम को गवर्नरी मिल तो गई है - लेकिन वह ज्यादा दिन उनके पास रह पायेगी, इसे लेकर लेकर संदेह है । लायंस इंटरनेशनल के फैसले में कानूनी खामी यह देखी/पहचानी जा रही है कि वंदना निगम और बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' करने के फैसले से साबित यह हो रहा है कि लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैध माना/पाया है; और यदि सचमुच डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैध माना/पाया गया है तो उसी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'चुने' गए अजय डैंग को उनका अधिकार क्यों नहीं दिया गया ? दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू का झगड़ा डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के 'होने' या 'न होने' को लेकर था - एक पक्ष कह रहा था कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हुई है, दूसरे पक्ष का दावा था कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस नहीं हुई है । लायंस इंटरनेशनल यदि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस 'होने' के दावे को सच मानता तो वंदना निगम व बलविंदर सैनी 'प्रोमोट' होते तथा अजय डैंग सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर घोषित होते; लेकिन यदि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस 'न होने' के दावे को सच मानता, तो ये तीनों पद पाने के अयोग्य माने जाते - और फिर व्यावहारिकता के तकाजे से यह होता कि वंदना निगम व बलविंदर सैनी 'नोमीनेट' होते और अजय डैंग को कुछ नहीं मिलता । लायंस इंटरनेशनल के फैसले में पेंच लेकिन यह फँसा है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की वैधता को लेकर तो कोई निर्णय नहीं लिया/दिया गया है, तथा वंदना निगम व बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' किया गया है । इन दोनों को 'नोमीनेट' की बजाये 'प्रोमोट' करने के फैसले से साबित होता है कि लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैध माना है - तब फिर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर उसमें हुई अजय डैंग की जीत को स्वीकार करने से क्यों इंकार कर दिया गया है ?
दीपक राज आनंद के बारे में लिए गए फैसले में तो और भी झोल देखा/पहचाना गया है । दीपक राज आनंद को लायनिज्म की छवि खराब करने के आरोप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त करने तथा उन्हें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का ओहदा न देने का फैसला हुआ है । दीपक राज आनंद का कहना/पूछना है कि उन्होंने ऐसा क्या किया है, जिससे लायनिज्म की छवि खराब हुई है । उनका कहना है कि उनके खिलाफ कभी कोई आरोप ही नहीं लगा, और उन्हें 'अपराधी' घोषित करने से पहले किसी भी मामले में न उनका पक्ष लिया गया । उनका दावा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्होंने सभी काम पूरी दक्षता से किए हैं, और उनके किसी भी काम में कभी कोई शिकायत नहीं हुई; सदस्यता वृद्धि के काम में तो उन्होंने रिकॉर्ड स्थापित किया है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के झमेले में भी उन पर जो आरोप लगे हैं, लायंस इंटरनेशनल ने उनमें भी किसी आरोप को सत्यापित नहीं किया है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में कुछेक क्लब्स को वोटिंग अधिकार न देने का जो आरोप उन पर लगा है, उन्हें लेकर भी उनका कहना/पूछना है कि जिस आधार पर वह क्लब्स को वोटिंग अधिकार नहीं दे रहे थे, उस 'आधार' पर वोटिंग अधिकार देने से इंकार करने का अधिकार उन्हें लायंस इंटरनेशनल के नियम-कानून ही देते हैं । और सौ बात की एक बात - वंदना निगम व बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' करने के जरिये जब लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैधता दे दी, उससे यही तो साबित हुआ है कि लायंस इंटरनेशनल ने तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है - तब फिर उन्हें किस बात की सजा ? लायंस इंटरनेशनल ने यदि आरोपों को सही पाया होता, तो वह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को अवैध घोषित करता और उसमें हुए फैसलों को अमान्य करता - वंदना निगम व बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' न करता ।
दीपक राज आनंद व अजय डैंग के अपने सम्मान और अधिकार को बचाने के लिए कानूनी कार्रवाई के विकल्पों पर विचार किए जाने की सूचना ने वंदना निगम के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को खतरे में डालने की संभावना पैदा कर दी है । वंदना निगम को डर हुआ है कि कानूनी कार्रवाई के चलते उन्हें मिला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद कहीं उनसे छिन न जाए । इस कारण से वंदना निगम और श्याम निगम तरह तरह से दीपक राज आनंद व अजय डैंग पर दबाव बन रहे हैं कि जो हुआ उसे एक दुःस्वप्न मान कर वह नई पहल की तरफ बढ़ें । दीपक राज आनंद व अजय डैंग और खेमे के दूसरे लोग लेकिन चूँकि लॉस बेगास में निगम दंपति द्वारा दर्शाये गए मतलबी व स्वार्थी रवैये से आहत महसूस कर रहे हैं, इसलिए वह अपने सम्मान और अधिकार को बचाने के साथ-साथ निगम दंपति को सबक भी सिखाना चाहते हैं । यानि डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू में उठा-पटक अभी और चलेगी तथा सीन में मजेदार ट्विस्ट यह आया है कि वंदना निगम और श्याम निगम को अपने ही लोगों के साथ की गई 'धोखाधड़ी' का भी भुगतान भुगतना होगा ।
दीपक राज आनंद, अजय डैंग तथा खेमे के अन्य सदस्यों का कहना है कि लायंस इंटरनेशनल ने जो फैसला लिया है, उससे ज्यादा झटका/धक्का तो उन्हें वंदना निगम और श्याम निगम के रवैये को देख कर लगा है । इन्होंने एकबार भी लीडरशिप के सामने यह नहीं कहा कि दीपक राज आनंद या अजय डैंग के साथ 'अन्याय' क्यों किया जा रहा है ? खेमे के लोगों का कहना है कि हो सकता है कि इनकी बात न सुनी जाती, और इनके कहने के बावजूद भी फैसला वही होता, जो हुआ है - लेकिन हमें इस बात की तसल्ली तो होती कि मुश्किल समय में यह हमारे साथ खड़े थे । लेकिन वंदना निगम और श्याम निगम की चुप्पी ने यह साबित किया कि ये सिर्फ मतलब के साथी हैं, और किसी के साथ भी कभी भी धोखा कर सकते हैं ।
वंदना निगम व श्याम निगम के प्रति उनके अपने खेमे में पैदा हुई नाराजगी तथा दीपक आनंद व अजय डैंग द्वारा लायंस इंटरनेशनल के फैसले की खामियों पर कानूनी सलाह लेने और अपने सम्मान व अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई लड़ने के विकल्प पर विचार करने की खबरों से संकेत मिल रहे हैं कि वंदना निगम को गवर्नरी मिल तो गई है - लेकिन वह ज्यादा दिन उनके पास रह पायेगी, इसे लेकर लेकर संदेह है । लायंस इंटरनेशनल के फैसले में कानूनी खामी यह देखी/पहचानी जा रही है कि वंदना निगम और बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' करने के फैसले से साबित यह हो रहा है कि लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैध माना/पाया है; और यदि सचमुच डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैध माना/पाया गया है तो उसी डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'चुने' गए अजय डैंग को उनका अधिकार क्यों नहीं दिया गया ? दरअसल डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू का झगड़ा डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के 'होने' या 'न होने' को लेकर था - एक पक्ष कह रहा था कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हुई है, दूसरे पक्ष का दावा था कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस नहीं हुई है । लायंस इंटरनेशनल यदि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस 'होने' के दावे को सच मानता तो वंदना निगम व बलविंदर सैनी 'प्रोमोट' होते तथा अजय डैंग सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर घोषित होते; लेकिन यदि लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस 'न होने' के दावे को सच मानता, तो ये तीनों पद पाने के अयोग्य माने जाते - और फिर व्यावहारिकता के तकाजे से यह होता कि वंदना निगम व बलविंदर सैनी 'नोमीनेट' होते और अजय डैंग को कुछ नहीं मिलता । लायंस इंटरनेशनल के फैसले में पेंच लेकिन यह फँसा है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस की वैधता को लेकर तो कोई निर्णय नहीं लिया/दिया गया है, तथा वंदना निगम व बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' किया गया है । इन दोनों को 'नोमीनेट' की बजाये 'प्रोमोट' करने के फैसले से साबित होता है कि लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैध माना है - तब फिर सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर उसमें हुई अजय डैंग की जीत को स्वीकार करने से क्यों इंकार कर दिया गया है ?
दीपक राज आनंद के बारे में लिए गए फैसले में तो और भी झोल देखा/पहचाना गया है । दीपक राज आनंद को लायनिज्म की छवि खराब करने के आरोप में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से बर्खास्त करने तथा उन्हें पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का ओहदा न देने का फैसला हुआ है । दीपक राज आनंद का कहना/पूछना है कि उन्होंने ऐसा क्या किया है, जिससे लायनिज्म की छवि खराब हुई है । उनका कहना है कि उनके खिलाफ कभी कोई आरोप ही नहीं लगा, और उन्हें 'अपराधी' घोषित करने से पहले किसी भी मामले में न उनका पक्ष लिया गया । उनका दावा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में उन्होंने सभी काम पूरी दक्षता से किए हैं, और उनके किसी भी काम में कभी कोई शिकायत नहीं हुई; सदस्यता वृद्धि के काम में तो उन्होंने रिकॉर्ड स्थापित किया है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के झमेले में भी उन पर जो आरोप लगे हैं, लायंस इंटरनेशनल ने उनमें भी किसी आरोप को सत्यापित नहीं किया है । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में कुछेक क्लब्स को वोटिंग अधिकार न देने का जो आरोप उन पर लगा है, उन्हें लेकर भी उनका कहना/पूछना है कि जिस आधार पर वह क्लब्स को वोटिंग अधिकार नहीं दे रहे थे, उस 'आधार' पर वोटिंग अधिकार देने से इंकार करने का अधिकार उन्हें लायंस इंटरनेशनल के नियम-कानून ही देते हैं । और सौ बात की एक बात - वंदना निगम व बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' करने के जरिये जब लायंस इंटरनेशनल ने डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को वैधता दे दी, उससे यही तो साबित हुआ है कि लायंस इंटरनेशनल ने तमाम आरोपों को खारिज कर दिया है - तब फिर उन्हें किस बात की सजा ? लायंस इंटरनेशनल ने यदि आरोपों को सही पाया होता, तो वह डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को अवैध घोषित करता और उसमें हुए फैसलों को अमान्य करता - वंदना निगम व बलविंदर सैनी को 'प्रोमोट' न करता ।
दीपक राज आनंद व अजय डैंग के अपने सम्मान और अधिकार को बचाने के लिए कानूनी कार्रवाई के विकल्पों पर विचार किए जाने की सूचना ने वंदना निगम के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को खतरे में डालने की संभावना पैदा कर दी है । वंदना निगम को डर हुआ है कि कानूनी कार्रवाई के चलते उन्हें मिला डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पद कहीं उनसे छिन न जाए । इस कारण से वंदना निगम और श्याम निगम तरह तरह से दीपक राज आनंद व अजय डैंग पर दबाव बन रहे हैं कि जो हुआ उसे एक दुःस्वप्न मान कर वह नई पहल की तरफ बढ़ें । दीपक राज आनंद व अजय डैंग और खेमे के दूसरे लोग लेकिन चूँकि लॉस बेगास में निगम दंपति द्वारा दर्शाये गए मतलबी व स्वार्थी रवैये से आहत महसूस कर रहे हैं, इसलिए वह अपने सम्मान और अधिकार को बचाने के साथ-साथ निगम दंपति को सबक भी सिखाना चाहते हैं । यानि डिस्ट्रिक्ट 321 बी टू में उठा-पटक अभी और चलेगी तथा सीन में मजेदार ट्विस्ट यह आया है कि वंदना निगम और श्याम निगम को अपने ही लोगों के साथ की गई 'धोखाधड़ी' का भी भुगतान भुगतना होगा ।