चंडीगढ़
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल 'सिर मुड़ाते ओले पड़ने' वाले मुहावरे के
उदाहरण बन गए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कुर्सी पर बैठे उन्हें अभी
मुश्किल से सप्ताह भर का समय हुआ है, कि चंडीगढ़ रोटरी क्लब सर्विस ट्रस्ट
द्वारा टैक्स न देने के चक्कर में ट्रस्ट की बिल्डिंग पर सील होने का खतरा मँडराने की खबरें अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित हुई हैं, जिसके चलते आम लोगों के बीच रोटरी की खासी बदनामी हुई है । प्रवीन
गोयल ने हालाँकि इस मामले पर इन पंक्तियों के लेखक से बात करते हुए दावा
किया है कि एक दो दिन में सारा टैक्स जमा करवा दिया जायेगा, और बिल्डिंग को
सील होने से बचा लिया जायेगा - लेकिन इस प्रकरण के अखबारों में प्रचारित
हो जाने से लोगों के बीच रोटरी की जो बदनामी हो चुकी है, उसे वापस लौटा
पाना तो मुश्किल ही होगा । पहली नजर में यह मामला व्यवस्थापकीय लापरवाही का
लग सकता है, जिसके लिए किन्हीं छोटे पदाधिकारियों/कर्मचारियों को
जिम्मेदार ठहरा कर मामले से हाथ झाड़ा जा सकता है; लेकिन अभी हाल ही में
निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी को विभिन्न ट्रस्टों के
हिसाब-किताब देने में राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के इंकार के मामले
के रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड तक पहुँचने का प्रसंग याद करें, तो टैक्स न देने
का यह मामला, जिसके चलते रोटरी की साख व प्रतिष्ठा धूल में मिलती नजर आ रही
है, राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के भ्रष्ट आचरण की पोल खोलने का काम
करता है । प्रवीन गोयल के लिए फजीहत की बात सिर्फ यही नहीं है कि
उनके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालते ही अखबारों में रोटरी की इस तरह
से बदनामी हो रही है, उनके लिए फजीहत की बात यह भी है कि उक्त ट्रस्ट उनके
ही क्लब का एक प्रमुख प्रोजेक्ट है - और यह क्लब पूर्व इंटरनेशनल
प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू तथा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर
मल्होत्रा का भी क्लब है ।
सर्विस सोसायटी के हिसाब-किताब पर राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स कुंडली मार कर बैठे हुए हैं; निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड तक गुहार लगा ली, लेकिन इसका हिसाब-किताब उन्हें नहीं मिल सका । नियमानुसार सर्विस सोसायटी के तीन प्रमुख पदाधिकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होते हैं - लेकिन इन तीनों में से किसी के पास सर्विस सोसायटी का हिसाब-किताब नहीं है । क्लब के मौजूदा व पूर्व पदाधिकारियों का भी कहना/बताना है कि राजा साबू, मधुकर मल्होत्रा, यशपाल दास, शाजु पीटर ही हिसाब-किताब में काला-सफेद करते रहते हैं, और उन्हें कभी हिसाब-किताब देखने को नहीं मिला है । रोटरी इंटरनेशनल के एक प्रमुख पदाधिकारी गुलाम वहनवती ने अभी पिछले दिनों ही चेन्नई में आयोजित हुई रोटरी जोन 4, 5 और 6 के डिस्ट्रिक्ट्स के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक में बड़ी स्पष्टता के साथ इस तथ्य को रेखांकित किया कि मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण की वजह से रोटरी इंटरनेशनल में भारत की छवि कलुषित हो रही है । उन्होंने इस तथ्य पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए इसे बेहद शर्मनाक बताया । इससे पहले फरवरी में हैदराबाद में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इलेक्ट के ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी गुलाम वहनवती ने इसी तरह की बातें कहीं थीं, जिसकी रिपोर्ट रोटरी समाचार व रोटरी न्यूज के अप्रैल अंक में 'भ्रष्ट आचरण के प्रति पूर्ण असहिष्णु बनें' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी । गुलाम वहनवती ने दोनों मौकों पर कहा/बताया था कि देश में करीब डेढ़ लाख रोटेरियंस हैं, और कुल करीब 50 रोटेरियंस ही ऐसे होंगे जो भ्रष्ट आचरण में लिप्त होंगे और जिनकी वजह से देश को रोटरी इंटरनेशनल में शर्मसार होना पड़ता है । गुलाम वहनवती ने बातें तो खूब कीं, लेकिन यह नहीं बताया कि भ्रष्ट आचरण में लिप्त रह कर देश और रोटरी को बदनाम करने वाले करीब 50 रोटेरियंस के खिलाफ कार्रवाई करने में रोटरी इंटरनेशनल असहाय क्यों है ?
रोटरी इंटरनेशनल ने पिछले दिनों भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहने वाले कुछेक रोटेरियंस के खिलाफ हालाँकि कार्रवाई की है, जिसके तहत डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल को बर्खास्त किया गया तथा डिस्ट्रिक्ट 3030 के एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निखिल किबे को रोटरी से ही निकाल देने का फैसला किया गया है । इन फैसलों पर हालाँकि लोगों का कहना रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल 'चोरों' को तो सजा दे रहा है लेकिन 'डकैती' के आरोपियों को छोड़ दे रहा है । रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की इस बात के लिए आलोचना भी हुई कि वह छोटी मछलियों के खिलाफ तो कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन बड़े मगरमच्छों की लूट को अनदेखा कर रहे हैं । इसीलिए रोटरी के लुटेरों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है । गौर करने की बात यह है कि रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से जिन दिनों निखिल किबे और सतीश सिंघल के खिलाफ कार्रवाई हो रही थी; और जिन दिनों गुलाम वहनवती मुट्ठी भर लोगों के भ्रष्ट आचरण के कारण देश और रोटरी की पहचान खराब होने के तथ्य बता रहे थे; ठीक उन्हीं दिनों राजा साबू की चेयरमैनी वाले उत्तराखंड रिलीफ फंड में करीब पौने तीन करोड़ के घपले के आरोप लगे और उन्हीं दिनों 'रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 सर्विस' सोसायटी के अकाउंट से चोरीछिपे 21 लाख रुपए से ज्यादा उक्त रिलीफ फंड में ट्रांसफर होने की खबर मिली । जाहिर है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को विश्वास था कि रोटरी इंटरनेशनल भ्रष्ट आचरण में लिप्त रोटेरियंस के खिलाफ भले ही कार्रवाई कर रहा हो, गुलाम वहनवती भले ही देश और रोटरी की छवि खराब होने का रोना रो रहे हों - लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई करने का 'दम' उनमें नहीं है । एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में अपने डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न प्रोजेक्ट्स से जुड़े हिसाब-किताब लेने के लिए पिटीशन दायर करने के लिए मजबूर हो रहा हो, और गुलाम वहनवती 'भ्रष्ट आचरण के प्रति पूर्ण असहिष्णु बनें' का आह्वान कर रहे हों - तो गुलाम वहनवती का आह्वान एक ड्रामे का सीन ही लगता है ।
राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के भ्रष्ट आचरण की पोल खोलती निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी की रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में दायर पिटीशन है, डिस्ट्रिक्ट के जीएमएल के मई अंक में भ्रष्ट हरकतों का ब्यौरा है, और चंडीगढ़ के अखबारों में प्रकाशित यह खबर है - लोगों का पूछना है कि गुलाम वहनवती को इससे ज्यादा और क्या सुबूत यह जानने के लिए चाहिए कि वह कौन से मुट्ठी भर लोग हैं जो अपनी भ्रष्ट हरकतों से देश और रोटरी को कलुषित कर रहे हैं ? लोगों का कहना है कि वह जानते हैं कि देश और रोटरी को बदनामी दिलवाने वाले बड़े मगरमच्छों के खिलाफ कार्रवाई करने/करवाने का 'दम' गुलाम वहनवती में नहीं है, इसलिए उनसे अनुरोध यही है कि लोगों के बीच माइक पर बोलने का जब मौका मिलता है, तो लंबी लंबी छोड़ने की जरूरत नहीं है और उससे बचो - इससे देश और रोटरी की इज्जत भले न बचा पाओ, लेकिन अपनी इज्जत जरूर बचा लोगे ।
सर्विस सोसायटी के हिसाब-किताब पर राजा साबू और उनके साथी पूर्व गवर्नर्स कुंडली मार कर बैठे हुए हैं; निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी ने रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड तक गुहार लगा ली, लेकिन इसका हिसाब-किताब उन्हें नहीं मिल सका । नियमानुसार सर्विस सोसायटी के तीन प्रमुख पदाधिकारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट होते हैं - लेकिन इन तीनों में से किसी के पास सर्विस सोसायटी का हिसाब-किताब नहीं है । क्लब के मौजूदा व पूर्व पदाधिकारियों का भी कहना/बताना है कि राजा साबू, मधुकर मल्होत्रा, यशपाल दास, शाजु पीटर ही हिसाब-किताब में काला-सफेद करते रहते हैं, और उन्हें कभी हिसाब-किताब देखने को नहीं मिला है । रोटरी इंटरनेशनल के एक प्रमुख पदाधिकारी गुलाम वहनवती ने अभी पिछले दिनों ही चेन्नई में आयोजित हुई रोटरी जोन 4, 5 और 6 के डिस्ट्रिक्ट्स के प्रमुख पदाधिकारियों की बैठक में बड़ी स्पष्टता के साथ इस तथ्य को रेखांकित किया कि मुट्ठी भर रोटेरियंस के भ्रष्ट आचरण की वजह से रोटरी इंटरनेशनल में भारत की छवि कलुषित हो रही है । उन्होंने इस तथ्य पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए इसे बेहद शर्मनाक बताया । इससे पहले फरवरी में हैदराबाद में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स इलेक्ट के ट्रेनिंग प्रोग्राम में भी गुलाम वहनवती ने इसी तरह की बातें कहीं थीं, जिसकी रिपोर्ट रोटरी समाचार व रोटरी न्यूज के अप्रैल अंक में 'भ्रष्ट आचरण के प्रति पूर्ण असहिष्णु बनें' शीर्षक से प्रकाशित हुई थी । गुलाम वहनवती ने दोनों मौकों पर कहा/बताया था कि देश में करीब डेढ़ लाख रोटेरियंस हैं, और कुल करीब 50 रोटेरियंस ही ऐसे होंगे जो भ्रष्ट आचरण में लिप्त होंगे और जिनकी वजह से देश को रोटरी इंटरनेशनल में शर्मसार होना पड़ता है । गुलाम वहनवती ने बातें तो खूब कीं, लेकिन यह नहीं बताया कि भ्रष्ट आचरण में लिप्त रह कर देश और रोटरी को बदनाम करने वाले करीब 50 रोटेरियंस के खिलाफ कार्रवाई करने में रोटरी इंटरनेशनल असहाय क्यों है ?
रोटरी इंटरनेशनल ने पिछले दिनों भ्रष्ट आचरण में लिप्त रहने वाले कुछेक रोटेरियंस के खिलाफ हालाँकि कार्रवाई की है, जिसके तहत डिस्ट्रिक्ट 3012 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सतीश सिंघल को बर्खास्त किया गया तथा डिस्ट्रिक्ट 3030 के एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर निखिल किबे को रोटरी से ही निकाल देने का फैसला किया गया है । इन फैसलों पर हालाँकि लोगों का कहना रहा है कि रोटरी इंटरनेशनल 'चोरों' को तो सजा दे रहा है लेकिन 'डकैती' के आरोपियों को छोड़ दे रहा है । रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों की इस बात के लिए आलोचना भी हुई कि वह छोटी मछलियों के खिलाफ तो कार्रवाई कर रहे हैं, लेकिन बड़े मगरमच्छों की लूट को अनदेखा कर रहे हैं । इसीलिए रोटरी के लुटेरों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है । गौर करने की बात यह है कि रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से जिन दिनों निखिल किबे और सतीश सिंघल के खिलाफ कार्रवाई हो रही थी; और जिन दिनों गुलाम वहनवती मुट्ठी भर लोगों के भ्रष्ट आचरण के कारण देश और रोटरी की पहचान खराब होने के तथ्य बता रहे थे; ठीक उन्हीं दिनों राजा साबू की चेयरमैनी वाले उत्तराखंड रिलीफ फंड में करीब पौने तीन करोड़ के घपले के आरोप लगे और उन्हीं दिनों 'रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3080 सर्विस' सोसायटी के अकाउंट से चोरीछिपे 21 लाख रुपए से ज्यादा उक्त रिलीफ फंड में ट्रांसफर होने की खबर मिली । जाहिर है कि राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स को विश्वास था कि रोटरी इंटरनेशनल भ्रष्ट आचरण में लिप्त रोटेरियंस के खिलाफ भले ही कार्रवाई कर रहा हो, गुलाम वहनवती भले ही देश और रोटरी की छवि खराब होने का रोना रो रहे हों - लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई करने का 'दम' उनमें नहीं है । एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में अपने डिस्ट्रिक्ट के विभिन्न प्रोजेक्ट्स से जुड़े हिसाब-किताब लेने के लिए पिटीशन दायर करने के लिए मजबूर हो रहा हो, और गुलाम वहनवती 'भ्रष्ट आचरण के प्रति पूर्ण असहिष्णु बनें' का आह्वान कर रहे हों - तो गुलाम वहनवती का आह्वान एक ड्रामे का सीन ही लगता है ।
राजा साबू और उनके साथी गवर्नर्स के भ्रष्ट आचरण की पोल खोलती निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी की रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड में दायर पिटीशन है, डिस्ट्रिक्ट के जीएमएल के मई अंक में भ्रष्ट हरकतों का ब्यौरा है, और चंडीगढ़ के अखबारों में प्रकाशित यह खबर है - लोगों का पूछना है कि गुलाम वहनवती को इससे ज्यादा और क्या सुबूत यह जानने के लिए चाहिए कि वह कौन से मुट्ठी भर लोग हैं जो अपनी भ्रष्ट हरकतों से देश और रोटरी को कलुषित कर रहे हैं ? लोगों का कहना है कि वह जानते हैं कि देश और रोटरी को बदनामी दिलवाने वाले बड़े मगरमच्छों के खिलाफ कार्रवाई करने/करवाने का 'दम' गुलाम वहनवती में नहीं है, इसलिए उनसे अनुरोध यही है कि लोगों के बीच माइक पर बोलने का जब मौका मिलता है, तो लंबी लंबी छोड़ने की जरूरत नहीं है और उससे बचो - इससे देश और रोटरी की इज्जत भले न बचा पाओ, लेकिन अपनी इज्जत जरूर बचा लोगे ।