Saturday, July 14, 2018

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता तथा सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा जैसे शुभचिंतकों के होते हुए नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन पंकज पेरिवाल के मामले में भी इंस्टीट्यूट प्रशासन क्या आरएस बंसल के मामले जैसी कार्रवाई कर सकेगा क्या ?

लुधियाना । पंकज पेरिवाल के ऑफिस में इनकम टैक्स विभाग के छापे के बाद आरएस बंसल से इंस्टीट्यूट के पदाधिकारियों में टैक्स की चोरी करने/करवाने के मामले में 'पकड़े' जाने वाले 'अकेले' पदाधिकारी का तमगा छिन गया है । उल्लेखनीय है कि अभी तक आरएस बंसल ही इंस्टीट्यूट के अकेले पदाधिकारी थे, जो टैक्स की चोरी करने/करवाने के मामले में पकड़े गए हैं । यूँ तो इंस्टीट्यूट के कई पदाधिकारियों, इंस्टीट्यूट की काउंसिल्स के बहुत से सदस्यों पर फर्जी एंट्री के धंधे में लिप्त रहने के आरोप चर्चा में रहे हैं; लेकिन जैसा कि माना/कहा जाता है कि चोर तो वह होता है - जो 'पकड़ा' जाता है, जो पकड़ा नहीं जाता वह तो 'प्रोफेशनल' होता है; इसलिए आरएस बंसल जब 'पकड़े' गए तब उन्हें इंस्टीट्यूट के पहले और अकेले पदाधिकारी होने का खिताब मिला, जो टैक्स की चोरी करने/करवाने के मामले में धरे गए - और इसके चलते उन पर प्रोफेशन व इंस्टीट्यूट की नाक कटवाने का दाग लगा और जिसके कारण उन्हें सेंट्रल काउंसिल के चुनाव से दूर रहना पड़ रहा है । आरएस बंसल ने हालाँकि पहले उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के बारे में यह सोच कर सोचा था कि इंस्टीट्यूट के चुनाव में बहुत से उम्मीदवार ऐसे हैं जो फर्जी एंट्री का काम करते हैं, इसलिए उन्हें ही क्यों चुनाव से दूर रहना चाहिए - लेकिन फिर जल्दी ही उन्हें 'पकड़े' जाने तथा 'न पकड़े' जाने का फर्क समझ में आ गया और उन्होंने अपने आपको चुनावी झमेले से दूर कर लिया । आरएस बंसल के साथ उनके एक नजदीकी रिश्तेदार अनिल अग्रवाल भी टैक्स की चोरी करने/करवाने के मामले में पकड़े गए थे, जो नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे; पकड़े जाने के बाद जिन्होंने लालू यादव वाला फार्मूला अपना कर अपनी पत्नी रोबिना अग्रवाल को उम्मीदवार बना/बनवा दिया है ।
लगता है कि हम मूल बात से भटक गए हैं जो पंकज पेरिवाल के इनकम टैक्स विभाग की जाँच-पड़ताल की चपेट में आने और इस तरह आरएस बंसल से तमगा छिनने को लेकर थी; इसलिए मूल बात पर लौटते हैं : नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पूर्व चेयरमैन होने के नाते आरएस बंसल जब टैक्स चोरी करने/करवाने के मामले में 'पकड़े' गए थे, तब वह इंस्टीट्यूट के पहले और अकेले पदाधिकारी 'बने' थे, जो टैक्स चोरी के मामले में पकड़े गए; लेकिन आज नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के मौजूदा चेयरमैन पंकज पेरिवाल के ऑफिस में पड़े इनकम टैक्स विभाग के छापे के बाद पंकज पेरिवाल भी 'क्लब' में आरएस बंसल के साथी हो गए हैं । पंकज पेरिवाल के ऑफिस में पड़े छापे का मुख्य कारण आधिकारिक रूप से तो अभी सामने नहीं आ पाया है, लेकिन लोगों के बीच चर्चा यही है कि उनके यहाँ पड़े छापे का संबंध काले को सफेद करने वाले मामले से ही है । आरएस बंसल एक टेलीविजन चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में काले को सफेद करने के काम में 'पकड़े' गए थे, तो पंकज पेरिवाल कुछेक और लोगों के पकड़े जाने के मामले में इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई जाँच-पड़ताल में विभाग के राडार पर आ गए हैं । दोनों के मामले में एक बड़ा फर्क यह भी है कि आरएस बंसल का मामला जब सामने आया था, तब हर कोई इंस्टीट्यूट से उन्हें सजा दिलवाने पर आमादा हो गया था, लेकिन पंकज पेरिवाल के मामले में कई लोग यह तर्क देते/बताते हुए उन्हें 'बचाने' की कोशिशों में लग गए हैं कि उनके यहाँ जो छापा पड़ा है वह विभाग की रूटीन कार्रवाई है और इसे इंस्टीट्यूट और या प्रोफेशन के लिए किसी नकारात्मक भाव से नहीं देखा जाना चाहिए ।
आरएस बंसल के मामले में इंस्टीट्यूट प्रशासन ने खुद ही संज्ञान ले कर उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया था और उन्हें सजा दी थी, हालाँकि सजा इतनी मामूली सी थी कि लोगों ने उसे सजा की बजाये 'प्रोत्साहन' के रूप में ही देखा/पहचाना था । लेकिन पंकज पेरिवाल के मामले में उतना भी होता हुआ नहीं दिख रहा है । दरअसल इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में पंकज पेरिवाल के कई समर्थक हैं; सेंट्रल काउंसिल सदस्य राजेश शर्मा तो लुधियाना में उनके समर्थन से वोट पाने की तैयारी में हैं, इसलिए पंकज पेरिवाल के और ज्यादा मुसीबत में पड़ने से उनकी तो सारी तैयारी धरी रह जायेगी - जिस कारण राजेश शर्मा किसी भी तरह से पंकज पेरिवाल को बचाने का प्रयास करेंगे । इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता भी पंकज पेरिवाल के शुभचिंतक के रूप में देखे/पहचाने जाते हैं, इसलिए इस बात की किसी को भी उम्मीद नहीं है कि आरएस बंसल के मामले की तरह उनके मामले में भी इंस्टीट्यूट प्रशासन खुद से संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई करेगा । हालाँकि संभावना यह भी है कि इंस्टीट्यूट इस समय चूँकि चुनावी हवा में है, इसलिए कुछेक लोग पंकज पेरिवाल के मामले को ठंडे बस्ते में आसानी से नहीं जाने देंगे । चुनावी हवा पंकज पेरिवाल के मामले को कितना भड़कायेगी, यह देखने की बात होगी ।