Tuesday, July 3, 2018

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर का पद मिलने से पहले ही भरत पांड्या पद का रौब दिखा कर डिस्ट्रिक्ट 3080 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा को मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर करके राजा साबू गिरोह की 'सेवा' करेंगे क्या ?

चंडीगढ़ । भरत पांड्या को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की कुर्सी तो अभी करीब एक वर्ष बाद मिलेगी, लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3080 से जुड़ी मुसीबतों ने उन्हें अभी से घेरना शुरू कर दिया है । पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजेंद्र उर्फ राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने भरत पांड्या पर दबाव डालना शुरू किया है कि वह रोटरी फाउंडेशन से संबद्ध डिस्ट्रिक्ट क़्वालीफिकेशन मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंडिंग पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा के हस्ताक्षर करवाएँ । भरत पांड्या चूँकि जितेंद्र ढींगरा के डायरेक्टर होंगे, इसलिए राजा साबू और उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स को यकीन है कि भरत पांड्या दबाव डालेंगे, तो जितेंद्र ढींगरा उक्त मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर करने से बच नहीं सकेंगे । उल्लेखनीय है कि उक्त मेमोरेंडम के अनुसार, डिस्ट्रिक्ट्स में रोटरी फाउंडेशन से जुड़े खर्चों की निगरानी की जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट तथा डीआरएफसी की होती है; इसलिए रोटरी फाउंडेशन को उक्त मेमोरेंडम पर डिस्ट्रिक्ट के इन तीनों पदाधिकारियों के हस्ताक्षर चाहिए होते हैं । डिस्ट्रिक्ट 3080 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा उक्त मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर करने से पहले यह जानना चाहते हैं कि रोटरी फाउंडेशन से मिलने वाली रकम का किन प्रोजेक्ट्स में कैसे और कितना कितना इस्तेमाल होगा ? डीआरएफसी के रूप में शाजु पीटर का कहना है कि यह सब जानकार वह क्या करेंगे, वह तो बस चुपचाप उक्त मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर कर दें - जैसे कि अभी तक के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट्स करते आ रहे हैं । शाजु पीटर का कहना है कि यह सब तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर प्रवीन गोयल ने भी उनसे नहीं पूछा या कहा है और उन्होंने चुपचाप वहाँ हस्ताक्षर कर दिए, जहाँ उनसे हस्ताक्षर करने को कहा गया - जितेंद्र ढींगरा तो अभी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट हैं, वह यह सब आखिर क्यों जानना चाह रहे हैं ?
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3080 में रोटरी फाउंडेशन सहित दूसरे फंड्स के मामले में जिस फार्मूले को अपनाया जाता है, वह है - 'खाता न बही, जो राजा साबू कहें वही सही ।' डिस्ट्रिक्ट के कई एकाउंट्स पर राजा साबू और उनके चहेते कुंडली मारे बैठे हैं, और उनमें काला-सफेद करते रहते हैं । इसी कारण निवर्त्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट से जुड़े कई एकाउंट्स के हिसाब-किताब देखने को नहीं मिले; जिसके चलते रोटरी के सौ वर्षों से अधिक के इतिहास में पहली बार एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को यह निवेदन करते हुए इंटरनेशनल बोर्ड में पिटीशन दायर करना पड़ी कि उन्हें उनके डिस्ट्रिक्ट से जुड़े एकाउंट्स के हिसाब-किताब उपलब्ध करवाए जाएँ । राजा साबू रोटरी इंटरनेशनल में यह जुगाड़ कर लेने में सफल हुए कि टीके रूबी की पिटीशन पर इंटरनेशनल बोर्ड टीके रूबी को हिसाब-किताब उपलब्ध करवाने का आदेश न जारी कर दे; रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड के सामने यह मजबूरी भी थी कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से यह भी नहीं कह सकता था कि भई, तुम क्यों हिसाब-किताब माँग रहे हो, राजा साबू और उनके साथी जो काला-सफेद कर रहे हैं वह उन्हें करते रहने दो ! लिहाजा रोटरी इंटरनेशनल ने बीच का रास्ता निकाला और उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी को लिखा कि यह आपके डिस्ट्रिक्ट का अंदरूनी मामला है, इसे आप डिस्ट्रिक्ट में ही आपस में मिल-बैठ कर हल करो - और हमें माफ करो । इस तरह, रोटरी इंटरनेशनल में पिटीशन दायर करने के बाद भी टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट से जुड़े हिसाब-किताब देखने को नहीं मिल सके । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर और रोटरी फाउंडेशन के ट्रस्टी सुशील गुप्ता की सहमति तथा रोटरी इंटरनेशनल की रीजनल ग्रांट्स ऑफिसर चंद्रा पामर के आदेश के बावजूद डिस्ट्रिक्ट ग्रांट 1860814 को स्वीकृति देने के मामले में लगातार इंकार करते हुए और फिर अपने इंकार से पलटते हुए डीआरएफसी के रूप में शाजु पीटर ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी को कितना और कैसे कैसे परेशान किया, उसे 'रचनात्मक संकल्प' की 17 जून की रिपोर्ट में पढ़ा जा सकता है ।
राजा साबू तथा उनके गिरोह के पूर्व गवर्नर्स, खासकर डीआरएफसी के रूप में शाजु पीटर के रवैये को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा ने साफ कह दिया है कि जब उन्हें यह बताया ही नहीं जा रहा है कि रोटरी फाउंडेशन से मिलने वाली रकम कहाँ और कैसे खर्च होगी, तब फिर वह उसकी निगरानी की जिम्मेदारी कैसे ले सकते हैं । समझा जाता है कि राजा साबू गिरोह के लोग रोटरी फाउंडेशन के पैसे पर किसी दूसरे देश एक मेडिकल मिशन पर जाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जितेंद्र ढींगरा से छिपाया जा रहा है । उल्लेखनीय है कि अभी करीब तीन-चार महीने पहले ही पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रंजीत भाटिया तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी के साथ धोखाधड़ी करके एक मेडीकल मिशन ले गए थे । दरअसल रंजीत भाटिया को जब टीके रूबी उक्त मेडीकल मिशन में ज्यादा दिलचस्पी दिखाते हुए नजर आए, तो रंजीत भाटिया ने उन्हें मेडीकल मिशन पर जाने का कार्यक्रम रद्द कर देने की सूचना दी और उक्त मिशन के लिए डीडीएफ से मिली रकम को भी वापस कर दिया; लेकिन बाद में पता चला कि टीके रूबी - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर टीके रूबी से छिपा कर एक दूसरे डिस्ट्रिक्ट से डीडीएफ की रकम लेकर उक्त मिशन पर जाने का कार्यक्रम पूरा कर लिया गया । जितेंद्र ढींगरा का कहना है कि जिस तरह से टीके रूबी को धोखाधड़ी का शिकार बनाया गया, उस तरह से वह शिकार नहीं बनेंगे । रोटरी फाउंडेशन से मिली रकम के एक एक पैसे का हिसाब यदि उन्हें जानने/देखने को नहीं मिलेगा, तो वह संदर्भित मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे । राजा साबू गिरोह के पूर्व गवर्नर्स ने अभी तक जिन जिन लोगों से जितेंद्र ढींगरा पर हस्ताक्षर करवाने के लिए दबाव डलवाया है, उनसे जितेंद्र ढींगरा ने एक ही बात कही है कि क्या आप गारंटी लेते हो कि रोटरी फाउंडेशन के पैसे का दुरूपयोग नहीं होगा; यदि आप गारंटी लो, तो मैं अभी हस्ताक्षर कर देता हूँ । लेकिन मजेदार दृश्य यह बना है कि कोई भी इस बात की गारंटी लेने को तैयार ही नहीं हो रहा है कि राजा साबू गिरोह के लोग रोटरी फाउंडेशन के पैसे में घपला नहीं करेंगे ।
राजा साबू गिरोह ने संदर्भित मेमोरेंडम पर जितेंद्र ढींगरा के हस्ताक्षर करवाने के लिए अब अगले रोटरी वर्ष में इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने वाले भरत पांड्या पर दबाव बनाना शुरू किया है । गिरोह के ही एक सदस्य ने इन पंक्तियों के लेखक को बताया है कि भरत पांड्या का कहना टालना जितेंद्र ढींगरा के लिए मुश्किल होगा, और इस तरह भरत पांड्या के दबाव में जितेंद्र ढींगरा मेमोरेंडम पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर हो जायेंगे । भरत पांड्या के लिए मुसीबत की बात लेकिन यह है कि जितेंद्र ढींगरा रोटरी फाउंडेशन से जुड़े हिसाब-किताब में पारदर्शिता रखने की जो माँग कर रहे हैं, उसे वह न तो ठुकरा सकते हैं - और न ही राजा साबू गिरोह के लोगों को उसके लिए राजी कर सकते हैं । भरत पांड्या को बताया गया है कि रोटरी के पैसों के इस्तेमाल को लेकर राजा साबू दोहरा रवैया दिखाते हैं : वरिष्ठ होने के नाते उनसे जब कहा जाता है कि वह मामलों को देखें और उन्हें दुरुस्त करवाएँ, तो राजा साबू यह कहते हुए बच निकलते हैं कि मुझे बीच में मत डालो, मुझसे कोई मतलब नहीं है; लेकिन जब मलाई बँट रही होती है तो राजा साबू लाइन में सबसे आगे खड़े नजर आते हैं । ऐसे में भरत पांड्या के सामने समस्या है कि कैसे वह मेमोरेंडम पर जितेंद्र ढींगरा के हस्ताक्षर करवाने की राजा साबू गिरोह की कोशिशों को सफल करें/करवाए ? देखना दिलचस्प होगा कि भरत पांड्या इंटरनेशनल डायरेक्टर का पद मिलने से पहले ही अपने पद का रौब दिखा कर अपने डायरेक्टर-काल के एक गवर्नर को कैसे मजबूर करके राजा साबू गिरोह की सेवा करते हैं ?