नई दिल्ली । इंस्टीट्यूट की इंटरनेशनल अफेयर्स कमिटी के ऑस्ट्रेलियाई स्टडी टूर की 'जिम्मेदारी' हड़पने की ट्रेवल एजेंटों की कोशिशों को इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट नवीन गुप्ता के नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का जिस तरह से सक्रिय सहयोग मिल रहा है, उसके कारण नवीन गुप्ता खासी मुश्किलों में फँसे दिख रहे हैं । अपने नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की हरकत के कारण नवीन गुप्ता के सामने बदनाम होने का खतरा पैदा हो गया है, और उनके लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि अपने नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की इस हरकत से वह कैसे निपटें ? नवीन गुप्ता के नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों ने नवीन गुप्ता के साथ अपनी नजदीकी का वास्ता देकर ट्रेवल एजेंटों से सौदेबाजी शुरू कर दी है कि ऑस्ट्रेलियाई स्टडी टूर की जिम्मेदारी दिलवाने के ऐवज में उन्हें क्या मिलेगा ? इनमें से किसी किसी ने तो ट्रेवल एजेंटों को नवीन गुप्ता की भी 'कीमत' बता दी है । उल्लेखनीय है कि नवीन गुप्ता सिर्फ इंस्टीट्यूट के प्रेसीडेंट ही नहीं हैं, बल्कि ऑस्ट्रेलियाई स्टडी टूर की आयोजक इंटरनेशन अफेयर्स कमिटी के चेयरमैन भी हैं । कमिटी की तरफ से 2 से 10 नवंबर के बीच जाने वाले ऑस्ट्रेलियाई टूर के लिए ट्रेवल एजेंटों से कुल दाम माँगे गए हैं । नवीन गुप्ता के नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की सिफारिश पर 'नए' 'नए' ट्रेवल एजेंटों को भी एप्रोच किया गया है । इंस्टीट्यूट की तरफ से जारी पत्र में चूँकि यह स्पष्ट कर दिया गया है कि जरूरी नहीं है कि सबसे कम दाम बताने वाले ट्रेवल एजेंट को ही टूर की जिम्मेदारी दी जाये, इसलिए 'जिम्मेदारी' दिलवाने की जिम्मेदारी लेने वाले नवीन गुप्ता के नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों के लिए ऐवज में अपना हिस्सा 'लेना' आसान हो गया है । उनका ट्रेवल एजेंटों से कहना है कि हमारा हिस्सा भी टूर के दाम में जोड़ लो, बाकी हम देख लेंगे ।
इंटरनेशनल अफेयर्स कमिटी का प्रस्तावित ऑस्ट्रेलियाई स्टडी टूर अपने प्रारूप को लेकर भी विवाद में है । आरोप लगा है कि प्रेसीडेंट के रूप में नवीन गुप्ता ने अपने चहेतों और नजदीकियों को इंस्टीट्यूट के पैसे पर ऑस्ट्रेलिया घुमाने के लिए इस टूर का आयोजन किया है । कमिटी के एक सदस्य ने इन पँक्तियों के लेखक से बात करते हुए हालाँकि दावा किया है कि इस टूर पर इंस्टीट्यूट का कोई पैसा खर्च नहीं होगा, और टूर पर जाने वाले लोग अपना अपना खर्च वहन करेंगे । लेकिन सेंट्रल काउंसिल की 'कार्यप्रणाली' से परिचित होने का दावा करने वाले अन्य कुछेक लोगों का कहना है कि इस तरह के आयोजनों के खर्च का ब्यौरा कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जाता है, और इस तरह के आयोजन वास्तव में इंस्टीट्यूट के पैसे पर मौज-मजा करने के उद्देश्य से ही आयोजित किए जाते हैं । ट्रेवल एजेंटों को जारी पत्र में जिस तरह से दर्शनीय स्थलों पर जाने की व्यवस्था की बात की गई है, उससे ही जाहिर है कि 'स्टडी' तो सिर्फ बहाना है, असली उद्देश्य तो घूमना-फिरना है । टूर पर जाने वाले लोगों की संख्या को 25 से 35 के बीच सीमित करने से भी आभास मिल रहा है कि टूर का खर्च इंस्टीट्यूट के खाते से ही निकलेगा । आरोप लगाने वाले लोगों का तर्क है कि टूर का खर्च यदि जाने वाले लोगों से ही वसूल किया जाना है, तो फिर टूर में जाने वाले लोगों की संख्या को 35 तक सीमित करने की जरूरत क्या है ? टूर में ज्यादा लोग जायेंगे, तो प्रत्येक के लिए टूर सस्ता भी होगा । वास्तव में, टूर के प्रारूप ने सारे मामले को संदेहास्पद बना दिया है । नवीन गुप्ता के नजदीकी सेंट्रल काउंसिल सदस्यों की हरकतों ने संदेहों को आरोपों में बदलने का काम किया है ।
प्रेसीडेंट के रूप में नवीन गुप्ता के व्यवहार, निजी खुन्नसों व स्वार्थों के चलते किसी के भी कहने में आने और अपने नजदीकियों पर पूरी तरह निर्भर रहने तथा अधिकतर सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को इग्नोर करने व अँधेरे में रखने के रवैये के कारण नवीन गुप्ता का प्रेसीडेंट-काल विवादों के शोर-शराबे का शिकार होता जा रहा है ।इंटरनेशनल अफेयर्स कमिटी की तरफ से इंटरनेशनल टूर प्रायः हर वर्ष होते ही हैं, और वह 'चुपचाप' हो जाते रहे हैं । नवीन गुप्ता के प्रेसीडेंट-वर्ष में ही यह टूर विवाद का विषय बन रहा है, तो इसका कारण यही है कि नवीन गुप्ता सेंट्रल काउंसिल में अपने नजदीकियों के हाथों इस कदर खिलौना बने हुए हैं कि वह उन्हें जब-तब जैसे चाहें वैसे नचाते रहते हैं । अमृतसर में हो रही सेंट्रल काउंसिल मीटिंग भी नवीन गुप्ता के 'खिलौना' बने होने के कारण आरोपों के घेरे में फँस गई है । इस मीटिंग में सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को अपनी अपनी पत्नियों के साथ शामिल होना है - जाहिर है कि मीटिंग के नाम पर पिकनिक होनी है । ऐसा हर वर्ष होता है । सेंट्रल काउंसिल सदस्यों को वर्ष में एक बार इंस्टीट्यूट के पैसे पर अपनी अपनी पत्नियों को भी मौज-मजा करवाने का अवसर मिलता है । यह काम भी हर वर्ष 'चुपचाप' तरीके से हो जाता है, लेकिन इस वर्ष इस आयोजन को लेकर भी बबाल पैदा हो गया है । बबाल इसलिए पैदा हुआ है, क्योंकि इस आयोजन में धर्मशाला घूमने जाने का प्रोग्राम भी जोड़ दिया गया है, जो आयोजन के पहले के प्रारूप में नहीं था । आरोप है कि नवीन गुप्ता के नजदीकी काउंसिल सदस्यों की जीभ लपलपाई और उन्होंने योजना बनाई कि जब अमृतसर तक जा ही रहे हैं, तो धर्मशाला भी घूम लेते हैं । पत्नियाँ भी खुश हो जायेंगी । इंस्टीट्यूट की राजनीति करने का उन्हें भी तो कुछ फायदा मिले । सेंट्रल काउंसिल के कुछेक सदस्यों का ही कहना है कि धर्मशाला घूमने का प्रोग्राम बाद में जोड़ने से उन्हें लोगों के आरोपपूर्ण सवालों का सामना करना पड़ रहा है । सदस्यों का रोना है कि नवीन गुप्ता के एक फैसले के चलते, जो उन्होंने अपने नजदीकी सदस्यों के दबाव में लिया, उन्हें प्रोफेशन के लोगों के बीच बदनाम होना पड़ रहा है । इस तरह, नवीन गुप्ता को दोहरी 'मार' पड़ रही है - अपने नजदीकियों की हरकतों के चलते एक तरफ उन्हें सेंट्रल काउंसिल में ही विरोध व नाराजगी की बातें सुनना पड़ रही हैं, और दूसरी तरफ लोगों के बीच उनकी बदनामी हो रही है ।