Tuesday, November 6, 2012

कल पता चलेगा कि ललित खन्ना के खिलाफ मुकेश अरनेजा के पास सचमुच कोई तिकड़म है या केके गुप्ता की रणनीति के सामने उनकी सारी तिकड़मबाजी हवा हो गई है

नई दिल्ली | ललित खन्ना क्या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमिनी पद के वास्ते अपनी उम्मीदवारी के लिए अपने क्लब की हरी झंडी प्राप्त कर लेंगे ? इस बात में यूँ तो किसी को भी कोई शक नहीं होना चाहिए, क्योंकि क्लब में ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लेकर पर्याप्त समर्थन है; लेकिन फिर भी यदि यह सवाल चर्चा में है तो इसका कारण मुकेश अरनेजा का रवैया है | यह सच है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी के खिलाफ मुकेश अरनेजा कुछ भी करते हुए नहीं दिखे हैं: लेकिन सच यह भी है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी के समर्थन में भी मुकेश अरनेजा कुछ करते हुए नहीं दिखे हैं | यह दूसरा सच इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि मुकेश अरनेजा चुपचाप बैठ कर तमाशा देखने वाले लोगों में से नहीं हैं; और ललित खन्ना उनके थोड़े से खास लोगों में एक रहे हैं | दरअसल इसी नाते से लोगों को उम्मीद रही कि मुकेश अरनेजा हर तरह से ललित खन्ना की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के अभियान में जुटेंगे | पर जब मुकेश अरनेजा ऐसा करते हुए नहीं नज़र आये तो सभी का माथा ठनका और तब पता चला कि मुकेश अरनेजा तो ललित खन्ना की उम्मीदवारी के पूरी तरह खिलाफ हैं |
मुकेश अरनेजा के खिलाफ होने के बावजूद ललित खन्ना ने अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में अपने क्लब में हालाँकि समर्थन जुटा लिया है | क्लब के अध्यक्ष राकेश मल्होत्रा यूँ तो मुकेश अरनेजा के आदमी के रूप में जाने/पहचाने जाते हैं - लेकिन इस मामले में वह भी मुकेश अरनेजा के साथ नहीं, बल्कि ललित खन्ना के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं | देखा/पाया जा रहा है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी का विरोध करने के कारण मुकेश अरनेजा अपने ही क्लब में अलग-थलग हो गए हैं और अकेले पड़ गए हैं | इसके बावजूद, ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लेकर संशय यदि बना हुआ है तो इसका कारण यही है कि मुकेश अरनेजा को आसानी से हार मानने वाला नहीं माना जाता है | लोगों को लगता है कि मुकेश अरनेजा क्लब की हरी झंडी ललित खन्ना को आसानी से नहीं मिलने देंगे और उन्होंने अवश्य ही कोई तिकड़म सोच रखी होगी, जिसके भरोसे वह ललित खन्ना का रास्ता रोक लेंगे | ललित खन्ना ने भी अपनी उम्मीदवारी को क्लब के समर्थन के बाबत हालाँकि चाक-चौबंद व्यवस्था की हुई है | मुकेश अरनेजा की तिकड़मों से निपटने के लिए ललित खन्ना ने केके गुप्ता से पहले ही तार जोड़ लिया हुआ है | केके गुप्ता ने ललित खन्ना की उम्मीदवारी के संदर्भ में मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल की चालबाजियों को जिस तरह से विफल किया और ललित खन्ना के समर्थन में विभिन्न खेमों में बँटे क्लब को एकजुट किया है, उसके कारण मुकेश अरनेजा को और झटका लगा है |
ललित खन्ना की उम्मीदवारी मुकेश अरनेजा के लिए दरअसल इसलिए भी गंभीर चुनौती बनी है, क्योंकि ललित खन्ना की उम्मीदवारी के नाम पर क्लब में जो राजनीति हुई है उसमें मुकेश अरनेजा यदि अलग-थलग और अकेले पड़े हैं तो केके गुप्ता की साख तो बनी ही है, साथ ही उनकी चौधराहट भी स्थापित हुई है | मुकेश अरनेजा जानते हैं कि उनके विरोध के बावजूद - उनकी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की तमाम चालबाजियों के बावजूद - केके गुप्ता ने जिस तरह ललित खन्ना की उम्मीदवारी को क्लब से लेकर इंटरनेशनल डायरेक्टर तक के यहाँ स्वीकार्य बनाया, उससे लोगों को केके गुप्ता के रणनीतिक कौशल का और उनकी पहुँच का सुबूत मिला है | ललित खन्ना की उम्मीदवारी के नाम पर जो राजनीति हुई, उसके कारण क्लब में केके गुप्ता की जो धाक बनी है उसे देख/जान कर मुकेश अरनेजा को डर यह पैदा हुआ है कि केके गुप्ता अब इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चयन करने के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की उनकी उम्मीदवारी में रोड़ा डालेंगे |
केके गुप्ता ने इस मामले को उठाना शुरू भी कर दिया है | केके गुप्ता ने क्लब के सदस्यों के बीच उन चर्चाओं पर गौर करने की जरूरत पर बल दिया है जिनमें कहा/बताया गया है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चयन करने के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की अपनी उम्मीदवारी का इस्तेमाल करके मुकेश अरनेजा सौदेबाजी करने की जुगाड़ में हैं | केके गुप्ता का कहना है कि इस तरह की बातों से क्लब का नाम बदनाम होता है और किसी मुकेश अरनेजा को यह हक़ नहीं दिया जाना चाहिए कि वह अपने निजी स्वार्थ में क्लब का नाम बदनाम करे | केके गुप्ता ने लोगों को याद दिलाया है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चयन करने के लिए बनने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की उम्मीदवारी के नाम पर मुकेश अरनेजा पहले भी सौदेबाजी कर चुके हैं |        
केके गुप्ता के इन तेवरों ने मुकेश अरनेजा को वास्तव में संकट में डाल दिया है | केके गुप्ता के इन तेवरों में मुकेश अरनेजा अपने लिए जिस संकट को देख/पहचान रहे हैं, उसकी जड़ में वह ललित खन्ना की उम्मीदवारी को ही पा रहे हैं | मुकेश अरनेजा के नजदीकियों की बातों पर विश्वास करें तो मुकेश अरनेजा मान रहे हैं कि वह यदि ललित खन्ना की उम्मीदवारी में किसी भी तरह फच्चर फँसा दें, तो उनके सारे संकट समाप्त हो जायेंगे | मुकेश अरनेजा के एक नजदीकी ने कुछ दिन पहले इन पंक्तियों के लेखक से कहा था कि क्लब में ललित खन्ना के आलावा एक और उम्मीदवार लाने की तैयारी की जा रही है, ताकि उम्मीदवारी के नाम पर झगड़ा दिखा कर ललित खन्ना की उम्मीदवारी को ख़त्म कर/करा दिया जा सके | अभी तक ऐसा नहीं हो सका है - इससे यह तो पता चल रहा है कि मुकेश अरनेजा की कोई तिकड़म काम नहीं कर रही है | लेकिन इससे यह भी पता चल रहा है कि मुकेश अरनेजा ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है और ललित खन्ना की उम्मीदवारी में रोड़ा डालने की कोई न कोई तिकड़म लगा रहे होंगे | यह देखना दिलचस्प होगा कि तिकड़मबाज मुकेश अरनेजा के पास सचमुच कोई तिकड़म है या केके गुप्ता की रणनीति के सामने उनकी सारी तिकड़मबाजी हवा हो गई है |