Monday, October 29, 2012

रिक्शेवाले को भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवा देने का दावा करने वाले मुकेश अरनेजा को इस बार के चुनाव से पहले 'बुखार' चढ़ा और 'दस्त' लगे

नई दिल्ली | आलोक गुप्ता के क्लब के चार्टर डे समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किये गए मुकेश अरनेजा ने अनुपस्थित रह कर जेके गौड़ को जहाँ राहत और बढ़त दी, वहीं डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को आश्चर्य में डाला | हर किसी को हैरानी हुई है कि रग-रग से राजनीति करने वाले मुकेश अरनेजा ने राजनीति करने का इतना सुनहरा मौका छोड़ क्यों दिया ? कुछेक लोगों ने अनुमान भी लगाया कि मुकेश अरनेजा शायद सुधर गए हैं और अब उन्होंने राजनीति करने से तौबा कर ली है - लेकिन जिन लोगों ने ऐसा अनुमान लगाया, उन्होंने ही फिर स्वीकार भी किया कि मुकेश अरनेजा सुधरने वाली चीज़ हैं नहीं | मुकेश अरनेजा ने राजनीति यदि छोड़ दी, तो राजनीति तो बेचारी अनाथ हो जायेगी | मुकेश अरनेजा को जानने वाले लोगों का कहना है कि मुकेश अरनेजा में लाख ऐब सही, लेकिन इतने निर्दयी वह नहीं हो सकते कि अपनी 'जान' को वह अनाथ हो जाने दें | राजनीति उनकी जान है; या कहें कि राजनीति में ही उनकी जान बसती है |
तब फिर, आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में आकर राजनीति करने का जो मौका उनके सामने था - उसे उन्होंने गवाँ क्यों दिया ?
या, इस मौके को गवाने के पीछे उनकी कोई राजनीति थी ?
यह जानना/समझना दिलचस्प होगा कि मुकेश अरनेजा ने आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह में आना स्वीकार करके ऐन मौके पर गच्चा क्यों दे दिया ? आलोक गुप्ता ने मुकेश अरनेजा के न आने का लोगों को जो कारण बताया उसके अनुसार मुकेश अरनेजा बुखार की चपेट में आ जाने के कारण समारोह में नहीं पहुँच सके | ऐन मौके पर मुकेश अरनेजा ने आलोक गुप्ता को ऐसा ही बताया था | रोटरी क्लब गाज़ियाबाद आईडियल के अध्यक्ष को मुकेश अरनेजा ने न आने का कारण लेकिन दस्त होना बताया | सयानों ने पहले से ही कहा/बताया हुआ है कि झूठ बोलने वाला अक्सर यह गलती करता है कि वह यह याद नहीं रख पाता कि पहले उसने क्या कहा है | मुकेश अरनेजा ने जिस तरह न आने का कारण किसी को बुखार आना तो किसी को दस्त होना बताया - उससे जाहिर है कि मुकेश अरनेजा ने झूठ बोला | तो क्या मुकेश अरनेजा इसलिए नहीं आये क्योंकि उन्होंने जाना/समझा कि वह आये तो मुसीबत में फँसेंगे ? मुसीबत में फँसने से बचने की कोशिश में ही उन्होंने आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह से दूर रहने का फैसला किया - और इसका कारण किसी को कुछ तो किसी को कुछ और बताया | यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि आलोक गुप्ता के क्लब के अभी तक जितने भी चार्टर डे समारोह हुए हैं, मुकेश अरनेजा सभी में उपस्थित रहे हैं | पिछले दिनों आलोक गुप्ता के क्लब के अधिष्ठापन समारोह में दिए अपने भाषण में मुकेश अरनेजा ने खुद भी इस बात का खुलासा किया था और घोषणा की थी कि वह आगे भी - आमंत्रित न भी किये जाये, तो भी - इस क्लब के चार्टर डे समारोह में आते रहेंगे | लेकिन जब मौका आया तो आमंत्रित होने और मुख्य अतिथि होना स्वीकार करने के बावजूद वह नहीं आये | किसी को उन्होंने बताया कि उन्हें बुखार आ गया तो किसी को बताया कि उन्हें दस्त लग गए |
यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पहले कई बार ऐसे मौके आये हैं - और यह बात खुद मुकेश अरनेजा ने ही लोगों को बताई है - कि बुखार में होने के बावजूद मुकेश अरनेजा कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं | जैसा कि पहले कहा जा चुका है कि राजनीति उनकी जान है या कहें कि राजनीति में उनकी जान बसती है - जिस कारण कोई बुखार या ख़राब तबियत उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने से नहीं रोक सका है | इस बार, लेकिन पता नहीं 'कैसा' बुखार था या 'कैसे' दस्त थे कि मुकेश अरनेजा को कार्यक्रम में शामिल होना स्थगित करना पड़ा | मुकेश अरनेजा को जानने वाले लोगों को लगता है कि 'बुखार' और 'दस्त' की आड़ में मुकेश अरनेजा ने राजनीति से बचने की कोशिश नहीं की है, बल्कि राजनीति की है - और उनकी इस राजनीति का शिकार बने आलोक गुप्ता | उल्लेखनीय है कि आलोक गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की अपनी उम्मीदवारी के लिए मुकेश अरनेजा की मदद पर निर्भर हैं और अलग-अलग मौकों पर मुकेश अरनेजा के साथ अपनी नज़दीकी दिखाने का प्रयास करते रहे हैं | अपने क्लब के चार्टर डे समारोह में मुकेश अरनेजा को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के पीछे भी आलोक गुप्ता का यही उद्देश्य देखा/पहचाना जा रहा था | इस वर्ष मुकेश अरनेजा हालाँकि दावा तो करते रहे हैं कि वह चुनाव के पचड़े में नहीं पड़ेंगे लेकिन आलोक गुप्ता के क्लब के चार्टर डे समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने की स्वीकृति देकर उन्होंने एक बार फिर जता/बता दिया कि उनके कहे हुए पर जो विश्वास करे उससे बड़ा मूर्ख कोई नहीं होगा |
आलोक गुप्ता के क्लब के चार्टर डे समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने की अनुमति देकर मुकेश अरनेजा चुनाव के पचड़े में न पड़ने के अपने ही दावे से पलटे - लेकिन फिर जल्दी ही जैसे ही उन्हें यह लगा कि उनका यह दांव कहीं उल्टा न पड़ जाये, लिहाजा वह एक बार फिर पलट गए और समारोह में पहुँचे ही नहीं | पिछली बार मुकेश अरनेजा ने रवि चौधरी को जितवाने का ठेका लिया था और सार्वजानिक रूप से घोषणा की थी कि वह तो किसी रिक्शेवाले को भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनवा सकते हैं | इस घोषणा के बावजूद वह रवि चौधरी को चुनाव नहीं जितवा सके और अपनी मिट्टी कुटवा बैठे | मुकेश अरनेजा के समर्थन के बावजूद रवि चौधरी का क्या हुआ, यह देखते हुए भी आलोक गुप्ता ने मुकेश अरनेजा के समर्थन पर निर्भर होने का फैसला किया - यह आलोक गुप्ता का साहस है; लेकिन मुकेश अरनेजा इस बार वह गलती नहीं करना चाहते हैं जो उन्होंने पिछली बार की | आलोक गुप्ता ने तो हर संभव कोशिश की है कि मुकेश अरनेजा उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में 'दिखें' - लेकिन मुकेश अरनेजा ने इससे बचने का ही प्रयास किया है | आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह में शामिल होने के ऐन मौके पर उन्हें जो बुखार आया या दस्त लगे - उसके पीछे के प्रेशर में उनके इसी प्रयास को देखा/पहचाना गया है |
आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह में आने से बचने की मुकेश अरनेजा की कार्रवाई ने जेके गौड़ को न सिर्फ बड़ी राहत दी, बल्कि बढ़त भी दी | दरअसल जेके गौड़ भी मुकेश अरनेजा के समर्थन का दावा करते हैं | मुकेश अरनेजा के साथ जेके गौड़ के सहयोगात्मक संबंध रहे भी हैं - जिन्हें ध्यान में रखते हुए लोगों को उनके दावे में सच्चाई भी महसूस होती है | लेकिन आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुकेश अरनेजा की उपस्थिति जेके गौड़ के दावे को संदेह के घेरे में लाती और उनकी स्थिति को कमजोर बनाती | आलोक गुप्ता के क्लब के समारोह में न शामिल होकर मुकेश अरनेजा ने जेके गौड़ के दावे को विश्वसनीय बना दिया है | मुकेश अरनेजा की इस कार्रवाई में लोगों ने यह सन्देश भी पढ़ा कि मुकेश अरनेजा की निगाह में आलोक गुप्ता के मुकाबले जेके गौड़ की स्थिति ज्यादा मजबूत है - इसीलिये मुकेश अरनेजा ने आलोक गुप्ता के साथ खड़े दिखने से बचने का प्रयास किया | आलोक गुप्ता को लोग समय-समय पर सावधान करते रहे हैं कि मुकेश अरनेजा के भरोसे रहोगे तो धोखा ही खाओगे - आलोक गुप्ता ने लेकिन किसी की बात पर कोई ध्यान नहीं दिया और अंततः धोखा खाया |
मुकेश अरनेजा का सहारा लेकर जेके गौड़ से आगे निकलने की आलोक गुप्ता की रणनीति को भले ही चोट पहुँची हो, लेकिन सुधीर मंगला के समर्थक समझे जाने वाले लोगों को अपने साथ दिखा कर आलोक गुप्ता ने सुधीर मंगला को तगड़ी चोट दी है | संभवतः सुधीर मंगला को इसका डर था - इसीलिये आलोक गुप्ता के क्लब के इस समारोह को न होने देने के लिए उन्होंने रोड़े अटकाने की कोशिश की थी | सुधीर मंगला के लिए निराशा की बात यह रही कि वह इस समारोह को होने से नहीं रोक सके | सुधीर मंगला के लिए दोहरी चोट यह रही कि उनके समर्थक के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले कई लोग आलोक गुप्ता के साथ खड़े नज़र आये | चार्टर डे समारोह के जरिये हुई राजनीति में आलोक गुप्ता को जो मिलाजुला नतीजा प्राप्त हुआ है - उसमें उनके लिए भी सन्देश छिपा है : जहाँ सुधीर मंगला से निपटने में उन्होंने अपने से प्रयास किया, उसमें उन्हें सफलता मिली; लेकिन जहाँ जेके गौड़ से निपटने में उन्होंने मुकेश अरनेजा की मदद ली, वहाँ उन्हें झटका लगा और मुकेश अरनेजा उनकी मदद करने की बजाये जेके गौड़ की मदद करते हुए नज़र आये |