Friday, October 5, 2012

डॉक्टर सुब्रमणियन ने अपनी सक्रियता से लोगों पर जो छाप छोड़ी है - उसने उनकी उम्मीदवारी को लोगों के बीच गंभीर तो बनाया ही है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के चुनाव को वास्तव में दिलचस्प भी बना दिया है

नई दिल्ली | डॉक्टर सुब्रमणियन ने जिस तेजी और जिस सक्रियता के साथ अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम शुरू किया है, उसने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों को अचरज में तो डाला ही है, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की राजनीति को दिलचस्प भी बना दिया है | डॉक्टर सुब्रमणियन अभी तक चूँकि सक्रिय नहीं हुए थे, और अपनी उम्मीदवारी को लेकर जरा भी गंभीर नज़र नहीं आ रहे थे - उसके कारण हर किसी को लग रहा था कि डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए चुनावी तौर-तरीकों का पालन करना मुश्किल ही होगा और इस बजह से उनके लिए लोगों का समर्थन जुटा पाना एक बड़ी चुनौती होगा | लेकिन पिछले करीब एक महीने में डॉक्टर सुब्रमणियन ने जो किया है उससे लोगों को लगने लगा है कि डॉक्टर सुब्रमणियन में चुनावी चुनौतियों से निपटने का दम भी है |
डॉक्टर सुब्रमणियन ने इस बीच एक बड़ा काम पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रंजन ढींगरा को साधने और अपने पक्ष में करने का किया है | रंजन ढींगरा उनके ही क्लब के सदस्य हैं और डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह चर्चा बहुत आम रही थी कि रंजन ढींगरा का डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी से खुला विरोध है | रंजन ढींगरा ने रवि भाटिया की उम्मीदवारी का सार्वजनिक रूप से समर्थन किया था और रवि भाटिया की उम्मीदवारी की जोरदार वकालत की थी | बात सिर्फ इतनी ही नहीं थी कि रंजन ढींगरा का समर्थन डॉक्टर सुब्रमणियन की बजाये रवि भाटिया को था - यह बात इस कारण से और बड़ी हो गई थी कि डॉक्टर सुब्रमणियन के समर्थकों ने बढ़त बनाने के लिए रंजन ढींगरा को अलग-थलग तक कर दिया था | रंजन ढींगरा के डॉक्टर सुब्रमणियन के साथ कुछ पुराने झंझट भी सुने/बताये जाते थे | इन्हीं बातों के चलते माना जा रहा था कि रंजन ढींगरा को जब भी मौका मिलेगा, वह डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी को नुकसान पहुँचाने का प्रयास जरूर ही करेंगे - वह नहीं करेंगे, तो उनका नाम लेकर दूसरे करेंगे | डॉक्टर सुब्रमणियन ने लेकिन इस आशंका को रहने ही नहीं दिया और सभी को हैरान करते हुए रंजन ढींगरा को अपने साथ कर लिया | इससे भी बड़ी बात जो डॉक्टर सुब्रमणियन ने की - वह यह कि उन्होंने न सिर्फ रंजन ढींगरा को अपने साथ कर लिया, बल्कि मौका निकाल/बना कर लोगों को यह 'दिखा' भी दिया कि रंजन ढींगरा उनकी उनके साथ हैं | राजनीति में, खासकर चुनावी राजनीति में 'होने' से ज्यादा 'दिखने' का जो असर होता है - डॉक्टर सुब्रमणियन ने उसे समझा/पहचाना और उसे क्रियान्वित किया | निश्चित रूप से यह उन्होंने एक बड़ा काम किया |
रंजन ढींगरा के साथ डॉक्टर सुब्रमणियन ने संबंध सुधारने की जरूरत को समझा और फिर संबंध सुधार लिए और लोगों को सुधरे हुए संबंध 'दिखा' भी दिए - प्रतीकात्मक रूप से इस बात के बड़े अर्थ हैं | इस प्रसंग से स्पष्ट है कि डॉक्टर सुब्रमणियन ने चुनाव में असर डालने और/या डाल सकने वाली छोटी-छोटी बातों को गंभीरता से पहचाना है, और उन्हें अपने अनुकूल बनाने के प्रयास किए हैं तथा कामयाब होने के बाद अपनी कामयाबी को 'प्रदर्शित' करने पर भी ध्यान दिया है | रंजन ढींगरा ही नहीं, और कई लोग भी अचानक से डॉक्टर सुब्रमणियन की सक्रियता और उनकी सक्रियता के पीछे की सोच व तैयारी की तारीफ करने लगे हैं | जो लोग अभी कुछ समय पहले तक यह शिकायत करते हुए नहीं थकते थे कि डॉक्टर सुब्रमणियन को न तो चुनावी राजनीति की जरूरतों के बारे में पता है और न ही वह पता करने की जरूरत को ही समझ रहे हैं; वही लोग अब बताते हैं कि डॉक्टर सुब्रमणियन बड़ी होशियारी से चाल चल रहे हैं और लोगों पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं | कई लोग जो पहले शिकायत करते थे कि डॉक्टर सुब्रमणियन उन्हें पहचानते ही नहीं हैं और या पर्याप्त तवज्जो नहीं दे रहे हैं, अब इस बात पर अपनी खुशी जताते हैं कि डॉक्टर सुब्रमणियन का अच्छा होमवर्क है | जिन भी लोगों से डॉक्टर सुब्रमणियन मिले हैं या जिनसे उनकी बात हुई है, उनमें से जिन भी लोगों से इन पंक्तियों के लेखक से बात हुई है वह सभी यह कहते और स्वीकार करते हैं कि डॉक्टर सुब्रमणियन की अच्छी तैयारी है और चुनावी राजनीति की तिकड़मों तथा उसके समीकरणों की उन्हें खूब पहचान है | कुछेक लोगों ने दूसरे उम्मीदवारों के साथ उनकी तुलना करते हुए इस बात पर भी गौर किया है कि डॉक्टर सुब्रमणियन में यह एक विलक्षण गुण भी है कि वह दूसरों की बातों व सुझावों को भी बहुत ध्यान से सुनते हैं तथा उनके अनुरूप अपनी रणनीति को व्यावहारिक बनाने का प्रयास करते हैं | यह बताते हुए एक वरिष्ट रोटेरियन ने चुटकी भी ली कि लगता कि डॉक्टर होने के नाते उनके जो अनुभव हैं, उन्हें वह यहाँ - अपनी उम्मीदवारी के लिए चलाये जा रहे अपने अभियान में वह इस्तेमाल कर रहे है : एक डॉक्टर को मरीज की बात को ध्यान से सुनना ही होता है, और उसकी बात को सुन कर ही एक डॉक्टर उसके इलाज की रणनीति बनाता है | चुनावी अभियान में यदि कोई उम्मीदवार लोगों की बातों पर गौर करता है और उनके अनुरूप अपनी रणनीति बनाता है - तो यह उस उम्मीदवार के लिए तो फायदे की बात होती ही है, लोगों को भी प्रभावित करती है और उन्हें अहसास कराती है कि उक्त उम्मीदवार उन्हें गंभीरता से ले रहा है | डॉक्टर सुब्रमणियन ने इसी फंडे का इस्तेमाल करके लोगों को प्रभावित किया है |
डॉक्टर सुब्रमणियन ने जबसे अपनी उम्मीदवारी को गंभीरता से लेना शुरू किया है, तभी से डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने भी उनकी उम्मीदवारी को गंभीरता से देखना/पहचानना शुरू किया है | इससे आभास मिलता है कि डॉक्टर सुब्रमणियन ने शुरू में बहुत सा समय भले ही बर्बाद कर दिया हो, लेकिन अब जब वह सक्रिय हुए हैं तो लोगों को प्रभावित करने की तैयारी के साथ सक्रिय हुए हैं | डॉक्टर होने - एक बड़ा डॉक्टर होने के नाते डॉक्टर सुब्रमणियन का डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच एक ऑरा (आभामंडल) तो है ही - लेकिन उम्मीदवार के रूप में सक्रियता के अभाव में उन्हें अपने ऑरा का फायदा नहीं मिल रहा था | लोगों को लग रहा था कि डॉक्टर सुब्रमणियन अपने ऑरा के भरोसे ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुन लिए जाने की उम्मीद कर रहे थे | या तो उन्हें उनके शुभचिंतकों ने समझाया होगा कि सिर्फ ऑरा के भरोसे चुनाव नहीं जीता जा सकेगा और या फिर शायद यह उनकी रणनीति ही हो कि चुनाव से कुछ पहले ही वह सक्रिय होंगे - चूँकि लोगों के बीच उनका ऑरा है इसलिए उन्हें दूसरे उम्मीदवारों जितनी मेहनत करने की जरूरत नहीं है | कारण चाहे जो भी हो, डॉक्टर सुब्रमणियन ने सक्रिय होते ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों पर जो छाप छोड़ी है - उसके कारण उनकी उम्मीदवारी को गंभीरता से लिया जाने लगा है | डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी की गंभीरता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी के चुनाव को वास्तव में दिलचस्प बना दिया है |