Sunday, September 23, 2012

रमेश अग्रवाल ने ललित खन्ना की उम्मीदवारी के मामले में जो शीर्षासन किया, मुहावरे की भाषा में उसे - 'थूक कर चाटना' कहते हैं

नई दिल्ली | रमेश अग्रवाल ने करीब चार महीने पहले ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लेकर जो तड़ी दिखाई थी, ललित खन्ना ने उसका उन्हें सटीक जबाव दे दिया है | नतीजा यह हुआ है कि रमेश अग्रवाल की सारी तड़ी निकल गई और अब उन्होंने मान लिया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ललित खन्ना की उम्मीदवारी प्रस्तुत हो सकती है | इस प्रसंग से एक बार फिर साबित हुआ है कि रमेश अग्रवाल को अपनी फजीहत कराने का कुछ ज्यादा ही शौक है | शौक क्या है - वह बिना सोचे-विचारे तड़ी दिखाते हैं और फिर फजीहत का शिकार होते हैं | ललित खन्ना के मामले में उन्होंने जो किया, मुहावरे की भाषा में उसे - 'थूक कर चाटना' कहते हैं | उल्लेखनीय है कि मई में रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड द्धारा तय किए गए दिशा-निर्देशों को बिना समझे-बूझे रमेश अग्रवाल ने ललित खन्ना को फरमान सुना दिया कि चूँकि उन्होंने डिस्ट्रिक्ट का एक असाइनमेंट स्वीकार किया हुआ है, इसलिए वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकेंगे | रमेश अग्रवाल ने जो कुछ कहा, ललित खन्ना ने उसका मतलब यही समझा था जैसे कि वह उन्हें सलाह दे रहे हैं कि उन्हें यदि सचमुच उम्मीदवार होना है तो जो असाइनमेंट उनके पास है उसे छोड़ दें | ललित खन्ना ने रमेश अग्रवाल की सलाह मानने में जरा सी भी देर नहीं लगाई और तुरंत अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया | बात यहीं ख़त्म हो जानी चाहिए थी | लेकिन वह यदि यहीं ख़त्म हो जाती तो रमेश अग्रवाल को अपना घटियापन दिखाने का मौका कैसे मिलता और कैसे वह अपनी फजीहत के लिए स्थितियां बनाते ?
रमेश अग्रवाल ने ललित खन्ना को तुरंत यह बताना जरूरी समझा कि वह यह न समझ लें कि अपने पद से इस्तीफ़ा देने के बाद वह उम्मीदवार हो जायेंगे | यह जून 2012 की बात है - जबकि न तो इस तरह की बातें करने का समय था और न ही कोई जरूरत थी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में रमेश अग्रवाल को इस बात को कहने का न कोई अधिकार था | लेकिन रमेश अग्रवाल इस तरह की बातों की परवाह नहीं करते हैं और अपनी तड़ीबाजी दिखाने के लिए कभी भी कोई भी बात करना अपना अधिकार समझते हैं | इसी तड़ीबाजी में रमेश अग्रवाल ने जून में ललित खन्ना को बाकायदा लिख कर बता दिया कि वह उम्मीदवार नहीं हो सकते | ललित खन्ना को दिखाई गई रमेश अग्रवाल की इस तड़ीबाजी से निपटने का जिम्मा पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केके गुप्ता ने संभाला | केके गुप्ता उसी रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के सदस्य हैं, जिसमें ललित खन्ना हैं | ललित खन्ना के साथ की जा रही रमेश अग्रवाल की बदतमीजी को केके गुप्ता ने क्लब पर हमले के रूप में देखा/पहचाना और क्लब की इज्ज़त व साख बचाने के उद्देश्य से उन्होंने इस मामले में आगे आने का फैसला किया | यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा भी इसी क्लब के सदस्य हैं, और वह इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के पद पर भी हैं - लेकिन उन्होंने ललित खन्ना को दिखाई जा रही रमेश अग्रवाल की तड़ीबाजी का कोई नोटिस नहीं लिया | मुकेश अरनेजा ने न ललित खन्ना के साथ हो रहे अन्याय की परवाह की, और न क्लब की इज्ज़त व साख की ही चिंता की | मुकेश अरनेजा को जानने वालों का कहना रहा कि मुकेश अरनेजा अपने को चाहे जितना तीसमारखां समझते/दिखाते हों, लेकिन वह भी जानते/समझते हैं कि रमेश अग्रवाल की बदतमीजी का विरोध करने की उनकी 'औकात' है नहीं |
रमेश अग्रवाल का 'नशा' उतारने के लिए केके गुप्ता ने रोटरी इंटरनेशनल के जिम्मेदार पदाधिकारियों से बात करने का जिम्मा संभाला, तो ललित खन्ना ने डिस्ट्रिक्ट के वरिष्ठ सदस्यों - खासकर पूर्व गवर्नर्स से बात की और उन्हें अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में तैयार करने का काम किया | रमेश अग्रवाल द्धारा खड़ी की गई प्रतिकूल स्थिति का सामना करने के मौके का ललित खन्ना ने बड़ी होशियारी के साथ इस्तेमाल किया | अपनी उम्मीदवारी के खिलाफ रमेश अग्रवाल के रवैये को लेकर ललित खन्ना ने पूर्व गवर्नर्स के बीच जो गुहार लगाई - उसका उन्होंने दो तरह से फायदा उठाया : एक तरफ तो उन्होंने अपनी उम्मीदवारी को संभव बनाने का काम किया, और साथ ही साथ दूसरी तरफ अपनी उम्मीदवारी के प्रति पूर्व गवर्नर्स के बीच विश्वास और समर्थन पैदा करने का काम भी किया | ललित खन्ना की समस्या थी कि उनकी उम्मीदवारी को लेकर जो असमंजस बना हुआ था, उसके चलते वह अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम कर ही नहीं पा रहे थे | लिहाजा अपनी उम्मीदवारी को संभव बनाने के लिए उनको जो कोशिश करनी थी, उस कोशिश को उन्होंने इस तरह से संयोजित किया कि वह उनका समर्थन जुटाने का अभियान भी बन गई | दरअसल अपनी उम्मीदवारी को संभव बनाने के लिए ललित खन्ना ने जो प्रयास किए, उन्हें आक्रामक तेवर इसी रणनीति के तहत दिए ताकि लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी के प्रति भरोसा पैदा हो | अपनी उम्मीदवारी के प्रति लोगों के बीच भरोसा पैदा करने में ललित खन्ना को जो सफलता मिल रही थी, उसका ही नतीजा था कि दूसरे संभावित उम्मीदवारों के बीच घबराहट फैली और इसी घबराहट में ललित खन्ना की उम्मीदवारी की खिलाफत करते हुए उन्होंने भी इंटरनेशनल डायरेक्टर यश पाल दास के सामने ललित खन्ना की उम्मीदवारी को स्वीकृत न करने की मांग रखी | कई लोगों को लगता है कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी के विरोध में यश पाल दास के साथ संभावित उम्मीदवारों की मुलाकात का 'स्टेज' पर्दे के पीछे से रमेश अग्रवाल ने ही सजाया था | रमेश अग्रवाल का यह टुच्चापन भी लेकिन उनके काम नहीं आया |
ललित खन्ना की उम्मीदवारी को रोकने की रमेश अग्रवाल की हर कोशिश जब पिट गई तब रमेश अग्रवाल यह स्वीकार करने के लिए मजबूर हुए कि ललित खन्ना की उम्मीदवारी को प्रस्तुत होने से नहीं रोका जा सकता है | 'थूक के चाटना' वाला मुहावरा किसने बनाया था और किस घटना से प्रेरित होकर बनाया था - यह तो पता नहीं, लेकिन रमेश अग्रवाल ने ललित खन्ना की उम्मीदवारी को लेकर जो शीर्षासन किया, उस पर पूरी तरह फिट जरूर बैठता है | रमेश अग्रवाल की तड़ीबाजी से निपटने में ललित खन्ना ने जिस तरह से केके गुप्ता का सक्रिय समर्थन जुटाया, मुकेश अरनेजा के खुले विरोध के बावजूद अपने क्लब के पदाधिकारियों व अन्य सदस्यों का समर्थन प्राप्त किया और रमेश अग्रवाल की हर तिकड़म को फेल किया - उससे उन्होंने अपनी 'लड़ने' की सामर्थ्य का तथा प्रतिकूल स्थितियों को अनुकूल बना सकने के अपने हुनर का सुबूत ही पेश किया है | ललित खन्ना के शुभचिंतकों का मानना और कहना है कि अपनी उम्मीदवारी को संभव बनाने की जो लड़ाई ललित खन्ना ने जीती है उसका उनकी उम्मीदवारी के संदर्भ में एक प्रतीकात्मक महत्व है; और उनकी यह जीत डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनकी उम्मीदवारी के दावे को गंभीर बनाती है |