Saturday, September 22, 2012

राजेश बत्रा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना कर विनोद बंसल ने कहीं मुसीबत तो मोल नहीं ले ली है ?

नई दिल्ली | राजेश बत्रा ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में विनोद बंसल की ऐसी दशा कर दी है कि विनोद बंसल के लिए न कुछ कहते बन रहा है और न कुछ करते | राजेश बत्रा के दबावपूर्ण व्यवहार के चलते विनोद बंसल को ऐसे लोगों को महत्वपूर्ण पद देने पड़े हैं, जिन्होंने न तो उनके चुनाव में उनकी सक्रिय मदद की थी, और न उनके कहने के बावजूद पिछले वर्ष रवि चौधरी का समर्थन किया था | जो लोग विनोद बंसल के किसी भी तरह से काम नहीं आये, विनोद बंसल को उन्हें जिस तरह से महत्वपूर्ण पद देने के लिए मजबूर होना पड़ा है - उससे लोगों के बीच यही संदेश गया है कि उनकी टीम का गठन वह नहीं, बल्कि राजेश बत्रा कर रहे हैं | इसका नतीजा यह है कि विनोद बंसल के चुनाव में खुल कर उनका साथ देने वाले लोग अपने आपको उपेक्षित पा रहे हैं | ऐसे लोगों का 'दर्द' यह याद करके और टीस मार उठता है कि अपने चुनाव के समय तो विनोद बंसल उन्हें 'खुल कर' साथ आने के लिए प्रेरित करते थे, लेकिन अब उनसे बात करने से भी कतराते हैं और दूसरों के जरिये संदेश भिजवाते हैं | विनोद बंसल की मौजूदा दशा से परिचित लोग इस स्थिति के लिए लेकिन राजेश बत्रा को जिम्मेदार ठहराते हैं | उनका कहना है कि राजेश बत्रा ने विनोद बंसल के लिए वास्तव में कोई मौका ही नहीं छोड़ा है, ताकि वह 'अपने' लोगों का ख्याल रख सकें - और चूँकि वह अपने लोगों के काम नहीं आ पा रहे हैं इसलिए वह उनसे बात करने से भी बच रहे हैं | राजेश बत्रा को हावी देख कर विनोद बंसल के हाथ-पैर ऐसे फूल गए हैं कि उनके लिए छोटे-मोटे दबावों से बच पाना भी मुश्किल बना हुआ है, जिस कारण अपने फैसलों को क्रियान्वित कर पाने में भी वह लाचार से बने हुए हैं | रोटरी क्लब गाजियाबाद प्लेटिनम के अमित अग्रवाल को असिस्टेंट गवर्नर बनाने का विनोद बंसल ऐलान कर चुके हैं, लेकिन अपने इस ऐलान को क्रियान्वित कर पाने को लेकर उनके पसीने छूटे हुए हैं | विनोद बंसल ने जो फैसले किए हैं उन्हें दबाव में लिए फैसले के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, और जिस एक फैसले को वह क्रियान्वित नहीं कर पा रहे हैं - उसके पीछे भी दबाव बताया जा रहा है |
राजेश बत्रा के चौधराहटपूर्ण रवैये ने विनोद बंसल को सहयोगी आम रोटेरियन ही नहीं, सहयोगी रहे रोटेरियन नेताओं के निशाने पर भी ला दिया है | सबसे ज्यादा क्रोध में असित मित्तल हैं | विनोद बंसल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'बनवाने' का असित मित्तल चूँकि अकेले ही श्रेय लेते हैं, इसलिए वह विनोद बंसल से खास व्यवहार की उम्मीद रखते हैं | विनोद बंसल के लिए असित मित्तल लेकिन 'दूध में पड़ी मक्खी' बने हुए हैं | इसके लिए कुछ तो विनोद बंसल का अपना स्वभाव जिम्मेदार है, और कुछ राजेश बत्रा का रवैया | विनोद बंसल ने पीछे अपना जो पहला कार्यक्रम किया था - उसमें राजेश बत्रा के रवैये के चलते असित मित्तल को मंच की बजाये, आम रोटेरियंस के बीच जगह मिली थी | कार्यक्रम ख़त्म हो जाने और अधिकतर लोगों के चले जाने के बाद, जब मुश्किल से छह-आठ लोग बचे रह गए थे तब विनोद बंसल ने असित मित्तल की सुध ली थी | असित मित्तल ने नोट किया और कई लोगों से कहा भी कि विनोद बंसल उन्हें जानबूझ कर किनारे लगाये हुए हैं | असित मित्तल का कष्ट यह है कि वह उम्मीद लगाये हुए थे कि विनोद बंसल उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनायेंगे - लेकिन जो हुआ उसमें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनाना तो दूर, विनोद बंसल उन्हें किनारे/ठिकाने लगाने में लगे हुए हैं | विनोद बंसल ने असित मित्तल को दोहरी चोट दी - डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर न बना कर उनकी उम्मीदों पर तो पानी फेरा ही; असित मित्तल को फूटी आँख न देख पाने वाले राजेश बत्रा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना दिया | असित मित्तल के प्रति राजेश बत्रा के रवैये ने विनोद बंसल का 'काम' आसान और कर दिया है - असित मित्तल इसी बात से भड़के हुए हैं |  
राजेश बत्रा के रवैये ने विनोद बंसल के लिए अजीब-अजीब तरह की मुसीबतें पैदा कर दी हैं | जैसे राजेश बत्रा ने घोषणा कर दी है कि वह हैदराबाद में आयोजित हो रहे इंस्टीट्यूट में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर की ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे | क्यों नहीं होंगे ? क्योंकि उक्त ट्रेनिंग कार्यक्रम के ट्रेनर अशोक घोष बनाये गए हैं | राजेश बत्रा को अशोक घोष से ट्रेनिंग लेने में अपनी नाक नीची होती हुई लगती है | अपनी नाक को नीची होने से बचाने के लिए ही राजेश बत्रा ने रोटरी इंटरनेशनल द्धारा डिजाइन किए गए महत्वपूर्ण ट्रेनिंग कार्यक्रम से गायब रहने का फैसला किया है | राजेश बत्रा को लगता है और उन्होंने कहा है कि जब वह उक्त कार्यक्रम में शामिल ही नहीं होंगे, तो अशोक घोष से ट्रेनिंग लेने से नाक नीची होने के 'खतरे' से बच जायेंगे | राजेश बत्रा के इस रवैये पर लोगों का कहना है कि राजेश बत्रा को अपनी नाक की यदि इतनी ही चिंता है तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद नहीं स्वीकार करना चाहिए था | राजेश बत्रा ने डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद क्यों स्वीकार किया - इसका उन्होंने बड़ा दिलचस्प और बचकाना-सा जबाव दिया है | उन्होंने कहा है कि डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद पाने के लिए उन्होंने कोई लॉबिंग नहीं की; विनोद बंसल ने उनसे डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद स्वीकार करने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया | राजेश बत्रा बताते/कहते हैं कि वह 'इस' पद पर रह चुके हैं, 'उस' पद पर रह चुके हैं; दो बार डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रह चुके हैं - तीसरी बार डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं थी | कुर्सी का मोह दरअसल होता ही ऐसा है | सयाने लोग 'दिखाते' तो यह हैं कि उन्हें कुर्सी का कोई मोह नहीं है - लेकिन कुर्सी जब उन्हें मिल रही होती है तो उसे लेने से वह बेचारे इंकार नहीं कर पाते | डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर का पद तो बेचारे राजेश बत्रा को विनोद बंसल के अनुरोध पर स्वीकार करने के लिए 'मजबूर' होना पड़ा - लेकिन अपनी टीम अपने आप चुनने और हैदराबाद में आयोजित हो रहे इंस्टीट्यूट में डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर की ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होने का विनोद बंसल का 'अनुरोध' राजेश बत्रा को न सुनाई दे रहा है और न समझ आ रहा है | डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर की ट्रेनिंग कार्यक्रम में शामिल होने से राजेश बत्रा के इंकार ने विनोद बंसल को अशोक घोष तथा उनके नजदीकियों के साथ-साथ रोटरी के बड़े नेताओं व दूसरे डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों के सामने अजीब-सी स्थिति में ला दिया है; और उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह इस स्थिति से कैसे निपटे ?
इन्हीं सब बातों व तथ्यों के संदर्भ में, विनोद बंसल के शुभचिंतकों को लग रहा है कि राजेश बत्रा को डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर बना कर विनोद बंसल ने कहीं मुसीबत तो मोल नहीं ले ली है ?