Monday, February 20, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में दीपक बाबु ने चक्रेश लोहिया से निपटने के नाम पर डिस्ट्रिक्ट को संभलने से पहले ही फिर से मुसीबत में डालने/फँसाने की तैयारी कर ली है क्या ?

मुरादाबाद । डिस्ट्रिक्ट 3100 में लोगों को अच्छी खबर मिली, तो उसके पीछे पीछे बुरी खबर भी आ पहुँची है - और इस तरह डिस्ट्रिक्ट के नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस से बाहर आने के लोगों के सारे उत्साह पर पानी फिरता दिख रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनते बनते रह गए जो दीपक बाबु डिस्ट्रिक्ट की बर्बादी के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे, उन्हीं दीपक बाबु के नजदीकियों की तरफ से पटरी पर लौटते डिस्ट्रिक्ट में एक बार फिर बबाल मचाने की तैयारी शुरू हो गई है - और इस तरह उस उम्मीद का धुआँ निकलता नजर आ रहा है, जिसमें सबक सीखने का अहसास था । जून से पहले पहले वर्ष 2018-19 के गवर्नर पद के लिए चक्रेश लोहिया की उम्मीदवारी घोषित होने के बाद जिस तरह अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी प्रस्तुत हुई है, उसमें डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अनर्थ के पुनः उभरने के संकेत दिख रहे हैं । लगता है कि डिस्ट्रिक्ट में जिस चुनावी राड़ ने डिस्ट्रिक्ट को नॉन-डिस्ट्रिक्ट के स्टेटस में पहुँचाया, वह राड़ अभी भी जारी है और जो चक्रेश लोहिया व अंशुल शर्मा के बीच के संभावित चुनावी मुकाबले में एक बार फिर मुखर होगी । मजे की बात यह है कि अभी हालाँकि यही तय नहीं है कि जून से पहले वर्ष 2018-19 के गवर्नर पद के लिए होने वाला चुनाव मुरादाबाद क्षेत्र से ही होगा - यह तय भले ही न हुआ हो, लेकिन मुरादाबाद में चुनावी युद्ध के लिए सेनाएँ सजनी शुरू हो गई हैं ।
उल्लेखनीय है कि अभी सिर्फ यह तय हुआ है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 का नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस 30 जून को खत्म हो जायेगा, तथा एक जुलाई से डिस्ट्रिक्ट - आधिकारिक रूप से डिस्ट्रिक्ट हो जायेगा । वर्ष 2017-18 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नहीं होगा, उसकी जगह रोटरी इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर संजय खन्ना ही डिस्ट्रिक्ट की जिम्मेदारी संभालेंगे, जिनकी अथक कोशिशों का ही नतीजा है कि डिस्ट्रिक्ट एक वर्ष से भी कम समय में नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस से बाहर आ गया है । तय हुआ है कि वर्ष 2018-19 के गवर्नर के लिए जून से पहले चुनाव होगा, और उससे अलगे वर्ष के गवर्नर के लिए अगस्त/सितंबर तक चुनाव करा लिया जायेगा । यह भी तय हो गया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव जोन-वाइज होंगे और इसके लिए डिस्ट्रिक्ट को तीन जोन में बाँटा गया है - उल्लेखनीय है कि यह फैसला डिस्ट्रिक्ट की काउंसिल ऑफ गवर्नर्स ने पहले भी किया था, लेकिन जिसे दीपक बाबु ने अपने शातिरपने में लागू नहीं होने दिया था । एक बड़ी बात यह तय हुई है कि पिछले वर्षों में जो भी लोग उम्मीदवार बने हैं, वह तीन वर्षों के लिए उम्मीदवार नहीं हो सकेंगे । जो बात अभी तय होनी है, वह यह है कि जोन-वाइज जो चुनाव होंगे, उसमें जोन्स का क्रम क्या बनेगा । डिस्ट्रिक्ट के नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में जाने से पहले लगातार दो वर्ष चूँकि मेरठ से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रहे हैं, इसलिए मुरादाबाद के लोग अपना पहला नंबर मान कर चल रहे हैं - और इसीलिए मुरादाबाद में चुनाव की तैयारी होने लगी है ।
चुनाव की तैयारी की शुरुआत चक्रेश लोहिया ने की, और उनकी तैयारी से मुरादाबाद के रोटरियंस के बीच जो गर्मी पैदा हुई - उसकी प्रतिक्रिया के रूप में अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी सामने आई । इस घटनाचक्र ने लोगों को दिवाकर अग्रवाल और दीपक बाबु के बीच हुए चुनावी घमासान के परिदृश्य को याद करा दिया - जिसमें झगड़े का पड़ा बीज नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस के फल के रूप में पनपा । उल्लेखनीय है कि चक्रेश लोहिया, दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी के प्रमुख सेनापतियों में थे - तो अंशुल शर्मा, दीपक बाबु की उम्मीदवारी के सेनापतियों में थे । यूँ तो अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी में कुछ भी गलत नहीं है; जितना हक चक्रेश लोहिया को उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का है, उतना ही हक अंशुल शर्मा को भी है । लेकिन सामाजिक/राजनीतिक जीवन में जेस्चर जैसी चीज भी होती है तथा उसका एक संदेश और महत्त्व होता है । अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी ने लोगों को बुरी खबर का अहसास इसलिए कराया, क्योंकि डिस्ट्रिक्ट में पिछले दो-तीन वर्षों में जो कुछ भी बुरा हुआ और डिस्ट्रिक्ट नॉन-डिस्ट्रिक्ट स्टेटस में गया - उसके लिए प्रमुख रूप से दीपक बाबु और उनके नजदीकियों की राजनीति को जिम्मेदार माना/ठहराया गया और इसके लिए डिस्ट्रिक्ट व रोटरी में उनकी भारी फजीहत हुई । उम्मीद की जा रही थी कि अपनी फजीहत से सबक लेकर दीपक बाबु और उनके संगी-साथी अब जल्दी से ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे डिस्ट्रिक्ट में फिर से झगड़े-फसाद शुरू हों । अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी से लेकिन डिस्ट्रिक्ट के लोगों की उक्त उम्मीद हवा हो गई है ।
अंशुल शर्मा को रोटरी में अभी ज्यादा समय नहीं हुआ है, और रोटरी में उनकी पहचान कुल मिला कर दीपक बाबु के चुनाव में निभाई गई उनकी भूमिका से ही है - लेकिन जिसने दीपक बाबु और डिस्ट्रिक्ट को सिर्फ बदनामी ही दिलवाई है । अंशुल शर्मा का अपने क्लब में भी झगड़ा हुआ, जिसके चलते उन्हें अपना क्लब छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा । चक्रेश लोहिया के नाम पर भी चुनावी झमेलों में शामिल होने के आरोप रहे हैं, लेकिन उनका प्रशासनिक अनुभव भी रहा है । कई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के साथ उन्होंने औपचारिक तथा अनौपचारिक रूप से निर्णायक समझे जाने वाले काम किए हैं । जो लोग चक्रेश लोहिया को पसंद नहीं भी करते हैं, उनका मानना और कहना है कि चक्रेश लोहिया और अंशुल शर्मा के बीच कोई तुलना नहीं है - और अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी में चक्रेश लोहिया के साथ उतावलेपूर्ण ढंग से दुश्मनी निकालने/दिखाने जैसा भाव है । मुरादाबाद में कई लोगों का मानना और कहना है कि अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी प्रस्तुत करवा कर दीपक बाबु ने चक्रेश लोहिया की एक तरह से मदद ही की है - थोड़ा ठहर कर ठंडे दिमाग से एक बेहतर उम्मीदवार खोजा/लाया जाता, तो चक्रेश लोहिया को चुनावी मुसीबत में डाला जा सकता था । लोगों को लग रहा है कि चक्रेश लोहिया से निपटने की हड़बड़ी में दीपक बाबु और उनके संगी-साथियों ने अंशुल शर्मा की उम्मीदवारी को प्रस्तुत करके यही संकेत दिया है, कि पीछे जो कुछ हुआ है उससे उन्होंने कोई सबक नहीं सीखा है और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट को संभलने से पहले ही फिर मुसीबत में डालने/फँसाने के लिए कमर कस ली है ।