Wednesday, February 1, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन पद की चुनावी राजनीति में बेनामी चिट्ठी का सहारा लेने में राकेश मक्कड़ पर शक जाने से माहौल गरमाया

नई दिल्ली । मोहित बंसल के एक पुराने आपराधिक मुकदमे को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की चुनावी राजनीति में जिस तरह नकाब में छिप कर घसीट लिया गया है, उससे संकेत मिल रहा है कि नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की राजनीति नीचता और घटियापन की अभी और सीढ़ियाँ लुढ़केगी । मोहित बंसल वरिष्ठ चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं और नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में वाइस चेयरपर्सन पूजा बंसल के पति हैं - दरअसल पूजा बंसल के पति होने के नाते ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की चुनावी राजनीति में वह मोहरा बना दिए गए हैं । पूजा बंसल 13 सदस्यीय रीजनल काउंसिल में आठ सदस्यों वाले पॉवर-ग्रुप की सदस्य हैं, और इसी नाते से उन्हें वाइस चेयरपर्सन का पद मिला है । दीपक गर्ग के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के बाद, उन्हें उनकी जिम्मेदारियाँ सँभालने/निभाने का जिम्मा मिला । पॉवर-ग्रुप के नेताओं को यह फैसला इंस्टीट्यूट प्रशासन का डंडा पड़ने के बाद, वास्तव में मजबूरी में करना पड़ा । इसीलिए पूजा बंसल को वह चेयरपर्सन के रूप में स्वीकार नहीं कर पाए । इंस्टीट्यूट के नियम/कायदों को दरकिनार करके मनमाने तरीके से पॉवर-ग्रुप की एक टीम बना ली गई, जिसके मुखिया राकेश मक्कड़ बन गए । राकेश मक्कड़ अपने आपको चेयरमैन के रूप में दिखाने/जताने लगे, और इस कोशिश में बचकानी किस्म की हरकतें करने लगे । होटल ली मेरिडियन में आयोजित हुई रीजनल कॉन्फ्रेंस में उनके रंग-ढंग देख कर एक अतिथि स्पीकर ने तो उन्हें चेयरमैन कहते हुए संबोधित किया - झेंपते हुए उन्होंने हालाँकि तुरंत सफाई दी कि वह चेयरमैन नहीं हैं; लेकिन इस 'घटना' से लोगों को राकेश मक्कड़ का मजाक बनाने का मौका तो मिला ही, और उन्होंने राकेश मक्कड़ से कहा भी कि जब तुम चेयरमैन नहीं हो - तो लोगों के बीच चेयरमैन के रूप में अपने आपको दिखाने/जताने का प्रयत्न क्यों करते रहते हो ?
राकेश मक्कड़ की इन हरकतों से पूजा बंसल को चेयरपर्सन पद का कार्यभार मिलने का 'हक' नहीं मिल सका, और काउंसिल के कामकाज में उनकी बातों को अनसुना किया जाने लगा - जिसके चलते पूजा बंसल ने अपने आप को पॉवर-ग्रुप में अलग-थलग व अपमानित पाया । काउंसिल के कामकाज में होने वाली मनमानियों को पूजा बंसल ने चूँकि चुपचाप स्वीकार करने से इंकार किया और हर गलत बात का विरोध करना शुरू किया, उससे पॉवर-ग्रुप के नेताओं ने समझ लिया कि काउंसिल के अगले चेयरमैन के चुनाव में वह पॉवर-ग्रुप का हिस्सा नहीं रहेंगी । पॉवर-ग्रुप के बाकी बचे सात सदस्यों में चेयरमैन पद के लिए दो उम्मीदवारों - राकेश मक्कड़ और विवेक खुराना को आमने-सामने देखा जा रहा है; इसलिए आम समझ यह बनी है कि अगले चेयरमैन का चुनाव एक दूसरा पॉवर-ग्रुप करेगा और एक नया समीकरण बनेगा । इस बीच एक घटना यह हुई कि पॉवर-ग्रुप की एक मीटिंग में मोहित बंसल की उपस्थिति के विरोध को लेकर विवेक खुराना की मोहित बंसल से झड़प हो गई । मोहित बंसल का तर्क रहा कि पॉवर-ग्रुप में पूजा बंसल को शामिल करने को लेकर जो भी बातें हुईं थीं, उनमें तो उनके शामिल होने पर किसी को कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ, बल्कि अधिकतर मौकों पर उनसे ही बातें हुईं - अब अचानक से उनकी उपस्थिति पर ऐतराज क्यों होने लगा है ? मोहित बंसल की यह बात फिर झड़प में और तू-तू मैं-मैं में बदल गई । इस घटना से पूजा बंसल की पॉवर-ग्रुप के सदस्यों से दूरी और बढ़ गई ।
इसके बाद ही मोहित बंसल के एक पुराने आपराधिक मुकदमे का हवाला देते हुए एक बेनामी चिट्ठी लोगों को डाक से मिलने लगी । जिस मुकदमे में मोहित बंसल वर्षों पहले अंततः बरी हो गए और आरोप-मुक्त हो गए, इस बेनामी चिट्ठी के लेखक चाहते हैं कि उक्त मुकदमे के कारण इंस्टीट्यूट प्रशासन मोहित बंसल को सजा दे - और पूजा बंसल को भी सजा दे । अब यह कौन सा कानून कहता है कि कोई व्यक्ति यदि अपराध करे, तो सजा उसके साथ-साथ उसके परिवार के सदस्यों को भी मिले ? जाहिर है कि इस बेनामी चिट्ठी के लेखक को कानून की और न्याय की बात से कोई मतलब नहीं है, वास्तव में वह किसी को सजा भी नहीं दिलाना चाहता है - वह तो मोहित बंसल के मुकदमे का वास्ता देकर पूजा बंसल को ब्लैकमेल करना चाहता है । यदि ऐसा नहीं होता, तो कम-से-कम इतना साहस तो वह जरूर दिखाता ही कि अपने नाम और पूरे परिचय से शिकायत करता और चिट्ठी लिखता - न कि नकाब ओढ़ कर यह सब करता । चिट्ठी मिलने और इसकी चर्चा छिड़ने पर लोगों को यह समझने में देर नहीं लगी कि यह चिट्ठी नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पॉवर-ग्रुप में बैलेंस और समर्थन बनाने के लिए चल रहे संघर्ष का एक घिनौना हथकंडा है ।
इतना समझने के बाद लोगों ने जब यह समझने की कोशिश की कि इस चिट्ठी के पीछे कौन हो सकता है, तो आश्चर्यजनक रूप से सभी के शक के घेरे में राकेश मक्कड़ का नाम आया है । अपराधशास्त्र का सामान्य सिद्धांत है कि किसी भी अपराध में सबसे पहले यह देखा जाता है कि इससे आखिर फायदा किसे होगा ? चेयरमैन पद को लेकर राकेश मक्कड़ में गहरी लालसा देखी गई है; उनमें यह लालसा इतनी गहरी रही है कि पूजा बंसल को चेयरपर्सन पद का कार्य-भार मिलने के बाद भी वह - जैसा कि पहले ही कहा/बताया जा चुका है कि - अपने आप को तरह तरह से चेयरमैन दिखाने/जताने का काम करते । राकेश मक्कड़ अपने आपको अगला चेयरमैन मान कर चल रहे हैं; पॉवर-ग्रुप के दूसरे सदस्यों के समर्थन का तो उन्हें विश्वास है, लेकिन जो हालात बने उसमें अलग अलग कारणों से पूजा बंसल और विवेक खुराना उनका काम बिगाड़ते हुए नजर आए - लिहाजा इनसे निपटना उन्हें जरूरी लगा । लोगों को लगता है कि मोहित बंसल को निशाने पर लेती बेनामी चिट्ठी के जरिए राकेश मक्कड़ ने विवेक खुराना और पूजा बंसल को एकसाथ साधने की तिकड़म लगाई है । लोगों के बीच चर्चा है कि राकेश मक्कड़ को विश्वास रहा होगा कि चूँकि कुछ ही दिन पहले विवेक खुराना और मोहित बंसल की झड़प हुई है, इसलिए इस चिट्ठी के पीछे विवेक खुराना का हाथ 'देखा' जायेगा - और इस तरह यह चिट्ठी विवेक खुराना और पूजा बंसल को एक साथ लाइन पर ले आयेगी ।
मोहित बंसल को बदनाम करने वाली बेनामी चिट्ठी के पीछे राकेश मक्कड़ पर शक जाने और उसकी चर्चा होने के साथ ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की चुनावी राजनीति में अचानक से तेज उबाल आ गया है । चेयरमैन पद के लिए पॉवर-ग्रुप में नितिन कँवर का नाम भी सुनाई पड़ने लगा है । नितिन कँवर के नजदीकियों के अनुसार, नितिन कँवर को उम्मीद लगी है कि पॉवर-ग्रुप में राकेश मक्कड़ और विवेक खुराना के बीच जो बबाल मचा है, उसके चलते हो सकता है कि उनकी लॉटरी निकल आए । लोगों को लेकिन यह भी लगता है कि तमाम बदनामी और फजीहत के बावजूद राकेश मक्कड़ चेयरमैन पद पाने की अपनी कोशिशों को आसानी से छोड़ेंगे नहीं, इसलिए चेयरमैन पद की राजनीति में अभी और तमाशा होगा तथा घटियापन और टुच्चेपन के अभी और दृश्य देखने को मिलेंगे ।