Saturday, February 18, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में बदलते राजनीतिक माहौल में अपने लिए मौका बनाने की ललित खन्ना की सक्रियता ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का तापमान बढ़ाया

नई दिल्ली । रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के ललित खन्ना ने अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करके डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा करने का काम किया है । ललित खन्ना इस वर्ष भी उम्मीदवार थे, लेकिन इस वर्ष उन्हें सफलता नहीं मिल सकी । इस वर्ष का चुनावी नतीजा आने के तुरंत बाद ही उन्होंने हालाँकि संकेत तो दिए थे कि उन्होंने लड़ाई हारी जरूर है, पर छोड़ी नहीं है - लेकिन लगातार दूसरे वर्ष उनके उम्मीदवार होने को लेकर लोगों के बीच संशय बना रहा था । ललित खन्ना अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार होने के संकेत तो दे रहे थे, लेकिन चूँकि वह इस बारे में साफ-साफ घोषणा करने से बच रहे थे - इसलिए लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी को लेकर असमंजस बना । इसका फायदा रोटरी क्लब गाजियाबाद शताब्दी के आलोक गुप्ता ने उठाया । आलोक गुप्ता ने अगले रोटरी वर्ष के लिए अपनी उम्मीदवारी को लेकर तैयारी शुरू दी । समझा जाता है कि ललित खन्ना को उनके शुभचिंतकों ने समझाया होगा - या क्या पता उन्होंने खुद ही समझा होगा कि यदि संकेतों और इशारों में ही बात करते रहोगे और पक्के तौर पर अपनी उम्मीदवारी को घोषित नहीं करोगे तथा उसके लिए काम शुरू नहीं करोगे, तो पिछड़ जाओगे; लिहाजा ललित खन्ना भी फिर औपचारिक रूप से अपनी उम्मीदवारी को लेकर सक्रिय हो गए और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी तथा अहमियत रखने वाले प्रमुख लोगों से बातचीत करना शुरू कर दिया ।
ललित खन्ना के नजदीकियों के अनुसार, नेताओं से ललित खन्ना को समर्थन का अभी कोई ठोस भरोसा तो नहीं मिला है लेकिन सकारात्मक इशारे जरूर मिले हैं - जिनसे ललित खन्ना ने अपने आप को उत्साहित पाया है । किन्हीं किन्हीं नेताओं ने ललित खन्ना से कहा कि अभी इस चक्कर में ज्यादा न पड़ो कि कौन साथ है और कौन साथ नहीं है - अभी तो बस काम करो । ललित खन्ना को यह देख/जान कर ज्यादा उत्साह मिला कि आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को ज्यादा नेताओं का समर्थन नहीं है, बल्कि कुछेक नेता तो उन्हें आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी के विरोध में तीखे तेवर दिखाते नजर आए हैं । ललित खन्ना के क्लब में आयोजित हुए स्वागत समारोह में इस वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव जीते दीपक गुप्ता ने ललित खन्ना की जैसी जो तारीफ की, उसके बाद से ललित खन्ना अपनी उम्मीदवारी को लेकर और ज्यादा उत्साहित नजर आए हैं । हालाँकि खुद ललित खन्ना के ही नजदीकियों का कहना है कि ललित खन्ना का उत्साह बढ़ने/बढ़ाने का कारण दीपक गुप्ता का भाषण शायद नहीं है - रोटरी में भाषणों में झाड़ पर चढ़ाने का 'काम' तो खूब होता है, समझदार लोग भाषणों में कही गई बातों के झाँसे में नहीं आते हैं; लगता है कि ललित खन्ना और दीपक गुप्ता के बीच जो अनौपचारिक बातचीत हुई है, उसमें ललित खन्ना को दीपक गुप्ता से कुछ महत्त्वपूर्ण टिप्स मिली होंगी - जिन्होंने ललित खन्ना को आश्वस्त व उत्साहित किया है । ललित खन्ना के नजदीकियों के अनुसार, ललित खन्ना कुछेक नेताओं से मिले इस फीडबैक से ज्यादा उत्साहित हैं कि आमतौर पर उत्तर प्रदेश तथा खासतौर पर गाजियाबाद में आलोक गुप्ता को एकतरफा समर्थन नहीं मिल सकेगा । कुछेक नेताओं ने हालाँकि ललित खन्ना को चेतावनी भी दी है कि उन्होंने पिछली बार के अपने चुनाव अभियान में जो गलतियाँ की हैं, इस बार भी यदि उन्हें दोहराया तो फिर उनका भी आलोक गुप्ता के सामने वैसा ही हाल होगा, जैसा इस वर्ष के चुनाव में दीपक गुप्ता के सामने अशोक जैन का हुआ है ।
इस वर्ष हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी नतीजे ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ी नेताओं की जो सिट्टी-पिट्टी निकाली है, और उसके कारण नेताओं के हौंसले जिस तरह से पस्त पड़े हैं - उसमें भी ललित खन्ना को अपने लिए अच्छा मौका नजर आ रहा है । अशोक जैन की बुरी हार से रमेश अग्रवाल को जो जोर का झटका जोर से लगा है, उससे लग रहा है कि अगले वर्ष रमेश अग्रवाल के भरोसे कोई उम्मीदवार नहीं आयेगा - ऐसे में ललित खन्ना उनका समर्थन मिलने की उम्मीद कर सकते हैं । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल जिस बड़बोलेपन के साथ दीपक गुप्ता की जीत का श्रेय ले रहे हैं, और खुद ही अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, उससे लग रहा है कि यह दोनों बड़बोली बेवकूफियाँ करने से आगे भी बाज नहीं आयेंगे, जिससे आलोक गुप्ता की उम्मीदवारी को नुकसान होगा - जाहिर है कि वह प्रतिद्धंद्धी उम्मीदवार के रूप में ललित खन्ना का फायदा होगा । मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल के बड़बोलेपन पर लोगों की नाराजगी अभी से 'दिखने' भी लगी है; लोग पूछने लगे हैं कि इस वर्ष दीपक गुप्ता यदि इनके समर्थन के कारण जीते हैं, तो पिछले वर्ष दीपक गुप्ता इनके समर्थन के होते हुए भी सुभाष जैन से हार क्यों गए थे ?
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के बदलते नजारे को पहचान रहे लोगों का मानना और कहना है कि रमेश अग्रवाल की बड़बोली मनमानियों ने इस वर्ष जैसा नुकसान अशोक जैन का किया है, वैसे ही खतरे का सामना अगले वर्ष आलोक गुप्ता को मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल की तरफ से करना पड़ेगा । आलोक गुप्ता के सामने पैदा होने वाले इस खतरे में ही ललित खन्ना को अपने लिए मौका दिख रहा है । इस 'मौके' को देख लेने के कारण ही ललित खन्ना ने अगले वर्ष प्रस्तुत होने वाली अपनी उम्मीदवारी के लिए तैयारी शुरू कर दी है । आलोक गुप्ता के बाद, अगले वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनावी मैदान में ललित खन्ना के भी सक्रिय हो जाने से डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का तापमान बढ़ने लगा है - और जिस कारण से चुनावी राजनीति के समीकरण नए सिरे से बनना शुरू हो गए हैं ।