वाराणसी । डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में क्षितिज शर्मा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अनिल तुलस्यान तथा उनके खेमे के बड़े नेताओं के 'निर्देश' के अनुसार जोश के साथ 'काम' करता देख लोगों को भारी आश्चर्य हुआ । आश्चर्य
का कारण दरअसल यह रहा कि क्षितिज शर्मा लगातार यह कहते/बताते रहे हैं कि
वह एक उम्मीदवार की सारी 'जिम्मेदारियों' का तो पालन करेंगे किंतु सत्ता
खेमे के नेताओं के इशारे पर नहीं चलेंगे । लेकिन तीसरी कैबिनेट मीटिंग में
क्षितिज शर्मा का रवैया पूरी तरह सत्ता खेमे के नेताओं के इशारों पर चलने
जैसा था । क्षितिज शर्मा के नजदीकियों से ही मिली एक जानकारी का हवाला देते
हुए कुछेक लोगों ने मीटिंग में क्षितिज शर्मा का मजाक भी बनाया । उनके
नजदीकियों ने ही लोगों को बताया था कि क्षितिज शर्मा अपने स्टॉल पर शराब का
कोई और ब्रांड रखवा रहे थे, लेकिन सत्ता खेमे के नेताओं ने उन पर दबाव
बनाया कि उन्हें मीटिंग में लोगों को और अच्छे ब्रांड की शराब पिलवानी
चाहिए । सत्ता खेमे के नेताओं की और अच्छे ब्रांड की शराब की माँग से
क्षितिज शर्मा खुश तो नहीं थे, किंतु अंततः माँग मान लेने में ही उन्होंने
अपनी भलाई देखी/पहचानी । क्षितिज शर्मा के कुछेक नजदीकी यह देख कर तो
बुरी तरह चौंके कि सत्ता खेमे के जिन नेताओं की पहले वह बहुत बुराई किया
करते थे, अब अचानक से उनकी बड़ी तारीफ करने लगे हैं । क्षितिज शर्मा के इस
बदले बदले रवैये से उनके नजदीकियों ने तथा नजदीकियों से मिलने/सुनने वाली
बातों से डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों ने भी समझ लिया है कि क्षितिज शर्मा ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए सत्ता खेमे के बदनाम व आलोच्य नेताओं के सामने पूरी तरह समर्पण कर दिया है ।
मजे की बात लेकिन यह दिख रही है कि क्षितिज शर्मा के पूरी तरह समर्पण करने के बावजूद सत्ता खेमे के नेताओं के बीच क्षितिज शर्मा की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन को लेकर सहमति बनती नजर नहीं आ रही है । इसीलिए सत्ता खेमे के नेताओं की तरफ से मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को भी हवा दी जा रही है । तीसरी कैबिनेट मीटिंग में मुकेश पाठक द्धारा स्टॉल न लगाए जाने को लेकर सत्ता खेमे के ही एक नेता ने इन पँक्तियों के लेखक से कहा/बताया कि उन्होंने ही मुकेश पाठक को समझाया था कि इस तरह की बातों में नाहक ही पैसा क्यों बर्बाद करते हो, तुम अच्छे से जानते/समझते हो कि शराब पिला कर और गिफ्ट बाँटकर ही चुनाव नहीं जीते जाते हैं । सत्ता खेमे के नेताओं की राजनीति से परिचित कई लोगों को लगता है कि सत्ता खेमे के नेता क्षितिज शर्मा पर दबाव बनाए रखने के उद्देश्य से मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को हवा दे रहे हैं; मुकेश पाठक के नजदीकियों के अनुसार, उन्होंने मुकेश पाठक को समझाया है कि उक्त हवा 'लेते' रहो - हो सकता है कि आगे चल कर क्षितिज शर्मा की सत्ता खेमे के नेताओं से खटक जाए और तब मुकेश पाठक का काम बन जाए । डिस्ट्रिक्ट में यह कहने वाले लोगों की भी कमी तो नहीं ही है कि लगता है कि क्षितिज शर्मा ने मान लिया है कि लोगों को महँगी शराब पिला कर और गिफ्ट बाँटकर वह (सेकेंड वाइस) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन जायेंगे । हालाँकि पिछले वर्षों में, कई बार ऐसा हुआ है जबकि यह हथकंडा अपनाने वालों की दाल नहीं गली है । गौर करने वाली बात यह भी है कि कई बार सत्ता खेमे के नेताओं ने ही लोगों को शराब और गिफ्ट तो किसी और उम्मीदवार से दिलवा दिए, और चुनाव लेकिन दूसरे उम्मीदवार को जितवा दिया । इन संदर्भों को ध्यान में रखते हुए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को हवा देने की सत्ता खेमे के नेताओं की कार्रवाई ने क्षितिज शर्मा को डराया हुआ भी है ।
क्षितिज शर्मा और उनके नजदीकियों का यह डर इसलिए भी है क्योंकि सत्ता खेमे के नेता पहले प्रकाश टंडन को उम्मीदवार बनने के लिए तैयार कर रहे थे । पारिवारिक व्यस्तता के कारण जब उनके लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं हुआ, तब वह मुकेश पाठक की उम्मीदवारी के पीछे लगे । क्षितिज शर्मा और उनके नजदीकियों के लिए चिंता और परेशानी की बात यह है कि अब जब वह सत्ता खेमे के नेताओं के इशारे पर चलने और 'काम' करने के लिए तैयार हो गए हैं, तब फिर सत्ता खेमे के नेता मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को हवा देने में दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं ? सत्ता खेमे के नेताओं का कहना है कि वह क्षितिज शर्मा पर भरोसा नहीं कर सकते हैं; उन्हें लगता है कि क्षितिज शर्मा को जिस दिन अपनी 'जीत' का भरोसा हो गया, उसी दिन वह उनके हाथ से निकल जायेंगे और फिर उनकी नहीं सुनेंगे/मानेंगे । सत्ता खेमे के कुछेक नेता कुँवर बीएम सिंह के चुनाव में निभाई गई भूमिका के कारण भी क्षितिज शर्मा से खफा हैं । उक्त चुनाव में क्षितिज शर्मा ने प्रभात चतुर्वेदी का समर्थन किया था । कुँवर बीएम सिंह के साथी/समर्थक उस अनुभव को याद करते हुए कहते/बताते हैं कि क्षितिज शर्मा आसानी से तो उनका समर्थन प्राप्त नहीं कर पायेंगे । इस तरह की बातों से एक तरफ जहाँ सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को बल मिल रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ता खेमे का समर्थन जुटाने में क्षितिज शर्मा की मुश्किलें बढ़ रही हैं ।
क्षितिज शर्मा के लिए परेशानी और चुनौती की बात यह भी है कि सत्ता खेमे के नेताओं के इशारे पर चलने के जरिए उनके साथ दोस्ती गाँठने की उनकी कोशिशें उन्हें 'अपने' लोगों से दूर करने का काम कर रही हैं । क्षितिज शर्मा अपने लोगों के बीच नैतिकता और आदर्श की बड़ी ऊँची ऊँची बातें करते रहे हैं, और लोगों को बताते रहे हैं कि एक उम्मीदवार से लोगों को जो जो 'अपेक्षाएँ' होती हैं, उन्हें पूरा करने से तो वह बिलकुल भी पीछे नहीं हटेंगे - लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के बदनाम नेताओं की 'नाजायज' माँगों के आगे वह बिलकुल भी नहीं झुकेंगे । अपनी इस तरह की बातों के जरिये क्षितिज शर्मा ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी अच्छी साख और पहचान बनाई है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में लोगों ने उन्हें जब डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के उन्हीं बदनाम नेताओं के आगे-पीछे मँडराते देखा और शराब के ब्रांड पर उन्हीं की सलाह को मानते हुए 'सुना' तो उनकी साख और पहचान सवालों के घेरे में आती हुई नजर आई । क्षितिज शर्मा के लिए मुसीबत और चुनौती की बात यही है कि दो दिशाओं से आती कॉल्स को सुनने के लिए दो कान तो उनके पास हैं - लेकिन वह मानें किसकी, जिसमें कि वह अपनी साख और पहचान भी बचा सकें और अपनी जीत को भी सुनिश्चित कर सकें ।
मजे की बात लेकिन यह दिख रही है कि क्षितिज शर्मा के पूरी तरह समर्पण करने के बावजूद सत्ता खेमे के नेताओं के बीच क्षितिज शर्मा की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन को लेकर सहमति बनती नजर नहीं आ रही है । इसीलिए सत्ता खेमे के नेताओं की तरफ से मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को भी हवा दी जा रही है । तीसरी कैबिनेट मीटिंग में मुकेश पाठक द्धारा स्टॉल न लगाए जाने को लेकर सत्ता खेमे के ही एक नेता ने इन पँक्तियों के लेखक से कहा/बताया कि उन्होंने ही मुकेश पाठक को समझाया था कि इस तरह की बातों में नाहक ही पैसा क्यों बर्बाद करते हो, तुम अच्छे से जानते/समझते हो कि शराब पिला कर और गिफ्ट बाँटकर ही चुनाव नहीं जीते जाते हैं । सत्ता खेमे के नेताओं की राजनीति से परिचित कई लोगों को लगता है कि सत्ता खेमे के नेता क्षितिज शर्मा पर दबाव बनाए रखने के उद्देश्य से मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को हवा दे रहे हैं; मुकेश पाठक के नजदीकियों के अनुसार, उन्होंने मुकेश पाठक को समझाया है कि उक्त हवा 'लेते' रहो - हो सकता है कि आगे चल कर क्षितिज शर्मा की सत्ता खेमे के नेताओं से खटक जाए और तब मुकेश पाठक का काम बन जाए । डिस्ट्रिक्ट में यह कहने वाले लोगों की भी कमी तो नहीं ही है कि लगता है कि क्षितिज शर्मा ने मान लिया है कि लोगों को महँगी शराब पिला कर और गिफ्ट बाँटकर वह (सेकेंड वाइस) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन जायेंगे । हालाँकि पिछले वर्षों में, कई बार ऐसा हुआ है जबकि यह हथकंडा अपनाने वालों की दाल नहीं गली है । गौर करने वाली बात यह भी है कि कई बार सत्ता खेमे के नेताओं ने ही लोगों को शराब और गिफ्ट तो किसी और उम्मीदवार से दिलवा दिए, और चुनाव लेकिन दूसरे उम्मीदवार को जितवा दिया । इन संदर्भों को ध्यान में रखते हुए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को हवा देने की सत्ता खेमे के नेताओं की कार्रवाई ने क्षितिज शर्मा को डराया हुआ भी है ।
क्षितिज शर्मा और उनके नजदीकियों का यह डर इसलिए भी है क्योंकि सत्ता खेमे के नेता पहले प्रकाश टंडन को उम्मीदवार बनने के लिए तैयार कर रहे थे । पारिवारिक व्यस्तता के कारण जब उनके लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं हुआ, तब वह मुकेश पाठक की उम्मीदवारी के पीछे लगे । क्षितिज शर्मा और उनके नजदीकियों के लिए चिंता और परेशानी की बात यह है कि अब जब वह सत्ता खेमे के नेताओं के इशारे पर चलने और 'काम' करने के लिए तैयार हो गए हैं, तब फिर सत्ता खेमे के नेता मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को हवा देने में दिलचस्पी क्यों ले रहे हैं ? सत्ता खेमे के नेताओं का कहना है कि वह क्षितिज शर्मा पर भरोसा नहीं कर सकते हैं; उन्हें लगता है कि क्षितिज शर्मा को जिस दिन अपनी 'जीत' का भरोसा हो गया, उसी दिन वह उनके हाथ से निकल जायेंगे और फिर उनकी नहीं सुनेंगे/मानेंगे । सत्ता खेमे के कुछेक नेता कुँवर बीएम सिंह के चुनाव में निभाई गई भूमिका के कारण भी क्षितिज शर्मा से खफा हैं । उक्त चुनाव में क्षितिज शर्मा ने प्रभात चतुर्वेदी का समर्थन किया था । कुँवर बीएम सिंह के साथी/समर्थक उस अनुभव को याद करते हुए कहते/बताते हैं कि क्षितिज शर्मा आसानी से तो उनका समर्थन प्राप्त नहीं कर पायेंगे । इस तरह की बातों से एक तरफ जहाँ सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए मुकेश पाठक की उम्मीदवारी को बल मिल रहा है, तो दूसरी तरफ सत्ता खेमे का समर्थन जुटाने में क्षितिज शर्मा की मुश्किलें बढ़ रही हैं ।
क्षितिज शर्मा के लिए परेशानी और चुनौती की बात यह भी है कि सत्ता खेमे के नेताओं के इशारे पर चलने के जरिए उनके साथ दोस्ती गाँठने की उनकी कोशिशें उन्हें 'अपने' लोगों से दूर करने का काम कर रही हैं । क्षितिज शर्मा अपने लोगों के बीच नैतिकता और आदर्श की बड़ी ऊँची ऊँची बातें करते रहे हैं, और लोगों को बताते रहे हैं कि एक उम्मीदवार से लोगों को जो जो 'अपेक्षाएँ' होती हैं, उन्हें पूरा करने से तो वह बिलकुल भी पीछे नहीं हटेंगे - लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के बदनाम नेताओं की 'नाजायज' माँगों के आगे वह बिलकुल भी नहीं झुकेंगे । अपनी इस तरह की बातों के जरिये क्षितिज शर्मा ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी अच्छी साख और पहचान बनाई है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट की तीसरी कैबिनेट मीटिंग में लोगों ने उन्हें जब डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के उन्हीं बदनाम नेताओं के आगे-पीछे मँडराते देखा और शराब के ब्रांड पर उन्हीं की सलाह को मानते हुए 'सुना' तो उनकी साख और पहचान सवालों के घेरे में आती हुई नजर आई । क्षितिज शर्मा के लिए मुसीबत और चुनौती की बात यही है कि दो दिशाओं से आती कॉल्स को सुनने के लिए दो कान तो उनके पास हैं - लेकिन वह मानें किसकी, जिसमें कि वह अपनी साख और पहचान भी बचा सकें और अपनी जीत को भी सुनिश्चित कर सकें ।