Thursday, January 5, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के मौजूदा व भावी प्रेसीडेंट्स के साथ नजदीकी का वास्ता देकर गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन नवीन गर्ग को आरोपों से बचाने के जरिए राजेश शर्मा नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की चेयरमैनी राकेश मक्कड़ को दिलवा सकेंगे क्या ?

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन नवीन गर्ग की मुसीबत इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल के सदस्य राजेश शर्मा के लिए जैसे वरदान बन कर आई है - दरअसल नवीन गर्ग की मुसीबत के 'सहारे' राजेश शर्मा को रीजनल काउंसिल में अपने गिरोह को बहुमत में बनाए रखने की उम्मीद बनी है और उन्होंने इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिया है । अपने प्रयास में राजेश शर्मा ने रीजनल काउंसिल के सदस्य आलोक जैन पर डोरे डालते हुए उन्हें अपने खेमे में लाने का उपक्रम शुरू किया है । इस प्रयास के साथ राजेश शर्मा एक बार रीजनल काउंसिल की राजनीति में वापस लौट आए हैं । दीपक गर्ग के चेयरमैन पद से इस्तीफा देने के बाद रीजनल काउंसिल की व्यवस्था में जो नाटक-नौटंकी हुई, उसमें सबसे ज्यादा फजीहत राजेश शर्मा की ही हुई । असल में, सारे नाटक के सूत्रधार के रूप में राजेश शर्मा को ही देखा/पहचाना गया; राजेश शर्मा लेकिन अपने नाटक को संभाले नहीं रख सके और फिर वह नाटक - नौटंकी में बदल गया, तो सारा ठीकरा राजेश शर्मा के सिर पर ही फूटा । चौतरफा फजीहत के शिकार होने के कारण राजेश शर्मा को पर्दे के पीछे जाने के लिए मजबूर होना पड़ा । लेकिन अब जब रीजनल काउंसिल के अगले चेयरमैन का चुनाव करने का दिन नजदीक आता दिख रहा है, तो राजेश शर्मा एक बार फिर अपना नाटक जमाने के लिए मैदान में उतर आए हैं ।
बदली परिस्थितियों में राजेश शर्मा के सामने रीजनल काउंसिल में अपने गिरोह को एकजुट और बहुमत में रखने की गंभीर चुनौती है । गिरोह में अभी आठ सदस्य हैं । गिरोह के तमाम सदस्यों सहित राजेश शर्मा को भी लगता है कि कार्यकारी चेयरपरसन के रूप में पूजा बंसल को जिस तरह से काम नहीं करने दिया गया है, और उन्हें लगातार उपेक्षा व अपमान का शिकार बनाया गया है - उसकी प्रतिक्रिया में पूजा बंसल तो गिरोह से अलग हो ही जायेंगी । तेरह सदस्यों वाली रीजनल काउंसिल में सात सदस्यों के साथ राजेश शर्मा का गिरोह हालाँकि तब भी बहुमत में रहेगा । समस्या लेकिन उसके बाद की है : सात सदस्यों में राकेश मक्कड़ और विवेक खुराना चेयरमैन पद के प्रत्याशी हैं; राकेश मक्कड़ लेकिन किसी भी कीमत पर खुद चेयरमैन बनना चाहते हैं । वह चुनाव के किसी भी फार्मूले पर तैयार नहीं हैं; वह ऐसा कोई काम नहीं करना चाहते हैं जिससे कि चेयरमैन पद पर उनकी दावेदारी ख़त्म हो जाए और विवेक खुराना चेयरमैन बन जाएँ । गिरोह के सदस्यों सहित राजेश शर्मा को भी लग रहा है कि राकेश मक्कड़ की यह मनमानी विवेक खुराना स्वीकार नहीं करेंगे, और बहुत संभावना है कि विवेक खुराना गिरोह से अलग हो जाएँ । तब गिरोह में छह सदस्य रह जायेंगे, और गिरोह अल्पमत में आ जायेगा ।
इसी आशंका के चलते राजेश शर्मा को गिरोह के बाहर के सदस्यों में से किसी को गिरोह में शामिल करना जरूरी लग रहा है, और उनके नजदीकियों के अनुसार - उनकी निगाह आलोक जैन तथा राजेश अग्रवाल पर है । इनमें भी आलोक जैन को आसान शिकार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है । आलोक जैन को अपनी तरफ करने के लिए राजेश शर्मा को गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन नवीन गर्ग की मुसीबत काम आती दिख रही है । नवीन गर्ग ब्रांच के पैसों की लूट तथा इंस्टीट्यूट के नियमों की अवहेलना करने के गंभीर आरोपों में फँसे हैं । इंस्टीट्यूट में उनकी शिकायत हो चुकी है, और आरोपों के पुख्ता सुबूत हैं । नवीन गर्ग की आलोक जैन के साथ बड़ी गहरी दोस्ती है । रीजनल काउंसिल के चुनाव में नवीन गर्ग ने आलोक जैन की बहुत मदद की थी । राजेश शर्मा की तरफ से राकेश मक्कड़ ने नवीन गर्ग को संदेश दिया गया है कि अपनी दोस्ती के सहारे वह यदि आलोक जैन को उनके गिरोह में शामिल करवा दें, तो वह उनकी शिकायत पर हो सकने वाली कार्रवाई को रुकवा देंगे । राकेश मक्कड़ ने नवीन गर्ग को बताया/समझाया है कि वह जानते ही हैं कि राजेश शर्मा के इंस्टीट्यूट के मौजूदा प्रेसीडेंट देवराज रेड्डी तथा अगले वर्ष के प्रेसीडेंट निलेश विकमसे से कितने नजदीक के संबंध हैं, और वह इन दोनों से कोई भी काम करवा सकते हैं । राजेश शर्मा और राकेश मक्कड़ को उम्मीद है कि चूँकि आलोक जैन को अगली बार भी चुनाव लड़ना है, और चुनाव में उन्हें नवीन गर्ग की मदद भी चाहिए ही होगी; और नवीन गर्ग को इंस्टीट्यूट की सजा से बचना है - इसलिए नवीन गर्ग की 'मदद' करने के लिए आलोक जैन उनके गिरोह में आने के लिए अंततः राजी हो जायेंगे - और इस तरह वह गिरोह को अल्पमत में आने से बचा सकेंगे, और राकेश मक्कड़ चेयरमैन बन सकेंगे ।
गिरोह को बहुमत में बनाए रखने तथा राकेश मक्कड़ को चेयरमैन बनाने के लिए गंभीर आरोपों का सामना कर रहे गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन नवीन गर्ग की मदद लेने की राजेश शर्मा जो कोशिश कर रहे हैं, और इस कोशिश में उनके हवाले से जिस तरह से इंस्टीट्यूट के मौजूदा व भावी प्रेसीडेंट्स का नाम लिया जा रहा है - उससे नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के अगले चेयरमैन की चुनावी लड़ाई खासी दिलचस्प हो उठी है ।