Tuesday, January 24, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में संजय खन्ना से आकाँक्षित समर्थन न मिलता देख रवि दयाल और उनके नजदीकियों को डर हुआ है कि उनके साथ कहीं पिछले वर्ष जैसा ही धोखा न हो जाए

नई दिल्ली । संजय खन्ना से आकाँक्षित समर्थन न मिलता देख डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार रवि दयाल का धैर्य एक बार फिर उनका साथ छोड़ता दिख/लग रहा है । उल्लेखनीय है कि पिछले रोटरी वर्ष में जब डिस्ट्रिक्ट के कई नेताओं से मिले धोखे के कारण रवि दयाल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में पिछड़ना पड़ा था, तब वह बहुत नाराज हुए थे और नाराजगी में उन्होंने कई नेताओं को निशाना बनाया था और रोटरी में लोगों के दोहरे चरित्र की शिकायत करते हुए उन्होंने अपने गुस्से को जाहिर किया था । निराशा और गुस्से में उन्होंने फिर कभी उम्मीदवार न बनने का फैसला भी सुना दिया था । किंतु तीन-चार महीने में उनका गुस्सा शांत हुआ और इस वर्ष फिर से उनकी उम्मीदवारी प्रस्तुत हुई । उन्हें उम्मीद बनी कि पिछली बार जिन लोगों ने उन्हें झाँसे में रखा और उनकी मदद का वायदा करने के बाद भी उनकी मदद नहीं की, वह इस वर्ष उनके साथ धोखा नहीं करेंगे । जिस तरह 'दूध का जला छाछ भी फूँक फूँक कर पीता है' - उसी तरह पिछले वर्ष धोखा खाए रवि दयाल इस वर्ष अपने समर्थक नेताओं को शुरू से परखने का प्रयास कर रहे हैं; और इस प्रयास में वह संजय खन्ना की भूमिका को लेकर सशंकित बताए/समझे जा रहे हैं । रवि दयाल के नजदीकियों का कहना है कि रवि दयाल को अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में संजय खन्ना से उपयोगी सुझाव तो जरूर मिले हैं, लेकिन संजय खन्ना उनकी 'वैसी' मदद करते हुए नहीं दिखे हैं, 'जैसी' मदद की रवि दयाल व उनके समर्थक उम्मीद लगाए बैठे हैं - और जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में रवि दयाल के लिए निर्णायक साबित हो सकती है ।
संजय खन्ना ने सीओएल के चुनाव के संदर्भ में जिस तरह से सुशील खुराना को समर्थन देकर विनोद बंसल को मुकाबले से बाहर हो जाने के लिए मजबूर कर दिया है - उसे देख/जान कर रवि दयाल को भी उम्मीद बंधी थी कि संजय खन्ना और सुशील खुराना की जोड़ी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनकी भी नैय्या पार लगा/लगवा देगी । रवि दयाल की चिंता और निराशा यह देख कर लेकिन बढ़ती जा रही है कि संजय खन्ना उनके मामले में कोई दिलचस्पी लेते हुए नहीं नजर आ रहे हैं । संजय खन्ना की जान को लेकिन अमरजीत सिंह भी हैं, जो चूँकि संजय खन्ना के ही क्लब के हैं - इसलिए वह संजय खन्ना पर अपना ज्यादा अधिकार समझते हैं; मजे की बात लेकिन यह है कि उनकी भी शिकायत है कि संजय खन्ना उनकी मदद नहीं कर रहे हैं । अमरजीत सिंह और उनके नजदीकियों का तो आरोप है कि संजय खन्ना उनकी बजाए रवि दयाल की मदद कर रहे हैं । दिलचस्प नजारा यह है कि अब यदि अमरजीत सिंह और रवि दयाल, दोनों को ही शिकायत है कि संजय खन्ना उनकी मदद नहीं कर रहे हैं - तो संजय खन्ना आखिर मदद किसकी कर रहे हैं ? संजय खन्ना को नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि संजय खन्ना किसी की मदद नहीं कर रहे हैं; दरअसल वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के चक्कर में फँसना ही नहीं चाहते हैं; उन्हें लगता है कि इस चक्कर में रोटरी इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं के बीच बनी उनकी साख व पहचान खतरे में पड़ जाएगी - इसलिए वह इस चक्कर से दूर ही रहना चाहते हैं ।
यह 'तर्क' लेकिन उनकी मदद की उम्मीद लगाए बैठे रवि दयाल और उनके समर्थकों को कनविंस नहीं कर पा रहा है; उनका कहना है कि सीओएल के चुनाव में संजय खन्ना जब सुशील खुराना की मदद करते 'दिख' कर सुशील खुराना को बढ़त दिला सकते हैं, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनके सामने क्या समस्या है ? रवि दयाल और उनके नजदीकियों को यह संतोष जरूर है कि संजय खन्ना अपने क्लब के होने के बावजूद अमरजीत सिंह की कोई मदद नहीं कर रहे हैं; लेकिन इतना संतोष उन्हें काफी नहीं लग रहा है । रवि दयाल और उनके नजदीकियों को लग रहा है कि जिस तरह से संजय खन्ना और सुशील खुराना की जोड़ी ने सीओएल के चुनाव में अपना 'काम' बना लिया है, ठीक उसी तरह से यह जोड़ी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में उनका काम बना सकती है; इसके साथ-साथ उन्हें लेकिन यह भी लग रहा है कि संजय खन्ना उनका काम बनाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । रवि दयाल के कुछेक नजदीकियों को लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि चौधरी इसमें फच्चर फँसा रहे होंगे ।
रवि चौधरी और रवि दयाल की पुरानी खुन्नस है, जिसमें अब रवि चौधरी को बदला लेने का मौका मिल रहा है । रवि चौधरी ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता की सिफारिश को दरकिनार रख कर जिस तरह से अपने ही क्लब के सदस्य पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश चंदर से खुन्नस निकाली हुई है; समझा जा रहा है कि उसे देखते/समझते हुए संजय खन्ना और सुशील खुराना ने अपने आप को रवि दयाल की उम्मीदवारी के लिए कुछ करने से रोका हुआ है - उन्हें लग रहा होगा कि रवि दयाल के चक्कर में वह रवि चौधरी के 'यहाँ' अपनी स्थिति रमेश चंदर जैसी क्यों बना लें ? ऐसी बातों से रवि दयाल और उनके नजदीकियों को लग रहा है कि उनकी उम्मीदवारी से दूर रहने के लिए संजय खन्ना या तो खुद कोई बहाना खोज लेते हैं, और या उनके विरोधी नए नए बहाने उन्हें सुझा देते हैं - और इस तरीके से उन्हें संजय खन्ना का समर्थन मिलते मिलते रह जाता है । ऐसे में, रवि दयाल और उनके नजदीकियों को यह भय सताने लगा है कि उनके साथ कहीं पिछले वर्ष जैसा ही धोखा न हो जाए ।