Friday, January 20, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री को प्रतिबंध से बाहर लाने की नरेश अग्रवाल और केएम गोयल की कोशिशें हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल व अजय बुद्धराज की मनमानी व नकारात्मक राजनीति के सामने सफल होंगी या दम तोड़ देंगी

नई दिल्ली । हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज की जो तिकड़ी डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री को प्रतिबंधित कराने के लिए जिम्मेदार थी - लगता है कि वही तिकड़ी अब डिस्ट्रिक्ट के प्रतिबंध से बाहर आने/निकलने की राह का रोड़ा बन रही है । डिस्ट्रिक्ट को प्रतिबंध से बाहर लाने/निकालने की प्रक्रिया से परिचित लोगों का कहना/बताना है कि इंटरनेशनल प्रेसीडेंट होने जा रहे नरेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री को जल्दी से जल्दी प्रतिबंध से बाहर निकलवाने की पूरी तैयारी कर ली है; दरअसल वह नहीं चाहते हैं कि उनके प्रेसीडेंट-वर्ष में उनके खुद के मल्टीपल का एक डिस्ट्रिक्ट प्रतिबंधित हो । नरेश अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री के झगड़े-टंटों को खत्म करवाने की जिम्मेदारी पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर केएम गोयल को सौंपी हुई है; और जो रिपोर्ट्स बाहर आईं हैं उनसे पता चलता है कि केएम गोयल ने बहुत होशियारी, मेहनत तथा कड़ाई से डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री की तमाम 'गंदगी' को साफ करने में सफलता प्राप्त की है । तिकड़ी समर्थक तीन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के फर्जी किस्म के क्लब्स को स्टेटस-को में डालने में भी उन्होंने कोई हिचक नहीं दिखाई है; और यह बात भी स्पष्ट कर दी है कि इंटरनेशनल के नियमानुसार इन क्लब्स में जल्दी ही सुधार नहीं दिखा तो वह इन्हें बंद कर देने की सिफारिश कर देंगे । नरेश अग्रवाल और केएम गोयल की सदइच्छाओं तथा प्रयासों को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री तथा मल्टीपल 321 के लोगों को उम्मीद बँधी हैं कि डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री जल्दी ही प्रतिबंध से बाहर आ जायेगा । लेकिन हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल व अजय बुद्धराज की तिकड़ी की हरकतें आभास दे रही हैं कि वह डिस्ट्रिक्ट के प्रतिबंध से बाहर आने के रास्ते में काँटे बोने की पूरी तैयारी कर रहे हैं ।
केएम गोयल के साथ पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स की जो बात हो रही है, उसमें मामला दरअसल वीके हंस की स्थिति को लेकर अटका हुआ है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट प्रतिबंध से बाहर आयेगा, तो उसमें सबसे पहला काम यह करने का होगा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर, फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तथा सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनें । इस बारे में फैसला यह होना है कि यह तीनों पद कैसे भरे जाएँ : इस मामले में दो विकल्प सामने रखे गए - एक में तीनों पदों के लिए चुनाव होने की बात है, और दूसरे में आपसी रजामंदी से तीनों पदों के लिए तीन नाम तय हो जाने और उन्हें नोमीनेट कर दिए जाने की बात आई । इस मुद्दे पर बात हुई तो एक सुझाव यह आया कि चूँकि वीके हंस अकेले लायन हैं, जो चुनाव जीते हैं, जिनके चुनाव की कोई शिकायत नहीं है, और जो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की न्यूनतम शर्तों को पूरा करते हैं - इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर उन्हें नोमीनेट करते हुए बाकी दो पदों के लिए चाहें जो विकल्प अपना लिया जाए । हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज की तिकड़ी इस सुझाव पर लेकिन बिफरी हुई है - और उसने स्पष्ट कर दिया है कि डिस्ट्रिक्ट भले ही और लंबे समय तक प्रतिबंधित बना रहे, पर वीके हंस किसी भी हालत में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नोमीनेट नहीं होंगे ।
इस तिकड़ी के रवैये में पेंच यह नहीं है कि वीके हंस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बने या न बने; पेंच इस बात पर फँसा है कि वीके हंस के मामले में फैसला किस आधार पर हो - क्या इन तीन की इच्छा से हो, या व्यापक विचार-विमर्श के जरिए बहुमत की राय से हो । इन तीन का रवैया है कि इनकी मानी जाए - बाकी किसी की न सुनी जाए । क्या कोई भी संस्था या संगठन गिने-चुने लोगों की मनमानी पर चल सकता है ? बाकी लोगों का कहना है कि उनकी ऐसी कोई जिद नहीं है कि वीके हंस गवर्नर के पद पर नोमीनेट हो हीं; वह तो सिर्फ यह कह रहे हैं कि जो भी फैसला हो, वह व्यापक विचार-विमर्श के बाद बहुमत की राय लेकर हो । केएम गोयल के साथ हुई पूर्व गवर्नर्स की पिछली मीटिंग में हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज की तिकड़ी ने नोमीनेट न होने का फैसला जबर्दस्ती 'करवाने' की कोशिश की थी, लेकिन अरुण पुरी के तर्कपूर्ण हस्तक्षेप के चलते उनकी मनमानी चल नहीं पाई । अरुण पुरी ने मुद्दे पर विचार-विमर्श की जरूरत को रेखांकित किया । अन्य लोगों के अनुसार, यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए चुनाव यदि होता है - जो कि उक्त तिकड़ी की माँग है, तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए होने वाले चुनाव में वीके हंस के अलावा डिस्ट्रिक्ट में अन्य कोई क्वालीफाई उम्मीदवार ही नहीं होगा; यानि तिकड़ी के लोग तब फिर झगड़ा खड़ा करेंगे ।
तिकड़ी के तीनों सदस्यों में से हर्ष बंसल की तो वीके हंस के साथ निजी खुन्नस है; डीके अग्रवाल और अजय बुद्धराज चूँकि डिस्ट्रिक्ट में अलग-थलग पड़ गए हैं, इसलिए डिस्ट्रिक्ट में अपने आप को सीन में बनाए रखने के लिए इनके सामने हर्ष बंसल की 'बीन पर नाचने' की मजबूरी है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट में इनकी बुरी दशा है - हरियाणा से यह पूरी तरह खदेड़े जा चुके हैं, जहाँ कि 55 क्लब्स में करीब 1100 की सदस्यता है; ले दे कर इनकी दिल्ली में ही उपस्थिति है - जहाँ कि 25 क्लब्स में करीब 500 की सदस्यता है । दिल्ली में भी मुख्य तौर पर इनके पास कुल तीन क्लब्स ही हैं; दिल्ली के इनके बाकी क्लब गए-गुजरे हैं, जिनमें से कुछेक स्टेटस-को में चले गए हैं और उन्हें बंद ही होना है; दिल्ली में जो तीन पूर्व गवर्नर्स इनके विरोध में हैं, उनके पास नौ क्लब्स हैं; सुरेश बिंदल को ये अपने साथ मानते हैं, लेकिन सुरेश बिंदल कई मौकों पर इनकी भारी फजीहत कर चुके हैं । ये तिकड़ी छह और पूर्व गवर्नर्स के समर्थन का दावा तो करती है, लेकिन उक्त पूर्व गवर्नर्स या तो कागजी किस्म के हैं जिनसे अपने अपने क्लब्स तक नहीं संभल रहे हैं - और या जिन्होंने इनकी दुर्गति को देख कर इनसे दूरी बना ली है । इन्हें डिस्ट्रिक्ट में और किसी का सहारा या समर्थन भले ही न हो, लेकिन अपनी नॉनसेंस वैल्यू और नकारात्मक हरकतों का खूब सहारा है । इन्हें भरोसा है कि इनके सहारे यह लायनिज्म में अपना 'धंधा' चलाते रह सकेंगे, डिस्ट्रिक्ट की इन्हें जरूरत ही नहीं है; इसलिए इनकी बला से डिस्ट्रिक्ट रहे या न रहे । देखना दिलचस्प होगा डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री को प्रतिबंध से बाहर लाने/निकालने की नरेश अग्रवाल और केएम गोयल की कोशिशें सफल होती हैं या हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल व अजय बुद्धराज की नकारात्मक राजनीति के सामने दम तोड़ देती हैं ?