Sunday, January 29, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में विनय सागर जैन को डिस्ट्रिक्ट ऑनरेरी कमेटी से तीन वर्षों के लिए निकाले जाने के 'सर्वसम्मत' फैसले में उन्हें फँसाने और इस्तेमाल करने की जेपी सिंह और विनोद खन्ना की चालबाजी है क्या ?

नई दिल्ली । पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय सागर जैन मुसीबत में तो फँस ही गए हैं - उनकी मुसीबत को बढ़ाने वाली बात यह और हो रही है कि वह जिन्हें अपना दोस्त समझ रहे हैं, वह भी जरूरत पड़ने पर उनकी मदद नहीं कर रहे हैं; ऐसा लग रहा है जैसे कि वह उन्हें सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट ऑनरेरी कमेटी की जिस मीटिंग में उनके व्यवहार को लेकर की गई डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग की शिकायत पर उन्हें ऑनरेरी कमेटी से निकालने का फैसला हुआ, उस मीटिंग में उनके खेमे के सदस्य भी मौजूद थे - लेकिन जिन्होंने उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई का जरा भी विरोध नहीं किया, और ऑनरेरी कमेटी से उन्हें निकाले जाने का फैसला सर्वसम्मति से हुआ । विनय सागर जैन के लिए यह बात मुसीबत की उतनी नहीं है कि डिस्ट्रिक्ट के सत्ता खेमे के लोग उनके खिलाफ हो गए हैं, जितनी मुसीबत की बात यह है कि जरूरत पड़ने पर उनके अपने खेमे के लोगों ने उनका पक्ष रखने और उनका बचाव करने का कोई प्रयास तक नहीं किया - और उनकी सजा के पक्ष में खड़े नजर आए । विनय सागर जैन के लिए सबसे ज्यादा पहेलीभरा व्यवहार जेपी सिंह और विनोद खन्ना का रहा । विनय सागर जैन ने उम्मीद की थी कि ऑनरेरी कमेटी की जिस मीटिंग में उनके खिलाफ कार्रवाई की बात होनी थी, जेपी सिंह और विनोद खन्ना उस मीटिंग में उनकी वकालत करेंगे और उनके खिलाफ होने वाली कार्रवाई को रोकने का प्रयास करेंगे - इन दोनों ने लेकिन उक्त मीटिंग में उपस्थित होने/रहने तक की जरूरत नहीं समझी और अपनी अनुपस्थिति के जरिये डिस्ट्रिक्ट ऑनरेरी कमेटी में विनय सागर जैन के खिलाफ 'सर्वसम्मत' सहमति से कार्रवाई को आसानी से पूरा हो जाने का मौका दिया ।
इस किस्से में दूसरों के लिए मजे की, लेकिन खुद विनय सागर जैन के लिए बिडंवना की बात यह हुई है कि विनय सागर जैन को जिस अपराध के कारण तीन वर्षों के लिए ऑनरेरी कमेटी से निकाला गया है, वह अपराध उन्होंने जेपी सिंह और विनोद खन्ना की 'राजनीति' के पक्ष में किया था । उल्लेखनीय है कि ऑनरेरी कमेटी की एक मीटिंग में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव को लेकर आम राय बनाने के लिए चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई, जिसे सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दोनों उम्मीदवारों से बात करके एक राय बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई । अनिल सेठ, विनय गर्ग, इंद्रजीत सिंह और रवि मेहरा की सदस्यता वाली उक्त कमेटी ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के दोनों उम्मीदवारों को अपने अपने क्लब के अध्यक्ष के साथ बातचीत के लिए आमंत्रित किया । गुरचरण सिंह भोला दस/बारह लोगों की टीम के साथ बातचीत करने पहुँचे, जिनमें जेपी सिंह और विनय सागर जैन जैसे पूर्व गवर्नर भी थे । कमेटी की तरफ से कहा गया कि बातचीत में इतने लोग शामिल नहीं हो सकते, और बातचीत सिर्फ उम्मीदवार तथा उनके क्लब के पदाधिकारी के साथ ही होगी । यह बात भी उठी कि गुरचरण सिंह भोला तथा उनके क्लब के पदाधिकारी वरिंदर सिंह में बातचीत करने की अक्ल नहीं है या विश्वास नहीं है कि उनकी बात इतने सारे लोग करेंगे । इतने सारे लोग आम राय बनाने को लेकर दरअसल वहाँ बात करते गए भी नहीं थे, वह तो झगड़ा करने का फैसला करके ही गए थे - और फिर उन्होंने वहाँ जमकर बदतमीजी तथा गालीगलौच किया ।
विनय सागर जैन वहाँ कुछ ज्यादा ही आपे से बाहर हो गए, और उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग के साथ खूब बदतमीजी की और उन्हें काफी बुराभला कहा । कमेटी के चारों सदस्यों ने विनय सागर जैन व जेपी सिंह से कहा भी कि आप लोग यदि एक राय बनाने के पक्ष में नहीं हैं, तो ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग में इसका विरोध क्यों नहीं किया और यह चार सदस्यीय कमेटी बनने का विरोध क्यों नहीं किया ? इसके बाद भी, यदि एक राय बनाने के पक्ष में नहीं हैं तो गुरचरण सिंह भोला को लेकर इस मीटिंग में क्यों आ गए ? अब यदि आ ही गए हैं तो बात कीजिये - झगड़ा करने और गालीगलौच करने का क्या मतलब है ? इन बातों का लेकिन विनय सागर जैन पर कोई असर नहीं हुआ । जेपी सिंह ने लेकिन अक्लमंदी 'दिखाई' - उन्होंने ज्यादा कुछ कहा तो नहीं, लेकिन विनय सागर जैन को भड़काने का तथा उनमें चाबी भरने का पूरा काम किया । इस पूरे प्रकरण की जानकारी देने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विनय गर्ग ने ऑनरेरी कमेटी की मीटिंग बुलाई । मीटिंग में मौजूद लोगों ने जब विनय सागर जैन की हरकतों के बारे में जाना/सुना, तो यह बात उठी कि विनय सागर जैन ने लायनिज्म की गरिमा को ठेस पहुँचाई है और इसकी सजा के तौर पर उन्हें ऑनरेरी कमेटी से तीन वर्षों के लिए निकाल देना चाहिए । मीटिंग में विनय सागर जैन के खेमे के सदस्य भी मौजूद थे, लेकिन उन्होंने भी विनय सागर जैन के व्यवहार की भर्त्सना की और उन्हें ऑनरेरी कमेटी से निकाल दिए जाने का समर्थन किया ।
जेपी सिंह और विनोद खन्ना की नौटंकी यह रही कि इन्होंने अपने आप को ऑनरेरी कमेटी की उक्त मीटिंग से तो दूर रखा और विनय सागर जैन के खिलाफ कार्रवाई होने दी, लेकिन अब वह विनय सागर जैन के खिलाफ हुई कार्रवाई को गैरजरूरी बता रहे हैं । उनके तर्क भी मजेदार हैं : वह कह/बता रहे हैं कि प्रत्येक पूर्व गवर्नर को ऑनरेरी कमेटी में रहने का अधिकार है, तथा ऑनरेरी कमेटी से किसी पूर्व गवर्नर को हटाया नहीं जा सकता है । इनके इस तर्क पर लोगों के बीच इनका मजाक बन रहा है; लोग पूछ रहे हैं कि इनकी अक्ल-दाढ़ अब निकली है क्या - यदि ऐसा ही है तो पिछले वर्षों में इन्होंने गुरचरण घई को ऑनरेरी कमेटी से बाहर क्यों रखा था ? विनोद खन्ना को विनय सागर जैन का समर्थन करते देख/सुन कर लोगों को चुस्कियाँ लेने का और मौका मिला है । उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही तक विनोद खन्ना को विनय सागर जैन फूटी आँख भी नहीं सुहाते थे, और विनोद खन्ना उन्हें 'ब्लैकमेलर' कहते रहे थे । इसका किस्सा यह है कि विनोद खन्ना ने विनय सागर जैन से मोटी रकम उधार ली हुई थी, और बार-बार के तकादे के बावजूद वह उस रकम को वापस नहीं कर रहे थे । विनोद खन्ना जब इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार बने, तब विनय सागर जैन को ऊँगली टेढ़ी करके अपनी रकम वापस लेने का मौका मिला - और विनोद खन्ना के सामने दाँव-पेंच आजमा कर उन्होंने विनोद खन्ना से अपनी रकम बसूल ली थी । विनोद खन्ना तभी से विनय सागर जैन को 'ब्लैकमेलर' कहते आ रहे हैं ।
जेपी सिंह और विनोद खन्ना की जोड़ी ने जिस तरह विनय सागर जैन को पहले तो फँसा दिया, और ऑनरेरी कमेटी से उन्हें निकालने की कार्रवाई को आराम से हो जाने दिया - और अब वह उनकी तरफदारी कर रहे हैं; उससे लोगों को यही लग रहा है कि विनोद खन्ना ने अपने 'ब्लैकमेलर' को पूरी तरह से माफ़ करके अपनाया नहीं है, वह विनय सागर जैन को अपनी चालबाजी से सिर्फ इस्तेमाल कर रहे हैं । इस बात ने लेकिन विनय सागर जैन को एक ऐसे दोराहे पर ला खड़ा कर दिया है, जहाँ दोनों रास्ते उन्हें फजीहत भरी मंजिल की तरफ ही ले जाते दिख रहे हैं ।