Sunday, January 8, 2017

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन नवीन गर्ग के धांधलीभरे कांडों की बदनामी से वाइस प्रेसीडेंट पद की अपनी उम्मीदवारी को बचाने की अतुल गुप्ता की कोशिश उल्टी और पड़ गई है तथा उनके लिए और ज्यादा मुसीबतभरी साबित होती नजर आ रही है

नई दिल्ली । चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद का चुनाव जीतने की तैयारी कर रहे अतुल गुप्ता ने गंभीर आरोपों में फँसे गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन नवीन गर्ग की मदद करने से साफ इंकार करके नवीन गर्ग को तो झटका दिया ही है, अपने लिए भी जैसे मुसीबत मोल ले ली है । वास्तव में, नवीन गर्ग का मामला अतुल गुप्ता के लिए बे-वक्त की मुसीबत बन कर टपका है । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल में अपनी मौजूदा टर्म में अतुल गुप्ता ने अपने आप को विवादों से बचाने और दूर रखने की बहुत कोशिश की हुई थी, और अपनी इस कोशिश में वह अभी तक सफल भी हो रहे थे - लेकिन नवीन गर्ग के मामले ने उनकी कोशिशों पर अंततः पानी फेर दिया है । मुसीबत नवीन गर्ग की आई, नवीन गर्ग ने अपनी मुसीबत के लपेटे में लेकिन अतुल गुप्ता को भी ले लिया है । अतुल गुप्ता के मदद करने से इंकार करने पर नवीन गर्ग और उनके साथी खासे भन्नाये हुए हैं, और वह अतुल गुप्ता पर 'मतलबी' और 'मौकापरस्त' होने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं । ऐसे समय, जबकि अतुल गुप्ता इंस्टीट्यूट के वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए सेंट्रल काउंसिल सदस्यों का समर्थन जुटाने के अभियान में लगे हुए हैं - इस तरह के आरोप स्वाभाविक रूप से उनकी मुसीबत बढ़ाने वाले ही साबित होंगे । अतुल गुप्ता के नजदीकियों के अनुसार, विडंबना की बात यह हुई है कि अतुल गुप्ता ने नवीन गर्ग की मदद करने से साफ इंकार किया इसीलिए था ताकि वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए समर्थन जुटाने के उनके अभियान पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े, किंतु उनके इंकार के बाद बनी परिस्थितियाँ उनके लिए और ज्यादा मुसीबत बढ़ाने वाली साबित हो रही हैं ।
नवीन गर्ग और उनके साथियों का कहना है कि दूसरे लोग उनसे जब कहते/बताते थे कि अतुल गुप्ता के साथ इतना मत जुड़ो, वह बेहद मतलबी व्यक्ति है; अपना काम तो निकाल लेगा लेकिन जब तुम्हें मदद की जरूरत पड़ेगी तो साफ़ इंकार करने से भी नहीं हिचकेगा - तब उन्होंने किसी की बात पर विश्वास नहीं किया था; अतुल गुप्ता ने लेकिन उन्हें अब अपना जो रूप दिखाया उससे साबित हुआ कि दूसरे लोगों की बात पर विश्वास न करके उन्होंने बड़ी गलती की थी । उल्लेखनीय है कि नवीन गर्ग की अतुल गुप्ता के साथ खासी नजदीकियत रही है, और नवीन गर्ग ने उनके चुनावों में खूब बढ़-चढ़ कर काम किया है । अतुल गुप्ता भी उन पर बहुत विश्वास करते रहे हैं, और गाहे-बगाहे नवीन गर्ग को आगे करने/रखने के मौके बनाते रहे हैं । अतुल गुप्ता के व्यवहार के कारण ही नवीन गर्ग ने अतुल गुप्ता के विरोधियों की बातों पर पहले कभी विश्वास नहीं किया । लेकिन अब उन्हें लगता है कि उन्होंने जैसे अतुल गुप्ता का असली रूप देख लिया है । नवीन गर्ग के नजदीकियों का कहना है कि वह यह उम्मीद कर भी नहीं रहे थे कि अतुल गुप्ता उनके मामले में उनकी कोई खुली तरफदारी करेंगे; वह तो सिर्फ इतनी उम्मीद कर रहे थे कि अतुल गुप्ता उनके मामले को सहानुभूतिपूर्वक समझ कर अपने अनुभव के आधार पर उससे 'निकलने' के लिए जरूरी उपाय उन्हें सुझायेंगे । सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में अतुल गुप्ता पर तो इंस्टीट्यूट के पैसे से अपनी वैवाहिक वर्षगाँठ का जश्न मनाने तक का आरोप रहा है, पर उस आरोप में 'सजा' पाने से बच निकलने में वह कामयाब रहे थे । नवीन गर्ग के मामले में, पिछले अच्छे संबंधों को धता बताते हुए अतुल गुप्ता ने लेकिन उनसे बात तक करने से इंकार कर दिया और उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया । नवीन गर्ग के साथियों का कहना है कि अतुल गुप्ता का रवैया ऐसा रहा जैसे कि वह नवीन गर्ग को जानते ही नहीं हैं ।
नवीन गर्ग पर इंस्टीट्यूट की गुड़गाँव ब्रांच के चेयरमैन के रूप में पैसों की धांधली करने से लेकर अपनी व्यक्तिगत छवि चमकाने के लिए इंस्टीट्यूट के पैसे का इस्तेमाल करने के साथ-साथ इंस्टीट्यूट के नियम-कायदों से खिलवाड़ करने तक के गंभीर आरोप हैं । ब्रांच की मैनेजमेंट कमेटी के ही सदस्य ललित अग्रवाल की लिखित शिकायत के अनुसार हाल ही में गुड़गाँव में आयोजित हुई सीए स्टूडेंट्स कन्वेंशन के कुछेक खर्चे नवीन गर्ग ने मनमाने तरीके से किए और इसके लिए इंस्टीट्यूट के मान्य प्रावधानों का जानबूझ कर उल्लंघन किया । इसके तहत उन्होंने अपने रिश्तेदारों की फर्म को लाखों रुपए का आर्डर दिया, और उक्त फर्म को लाभ पहुँचवाया । आरोप है कि इस तरह से नवीन गर्ग ने कन्वेंशन की आड़ में इंस्टीट्यूट को चूना लगाया और इंस्टीट्यूट की मोटी रकम अपनी और अपने रिश्तेदारों की जेब में की । नवीन गर्ग ने पहले तो इन आरोपों की अनदेखी की, लेकिन ब्रांच के एक्सऑफिसो व सेंट्रल काउंसिल के सदस्य संजीव चौधरी ने जब मामले में हस्तक्षेप किया - तब आरोपों ने गंभीर रूप ले लिया । आरोपों की जाँच के लिए ब्रांच के ही पाँच सदस्यों की जो कमेटी बनी है, नवीन गर्ग की तरफ से उसकी रिपोर्ट को अपने अनुकूल बनवाने के लिए प्रयास तो खूब किए जा रहे हैं - लेकिन मामला अब जितना आगे बढ़ गया है, उसे देख कर लगता नहीं है कि मामले में लीपापोती करना आसान होगा ।
नवीन गर्ग पर सिर्फ पैसों की धांधली करने का ही आरोप नहीं है - इसके साथ-साथ उन्होंने दो और कांड कर दिए हैं । उक्त सीए स्टूडेंट्स कन्वेंशन में मुख्य अतिथि के रूप में हरियाणा के मुख्यमंत्री को बुलाया गया था । नवीन गर्ग ने उनकी तस्वीर के साथ अपनी तस्वीर लगे तमाम होर्डिंग्स शहर के चौराहों व सड़कों पर लगवाएं - जिसका खर्चा तो जाहिर तौर पर इंस्टीट्यूट के एकाउंट से दिया ही गया; ऐसा करके नवीन गर्ग ने इंस्टीट्यूट के नियम का उल्लंघन भी किया । इंस्टीट्यूट के नियम-कानून किसी भी चार्टर्ड एकाउंटेंट को किसी भी बहाने से अपना प्रचार करने का अधिकार नहीं देता है । इससे भी और बड़ा कांड करने का नवीन गर्ग पर आरोप है कि अन्य अतिथियों को दिए गए मोमेंटोज पर तो गुड़गाँव ब्रांच का नाम था, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री को दिए गए मोमेंटो पर नवीन गर्ग ने ब्रांच की बजाए अपना नाम लिखवाया । नवीन गर्ग की इन हरकतों ने पैसों की धांधली वाले लिखित आरोप को और गंभीर बना दिया है ।
पैसों की धांधली के आरोपों के रिकॉर्ड पर आ जाने तथा उन्हें लेकर जाँच कमेटी बैठ जाने से नवीन गर्ग को चिंता हुई है । उन्हें लग रहा है कि मामला अभी शुरुआती दौर में है, इसलिए वह इसे अभी तो मैनेज कर सकते हैं - लेकिन यदि यह आगे बढ़ा तो उनके सामने गंभीर संकट खड़ा जायेगा । ब्रांच में उनके समर्थकों - खासकर उनके समर्थन से अगले वर्षों में ब्रांच के चेयरमैन बनने की तैयारी करने वाले सदस्यों को भी चिंता हुई है कि नवीन गर्ग की कारस्तानियाँ कहीं उनके लिए भी समस्या खड़ी न कर दें । इसलिए नवीन गर्ग और उनके संगी-साथी अपने ऐसे संपर्कों की तरफ देख रहे हैं, जो इस मुसीबत से बच निकलने में उनकी मदद करे । सेंट्रल काउंसिल के सदस्य अतुल गुप्ता को उन्होंने अपने ऐसे ही संपर्क के रूप में देखा/पहचाना और उनका दरवाजा जा खटखटाया । अतुल गुप्ता ने लेकिन उन्हें दरवाजे से ही वापस लौटा दिया । अतुल गुप्ता के इस रवैये से नवीन गर्ग और उनके साथियों को तगड़ा झटका लगा है; और पिछले संबंधों को याद करते हुए यह झटका उन्हें अतुल गुप्ता की 'मतलबी' और 'मौकापरस्ती' फितरत का सुबूत लगा है । उन्हें क्या लगा, अतुल गुप्ता को इसकी फ़िक्र तो नहीं है - लेकिन अपने पुराने साथियों से ही अपने लिए 'मतलबी' और 'मौकापरस्त' जैसी उपाधियाँ पाना अतुल गुप्ता के लिए बड़ी समस्या बन गया है । अतुल गुप्ता और उनके साथियों को लगता है कि अपने पुराने साथियों/सहयोगियों से मिलने वाली इस तरह की उपाधियाँ वाइस प्रेसीडेंट पद के लिए समर्थन जुटाने के उनके अभियान को कमजोर करने का काम करेंगी । इस तरह, नवीन गर्ग की मुसीबत से वाइस प्रेसीडेंट पद की अपनी उम्मीदवारी को बचाने की अतुल गुप्ता की कोशिश उल्टी और पड़ गई है तथा उनके लिए और ज्यादा मुसीबतभरी साबित होती नजर आ रही है ।