नई
 दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में दीपक गुप्ता की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 
नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के समर्थक बड़े-छोटे नेताओं को ठंडा पड़ा देख उनके 
शुभचिंतकों को तगड़ा झटका लगा और वह कॉन्फ्रेंस से निराश होकर लौटे हैं । शुभचिंतकों
 के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के 
समर्थक नेताओं ने प्रचार अभियान से अचानक से अपने अपने कदम पीछे क्यों खींच
 लिए हैं - क्या उन्हें इस बात का अहसास हो गया है कि दीपक गुप्ता की 
उम्मीदवारी के लिए कामयाब होने की इस बार भी कोई उम्मीद या संभावना नहीं है
 ? यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि पिछली बार दीपक गुप्ता की 
उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने अंतिम समय तक पूरी जी-जान लगाई हुई थी - 
पिछली बार भी अन्य लोगों को उनकी उम्मीदवारी के सफल होने की हालाँकि कोई 
उम्मीद नहीं थी, किंतु दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को 
अंतिम समय तक यह लगता रहा था कि अपनी तिकड़मों से वह 'लड़ाई' जीत लेंगे ।
 चुनाव का नतीजा आया, तो पता चला कि उनकी कोई भी तिकड़म काम नहीं आई है । 
इसके बाद, दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की लोगों के बीच 
भारी फजीहत हुई । लगता है कि उस फजीहत से मिला सबक समर्थक नेताओं की याद 
में बना हुआ है, और इसीलिए अब की बार भी उन्हें जैसे ही यह अहसास हुआ कि 
हालात दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में नहीं हैं - उन्होंने अपने आप 
को दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करने से रोक लिया । समर्थक 
नेताओं के ठंडे पड़ने से दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान को जो जोर का 
झटका लगा है, उससे खुद उनके शुभचिंतकों को ही उनकी उम्मीदवारी की सफलता की 
उम्मीद व संभावना तेजी से घटती हुई लगी है । 
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं का सारा खेल दरअसल जेके गौड़ के कारण बिगड़ गया । असल में, उन्हें उम्मीद थी कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के मुद्दे पर सत्ता खेमे में फूट पड़ेगी, और उक्त फूट के चलते जेके गौड़ उनके साथ आ जायेंगे और इसका फायदा दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में उन्हें मिलेगा । उक्त फूट को संभव बनाने के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने जेके गौड़ को समर्थन घोषित करके उकसाने का भरपूर प्रयास भी किया, लेकिन सत्ता खेमे के नेताओं ने खासी होशियारी से उक्त मुद्दे कर लिया और फूट की संभावना को खत्म कर दिया । इसके चलते, जेके गौड़ के भरोसे चुनावी जीत का समीकरण बनाने बैठे दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की सारी योजना बुरी तरह से पिट गई । सत्ता खेमे के नेताओं ने सीओएल के लिए केके गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा चला कर रूपक जैन की उम्मीदवारी का रास्ता रोक कर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को दोहरा झटका दिया है ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के साथ-साथ सीओएल के मामले में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को जो दोहरी चोट पड़ी, उससे उन्होंने समझ लिया है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में उनकी हालत बहुत ही पतली है । लगता है कि 'राजनीतिक पिटाई' की और चोट से बचने के लिए ही वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान से पीछे हट गए हैं, और उन्होंने दीपक गुप्ता को अकेला छोड़ दिया है । हाल ही में संपन्न हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को या तो अनुपस्थित पाया गया, और या देर से आता देखा गया, और जो पूरे समय उपस्थित थे भी उन्हें भी दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की बात करने से बचता हुआ देखा गया - जिससे दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति वहाँ लोगों के बीच नकारात्मक माहौल बना । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक बड़े-छोटे नेताओं की चुनाव से पहले ही समर्पण वाली स्थिति ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों को बुरी तरह निराश किया है - और उन्हें दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी खासी मुसीबत में फँसी दिखाई देने लगी है ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं का सारा खेल दरअसल जेके गौड़ के कारण बिगड़ गया । असल में, उन्हें उम्मीद थी कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के मुद्दे पर सत्ता खेमे में फूट पड़ेगी, और उक्त फूट के चलते जेके गौड़ उनके साथ आ जायेंगे और इसका फायदा दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने में उन्हें मिलेगा । उक्त फूट को संभव बनाने के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने जेके गौड़ को समर्थन घोषित करके उकसाने का भरपूर प्रयास भी किया, लेकिन सत्ता खेमे के नेताओं ने खासी होशियारी से उक्त मुद्दे कर लिया और फूट की संभावना को खत्म कर दिया । इसके चलते, जेके गौड़ के भरोसे चुनावी जीत का समीकरण बनाने बैठे दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की सारी योजना बुरी तरह से पिट गई । सत्ता खेमे के नेताओं ने सीओएल के लिए केके गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा चला कर रूपक जैन की उम्मीदवारी का रास्ता रोक कर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को दोहरा झटका दिया है ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार का चयन करने वाली नोमीनेटिंग कमेटी की सदस्यता के साथ-साथ सीओएल के मामले में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को जो दोहरी चोट पड़ी, उससे उन्होंने समझ लिया है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में उनकी हालत बहुत ही पतली है । लगता है कि 'राजनीतिक पिटाई' की और चोट से बचने के लिए ही वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान से पीछे हट गए हैं, और उन्होंने दीपक गुप्ता को अकेला छोड़ दिया है । हाल ही में संपन्न हुई डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को या तो अनुपस्थित पाया गया, और या देर से आता देखा गया, और जो पूरे समय उपस्थित थे भी उन्हें भी दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की बात करने से बचता हुआ देखा गया - जिससे दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति वहाँ लोगों के बीच नकारात्मक माहौल बना । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक बड़े-छोटे नेताओं की चुनाव से पहले ही समर्पण वाली स्थिति ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के शुभचिंतकों को बुरी तरह निराश किया है - और उन्हें दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी खासी मुसीबत में फँसी दिखाई देने लगी है ।
