Tuesday, January 17, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी टू में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए मधु सिंह की उम्मीदवारी का रास्ता आसान बनाने के लिए विरोधी खेमे के नेताओं को बड़े प्यार से पोपट बनाने की पारस अग्रवाल की 'कलाकारी' की पोल खुली

आगरा । फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पारस अग्रवाल ने सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत मधु सिंह की उम्मीदवारी के विरोधी पूर्व गवर्नर्स के कंधे पर हाथ रखे रखे उनकी पीठ में जिस तरह से छुरा भोंक दिया है, उससे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्प नजारा पैदा हो गया है । डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अब साफ हुआ कि सुमित गुप्ता को उम्मीदवार बनाने के पीछे पारस अग्रवाल की चाल वास्तव में यह थी कि ऐन मौके पर सुमित गुप्ता की उम्मीदवारी वापस हो जाएगी - या वापस करवा दी जाएगी, और मधु सिंह के लिए रास्ता सुगम हो जाएगा । पारस अग्रवाल की इस चाल की पोल दरअसल अजय भार्गव के उम्मीदवार बनने की तैयारी में अड़ंगा डालने की पारस अग्रवाल की कोशिशों के चलते खुल गई । कह सकते हैं कि अजय भार्गव की तैयारी ने पर्दे के पीछे से चाल चल रहे पारस अग्रवाल को पर्दा हटा कर सामने आने के लिए मजबूर कर दिया; अन्यथा उनके लिए 'साँप भी मर जाने और लाठी भी न टूटने' वाली स्थिति साफ साफ बन रही थी । पारस अग्रवाल की चाल के सामने आने से विरोधी खेमे के नेताओं ने अपने आप को ठगा हुआ पाया है और वह एक तरह की आत्मग्लानी में हैं कि पारस अग्रवाल ने कितनी सफाई से उनका 'पोपट' बना दिया ।
उल्लेखनीय है कि पारस अग्रवाल ने पिछले लायन वर्ष में मधु सिंह की उम्मीदवारी का समर्थन किया था; उनके समर्थन के बावजूद हालाँकि मधु सिंह चुनाव नहीं जीत सकीं थीं - मधु सिंह की उम्मीदवारी का समर्थन करने के चलते उन्हें नेगेटिव वोट लेकिन खूब पड़ गए थे । उक्त नतीजे ने पारस अग्रवाल को बुरी तरह निराश किया, और इस निराशा में उन्होंने जीतने वाले लोगों के साथ मेल-मिलाप शुरू किया और यह आभास दिया कि उन्होंने पाला बदल लिया है । मौजूदा लायन वर्ष में मंजु सिंह की उम्मीदवारी जब पुनः प्रस्तुत होती हुई दिखी, तो पारस अग्रवाल ने अपने नजदीकी सुमित गुप्ता की उम्मीदवारी की बात चला दी । इससे पारस अग्रवाल के पाला बदलने की बात पर मोहर भी लग गई । सभी ने विश्वास किया कि पारस अग्रवाल जब मधु सिंह की उम्मीदवारी के खिलाफ अपना उम्मीदवार ले आए हैं, तो यह बात तो पक्की ही है कि मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं से वह दूर हो गए हैं । मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के कहे में चल रहे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल ने जिस तरह कई मौकों पर उन्हें उपेक्षित और अलग-थलग रखा, उससे भी इस बात की पुष्टि ही हुई । मजे की बात यह रही कि जब भी एक उम्मीदवार के रूप में सुमित गुप्ता की निष्क्रियता की बात उठती, पारस अग्रवाल उनकी तरफदारी में तर्क देते कि अभी बहुत समय है और उचित समय आने पर सुमित गुप्ता सक्रिय हो जायेंगे ।
सुमित गुप्ता लेकिन सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी के संदर्भ में सक्रिय हुए बिना ही अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटते हुए नजर आए । यहाँ तक सारा खेल ठीक चला - किसी को शक भी नहीं हुआ कि पर्दे के पीछे आखिर हो क्या रहा है ? सारा खेल लेकिन बिगड़ा अभी तब जब अजय भार्गव सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी शुरू करते हुए सुने गए - और पारस अग्रवाल ने अजय भार्गव को यह कहते हुए हतोत्साहित करने का काम किया कि इस बार मधु सिंह को सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन जाने दो, तुम अगले वर्ष आ जाना । अजय भार्गव को हतोत्साहित करने की पारस अग्रवाल की कोशिश के बारे में जान/सुन कर विरोधी खेमे के नेता सकते में आ गए, और उन्हें यह समझने में देर नहीं लगी कि पारस अग्रवाल उनके बीच वास्तव में 'भेदिये' के रूप में थे - और पारस अग्रवाल ने कोई पाला नहीं बदला था, उन्होंने बस अपनी रणनीति बदली थी । विरोधी खेमे में वह विरोधी खेमे को भीतर से कमजोर करने के लिए ही शामिल हुए थे, और इस तरह उनकी योजना विरोधी खेमे के नेताओं को बेवकूफ बना कर मधु सिंह की उम्मीदवारी के लिए रास्ता आसान बनाना था । अजय भार्गव बीच में न आए होते, तो उनकी योजना बड़े आराम से पूरी होती और कोई उनकी योजना के बारे में जान भी न पाता ।
अजय भार्गव के 'सीन' में आने की स्थिति भी खासी दिलचस्प है : अजय भार्गव इस वर्ष कैबिनेट सेक्रेटरी बनाए गए थे, किंतु डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल तथा मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स के रवैये के चलते उन्होंने जल्दी ही कैबिनेट सेक्रेटरी पद से इस्तीफा दे दिया । मजे की बात यह रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल ने तुरंत से उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया, और उनकी जगह किसी और को कैबिनेट सेक्रेटरी बना दिया । किंतु अब सीपी सिंघल ने अचानक से उन्हें कैबिनेट सेक्रेटरी के रूप में फिर से काम शुरू करने के लिए मनाना शुरू कर दिया है । अलीगढ़ में होने वाली तीसरी कैबिनेट मीटिंग के निमंत्रण पत्र में सीपी सिंघल ने फर्जीवाड़ा करके अजय भार्गव के हस्ताक्षर के साथ उनका नाम कैबिनेट सेक्रेटरी के रूप में छापा है । अजय भार्गव ने इस पर कड़ी आपत्ति करते हुए एक सख्त संदेश लिखा है । पारस अग्रवाल और सीपी सिंघल के जरिए मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं ने अजय भार्गव को फुसलाने/पटाने की जो कोशिशें शुरू की हैं - और जिसके तहत फर्जीवाड़ा तक किया गया है, उसके पीछे उनका वास्तविक उद्देश्य अजय भार्गव को उम्मीदवार बनने से रोकने का है ।
अजय भार्गव रुकेंगे या नहीं - यह तो आगे पता चलेगा; अजय भार्गव के चक्कर में लेकिन पारस अग्रवाल की जो पोल खुली है, उसने डिस्ट्रिक्ट में दिलचस्प नजारा पेश कर दिया है । पारस अग्रवाल की धोखाधड़ी पर विरोधी खेमे के नेताओं ने गहरी नाराजगी व्यक्त की है, और कुछेक ने तो साफ-साफ कहना भी शुरू कर दिया है कि इस धोखाधड़ी के लिए पारस अग्रवाल को कीमत तो चुकानी पड़ेगी । पारस अग्रवाल लेकिन पोल खुलने के बाद भी निश्चिन्त हैं; अपने नजदीकियों से उन्होंने कहा है कि विरोधी खेमे के नेता नेगेटिव वोट डलवाने के अलावा और कुछ नहीं कर सकेंगे, इसलिए उनकी ज्यादा परवाह करने की जरूरत नहीं है । यह देखना दिलचस्प होगा कि विरोधी खेमे के नेताओं को बड़े प्यार से पोपट बनाने की पारस अग्रवाल की 'कलाकारी' डिस्ट्रिक्ट के सत्ता समीकरणों को किस प्रकार प्रभावित करेगी ।