Saturday, January 14, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में विशाल सिन्हा की बदनामी योगेश सोनी के लिए वरदान तो बनी, लेकिन काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग की स्थिति उनके लिए अभी भी चुनौती बनी हुई है

लखनऊ । अभी हाल तक पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर विनोद खन्ना की खुशामद का कोई मौका न छोड़ने वाले विशाल सिन्हा, अब उन्हें चुन चुन कर गालियाँ देते हुए मल्टीपल काउंसिल में कोई भी पद फिक्स करने के जुगाड़ में लग गए हैं । मल्टीपल काउंसिल की अभी हाल ही में दिल्ली में हुई दूसरी मीटिंग में विनोद खन्ना को अगले मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए डिस्ट्रिक्ट 321 एफ के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर योगेश सोनी को बढ़ावा देते देख विशाल सिन्हा को खासा तगड़ा वाला झटका लगा । कुछेक लोगों से उन्होंने कहा भी कि विनोद खन्ना के लिए उन्होंने क्या क्या नहीं किया, लेकिन विनोद खन्ना इतना अहसानफरामोश निकलेंगे - उन्हें यह उम्मीद नहीं थी । विशाल सिन्हा के नजदीकियों के अनुसार, विनोद खन्ना के रवैये को लेकर विशाल सिन्हा ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर जगदीश गुलाटी से भी बात की - लेकिन जगदीश गुलाटी ने उन्हें साफ साफ बता दिया कि विनोद खन्ना को चूँकि तुम्हारे जीतने की कोई उम्मीद नहीं है, इसलिए उन्होंने तुम पर भरोसा छोड़ दिया है । विशाल सिन्हा ने प्रयास किया कि गुरनाम सिंह उनका बिगड़ा काम बचाने/बनाने के लिए विनोद खन्ना से बात करें; लेकिन लगता है कि गुरनाम सिंह ने या तो विनोद खन्ना से बात की नहीं, और या उनकी बात बनी नहीं । दिल्ली से लौट कर विशाल सिन्हा ने विनोद खन्ना को 'सँभालने' के लिए जो प्रयास किए, उनके विफल रहने के बाद विशाल सिन्हा फिर अपने असली रूप में आ गए हैं - और विनोद खन्ना के खिलाफ उन्होंने आरोपों व गालियों की झड़ी लगा दी है । विशाल सिन्हा के बारे में अब यह बात खूब मशहूर हो चुकी है कि अपना काम बनाने के लिए वह खुशामद भी जोरशोर से कर लेते हैं, और काम निकल जाने या सामने वाले को अपने अनुकूल न जाते देख फिर वह उसे गालियाँ देने में भी कोई कमी नहीं रहने देते हैं । इसी तर्ज पर उनकी खुशामद को एन्जॉय कर चुके विनोद खन्ना के लिए अब उनकी गालियाँ सुनने का अवसर है ।
विनोद खन्ना मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए जिस तरह से योगेश सोनी की उम्मीदवारी का झंडा उठाते हुए दिखे हैं, उससे विशाल सिन्हा को अपना खेल बुरी तरह पिटता हुआ दिख गया है । इसीलिए उनका पारा सातवें आसमान पर है, और उनके क्रोध के निशाने पर विनोद खन्ना हैं । इसके साथ ही विशाल सिन्हा ने लेकिन यह जुगाड़ भी बैठाना शुरू कर दिया है कि चेयरमैन न सही, मल्टीपल काउंसिल में उन्हें और कोई पद ही मिल जाए । विशाल सिन्हा के सामने समस्या दरअसल यह है कि उन्होंने भाँप लिया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से उतरने के बाद अपने ही डिस्ट्रिक्ट में उनकी बुरी हालत होने वाली है; और अगले लायन वर्ष से ही इसका नजारा लोगों को देखने को मिल जायेगा । अपनी हरकतों और कारस्तानियों से उन्होंने डिस्ट्रिक्ट में अपनी हालत ऐसी बेचारगी भरी कर ली है कि इसके संकेत अभी से मिलने शुरू हो गए हैं । डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच उनके प्रति विरोध को देखते हुए ही उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए कोई उम्मीदवार ही नहीं मिला; मौजूदा लायन वर्ष के शुरू में उनके जो दो उम्मीदवार थे भी, असलियत देख कर वह भी भाग/बच लिए । विशाल सिन्हा को मजबूरी में विरोधी खेमे के उम्मीदवार को ही अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है । ऐसे में, विशाल सिन्हा को लगता है कि अगले लायन वर्ष में उनके पास मल्टीपल में यदि कोई पद होगा - तो उनकी थोड़ी बहुत पूछ-परख तो कम से कम बनी रहेगी । विशाल सिन्हा के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि जिन कारणों से उन्हें मल्टीपल काउंसिल में कोई भी पद चाहिए; ठीक उन्हीं कारणों से वह मल्टीपल की राजनीति में पीछे धकेल दिए गए हैं । समझा जाता है कि विनोद खन्ना ने मल्टीपल के दूसरे बड़े नेताओं को बताया/समझाया है कि विशाल सिन्हा अपनी बदनामी के चलते जब किसी भी काम के नहीं रह गए हैं, तो उन्हें ढोने से भला क्या फायदा ?
विशाल सिन्हा की बदनामी ने योगेश सोनी के लिए वरदान का काम किया । कोलम्बो में हुए इसामे फोरम में जेपी सिंह जैसों के समर्थन से योगेश सोनी की उम्मीदवारी को जो 'हवा' मिली थी, विनोद खन्ना की शह से वह और भड़क उठी है । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के संदर्भ में योगेश सोनी की सबसे बड़ी उपलब्धि अपने डिस्ट्रिक्ट में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर केके साहनी का समर्थन पाना रहा । केके साहनी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आनंद साहनी के पिता हैं । डिस्ट्रिक्ट और मल्टीपल में लोगों को योगेश सोनी की उम्मीदवारी को आनंद साहनी के समर्थन के प्रति संदेह रहा है; इसलिए अब जब लोगों को आनंद साहनी के पिता केके साहनी ही योगेश सोनी की उम्मीदवारी का झंडा उठाए नजर आ रहे हैं, तो उक्त संदेह खुद-ब-खुद दूर होता हुआ दिख रहा है । योगेश सोनी की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों को डर लेकिन खुद योगेश सोनी से ही है । उनकी शिकायत है कि योगेश सोनी अपनी उम्मीदवारी को लेकर खुद ज्यादा सक्रिय नहीं 'दिख' रहे हैं, और उनके मामले में 'मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त' वाला मामला है । समर्थकों व शुभचिंतकों का कहना है कि योगेश सोनी यदि खुद ठीक से सक्रिय नहीं होते हैं और अपनी उम्मीदवारी को आक्रामक स्वरूप नहीं देते हैं, तो फिर अपने संभावित समर्थकों को खो देने का ही काम करेंगे । जैसा कि दिल्ली में आयोजित हुई मल्टीपल काउंसिल की दूसरी मीटिंग में देखने को मिला - जहाँ शुरू में योगेश सोनी के पक्ष में माहौल बनता हुआ दिखा, लेकिन फिर धीरे-धीरे उनके समर्थन में जुटे लोग उनकी उम्मीदवारी के प्रति सशंकित होकर खिसकने लगे ।
योगेश सोनी के समर्थकों व शुभचिंतकों को ही लगता है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए उनका मुकाबला जिन डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के गवर्नर विनय गर्ग से होने की संभावना है, उन विनय गर्ग ने मल्टीपल के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स के फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के बीच पैठ बनाने से लेकर लीडरशिप के बीच भी जिस तरह से समर्थन जुटाने का काम किया है - उसके कारण योगेश सोनी के लिए मुकाबला तगड़ा होगा । मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लिए विनय गर्ग के अभियान में जो सुनियोजित रणनीति है, और लीडरशिप के नजदीक समझे जाने वाले तेजपाल सिंह खिल्लन का उन्हें जैसा समर्थन मिलता दिख रहा है, उसके कारण वह एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखे/पहचाने जा रहे हैं । विनय गर्ग की उम्मीदवारी को इस तथ्य से भी खासा बल मिला है, जिसमें अगले लायन वर्ष में नरेश अग्रवाल के प्रेसीडेंट-काल में मल्टीपल में जिस तरह की लीडरशिप की जरूरत को पहचाना जा रहा है - उसमें विनय गर्ग को पूरी तरह से परफेक्ट माना/देखा जा रहा है । दरअसल मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद का चुनाव नरेश अग्रवाल के नजदीकियों के बीच के मुकाबले के रूप में भी देखा/पहचाना जा रहा है - जो विनय गर्ग और योगेश सोनी को आगे करके अपना वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास करेंगे । योगेश सोनी के समर्थक भी मानते हैं कि योगेश सोनी के मुकाबले विनय गर्ग की तैयारी में आक्रामकता का भाव भी है और सुनियोजन भी है; जिसके चलते योगेश सोनी के सामने अपने लिए समर्थन जुटाने और फिर उस समर्थन को बनाए रखने की गंभीर चुनौती है ।