अंबाला । पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास के क्लब के प्रमुख सदस्य और यशपाल दास के नजदीकी नैन कँवर द्धारा वर्ष
2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के हुए चुनाव को रद्द करने के फैसले को
लेकर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड की - की गई कड़ी आलोचना ने डिस्ट्रिक्ट में एक
नया तमाशा खड़ा कर दिया है । इंटरनेशनल बोर्ड के प्रति नैन कँवर की नाराजगी
को दरअसल यशपाल दास की नाराजगी के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, और
इसीलिए लोगों को हैरानी इस बात पर है कि राजा साबू गिरोह के दूसरे लोग तो
इस फैसले पर जब खुशी व्यक्त कर रहे हैं - तब यशपाल दास इस फैसले पर दुखी
क्यों हैं, और अपने लोगों के जरिए इंटरनेशनल बोर्ड को इस फैसले के लिए लानत
क्यों भेज/भिजवा रहे हैं ? इंटरनेशनल बोर्ड के प्रति नैन कँवर के
गुस्से का आलम यह है कि फैसले को लेकर बोर्ड सदस्यों की समझदारी और नीयत के
साथ-साथ उनके 'अधिकारों' पर ही सवाल उठाते हुए उन्होंने इस फैसले को
पक्षपातपूर्ण भी करार दिया है, और घोषणा की है कि वह इंटरनेशनल बोर्ड के
सदस्यों को बेनकाब करेंगे तथा बोर्ड सदस्यों का रवैया यदि नहीं बदला तो वह
रोटरी ही छोड़ देंगे । उन्होंने आह्वान किया कि दूसरे रोटेरियंस इस काम
में उनकी मदद करें । समझा जा रहा है कि नैन कँवर ने इशारों ही इशारों में
इंटरनेशनल बोर्ड में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर
मनोज देसाई को निशाना बनाया है । कई लोगों को लगता है कि नैन कँवर तो सिर्फ जरिया हैं, मनोज देसाई पर यह निशाना वास्तव में यशपाल दास ने लगाया/लगवाया है ।
इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले को लेकर यशपाल दास के नजदीकी नैन कँवर की जो नाराजगी फूटी है, वह वास्तव में यशपाल दास की निराशा और परेशानी की ही अभिव्यक्ति है । समझा जाता है कि यशपाल दास चूँकि खुद तो इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले की खुली आलोचना कर नहीं सकते हैं, इसलिए उन्होंने अपने क्लब के वरिष्ठ सदस्य और अपने नजदीकी नैन कँवर को 'काम' पर लगाया है । लोगों का मानना और कहना है कि यशपाल दास की शह और सहमति नहीं होती, तो नैन कँवर को इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले पर कुछ कहने की जरूरत भला क्यों और क्या होती ? इस तरह की बातों ने डिस्ट्रिक्ट में एक नया तमाशा खड़ा कर दिया है । यशपाल दास के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी के लिए नैन कँवर ने लोगों से जो समर्थन माँगा, वह उन्हें नहीं मिला । इससे यही नतीजा निकाला जा रहा है कि इंटरनेशनल बोर्ड ने राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट की लीडरशिप की जो भर्त्सना की है, डिस्ट्रिक्ट के लोग उससे सहमत हैं और उसे उचित मानते हैं ।
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राजा
साबू के डिस्ट्रिक्ट के वर्ष 2017-18 के लिए हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के
चुनाव को रद्द कर देने के इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले से वास्तव में यशपाल
दास को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है । राजा साबू सहित डिस्ट्रिक्ट के दूसरे
पूर्व गवर्नर्स की तरह यशपाल दास की भी फजीहत तो हुई ही है, उनका तो लेकिन रोटरी कैरियर ही खतरे में पड़ गया है । दरअसल संदर्भित चुनाव में यशपाल दास की सक्रिय पक्षपाती भूमिका को साबित करता हुआ उनका एक ईमेल संदेश खासी चर्चा में रहा
है, जिसने रोटरी जगत में उनकी काफी बदनामी की/करवाई हुई है । उक्त ईमेल के
सार्वजनीकरण के लिए भी यशपाल दास ने मनोज देसाई को जिम्मेदार ठहराया हुआ है
। वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के चलते राजा साबू
एंड कंपनी को जो भी प्रतिकूल स्थितियों तथा फजीहतों का सामना करना पड़ा है,
उसके लिए यशपाल दास और मधुकर मल्होत्रा लगातार पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर
सुशील गुप्ता और मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई को कोसते सुने गए
हैं । यशपाल दास का साफ आरोप रहा है कि रोटरी समुदाय में उन्हें बदनाम
करने तथा अलग-थलग करने के लिए सुशील गुप्ता और मनोज देसाई ने ही षड्यंत्र
रचा, और उनके डिस्ट्रिक्ट के एक चुनावी विवाद के बहाने उनकी फजीहत की/कराई
है ।
वर्ष 2017-18 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के चुनाव को
लेकर चले झगड़े में राजा साबू और उनके गिरोह के लोगों के बीच इस बात पर
जब-तब चर्चा तो होती ही रहती है कि यह झगड़ा करके उन्हें आखिर मिला क्या ?
गिरोह के कुछेक लोगों को लगता है कि इस झगड़े की शुरुआत इस लक्ष्य को पाने के लिए हुई थी कि राजा साबू एंड कंपनी टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नहीं बनने देगी, और अंततः इस लक्ष्य को चूँकि पा लिया गया है - इसलिए यह राजा साबू एंड कंपनी की जीत है । गिरोह/कंपनी के ही कई लोगों को लेकिन यह भी लगता है कि इस लक्ष्य को पाने के लिए डिस्ट्रिक्ट को बदनामी व फजीहत के रूप में चूँकि भारी कीमत चुकानी पड़ी है - इसलिए यह तथाकथित 'जीत' वास्तव में बड़ी हार है । रोटरी जगत में इससे ज्यादा शर्म की बात भला क्या होगी कि
रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने अपने फैसले में राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट की पूरी
लीडरशिप की इस बात के लिए भर्त्सना की है कि वह चुनावी प्रक्रिया में
4-वे-टेस्ट तथा रोटरी के अन्य महान आदर्शों व परंपराओं का पालन करने में
फेल रही है । रोटरी जगत में इससे यही संदेश गया है कि राजा साबू दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में जाकर जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं, वह उनकी थोथी बातें ही हैं; उनका असली चेहरा देखना हो तो उनके अपने डिस्ट्रिक्ट में उनकी कारगुजारियों को देखो ! राजा साबू को जानने वालों का कहना है कि पोल खुलने के बाद भी
राजा साबू लोगों के बीच बड़ी बड़ी हाँकने से बाज तो नहीं ही आयेंगे, और पूरी
बेशर्मी से रोटरी के आदर्शों को लेकर बड़ी बड़ी बातें करते रहेंगे- लेकिन
इंटरनेशनल बोर्ड द्धारा की गई टिप्पणियों को जानने वाले लोगों को तो उनकी
बड़ी बड़ी बातों के पीछे छिपे नकलीपन को पहचानने में कोई समस्या नहीं होगी ।
इसीलिए कई लोगों को लगता है कि टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने से
रोकने के चक्कर में राजा साबू ने रोटरी में अपने जीवन की सारी 'कमाई' गँवा
दी है ।
रोटरी जगत के कई बड़े नेताओं का भी मानना और कहना है कि टीके रूबी को हराने की जिद में राजा साबू ने वास्तव में अपने डिस्ट्रिक्ट को तथा रोटरी को ही हरा दिया है । मजे की बात यह नजर आ रही है कि संदर्भित मामले में डिस्ट्रिक्ट और डिस्ट्रिक्ट की लीडरशिप की जो फजीहत हुई है, उसने राजा साबू गिरोह के दूसरे प्रमुख सदस्यों को ज्यादा निराश और परेशान किया हुआ है । दरअसल गिरोह के जिन सदस्यों को डिस्ट्रिक्ट से ऊपर जाना/पाना नहीं है, उन्हें तो डिस्ट्रिक्ट की और अपनी फजीहत से कोई फर्क पड़ता नहीं है; लेकिन यशपाल दास, मधुकर मल्होत्रा, शाजु पीटर जैसे सदस्यों को इस बदनामी और फजीहत में अपनी
महत्वाकाँक्षा के पंख टूटते दिख रहे हैं । इन लोगों को यह भी लग रहा है कि
फजीहत और बदनामी से राजा साबू को तो कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन इनके लिए
तो आगे का रास्ता ही बंद हो गया है । मधुकर मल्होत्रा और शाजु पीटर को
इंटरनेशनल डायरेक्टर बनना है; यशपाल दास की इंटरनेशनल प्रेसीडेंट बनने की
इच्छा है - लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी बेईमानी में इनकी मिलीभगत और हरकतों की रोटरी जगत में जो चर्चा हुई है, उसके कारण इनके आगे के सफ़र पर ब्रेक लग गया है । इनकी समस्या यह है कि डिस्ट्रिक्ट में इनकी ही हरकतों के चलते जो हालात बन गए हैं, उसके कारण इनके लिए अपने ऊपर लगे धब्बों को जल्दी से धो पाना भी संभव नहीं होगा । इस स्थिति ने इन्हें बुरी तरह निराश और परेशान कर दिया है ।इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले को लेकर यशपाल दास के नजदीकी नैन कँवर की जो नाराजगी फूटी है, वह वास्तव में यशपाल दास की निराशा और परेशानी की ही अभिव्यक्ति है । समझा जाता है कि यशपाल दास चूँकि खुद तो इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले की खुली आलोचना कर नहीं सकते हैं, इसलिए उन्होंने अपने क्लब के वरिष्ठ सदस्य और अपने नजदीकी नैन कँवर को 'काम' पर लगाया है । लोगों का मानना और कहना है कि यशपाल दास की शह और सहमति नहीं होती, तो नैन कँवर को इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले पर कुछ कहने की जरूरत भला क्यों और क्या होती ? इस तरह की बातों ने डिस्ट्रिक्ट में एक नया तमाशा खड़ा कर दिया है । यशपाल दास के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि इंटरनेशनल बोर्ड के फैसले के खिलाफ अपनी नाराजगी के लिए नैन कँवर ने लोगों से जो समर्थन माँगा, वह उन्हें नहीं मिला । इससे यही नतीजा निकाला जा रहा है कि इंटरनेशनल बोर्ड ने राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट की लीडरशिप की जो भर्त्सना की है, डिस्ट्रिक्ट के लोग उससे सहमत हैं और उसे उचित मानते हैं ।
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