Wednesday, January 18, 2017

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अचानक से प्रस्तुत हुई अनूप मित्तल की उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट के चुनावी परिदृश्य को काफी गर्म करते हुए दूसरे उम्मीदवारों के लिए मुकाबले को खासा कठिन बना दिया है

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट 3011 में 'शीत लहर' और 'कोहरे' का शिकार बनी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में अनूप मित्तल की अचानक हुई एंट्री ने सभी को हक्का-बक्का करते हुए खासी गर्मी पैदा कर दी है । मजे की बात यह रही कि पहले किसी ने भी उम्मीदवारी की अनूप मित्तल की घोषणा को गंभीरता से नहीं लिया : किसी को लगा कि अनूप मित्तल मज़ाक कर रहे हैं, किसी को लगा कि अनूप मित्तल अगले रोटरी वर्ष में उम्मीदवार होना चाहते हैं और उसकी तैयारी के तहत उन्होंने इस वर्ष से ही अपने आप को लाइन में लगा लिया है; कोई कोई और दूर की सोच बैठे तथा बताने लगे कि अनूप मित्तल मौजूदा उम्मीदवारों में से किसी उम्मीदवार के वोट काटने और उसे नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से उम्मीदवार बने हैं; आदि-इत्यादि । इस तरह, शुरू के दो-चार दिन तो अनूप मित्तल की उम्मीदवारी को लेकर 'जितने मुँह उतनी बातें' वाला मामला था । लेकिन लोगों ने जब अनूप मित्तल को अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु दौड़-भाग करते हुए देखा/सुना, तब जाकर लोगों को यकीन हुआ कि अनूप मित्तल अपनी उम्मीदवारी को लेकर बहुत गंभीर हैं, और बहुत सोच-विचार कर ही इस समय उन्होंने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है ।
उल्लेखनीय है कि अनूप मित्तल की उम्मीदवारी की चर्चा हाल-फिलहाल के वर्षों में सुनी जाती रही थी; रोटरी में उनकी सक्रियता और संलग्नता को देखते हुए पिछले तीन-चार वर्षों में चुनावी राजनीति के खिलाड़ी नेता उन्हें उम्मीदवार बनने के लिए प्रेरित करते रहे हैं; पिछले तीन-चार वर्षों में उनकी उम्मीदवारी प्रस्तुत होने का इतना 'डर' रहा है कि उम्मीदवार बनने वाले कुछेक लोग तो टोह लेने और उनकी उम्मीदवारी न आने के प्रति आश्वस्त होने के बाद ही उम्मीदवार बने - इस बार भी, अब जब अनूप मित्तल उम्मीदवार हो गए हैं तो कुछेक उम्मीदवारों ने रोना रोया है कि वह तो अनूप मित्तल के भरोसे थे और उन्हें पता होता कि अनूप मित्तल उम्मीदवार होंगे तो वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत ही न करते । दरअसल इसी तरह की बातों के कारण अनूप मित्तल की उम्मीदवारी बहुत देर से प्रस्तुत होने के बाद भी महत्त्वपूर्ण हो चुकी है । अनूप मित्तल की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने की टाइमिंग ने भी उनकी उम्मीदवारी के संदर्भ को खासा रहस्यपूर्ण तथा महत्त्वपूर्ण बना दिया है । कायदे से और व्यवहारतः अनूप मित्तल की उम्मीदवारी जब प्रस्तुत हुई है, तब तक तो इस वर्ष का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव - या चुनाव की प्रक्रिया को शुरू हो जाना चाहिए था । इससे लगता है कि अनूप मित्तल की इस वर्ष उम्मीदवार बनने की कोई तैयारी नहीं थी । ऐसे में क्या यह सिर्फ एक संयोग होगा या इसके पीछे कोई सुनियोजित योजना होगी कि एक तरफ तो चुनाव लेट-लतीफी का शिकार हुआ, और दूसरी तरफ अचानक से अनूप मित्तल उम्मीदवार बन गए । कुछेक लोगों ने शक भी प्रकट किया कि क्या अनूप मित्तल की उम्मीदवारी को मौका देने के लिए ही जानबूझ कर चुनाव को लेट किया गया है ?
अधिकतर लोगों का मानना हालाँकि यह है कि इस वर्ष के चुनावी माहौल में जोश व उत्साह का जो अभाव पैदा हुआ, और उसके कारण लोगों के बीच असमंजसता की जो स्थिति बनी - उसे अपने लिए अनुकूल मान/समझ कर अनूप मित्तल चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं । उल्लेखनीय है कि इस वर्ष का चुनावी माहौल पूरी तरह से थका-थका सा बन गया था; उम्मीदवार दौड़ते-भागते कम, अपनी अपनी थकान उतारते हुए ज्यादा देखे/पाए जा रहे थे - उम्मीदवारों के थकाऊ व्यवहार ने लोगों को भी निराश किया हुआ था । इस कारण से चुनावी माहौल पूरी तरह असमंजसपूर्ण और अनिश्चितताभरा हो गया था : उम्मीदवार कंफ्यूज थे कि अपने पक्ष में समर्थन जुटाने के लिए वह करें तो क्या करें; लिहाजा मतदाता और दूसरे लोग कंफ्यूज हुए कि अपना भावी गवर्नर वह किसे चुने ? सभी उम्मीदवार हालाँकि अपने अपने तरीके से अपनी अपनी उम्मीदवारी को लेकर सक्रिय थे, और जिस जिस से मिलना जरूरी समझ रहे थे - उससे मिलजुल भी रहे थे, अधिकतर से तो वे कई कई बार मिल चुके थे; लेकिन चुनावी माहौल में वह कोई गर्मी पैदा नहीं कर पा रहे थे । चुनावी माहौल पूरी तरह 'कोहरे' में फँसा नजर आ रहा था, जहाँ हर किसी के लिए भी समझना मुश्किल हो रहा था कि वह आगे बढ़े तो कैसे बढ़े; उम्मीदवारों के व्यवहार में 'शीत लहर' वाली ठंडक का अहसास हो रहा था, जिसके चलते डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के संदर्भ में चुनावी माहौल में पूरी तरह बर्फ जमी लग रही थी ।
अनूप मित्तल की अचानक से प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने इस बर्फ को तोड़ने का काम किया है । चुनावी माहौल में गर्मी सिर्फ इसलिए नहीं पैदा हुई कि उम्मीदवारों की संख्या में एक और उम्मीदवार का इजाफा हो गया है - गर्मी इसलिए पैदा हुई क्योंकि अनूप मित्तल की उम्मीदवारी ने दूसरे सभी उम्मीदवारों के सत्ता समीकरणों को बुरी तरह से तहस-नहस कर दिया है । अनूप मित्तल और उनके नजदीकी 12/15 क्लब्स का एक ग्रुप बनाते/चलाते/रखते बताए जाते हैं, जिनके करीब 30/35 वोट हैं; इन वोटों के लिए कुछेक उम्मीदवार पिछले महीनों में अनूप मित्तल और उनके नजदीकियों का समर्थन पाने की कोशिश करते रहे हैं । अब अनूप मित्तल के खुद उम्मीदवार बन जाने से उनकी वह सारी कोशिश और उस कोशिश के चलते उनके पक्ष में बन सकने वाले समीकरण स्वाभाविक रूप से गड़बड़ा गए हैं ।  
अनूप मित्तल की उम्मीदवारी देर से जरूर प्रस्तुत हुई है, किंतु उनकी सक्रियता किसी भी दूसरे उम्मीदवार के मुकाबले ज्यादा ही देखी/पहचानी गई है । लोगों ने ही हिसाब लगा के पाया/बताया है कि अनूप मित्तल ने उम्मीदवार न होने के बावजूद जितने क्लब्स के अधिष्ठापन समारोहों में शिरकत की है, उतनी शिरकत तो किसी एक उम्मीदवार ने नहीं की है । डिस्ट्रिक्ट के आयोजनों में भी उनकी ऐसी संलग्नता व सक्रियता रही, जो लोगों को दिखाई भी दी है । लोगों के बीच परिचय, पहचान और संवाद के मामले में अनूप मित्तल किसी भी दूसरे उम्मीदवार के मुकाबले इक्कीस ही ठहरेंगे । इन्हीं कारणों से, अनूप मित्तल की अचानक प्रस्तुत हुई उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के दूसरे उम्मीदवारों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है । उनके समर्थक हालाँकि उन्हें समझा रहे हैं कि अनूप मित्तल को उम्मीदवार के रूप में सक्रिय होने का चूँकि कम समय मिला है, इसलिए वह तेज चलेंगे - 'बर्फ' और 'कोहरे' में तेज चलने पर 'दुर्घटनाग्रस्त' होने का खतरा होता ही है; इसलिए इंतज़ार करो, अनूप मित्तल अवश्य ही गलती करेंगे । अनूप मित्तल गलती करेंगे या नहीं, और उनकी संभावित गलती उनकी उम्मीदवारी को किस तरह से प्रभावित करेगी - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन यह जरूर पता चल रहा है कि अचानक से प्रस्तुत हुई अनूप मित्तल की उम्मीदवारी ने डिस्ट्रिक्ट के चुनावी परिदृश्य को काफी गर्म कर दिया है, और दूसरे उम्मीदवारों के लिए मुकाबले को खासा कठिन बना दिया है ।