अंबाला
। पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास को मौजूदा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट
जॉन जर्म ने जोर का झटका जोर से देते हुए रोटरी इंटरनेशनल की इलेक्शन रिव्यू कमेटी के न सिर्फ चेयरमैन पद से हटा दिया है, बल्कि कमेटी से ही बाहर कर दिया है । इस कारण हुई अपनी फजीहत के असर को कम करने के लिए यशपाल दास हालाँकि लोगों को बता रहे हैं कि उन्हें हटाया नहीं गया है, चेयरमैन पद से और कमेटी से उन्होंने खुद ही
इस्तीफा दिया है । तकनीकी रूप से यशपाल दास का कहना सही है और रिकॉर्ड पर
दर्ज यही है कि उन्होंने इस्तीफा दिया है । किंतु यह रोटरी इंटरनेशनल की
'व्यवस्था' की व्यावहारिक प्रैक्टिस के तहत हुआ है - रोटरी इंटरनेशनल
कार्यालय को जब किसी पदाधिकारी को उसके पद से हटाना होता है, तो वह उसे
इस्तीफा देने का सुझाव देता है, ताकि उसे लोगों के बीच ज्यादा बेइज्जती न
महसूस हो । यशपाल दास के साथ भी यही प्रकिया अपनाई गई, और इस प्रक्रिया के
तहत इस्तीफा 'देकर' यशपाल दास ने अपनी इज्ज़त/फजीहत बचाने की कोशिश की है । किंतु फजीहत तो उनकी हो ही चुकी है । दरअसल इंटरनेशनल इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता और फिर चेयरमैनी पाने के लिए यशपाल दास ने पिछले रोटरी वर्ष में जोरदार लॉबिंग की थी और कई तरह की तिकड़में लगाने के बाद उन्हें यह पोजीशन मिली थी । इलेक्शन
रिव्यू कमेटी के चैयरमैन के रूप में यशपाल दास ने जो 'जलवा' दिखाने की
योजनाएँ बनाई थीं, रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जॉन जर्म ने उन सब पर पानी फेर दिया है ।
यशपाल दास की इस फजीहत से सबसे ज्यादा खुश मुकेश अरनेजा हैं । डिस्ट्रिक्ट 3012 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अरनेजा भी दरअसल इलेक्शन रिव्यू कमेटी के सदस्य होने के लिए प्रयास कर रहे थे और मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के समर्थन के भरोसे उन्हें पूरी पूरी उम्मीद थी कि उक्त कमेटी की सदस्यता उन्हें मिल ही जाएगी । मनोज
देसाई ने इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता मुकेश अरनेजा को दिलवाने के लिए
उचित तरीके से प्रयास नहीं किया और मुकेश अरनेजा को भ्रम में रखने के लिए
उन्हें 'गोली' देते रहे, या मनोज देसाई की चली नहीं - यह तो किसी को नहीं पता, लेकिन यह सभी को पता है कि यशपाल दास के सामने मुकेश अरनेजा की दाल नहीं गली ।
हालाँकि इसके लिए मुकेश अरनेजा की बेवकूफीभरी अति महत्वाकांक्षा को भी
जिम्मेदार माना/ठहराया गया । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल ने एक जुलाई 2015 को वर्ष 2016-17 के लिए नौ कमेटियों के लिए नाम आमंत्रित किए थे, जिसके जबाव में कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने अपनी अपनी पसंददीदा कमेटी की सदस्यता के लिए आवेदन किया था । आम तौर पर एक पूर्व गवर्नर ने किसी भी एक कमेटी की सदस्यता के लिए आवेदन किया, किंतु मुकेश अरनेजा ने हद यह की कि उन्होंने एक साथ चार कमेटियों का नाम
दे दिया । उनका रवैया ऐसा था, जैसे वह कह रहे हों कि बस दे दो, चाहे कुछ भी
दे दो । कुछ भी हड़प लेने की ताक में होने के बावजूद मुकेश अरनेजा ने इलेक्शन रिव्यू कमेटी के लिए सारा जोर लगाया हुआ था । इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता का रोटरी में
ज्यादा 'ग्लैमर' है, और चर्चा सुनी जाती है कि इसमें बैठे-बैठाए 'कमाई' भी
हो जाती है । तमाम कोशिशों के बावजूद लेकिन मुकेश अरनेजा का काम नहीं बना,
और बाजी यशपाल दास के हाथ लगी । इसीलिए अब जब यशपाल दास से उक्त कमेटी की सदस्यता छीन ली गई है, तो स्वाभाविक रूप से मुकेश अरनेजा के दिल को तसल्ली मिली है - और मुकेश अरनेजा की यह खास खूबी है कि वह अपनी खुशी को छिपा कर नहीं रख पाते हैं और धूमधाम से उसे लोगों के बीच 'बाँटते' हैं ।
जानकारों के बीच की चर्चाओं के अनुसार, यशपाल दास से इलेक्शन रिव्यू कमेटी की चेयरमैनी तथा सदस्यता छिनने का कारण उनके अपने डिस्ट्रिक्ट से दर्ज हुई चुनावी शिकायत रही । यशपाल दास के लिए मुसीबत की बात सिर्फ यही नहीं
हुई कि उनके अपने डिस्ट्रिक्ट से चुनावी शिकायत दर्ज हुई; मुसीबत की बात यह
भी हुई कि चुनावी शिकायत में खुद यशपाल दास के खिलाफ गंभीर आरोप हैं । नैसर्गिक
न्याय की माँग कहती है कि आरोपी ही जज नहीं हो सकता है - और इस नाते से
यशपाल दास को खुद ही उक्त कमेटी को छोड़ देना चाहिए था । यशपाल दास ने लेकिन
कमेटी में बने रहने की कोशिशें और तिकड़में कीं - उन्होंने यहाँ तक तर्क
किया कि जिस मीटिंग में उनके अपने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी शिकायत पर चर्चा होगी, वह उस मीटिंग का हिस्सा नहीं बनेंगे । उल्लेखनीय है कि यशपाल दास के डिस्ट्रिक्ट के रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस मनसा देवी की तरफ से रोटरी इंटरनेशनल में
22 जून को चुनावी शिकायत दर्ज हुई । यशपाल दास में यदि जरा सी भी नैतिकता
होती और रोटरी की साख व प्रतिष्ठा के प्रति उनके मन में जरा सा भी सम्मान
होता, तो वह उसी समय इलेक्शन रिव्यू कमेटी के लिए दिए गए अपने आवेदन को
वापस ले लेते । उस समय नहीं लिया, तो जून के आखिरी सप्ताह में जब उनका नाम
इलेक्शन रिव्यू कमेटी के सदस्य और चेयरमैन के रूप में घोषित हुआ, तब तुरंत उन्हें उक्त पद को स्वीकार करने से इंकार कर देना चाहिए था । यशपाल दास ने लेकिन ऐसा करने की बजाए
डिस्ट्रिक्ट में लोगों को यह बताना/कहना और शुरू कर दिया कि इलेक्शन रिव्यू
कमेटी का चेयरमैन जब मैं ही हूँ, तो रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस मनसादेवी
की चुनावी शिकायत का क्या होगा - समझ लो ! रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस मनसादेवी की चुनावी शिकायत का क्या होगा, यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन यह हुआ है कि पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास को उक्त कमेटी से ही चलता कर दिया गया है ।
जाहिर है कि यशपाल दास अपनी ही हरकतों के कारण इस फजीहत का शिकार हुए हैं । इलेक्शन रिव्यू कमेटी का चेयरमैन बनने के बाद उन्होंने रोटरी क्लब हिमालयन रेंजेस मनसादेवी के खिलाफ जिस तरह की आक्रामकता का इज़हार किया, उसके कारण ही कमेटी से उनके हटने को लेकर ज्यादा चर्चा हुई है - और उन्हें अपने डिस्ट्रिक्ट के साथ-साथ दूसरे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच भी फजीहत का शिकार होना पड़ा है । यशपाल दास के लिए और भी ज्यादा फजीहत की बात यह हुई है कि कमेटियाँ गठित
करने को लेकर रोटरी इंटरनेशनल ने पिछले रोटरी वर्ष से जो प्रक्रिया शुरू
की, जिसके तहत यशपाल दास इलेक्शन रिव्यू कमेटी की सदस्यता व चेयरमैनी पाने
की तिकड़म में सफल हुए - उसे लेकर डिस्ट्रिक्ट के ही एक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शाजु पीटर पिछले रोटरी वर्ष में ही गंभीर संदेह व सवाल खड़े कर चुके थे ।
यशपाल दास के साथ जो हुआ, उसे शाजु पीटर के लिखे हुए को पढ़ते हुए 'देखें' -
तो यशपाल दास का खासा भद्दा मजाक बना नजर आता है । रोटरी में लोगों को
कहने का मौका मिला है कि यशपाल दास से होशियार तो शाजु पीटर साबित हुए हैं ।