मुरादाबाद
। डिस्ट्रिक्ट 3100 के मामले के कोर्ट-कचहरी पहुँचने के पीछे इंटरनेशनल
डायरेक्टर मनोज देसाई की शह होने की चर्चाओं ने मामले को खासा रोमांचक बना
दिया है । समझा जाता है कि केआर रवींद्रन को एशियाई मामलों का इंचार्ज
बना देने के इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जॉन जर्म के फैसले से आहत मनोज देसाई ने
डिस्ट्रिक्ट 3100 के नाराज व असंतोषी लोगों को कोर्ट-कचहरी करने के लिए
उकसाया है । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 को लेकर रोटरी इंटरनेशनल
पदाधिकारियों तथा बोर्ड ने पिछले महीनों में जब जब फैसले लिए, तब तब
कोर्ट-कचहरी होने/करने की चर्चाएँ सुनी गईं थीं; इंटरनेशनल बोर्ड के
फैसले के चलते जब दीपक बाबु के गवर्नर की कुर्सी तक पहुँचने का रास्ता पूरी
तरह बंद हो गया था - तब तो यह चर्चा पूरे जोरों पर थी कि दीपक बाबु रोटरी
इंटरनेशनल के फैसले के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं । लेकिन
फिर सुनने को मिला कि मनोज देसाई ने उन्हें कोर्ट न जाने के लिए मना लिया
है । इससे पहले, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से इस्तीफा देने के लिए सुनील गुप्ता को मनोज देसाई द्वारा राजी करने की बातें लोगों के बीच जब
चर्चा में थीं, तब तो खुद सुनील गुप्ता लोगों को बता रहे थे कि
उन्होंने मनोज देसाई से साफ साफ कह दिया है कि रोटरी इंटरनेशनल ने उन्हें
यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटाया, तो वह कोर्ट चले जायेंगे । उस समय
सुनील गुप्ता को घेरने/फँसाने तथा मामले को शांतिपूर्ण तरीके से निपटा देने
में मनोज देसाई ने ही तिकड़में लगाई थीं । मनोज देसाई ने सुनील गुप्ता को
ही नहीं; डिस्ट्रिक्ट में प्रशासनिक व आर्थिक घपलों के लिए जिम्मेदार ठहराए
गए तीन पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स के 'गुस्से' को शांत करने में भी
सक्रिय भूमिका निभाई थी; दीपक बाबु व दिनेश शर्मा को भी चुप कराने में
मनोज देसाई सफल रहे थे । किंतु दीपक बाबु व दिनेश शर्मा को जल्दी ही समझ
में आ गया कि मनोज देसाई ने उन्हें 'पोपट' बना दिया है । राजीव सिंघल के
कोऑर्डीनेटर बनने के बाद तो दीपक बाबु व दिनेश शर्मा ने पक्के तौर पर समझ
लिया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई ने उन्हें इस्तेमाल किया है, और
राजनीतिक रूप से उन्हें ठगा है । दूसरे लोग मनोज देसाई के हाथों 'पोपट'
बनने के बाद चूँकि चुप रह गए, इसलिए मनोज देसाई की 'रणनीति' की तारीफ हुई;
लेकिन दीपक बाबु और दिनेश शर्मा ने चुप रहने की बजाए मनोज देसाई को
सार्वजनिक रूप से कोसना जारी किया - तो मनोज देसाई को डेमेज कंट्रोल की
जरूरत पड़ी ।
रोटरी इंटरनेशनल के नए बने प्रेसीडेंट जॉन जर्म
के एक फैसले ने मनोज देसाई को अपनी 'पोजीशन' बदलने के लिए डेमेज कंट्रोल
की आड़ लेने का अच्छा बहाना भी दे दिया । जॉन जर्म ने निवर्तमान
प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन को एशियाई देशों के मामलों का इंचार्ज बना कर
दरअसल मनोज देसाई के पर पूरी तरह से कतर दिए हैं । उल्लेखनीय है कि केआर
रवींद्रन के प्रेसीडेंट रहते हुए मनोज देसाई की ज्यादा चल नहीं पा रही थी ।
वह उम्मीद में थे कि केआर रवींद्रन के प्रेसीडेंट पद से हटने के बाद वह
पूरी तरह से अपनी चला सकेंगे - लेकिन जॉन जर्म ने केआर रवींद्रन को उनके
सिर पर बैठा कर उनकी उम्मीदों को ध्वस्त कर दिया है । इस स्थिति ने मनोज देसाई को डिस्ट्रिक्ट 3100 के नाराज व असंतोषी लोगों को यह बताने/समझाने
का अवसर दिया कि केआर रवींद्रन के होते हुए मैं कुछ नहीं कर पाउँगा, इसलिए
मेरे भरोसे मत रहना और जो उचित समझो करो । इस तरह मनोज देसाई ने एक तीर से
दो निशाने लगा दिए हैं : एक तरफ तो उन्होंने उन्हें कोसने वाले दीपक बाबु व
दिनेश शर्मा जैसे लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगाया, और उनके सामने जताने की
कोशिश की कि वह तो उनके लिए कुछ करना चाहते थे - किंतु केआर रवींद्रन के कारण अब वह कुछ नहीं कर पायेंगे; दूसरी
तरफ मनोज देसाई ने जॉन जर्म और केआर रवींद्रन को कोर्ट-कचहरी की मुसीबत
में फँसवा दिया है । मामले में हालाँकि मनोज देसाई को भी पार्टी बनाया गया
है, किंतु कोर्ट-कचहरी के मामले में ज्यादा बड़ी जिम्मेदारी तो जॉन जर्म व
केआर रवींद्रन की ही बनेगी ।
डिस्ट्रिक्ट 3100 में झगड़ों को हवा देने में मनोज देसाई की भूमिका को पिछले रोटरी वर्ष के शुरू से ही चिन्हित
किया जाता रहा है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में
राजीव सिंघल खुलकर मनोज देसाई के समर्थन का दावा करते रहे हैं । राजीव सिंघल की उम्मीदवारी का रास्ता आसान बनाने के लिए
मंजू गुप्ता की उम्मीदवारी को वापस कराने के उद्देश्य से डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर के स्तर से लेकर दिल्ली स्थित रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस
तक में जो 'खेल' हुआ, उसमें मनोज देसाई की भूमिका को देखा/पहचाना गया और उसकी भारी आलोचना हुई । डिस्ट्रिक्ट में पिछले रोटरी वर्ष में घटी घटनाओं को नजदीक से देखने वाले लोगों को लगता है, और उन्होंने दूसरे
लोगों के बीच इसे कहा भी है कि मनोज देसाई ने पहले सुनील गुप्ता को और फिर
दीपक बाबु को इस्तेमाल किया - और ऐसे इस्तेमाल किया कि दोनों बर्बादी की
दशा को प्राप्त हुए । कुछेक लोगों को तो शक है कि मनोज देसाई ने जानबूझ
कर डिस्ट्रिक्ट 3100 में झगड़ों को हवा दी, ताकि डिस्ट्रिक्ट को बर्बाद
किया/करवाया जा सके । यह शक करने वालों का तर्क है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की
मनोज देसाई की उम्मीदवारी को चूँकि नोमीनेटिंग कमेटी में डिस्ट्रिक्ट 3100 का समर्थन नहीं मिला
था, इसलिए उसी की खुन्नस में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट 3100 से बदला लिया है ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के उम्मीदवार के रूप में मनोज देसाई ने हालाँकि डिस्ट्रिक्ट 3100 के पूर्व गवर्नर्स के बीच अच्छा काम किया था । नोमीनेटिंग कमेटी के लिए चुने गए राजीव रस्तोगी का समर्थन जुटाने के लिए मनोज देसाई ने उनकी परफेक्ट घेराबंदी की थी, जिसके चलते उन्हें विश्वास था कि नोमीनेटिंग कमेटी में राजीव रस्तोगी उनका ही समर्थन करेंगे ।
नोमीनेटिंग कमेटी में लेकिन राजीव रस्तोगी ने भरत पांड्या का समर्थन किया ।
बाद में पता चला कि राजीव रस्तोगी का मन बदलने में जयपुर वाले अशोक गुप्ता
ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी । राजीव रस्तोगी का समर्थन न मिलने के
बावजूद मनोज देसाई नोमीनेटिंग कमेटी में अधिकृत उम्मीदवार तो बन गए, किंतु अब लग रहा
है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 के प्रति उनके मन में नाराजगी ने जैसे गहरी पैठ बना
ली थी - और उसी नाराजगी के चलते बहुत योजनाबद्ध तरीके से उन्होंने
डिस्ट्रिक्ट 3100 को बर्बादी के कगार पर पहुँचा दिया है ।
रोटरी
इंटरनेशनल और उसके पदाधिकारियों के खिलाफ कोर्ट-कचहरी करने का क्या नतीजा
निकलेगा - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी लेकिन कई लोगों को लगता है कि इस
'काम' में पर्दे के आगे और पीछे जो लोग हैं, उन्हें तो शायद ही कोई फायदा होगा - डिस्ट्रिक्ट के लिए मुसीबतें हो सकता है कि और बढ़ जाएँ । डिस्ट्रिक्ट के लोग कोर्ट-कचहरी करें, यह शायद कोई बड़ा मुद्दा न होता; इस कोर्ट-कचहरी के पीछे लेकिन इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की शह होने की चर्चाओं ने मामले को दिलचस्प और महत्वपूर्ण बना दिया है ।