Sunday, July 31, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में सुभाष जैन के वृंदावन जाने के छोटे से काफिले को कारवाँ बनता देख डिस्ट्रिक्ट के हर खेमे के नेता को अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है

गाजियाबाद । सुभाष जैन का अपने कुछेक नजदीकियों के साथ वृंदावन स्थित बाँके बिहारी मंदिर जाने का एक निजी कार्यक्रम जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट का एक बड़ा कार्यक्रम बन गया है, उसे देख कर डिस्ट्रिक्ट के नेताओं के बीच खासी खलबली मच गई है । इस 'आयोजन' को डिस्ट्रिक्ट में - और जाहिर है कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में भी - सुभाष जैन की एक बड़ी 'छलाँग' के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, जिसमें डिस्ट्रिक्ट के दूसरे नेता अपने आप को पीछे धकेले जाते पा रहे हैं । मजे की बात यह है कि यह कोई स्पॉन्सर्ड कार्यक्रम नहीं है; सुभाष जैन ने कोई आह्वान नहीं किया है कि वह वृंदावन जा रहे हैं, जो जो साथ चलना चाहें - चले । वास्तव में हुआ यह कि सुभाष जैन के अपने कुछेक नजदीकियों के साथ वृंदावन जाने के कार्यक्रम के बारे में जैसे जैसे लोगों को जानकारी मिलती गई, वैसे वैसे लोग खुद से प्रेरित होकर सुभाष जैन के साथ चलने के लिए 'तैयार' होते गए - और सुभाष जैन के साथ जाने वाला एक छोटा सा काफिला जल्दी ही एक बड़ा कारवाँ बन गया है । इस कारवाँ ने और इसके अपने आप बनने की प्रक्रिया ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच सुभाष जैन की अहमियत व पोजीशन को बहुत ऊँचा कर दिया है । सुभाष जैन को डिस्ट्रिक्ट में कई लोग चूँकि डिस्ट्रिक्ट के भावी नेता के रूप में देख रहे हैं, इसलिए लोगों के बीच उनकी अहमियत व पोजीशन को ऊँचा होता देख डिस्ट्रिक्ट के मौजूदा नेताओं तथा भावी नेता बनने की फिराक में लगे लोगों को अपनी अपनी जमीन खिसकती दिखाई देने लगी है, और उनके बीच घबराहट पैदा हुई है । अपनी जमीन बचाने तथा अपनी घबराहट को दूर करने के लिए कुछेक नेताओं ने सुभाष जैन के इस कार्यक्रम को बदनाम करने का प्रयास शुरू तो किया था, लेकिन जल्दी ही उनकी समझ में आ गया कि उनका प्रयास सुभाष जैन का कोई नुकसान करने की बजाए, उलटे उन्हें ही चोट पहुँचा सकता है - और इसीलिए झटका महसूस कर रहे नेता अपने प्रयासों को बंद करके अपनी अपनी पोजीशन के बर्बाद होने का तमाशा चुपचाप देखने के लिए मजबूर हुए हैं ।
यहाँ गौर करने वाला तथ्य यह है कि सुभाष जैन की यह पोजीशन कोई अचानक से नहीं बनी या सामने आई है, बल्कि निरंतर चलती चली आ रही प्रक्रिया का एक बड़ा और - राजनीतिक शब्दावली में कहें तो विस्फोटक - प्रकटीकरण है । यह प्रक्रिया सुभाष जैन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी जीत के साथ ही शुरू हो गई थी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने के बाद सुभाष जैन का स्वागत-सम्मान करने के लिए डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स के बीच जैसी होड़ मची थी, वैसी होड़ इससे पहले कभी कहीं देखने/सुनने को नहीं मिली । ज्यादा पुरानी बातें न भी याद करें, तो सुभाष जैन से पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बने सतीश सिंघल का मामला याद किया ही जा सकता है - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने पर जिनका स्वागत-सम्मान किसी इक्के-दुक्के क्लब में हुआ हो तो हुआ हो, जिसका कोई नोटिस भी नहीं लिया गया । सुभाष जैन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने के बाद डिस्ट्रिक्ट में लेकिन अनोखा नजारा देखने को मिला । क्लब्स के कुछेक मठाधीशों ने कुछ-कुछ क्लब्स को जोड़ कर संयुक्त रूप से स्वागत-सम्मान समारोह करने की योजना बनाना शुरू किया था, किंतु क्लब्स के पदाधिकारियों व दूसरे सदस्यों का जोश ऐसे हिलोरे मार रहा था कि उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि वह संयुक्त रूप से नहीं, बल्कि अलग अलग ही सुभाष जैन का स्वागत-सम्मान करेंगे । याद करने और रखने की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हो जाने के बाद क्लब्स की गतिविधियाँ ठप्प सी हो जाती हैं; जो क्लब्स मीटिंग्स करते भी हैं, वह बड़ी लो-प्रोफाइल किस्म की मीटिंग्स करके महज खानापूर्ति ही करते हैं - लेकिन पिछले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस हो जाने के बाद भी क्लब्स ने तड़क-भड़क तथा जोरशोर के साथ मीटिंग्स सिर्फ इसलिए की, ताकि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी सुभाष जैन का स्वागत-सम्मान भव्य तरीके से कर सकें ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए मिली चुनावी जीत पर सुभाष जैन का डिस्ट्रिक्ट के क्लब्स ने जैसा स्वागत-सम्मान किया, उसके विवरण और तस्वीरें चूँकि सोशल मीडिया में भी प्रसारित हुए - जिससे दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों/नेताओं तथा रोटरी के बड़े पदाधिकारियों व नेताओं की जानकारी में भी यह बात आई; और उन्हें भी इस बात पर आश्चर्य हुआ कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने गए किसी पदाधिकारी की अपने डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच इतनी ज्यादा लोकप्रियता और पसंदगी भी हो सकती है क्या ? उल्लेखनीय है कि हर डिस्ट्रिक्ट में हर वर्ष डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुना ही जाता है - रोटरी के वरिष्ठ नेताओं ने ही इस तथ्य को रेखांकित किया कि अपने डिस्ट्रिक्ट में जैसा स्वागत-सम्मान सुभाष जैन का हुआ, वैसा स्वागत-सम्मान किसी और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी का होता हुआ नहीं सुना/देखा गया है । एक बड़े रोटरी नेता ने तो और भी उल्लेखनीय सच्चाई की तरफ ध्यान दिलाते हुए बताया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी को तो छोड़िए, बास्कर चोकालिंगम पीछे इंटरनेशनल डायरेक्टर चुने गए हैं - किंतु उनका भी अपने डिस्ट्रिक्ट में वैसा स्वागत-सम्मान नहीं हुआ, जैसा स्वागत-सम्मान सुभाष जैन का अपने डिस्ट्रिक्ट में हुआ दिखा है । स्वागत-सम्मान के चलते सुभाष जैन को अपने डिस्ट्रिक्ट के साथ साथ दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में और रोटरी के बड़े नेताओं के बीच जो ख्याति मिली, वह वास्तव में लोगों के साथ बराबर का दोस्ताना व्यवहार करने/रखने तथा लोगों को उचित सम्मान देने के उनके व्यवहार का ही नतीजा है । दरअसल अधिकतर लोग पद पाने में सफल तो हो जाते हैं, लेकिन सफल हो जाने के बाद ऐसी अकड़ में आ जाते हैं कि फिर दूसरों को कुछ समझते ही नहीं हैं; और इसीलिए बड़े बड़े पदों पर पहुँचे हुए लोगों को - पद तो मिल जाता है, पर सम्मान नहीं मिलता है । जिन्हें सम्मान नहीं मिलता, वह अपनी कमियाँ/गलतियाँ तो देखते नहीं हैं - दूसरों को कोसते हैं ।
सुभाष जैन ने लेकिन अपने व्यवहार से लोगों का दिल जीता, तो उन्हें चुनावी जीत के साथ-साथ लोगों का प्रेम और सम्मान भी मिला, जिसके कारण लोगों का उनके साथ गहरा लगाव बना । लोगों का उनके प्रति यह लगाव सिर्फ स्वागत-सम्मानों में ही नहीं दिखा है, बल्कि मौजूदा रोटरी वर्ष में हो रहे क्लब्स के अधिष्ठापन समारोहों में भी देखने को मिला है - जहाँ कि लोगों के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल के मुकाबले उनकी ज्यादा माँग, पूछ और संलग्नता रहती है । सुभाष जैन ने अपने व्यवहार से लोगों का जो दिल जीता है, और नतीजे के रूप में लोगों की तरफ से उन्हें जो प्रेम व सम्मान मिला है - वृंदावन जाने के उनके कार्यक्रम के साथ लोगों का जुड़ाव उसकी ही संगठित व मुखर प्रतिक्रिया है । यह सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होना भर नहीं है । उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कई मौके आए हैं, जबकि रोटरी पदाधिकारियों व नेताओं के यहाँ हुए धार्मिक आयोजनों में रोटेरियंस आमंत्रित हुए हैं, लेकिन उन आमंत्रणों के जबाव में ऐसा जोश और उत्साह कभी भी नहीं देखा गया । सुभाष जैन के वृंदावन स्थित बाँके बिहारी मंदिर जाने के कार्यक्रम का तो लोगों को निमंत्रण भी नहीं मिला है, लोगों को सिर्फ जानकारी मिली - और वह ऐसे जोश व उत्साह के साथ कार्यक्रम में शामिल होने के लिए तैयार हो गए, जैसे यह उनका खुद का कार्यक्रम है । इस कार्यक्रम में लोगों का जैसा जोश और जैसी संलग्नता देखने को मिली है, उसका राजनीतिक भावार्थ 'पढ़ना' शुरू कर दिया है - और यही कारण है कि इस यात्रा को लेकर नेताओं के बीच भारी खलबली मची है । डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में दिलचस्पी व सक्रियता रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि स्वागत-समारोहों से और फिर अधिष्ठापन समारोहों में डिस्ट्रिक्ट के भावी नेता के रूप में सुभाष जैन की जो 'जमीन' तैयार हो रही थी, वृंदावन यात्रा के प्रति लोगों के जोश तथा उनकी संलग्नता ने उस जमीन को ठोस आधार में बदल दिया है । ऐसे में हर खेमे के नेताओं को यदि अपनी अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है, और उनके बीच खलबली मच गई है - तो यह बहुत स्वाभाविक बात भी है ।