दीपक गुप्ता के क्लब के अधिष्ठापन समारोह की तैयारी में तैयारी करने वाले लोगों के बीच हालाँकि तालमेल का नितांत अभाव था, जिसके कारण दीपक गुप्ता और उनके समर्थकों व शुभचिंतकों के बीच भारी कंफ्यूजन था - उसके बावजूद उनके अधिष्ठापन समारोह में डिस्ट्रिक्ट के लोगों ने जिस संख्या व जोश के साथ शिरकत की, उससे दीपक गुप्ता के समर्थकों को ही नहीं, उनके विरोधियों को भी हैरानी हुई है । जिन लोगों ने अधिष्ठापन समारोह शुरू होने के समय दीपक गुप्ता को देखा, उन्हें बॉडी लैंग्वेज के संदर्भ में दीपक गुप्ता बड़े थके-थके से और उदास/निराश से नजर आए थे - लेकिन समारोह जैसे जैसे आगे बढ़ा, लोगों की आमद बढ़ती गई और कुल नजारा दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के संदर्भ में खासा उत्साहजनक आँका गया । दावा किया गया कि डिस्ट्रिक्ट के प्रत्येक क्लब के पदाधिकारी तो समारोह में मौजूद थे ही, सभी क्लब्स के महत्त्वपूर्ण लोग भी वहाँ उपस्थित हुए - और प्रायः सभी ने औपचारिक व अनौपचारिक रूप से दीपक गुप्ता के बारे में अच्छी अच्छी व सकारात्मक बातें कीं । समारोह का नजारा देख कर दीपक गुप्ता के कुछेक समर्थकों ने चुटकी भी ली कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर दीपक गुप्ता और उनके क्लब के सदस्यों से ज्यादा उत्साहित तो दूसरे क्लब्स के लोग हैं । कुछेक लोगों का कहना रहा कि दीपक गुप्ता के सामने लोगों के समर्थन को अपने साथ बनाए रखने की चुनौती ही है ।
दीपक गुप्ता के क्लब के अधिष्ठापन समारोह की जोरदार सफलता ने अशोक जैन और उनके समर्थक नेताओं के सामने खतरे की घंटी बजा दी । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में अशोक जैन की हालत पहले से ही काफी पतली है; उनके समर्थकों को लगता है कि दीपक गुप्ता के क्लब के अधिष्ठापन समारोह की सफलता से अशोक जैन की उम्मीदवारी को और झटका लगा है । इस झटके को कंट्रोल करने के लिए अशोक जैन के रमेश अग्रवाल व शरत जैन जैसे समर्थकों को अपने क्लब के अधिष्ठापन समारोह को और 'बड़ा' करना जरूरी लगा है - ताकि अशोक जैन अभी से उम्मीदवारी की दौड़ से बाहर न 'दिखने' लगें । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के संदर्भ में अशोक जैन को दरअसल दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है : एक तरफ तो उनके खुद के लिए अपने आप को चुनावी मुकाबले के लिए तैयार कर पाना मुश्किल हो रहा है; दूसरी तरफ उन्हें रमेश अग्रवाल की बदनामी से जूझना पड़ रहा है । डिस्ट्रिक्ट में रमेश अग्रवाल की हरकतों के खिलाफ खासी नाराजगी है, जिसे लोग मुखर रूप में व्यक्त करते हैं । अशोक जैन को चूँकि रमेश अग्रवाल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, इसलिए रमेश अग्रवाल की बदनामी और उनके प्रति लोगों की नाराजगी का ठीकरा अशोक जैन के सिर पर ही फूट रहा है । रमेश अग्रवाल ने जिस अचानक तरीके से अपने ही क्लब के अशोक जैन को उम्मीदवार बना दिया, उसे डिस्ट्रिक्ट पर अपनी चौधराहट जमाने की रमेश अग्रवाल की कोशिश के रूप में देखा/पहचाना गया - और उससे पैदा हुई नाराजगी का शिकार अशोक जैन को होना पड़ रहा है । डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर के रूप में रमेश अग्रवाल तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शरत जैन ने डिस्ट्रिक्ट के कुछेक आयोजनों में अशोक जैन को प्रोमोट करने का जो प्रयास किया, उसका उल्टा असर ही पड़ा - और लोगों को लगा कि अशोक जैन को उनके ऊपर जबर्दस्ती थोपा जा रहा है ।
अशोक जैन इस 'स्थिति' से निपटने का कोई तरीका अभी तक नहीं खोज सके हैं । एक उम्मीदवार के रूप में वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी कोई स्वतंत्र छवि या पहचान बनाने में भी अभी तक असफल ही रहे हैं । पहले तो वह लोगों के बीच सक्रिय ही नहीं हो सके; उनके समर्थक नेता हालाँकि अब दावा करते और बताते हैं कि अशोक जैन अब तो लोगों के बीच आने जाने लगे हैं, तथा बात करने लगे हैं; कुछेक जगह उन्होंने छोटी छोटी मीटिंग्स-मुलाकातें भी की हैं - समस्या लेकिन यही है कि वह लोगों के बीच प्रभाव नहीं छोड़ पाए हैं । उन्हें अभी भी अशोक जैन के रूप में नहीं, रमेश अग्रवाल के 'आदमी' के रूप में ही देखा/पहचाना जाता है । उम्मीदवार के रूप में ललित खन्ना की मौजूदगी ने अशोक जैन की हालत और ख़राब की हुई है । ललित खन्ना की उम्मीदवारी को सत्ता खेमे के ही कुछेक नेताओं का समर्थन माना/बताया जाता है; दरअसल सत्ता खेमे के ही कुछेक नेताओं को लगता है कि अशोक जैन उम्मीदवार के रूप में ज्यादा दिन तक टिके नहीं रह पायेंगे, और तब ललित खन्ना उनके काम आयेंगे । इस तरह की बातों से अशोक जैन के लिए हालात बहुत ही दुविधापूर्ण बन गए हैं - जिनसे उबरने/निकलने के लिए न अशोक जैन को कोई तरीका सूझ रहा है, और न उनके समर्थक नेताओं को । ऐसे में, दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को प्रोमोट करने के उद्देश्य से आयोजित हुए उनके क्लब के अधिष्ठापन समारोह की जोरदार सफलता ने अशोक जैन और उनके समर्थक नेताओं के सामने गंभीर संकट और चुनौती पैदा कर दी है । यूँ तो अभी यमुना और हिंडन में बहुत पानी बहना है, और कोई नहीं जानता कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई का समीकरण आने वाले दिनों में कौन सी करवट लेगा; इसलिए अशोक जैन की उम्मीदवारी के रमेश अग्रवाल व शरत जैन जैसे समर्थक नेता अशोक जैन को मुकाबले में बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं - और इसी क्रम में उन्होंने फिलहाल जिम्मेदारी यह ली है कि वह अपने क्लब का अधिष्ठापन समारोह दीपक गुप्ता के क्लब के अधिष्ठापन समारोह से 'बड़ा' करें और दिखाएँ ।