गाजियाबाद
। जेके गौड़ को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटे अभी एक महीना पूरा नहीं हुआ
है, कि लोगों के बीच उनकी असल 'औकात' सामने आने लगी है - कल रात रोटरी क्लब
गाजियाबाद सफायर के अधिष्ठापन समारोह में उनकी ऐसी गत बनी कि खुद उनके लिए
कार्यक्रम में ठहर पाना मुश्किल हुआ, और अपमान की ज्वाला में जलते हुए
उन्हें बीच कार्यक्रम में से निकल जाना पड़ा । इस बात को अभी एक वर्ष
पूरा नहीं हुआ है - पिछले रोटरी वर्ष के इन्हीं दिनों जेके गौड़ क्लब्स के
पदाधिकारियों को इस बात के लिए हड़का रहे होते थे कि 'इसे' बुलाओ, 'उसे' मत
बुलाओ, 'उसे' बुलाया तो मैं नहीं आऊँगा, आदि-इत्यादि । इस बात को एक वर्ष
पूरा होने से पहले पहले ही अब नौबत यह आ गई है कि जेके गौड़ को अपमानित होने
का दंश झेलना पड़ रहा है, और जब उनसे अपना अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ तो
उन्हें कार्यक्रम बीच में ही छोड़ कर उठ जाना पड़ा । जेके गौड़ के लिए
फजीहत की बात यह भी रही कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सफायर के पदाधिकारियों ने
उनके साथ जो किया, सो तो किया ही - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन भी उनके साथ
हो रहे अपमान को चुपचाप बैठे देखते रहे और उन्होंने भी इस बात की कोई
कोशिश नहीं की कि उनके पूर्ववर्ती डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ का इतना
खुल्लमखुल्ला कचरा न हो । कुछेक लोगों ने तो यह कहते हुए मजे भी लिए कि जेके गौड़ इसी लायक हैं, और उनके साथ जो हुआ ठीक ही हुआ ।
रोटरी
क्लब गाजियाबाद सफायर के पदाधिकारियों ने कार्यक्रम की शुरुआत में ही जेके
गौड़ को उनकी असली 'जगह' तब दिखा दी, जब उन्हें मंच पर बैठाने की बजाए
श्रोताओं के बीच बैठा दिया । रोटरी इंटरनेशनल के प्रोटोकॉल के हिसाब से
निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को मंच पर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ ही जगह
मिलना चाहिए । इस प्रोटोकॉल का पालन करने का ध्यान न तो क्लब के
पदाधिकारियों ने रखा और न डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन ने ही उन्हें इसका
पालन करने के लिए कहा । जेके गौड़ के आसपास बैठे लोगों के अनुसार, इसी
बात से कार्यक्रम की शुरुआत में ही जेके गौड़ सुलग तो गए थे - लेकिन अपमान
का घूँट पीकर वह फिर भी बैठे रहे । उधर रोटरी क्लब गाजियाबाद सफायर के
पदाधिकारियों ने भी जैसे ठान रखा था कि उन्हें आज जेके गौड़ को पूरी तरह
'धोना' है । कार्यक्रम के अंतिम चरण में इसका मौका आया : मंच पर बैठे
सारे लोग भाषण कर चुके थे, यहाँ तक कि असिस्टेंट गवर्नर पराग सिंघल भी बोल
चुके थे - तब निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ को भाषण देने के लिए
आमांत्रित किया गया । यह सरासर घोषित रूप से और सार्वजनिक रूप से जेके गौड़
का अपमान था - खुद जेके गौड़ ने भी इसे अपने अपमान के रूप में ही देखा/पहचाना और फिर इस पर वह अपनी नाराजगी दिखाते हुए कार्यक्रम के बीच से ही चले गए ।
यह
नजारा देख रहे लोगों में अधिकतर के लिए यह समझना मुश्किल हुआ कि रोटरी
क्लब गाजियाबाद सफायर के पदाधिकारियों ने जेके गौड़ की ऐसी खुल्ली फजीहत
क्यों की ? क्लब की अध्यक्ष सिम्मी अग्रवाल हैं, जो अमित अग्रवाल की पत्नी
हैं । अमित अग्रवाल ने जेके गौड़ को गवर्नर चुनवाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका
निभाई थी, लेकिन बाद में फिर वह जेके गौड़ से इस बात के लिए खफा हो गए
थे कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ ने उन्हें उतनी तवज्जो नहीं
दी, जितनी की उन्हें मिलना चाहिए थी । अमित अग्रवाल इस बात से भी जेके गौड़
से उखड़े हुए हैं कि वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करने को राजी
नहीं हो रहे हैं । समझा गया है कि अमित अग्रवाल ने अपनी पत्नी के जरिए
जेके गौड़ से इन्हीं बातों का बदला लिया है । जेके गौड़ के लिए ज्यादा फजीहत
की बात यह रही कि इस क्लब में उनके नजदीक समझे जाने वाले राजीव गोयल व आलोक
गर्ग की पत्नियाँ महत्त्वपूर्ण पदों पर हैं, किंतु फिर भी उनके साथ वह हुआ
- जिसे वह खुद बर्दाश्त नहीं कर पाए । मजे की बात यह रही कि अमित अग्रवाल
ने जेके गौड़ के साथ जो हुआ उसकी नहीं; बल्कि जेके गौड़ ने जो किया - उसकी
आलोचना की । अमित अग्रवाल का तर्क रहा कि यह महिलाओं का क्लब है, इसलिए
इसमें यदि कुछ गलत हो भी जाता है तो उसे अनदेखा किया जाना चाहिए और उस पर
ऐसे रिएक्ट नहीं करना चाहिए - जैसे जेके गौड़ ने किया है । उनके इस तर्क पर
प्रति-तर्क रहा कि क्लब के पदाधिकारियों के परिचय में तो बड़ी बड़ी बातें की
जाती हैं : बताया जाता है कि 'ये' डायरेक्टर हैं, 'ये' कंसलटेंट हैं,
'ये' एंत्रेप्रेनॉर' हैं, 'ये' यह हैं, 'ये' वह हैं, आदि-इत्यादि; लेकिन जब
यह देखो कि इन्होंने डिलीवर क्या किया है - तो हर जगह फूहड़पन और मूर्खता
का संगम देखने को मिलता है; ऐसे में आलोचना तो होगी ही ।
जेके
गौड़ के लिए फजीहत की बात यह रही कि एक तरफ तो वह दीपक गुप्ता की
उम्मीदवारी के समर्थकों से 'पिटे', और दूसरी तरफ अशोक जैन की उम्मीदवारी के
समर्थकों ने भी उन्हें 'बचाने' की कोशिश नहीं की । शरत जैन के रवैये पर हर
किसी को हैरानी है । हर किसी का मानना और कहना है कि शरत जैन यदि
वास्तव में चाहते और हस्तक्षेप करते तो जेके गौड़ का ऐसा अपमान नहीं होता ।
शरत जैन के रवैये से उन खबरों को और हवा मिली है, जिनमें कहा/बताया जा रहा
है कि रमेश अग्रवाल व शरत जैन की जोड़ी ने समझ लिया है कि जेके गौड़ अब उनके
लिए ज्यादा काम के नहीं रह गए हैं, और इसलिए उन्होंने जेके गौड़ से दूरी
बनाना/दिखाना शुरू कर दिया है । सत्ता खेमे के लोगों के बीच डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति को लेकर पिछले दिनों जो बातचीतें हुईं
हैं, उनमें जेके गौड़ ने जिस तरह से अशोक जैन की बजाए ललित खन्ना की वकालत
की, शरत जैन उससे भी चिढ़े हुए हैं । शरत जैन को लगता है कि ललित खन्ना की
उम्मीदवारी को खाद-पानी देने का काम जेके गौड़ ही कर रहे हैं । इसीलिए
रोटरी क्लब गाजियाबाद सफायर के अधिष्ठापन समारोह में जब जेके गौड़ की
खुल्लमखुल्ला फजीहत हो रही थी, तब शरत जैन ने चुपचाप बैठ कर तमाशा देखा और
मजा लिया । विडंबना की बात यह रही कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सफायर के
पदाधिकारियों ने जेके गौड़ के साथ जो किया, उसकी प्रायः हर किसी ने आलोचना
ही की है; किंतु फिर भी जेके गौड़ के साथ शायद ही किसी को हमदर्दी हुई हो -
अधिकतर लोगों का मानना और कहना है कि जेके गौड़ ऐसे ही व्यवहार के लायक हैं,
और उनके साथ यह ठीक ही हुआ है । गवर्नर के रूप में जेके गौड़ ने जिस तरह
का आचरण किया और अपने व्यवहार से अपने ही कई नजदीकियों को जिस तरह से
पराया कर लिया - उसी का नतीजा है कि उनकी फजीहत में हर कोई मजा लेने वाले
मूड में है ।